ईवीएम मशीन का आविष्कार किसने किया? EVM Machine kya hai?

ईवीएम मशीन की जानकारी, भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM Machine)

क्या होता है वोट करने वाली ईवीएम मशीन ( EVM Machine ). चलती कैसे है? क्या होगा अगर एक साथ 2 बटन दबा दिया तो? वोट खत्म होने के बाद बटन दबाने पर काम करता है कि नहीं? वो गिनती होती है कि नहीं, अगर वहाँ पर बैठे कर्मचारी ही 4-5 बार बटन दबा दे तो क्या होगा? अगर वोटिंग के दौरान बिजली चली जाए तो क्या होगा? ये मशीन कितनी की आती है और और कितना खर्च होता हैं एक चुनाव कराने में। और अगर हाथ की इंक मिटा के दोबारा वोट देने चले जाओ तो क्या होगा? तो इस बार 2024 लोकसभा का भारत का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव है। इस बार के चुनाव में सोशल मीडिया का इस्तेमाल बहुत ही ज्यादा किया गया है। ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) से पहले भारत में चुनाव बैलेट पेपर के द्वारा होती थी।

इसमे होता ये था कि आपको इसमे स्टम्प मारके वोट देना पड़ता था। इसमे समस्या ये आती थी कि इस प्रक्रिया में रिजल्ट कभी कभी सही सही नहीं मिल पाता था। इसमे होता ये था कि जो बैलट पेपर होता था उसमे कई square (वर्ग) होता था। जिसमे हर वर्ग में एक प्रत्याशी का नाम और चिन्ह होता था। अगर स्टम्प वर्ग से जरा स भी बाहर हो जाता था तो वो वोट बेकार हो जाता था। उस वोट की गिनती किसी के हक में नहीं की जाती थी।  और इस तरह बहुत सारे वोट हर चुनाव में बेकार ( Invalid) हो जाते थे। और इसमे पेपर का बहुत ज्यादा मात्रा में उपयोग होता था। और ये एक तरह से ये उतना सुरक्षित भी नहीं था, बूथ को कभी कभी कब्जा कर लिया जाता था। और बैलट वाले बॉक्स में इंक डाल दिया जाता ताकि चुनाव रद्द हो जाए।

और 48 से 72 घंटे यानि लगातार 2 दिनों तक वोट की गिनती चालू ही रहती थी। और उस दौरान न कोई अंदर से बाहर जा सकता था और न ही अंदर से बाहर कोई जा सकता था। और ईवीएम मशीन भी 1990 में इस्तेमाल करना शुरू किया, और ईवीएम मशीन भी जब भारत में पहली बार इस्तेमाल हुआ वो केरला में हुआ था। इंडिया का चुनाव सबसे बड़ा चुनाव है, भारत में चुनाव के दिन उस पूरे जगह या जिले में अवकाश यानि छुट्टी होती है। इस बार के चुनाव में 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे चुनाव करवाने के लिए। और जब 2019 में चुनाव हुआ था तब 600000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 

पहली ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग कब और कहाँ किया गया था?

ईवीएम मशीन का भारत में पहली बार 1982 में जब पहली बार केरल राज्य के उत्तरी पारावूर विधानसभा क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों में किया गया था। हालांकि, उस समय इसे आधिकारिक रूप से व्यापक चुनावों में लागू नहीं किया गया था। और जब ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) द्वारा चुनाव हुआ तो एक प्रत्याशी मात्र 123 वोट से चुनाव हार गया। उनका लगा कि उसके साथ किसी तरह का बेईमानी हुआ है, और उसने केस कर दिया। और कहा कि येईवीएम मशीन गड़बड़ है बेकार है। उसके बाद कोर्ट ने फिर से वहाँ चुनाव करवाया और वही प्रत्याशी अबकी 2000 वोट से चुनाव जीत गए। उसके बाद से सबको लगा कि ईवीएम मशीन में कुछ लोचा है गड़बड़ी है। उसके बाद से 1982 से लेकर 1988 तकईवीएम मशीन पर बैन लगा रहा। 

इसके बाद, 1998 के राज्य चुनावों में गोवा में पहली बार ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) का व्यापक रूप से उपयोग में लाया गया। ईवीएम मशीन का राष्ट्रव्यापी उपयोग 2004 के आम चुनावों में हुआ, जब पूरे भारत में सभी मतदान केंद्रों पर इनका प्रयोग किया गया। तब से ईवीएम मशीन भारतीय चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई।

ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) क्या होती है?

EVM Machine का फूल फॉर्म Electronic Voting Machine होता है। बाहर से देखने में एकदम सामान्य सा ही दिखता है, इसमे कुछ बटन होती है कुछ लाइट होती है। लेकिन अंदर से ये बिल्कुल अलग होता है। इसमे बहुत सारे टेक्नॉलजी का इस्तेमाल हुआ है। क्या एक ही ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) को हर चुनाव में इस्तेमाल में लाया जाता है। या फिर हर चुनाव में दूसरी ईवीएम मशीन का इस्तेमाल में लाया जाता है। ये जो ईवीएम मशीन है इसको मात्र 2 से 3 बार ही चुनाव में इस्तेमाल में लाया जाता है। उसके बाद दूसरे ईवीएम मशीन को चुनाव में इस्तेमाल में लाया जाता है।

EVM Machine kya hai?

इस ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) के 3 भाग होते हैं, एक ईवीएम मशीन होती है, दूसरा VVPAT होता है इसको कुछ समय पहले ही इससे जोड़ा गया है और तीसरा कंट्रोल यूनिट होता है। ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) 7999 रुपये की आती है, कंट्रोल यूनिट 9800 रुपये की आती, और VVPAT ( Voter Verifiable Paper Audit Trail ) 16000 रुपये की आती है।

ईवीएम मशीन ( EVM Machine ) की बनावट कैसी होती है?

इस मशीन किसी भी इलेक्ट्रिसिटी या बिजली के तार से कनेक्ट नहीं होती है, इस मशीन को बहुत ही अलग तरीके से बनाई गई है। न इसमे ब्लूटूथ होता है न ही वाईफाई होता है। और न ही इसमे यूएसबी केबल लगाया जा सकता है। इसमे बहुत ही अलग तरीके कि एक केबल होती है जिससे कि इसको कोई भी हैक न कर सके। इसमे एक बार में एक ही बटन दबेगा क्योंकि एक बटन दबाने पर कुछ समय के लिए ईवीएम मशीन के बटन लॉक हो जाते है। उसके बाद कोई भी बटन दबाने पर काम ही नहीं करेगा। और अगर आप एक साथ दो बटन भी दबाने की कोशिश करते है तो ये संभव नहीं है। वो लॉक हो जाती है, अभी कुछ साल पहले तक एक बैलट यूनिट होता था। और एक कंट्रोल यूनिट होता था, लेकिन एक्स्ट्रा सिक्युरिटी के लिए VVPAT डिवाइस को जोड़ा गया है।

आपके बाजू में एक मशीन होती है और जब भी वोट डालते है तो VVPAT ( Voter Verifiable Paper Audit Trail ) में आपको एक स्लिप के फॉर्म में 7 सेकेंड तक दिखता है। जिससे आपको ये पता चलता है कि आपका वोट सही सही डल गया है।

ईवीएम मशीन कैसे चलती है?

ईवीएम मशीन को संचालित करना बहुत ही सरल है और इसे तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है: बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और VVPAT ( Voter Verifiable Paper Audit Trail )

EVM Machine kya hai?

बैलट यूनिट (Ballot Unit)

  • बटन और प्रत्याशी सूची : बैलट यूनिट में अलग अलग क्रमानुसार कई बटन होते हैं जो प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्हों के सामने होते हैं।
  • मतदाता प्रक्रिया : जब मतदाता मतदान करने के लिए आता है, तो उसे बैलट यूनिट दी जाती है। मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के सामने स्थित बटन को दबाता है।

कंट्रोल यूनिट (Control Unit)

कंट्रोल यूनिट का निर्माण होने के बाद इसमे कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है।

  • मतों की गणना :कंट्रोल यूनिट बैलट यूनिट से जुड़ी होती है और हर बार जब एक बटन दबाते हैं, तो कंट्रोल यूनिट उसे रिकॉर्ड कर लेती है।
  • प्रारंभ और समाप्ति : मतदान प्रक्रिया की शुरुआत और समाप्ति कंट्रोल यूनिट के माध्यम से ही की जाती है। पोलिंग अधिकारी मतदाता को मतदान की अनुमति देने से पहले कंट्रोल यूनिट पर एक बटन दबाते हैं। मतदान खत्म होने पर कंट्रोल यूनिट में जमा सभी वोटों की गणना की जाती है और परिणामों को घोषित किया जाता है।

VVPAT ( Voter Verified Paper Audit Trail )

  • जिससे मतदाता यह देख सकता है कि उसका वोट सही तरीके से डल गया है। और 2014 के लोकसभा चुनाव में 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में VVPAT का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।

ईवीएम मशीन काम कैसे करती है?

  • पावर सप्लाई : ईवीएम मशीन बैटरी से चलती है, इसे बिजली की जरूरत नहीं पड़ती है। सिलिकन से बने oprating प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है। 7.5 वॉल्ट alkaline पावर डबल 5 aa साइज़ के बैटरी से चलती है।
  • सुरक्षा : ईवीएम मशीन में कई सुरक्षा फीचर्स होते हैं, जिससे कि इससे कोई छेड़छाड़ न कर सके। इसके अलावा, वोटिंग के दौरान के दौरान कोई भी मशीन के अंदर मतपत्रों तक पहुंच नहीं सकता।
  • वोट वेरीफिकेशन : ईवीएम मशीन में अब VVPAT ( Voter Verified Paper Audit Trail ) सिस्टम भी होता है, जिससे मतदाता यह देख सकता है कि उसका वोट सही तरीके से डल गया है।
EVM Machine kya hai?

उपयोग की प्रक्रिया

  • सेटअप : मतदान केंद्र पर चुनाव अधिकारी ईवीएम मशीन को सेटअप करते हैं और बैलट यूनिट को कंट्रोल यूनिट और VVPAT से जोड़ते हैं। और 2014 के लोकसभा चुनाव में 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में VVPAT का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।
  • टेस्टिंग: मतदान शुरू होने से पहले, अधिकारियों द्वारा मशीन का परीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बटन सही तरीके से काम कर रही है।
  • मतदान: हर मतदाता अपने पहचान पत्र की जांच के बाद, मतदान कक्ष में प्रवेश करता है और बैलट यूनिट के माध्यम से अपना वोट देता है।
EVM Machine kya hai?

तो ईवीएम मशीन काम कैसे करती है? उसमे न ब्लूटूथ होता है और न ही वाईफाई होता है? इसमे आप अलग से बिजली के तार नहीं जोड़ सकते हैं। इसमे किसी भी तरह का एक्स्ट्रा केबल नहीं लगा सकते हो। इसमे जो केबल होता है वो बहुत ही अलग होता है जो आपको मार्केट में कहीं भी नहीं मिलेगा। ताकि लोग इसको हैक न कर सके, इससे कोई छेड़छाड़ न कर सके। ये मशीन सिर्फ आपस में ही कनेक्ट होते हैं उसके बाद ही ये मशीन काम करती है। इसको चालू करने के लिए दो विकल्प होते हैं एक तो इसके पीछे सॉकेट के ऊपर एक बटन होता है। और दूसरा उसमे एक नॉब होता है जिसमे 2 मोड़ होता है, एक ट्रैन्स्पर्टैशन मोड़ ( Transportation Mode ) होता है। जिसमे आपको इधर से उधर ले जाने के लिए होता है। और दूसरा चालू करने का मोड़ होता है।

कंट्रोल यूनिट में भी एक बटन होता है जिसको ऑन करने पर एक इंडिकैटर लाल बत्ती जल जाती है। और बैलट यूनिट में ग्रीन बत्ती जल गई तो इसका मतलब कि अब इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। और जब मशीन वोटिंग के लिए तैयार हो जाती है तो उसकी टेस्टिंग किया जाता है। उसके लिए उसमे 50 वोट टेस्टिंग के लिए होता है, हर बटन दबा कर देखा जाता है कि सब सही सही काम कर रही है कि नहीं, ये वोट की गिनती नहीं होती है। ईवीएम मशीनों के उपयोग ने मतदान प्रक्रिया को तेज़, सुरक्षित और अधिक पारदर्शी बनाया है। इससे मतगणना में होने वाली गलतियों और बूथ कब्जा को भी काफी हद तक कम किया गया है। मशीन को अलग अलग कर देने से आप उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, उसमे एक क्लोज़ बटन होता उसे दबाने पर उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

चुनाव खत्म होने के बाद मशीन को अलग से एक case कवर में रखा जाता है। उसके बाद उस केस कवर को पुरी तरह से शील कर दिया जाता है, ताकि उसको कोई छु भी न सके। कंट्रोल यूनिट के अंदर भी एक रिजल्ट बटन होता है। जिसको दबाने पर एक प्रत्याशी को कितने वोट मिले है एक बार में सारे नंबर दिख जाते हैं। और इन सब को काउन्ट करने में तकरीबन 1 से 2 घंटे का समय लगता है। जो RO ( Returning Officer ) होता है उनकी देखरेख में सारे वोट की गिनती की जाती है। ईवीएम मशीन को आप खोल भी नहीं सकते है क्योंकि इसको खोलना इतना आसान नहीं है। क्योंकि इस मशीन को आम स्क्रू ड्राइवर से नहीं खोला जा सकता है। 

ईवीएम मशीन का आविष्कार किसने किया?

ये जितनी भी ईवीएम मशीन है ये सारी भारत में बनाई जाती है। ये ईवीएम मशीन को भारत बनाकर बाहर भी एक्स्पोर्ट भी करती है जैसे कि नेपाल, भूटान, नामीबिया, केन्या, और तो और पाकिस्तान में जब चुनाव होता है तो भारत ही पाकिस्तान को ईवीएम मशीन देती है। पहले भारतीय ईवीएम मशीन का आविष्कार 1980 में एम बी हनीफा के द्वारा किया गया था। जिसे उसने “इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन” के नाम से 15 अक्तूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था। एकीकृत सर्किट का उपयोग कर एम बी हनीफा द्वारा बनाये गये मूल डिजाइन को तमिलनाडु के छह शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनियों में जनता के लिए प्रदर्शित किया गया था। प्रदर्शनियों में मशीन को काफी सराहना मिली और भारत के चुनाव आयोग ने इसे अपनाने का फैसला किया।

1989 में, भारत के चुनाव आयोग ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ( BEL ) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ( ECIL ) के सहयोग से ईवीएम मशीनों का उत्पादन शुरू किया। पहली बार ईवीएम मशीनों का उपयोग 1989 के लोकसभा चुनावों में किया गया था।ईवीएम के औद्योगिक डिजाइनर औद्योगिक डिजाइन सेंटर, आईआईटी बॉम्बे” के संकाय सदस्य (faculty members) थे।

पहले के जो ईवीएम मशीन थे उसमे तकरीबन 3840 वोट ही दे सकते थे। लेकिन अब evm मशीन बदल चुकी है अब इसमे मात्र 2000 ही वोट डाल सकते हैं। एक evm मशीन में 16 प्रत्याशियों का नाम अंकित होता था लेकिन अब 24 प्रत्याशियों के नाम अंकित होते हैं। और अगर 24 से ज्यादा प्रत्याशी है तो फिर एक और अलग से मशीन लगाई जाती है। 

क्या होगा जब बिजली चली जाएगी?

तो अगर चुनाव के दौरान बिजली चली गई तो कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि ईवीएम मशीन battery पर चलती है। ये बहुत ही सामान्य 7.5 वॉल्ट alkaline पावर डबल 5 aa साइज़ के बैटरी से चलती है। चाहता तो इसे बिजली से भी चलाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि भारत में ऐसी बहुत सी जगहें है जहाँ बिजली नहीं होती है। जिसके कारण बैटरी से ईवीएम मशीन को चलाया जाता है

चुनाव की कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • स्वीडन और फ्रांस में ऑटोमैटिक आपका नाम वोटिंग लिस्ट में डाल दिया जाता है और तो और ऑस्ट्रेलिया में तो अगर आप वोट नहीं देते है तो आप पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
  • वोटिंग करते समय आप विडिओ नहीं बना सकते है, ये वहाँ पर गैरकानूनी होता है इसके लिए आपको जेल भी हो सकती है। और अगर आप डबल वोट डालने की कोशिश करते है तो आपको जेल हो सकती है। 
  • जोRO ( Returning Officer ) होता है वो ही समय समय पर न्यूज वालों को वोट कि गिनती की जानकारी देते रहते हैं। जिससे कि आप टीवी पर लाइव देखते है।

यहाँ पर वोटिंग के लिए Biometric based Voter ID Card system का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि कोई भी फालतू का वोट नहीं डाल सके। और जब वोट देते है आपके उंगली में जो टीका के रूप में इंक लगाया जाता है। वो कोई मामूली इंक नहीं होता है। उसमे चांदी होता है जिसे सिल्वर नाइट्रैट से बनाई जाती है, ये इंक बहुत ही अलग होती है। इसके ऊपर आप साबुन लगाओ शैम्पू लगाओ ये कुछ दिनों तक नहीं छूटता है। इसमे थोड़ा सा एल्कोहल भी होता है, जिसके कारण ये तुरंत सूख जाता है। इस इंक की एक बोतल की कीमत 49 रुपये की आती है, और 2019 के चुनाव में में 26 लाख बोतल का इस्तेमाल किया गया था। और इसमे तकरीबन 33 करोड़ रुपये खर्च हुए, एक बोतल में तकरीबन 350 लोगों के उंगली में निशान लगाया जा सकता है।

ईवीएम कितने देशों में बैन है?

ईवीएम मशीन (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का उपयोग कुछ देशों में बैन है। ये प्रतिबंध मुख्य रूप से चुनावी पारदर्शिता और सुरक्षा चिंताओं के कारण लगाए गए हैं। प्रमुख देशों में जहां ईवीएम का उपयोग प्रतिबंधित है उनमें शामिल हैं:-

  1. जर्मनी : यहां ईवीएम को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया क्योंकि इन्हें हैकिंग के लिए असुरक्षित पाया गया था।
  2. नीदरलैंड्स : पारदर्शिता की कमी के कारण ईवीएम पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका: कई राज्यों ने ईवीएम पर प्रतिबंध लगाया है, विशेषकर उन मशीनों पर जो पेपर ट्रेल नहीं प्रदान करतीं।
  4. फ्रांस: ईवीएम का उपयोग नहीं करता क्योंकि वे चुनावी सुरक्षा के प्रति सशंकित हैं।
  5. इंग्लैंड: यहां भी ईवीएम का उपयोग नहीं किया जाता है।

इसके अलावा, आयरलैंड और इटली ने भी ईवीएम का उपयोग छोड़ दिया है और पारंपरिक बैलट पेपर पर लौट आए हैं

ईवीएम मशीन में कितने बटन होते हैं?

ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में बटनों की संख्या उस निर्वाचन क्षेत्र में खड़े उम्मीदवारों की संख्या पर निर्भर करती है। सामान्यत: ईवीएम में अधिकतम 16 उम्मीदवारों के लिए बटन होते हैं। इसके अतिरिक्त, एक बटन ‘नोटा’ (None of the Above) के लिए भी होता है, जिससे मतदाता यह संकेत दे सकते हैं कि वे किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते। यदि उम्मीदवारों की संख्या 16 से अधिक हो जाती है, तो एक और ईवीएम यूनिट (जिसे बैलट यूनिट कहते हैं) जोड़ी जाती है। एक कंट्रोल यूनिट एक समय में चार बैलट यूनिट्स को संभाल सकती है। जिससे कुल मिलाकर 64 उम्मीदवारों के लिए बटन उपलब्ध हो सकते हैं।

सारांश में, ईवीएम में 17 बटन (16 उम्मीदवारों के लिए और 1 नोटा के लिए) हो सकते हैं, और आवश्यकता अनुसार अधिक बैलट यूनिट्स जोड़कर यह संख्या बढ़ाई जा सकती है।

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