जयराम महतो का जीवन परिचय
आज हम ऐसे उभरते हुए युवा छात्र नेता के बारे में जानेंगे जो किसी के भी बारे में बोलने से जरा सा भी नहीं कतराते हैं। हम बात कर रहे है टाइगर जयराम महतो जी के बारे में। इनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है बावजूद इन्होंने अपनी पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी। और आज भी अपनी पढ़ाई कर रहें है और हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते ही रहते हैं। जिससे वो कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं। आज जयराम महतो हर छात्र कि हर संभव मदद करते है। और साथ में सरकार से पीड़ित, पुलिस से पीड़ित लोग, किसी को भी किसी तरह कि समस्या हो। यराम महतो हमेशा उसकी मदद के लिए तत्पर रहते है। इनकी एक एक शब्द में इतनी सच्चाई होती है लोग इनको सुनने के लिए दूर दूर से आते है कि चंद मिनटों में हजारों लोगों कि हुजूम जुट जाती है।
इनकी आवाज इतनी बुलंद है कि सुनने वाले के भी मन में जोश भर देते है, ये कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे। लेकिन जो आज झारखंड में जिसकी भी सरकार बनती है वो सिर्फ बस अपना कार्यकाल पूरा करते है लूटते है, घोटाला करते है और चुपके से निकल लेते है। और झारखंड का विकास आज तक कुछ हुआ ही नहीं है और तो और झारखंड मे जिसकी भी सरकार बनी उसने अभी तक अपना कार्यकाल तक पूरा नहीं किया। सिवाय रघुवर दास के लेकिन वो भी घोटाले बाज निकले और हर नेता पर घोटाला का आरोप लगा। वो चाहे हेमंत सोरेन हो या उनके पिता शिबू सोरेन, या फिर मधु कोड़ा हो या फिर रघुवर दास सबने घोटाला किया। अगर जयराम महतो राजनीति में आते है तो क्या बदलाव देखने को मिल सकता है राजनीति कि क्या तस्वीर बदलेगी ये देखने वाली होगी।
जयराम महतो का जन्म | 27 सितंबर 1994 |
जन्म स्थान | मानटांड़, तोपचाँची (धनबाद) |
उम्र | 30 साल (2024 में) |
जयराम महतो का पिता का नाम | स्व. कृष्णा प्रसाद महतो |
माताजी का नाम | |
भाई- बहन | 4 – |
स्कूल | गाँव का सरकारी स्कूल |
जाति | महतो (कुड़मी) |
कॉलेज/यूनिवर्सिटी | बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद |
शिक्षा | Ph.D in English Hons. |
पेशा | एक छात्र के साथ साथ नेता |
पत्नी | शादी नहीं की |
पार्टी का नाम | झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) |
जयराम महतो का जन्म, परिवार व शिक्षा
टाइगर जयराम महतो का जन्म 27 सितंबर 1994 को मानटांड़, तोपचाँची (धनबाद) मे बहुत ही गरीब परिवार मे हुआ। जयराम महतो के पिता का नाम कृष्ण प्रसाद महतो है जो एक क्रान्तिकारी थे जो शहीद हो गए। माँ बीमार रहती है तो वो मामा घर में रहती है, चाचा है, दादी है और छोटा भाई है। इनकी दादी जो 90 साल से ऊपर की है , फिर भी सब काम करती है ये सोचने वाली बात है। इनकी दादी को वृद्धा पेंशन मिलता है, घर वाले जयराम महतो को जब शादी के बोलते है। तो जयराम महतो कहते थे पहले कुछ बनूँगा तब शादी करूंगा। दादा जी और पिताजी का निधन एक ही साल हुआ था, पहले पिता का शहीद हुए और कुछ महीने बाद दादा जी का भी निधन हो गया था। इनके साथ चाचा रहते हैं जो जन्म से ही नहीं देख सकते हैं।
फुटबाल और क्रिकेट बहुत अच्छे खेलते हैं, इनके गाँव से पारसनाथ पहाड़ आसानी से देखा जा सकता है जयराम महतो ने ज्यादा समय यानि बचपन मामा घर मे ही बीता। घर मे खाना दादी बनाती है उनका साथ जयराम महतो के छोटे भाई देते है घर की हालत भी बहुत खराब है। 2022 तक इनको उज्ज्वला योजना का भी लाभ तक नहीं मिला। इनका घर एकदम मिट्टी का घर है, बारिश के दिन घर में पानी टपकता है। इनका प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही सरकारी स्कूल से हुई, उसके बाद इन्होंने धनबाद के P K ROY MEMORIAL COLLEGE मे दाखिला लिया। उसके बाद बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद से Ph.D कर रहे हैं इंग्लिश में क्योंकि सभी जगह इंग्लिश को ज्यादा महत्व दिया जता है ऐसा नहीं कि इनको हिन्दी नहीं आती है।
इनके पिता को 1993 में सर में चोट लगने से मृत्यु हो गई। झारखंड आंदोलन के जनक स्व. बिनोद बिहारी महतो के साथ जयराम महतो के पिता भी रहते थे। पुलिस और कुछ लोगों के साथ हुए झड़प में जयराम के पिता के सर पे चोट लगा जिसके कारण उनका देहांत हो गया। सही इलाज न मिलने के कारण ये सब हुआ, सबा अहमद जो उस वक्त के mla हुआ करता था। साथ में वो एक डॉक्टर भी था उसने तो अपने स्तर से इलाज भी किया लेकिन वो कुछ खास नहीं कर पाए। ढाई तीन लाख रुपये होते तो शायद बच पाते लेकिन नहीं थे। क्योंकि उसके इलाज करने के लिए स्पेशल वेल्लोर से डॉक्टर आते। लेकिन पैसे के अभाव के कारण सही इलाज नहीं हो पाया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई।
जयराम महतो का नाम टाइगर क्यों पड़ा?
जब जयराम छोटा था और जब क्रिकेट खेलता था 2004-05 कि बात होगी असंभव कैच को पकड़ लेता था। भले ये गिर कर घायल हो जाते थे जिसकी वजह से इनका नाम टाइगर पड़ा। इनका घर बिल्कुल पारसनाथ के बीच मे है जिसके कारण नाम भी सूट किया और तब से ये नाम लगा रहा। इनके गाँव का मुख्य पेशा आज भी कृषि है और इनके घर वाले आज भी खेती बाड़ी पर निर्भर है। जिससे इनके घर का जीविकोपार्जन चलता है। लेकिन पूरे परिवार के लिए काफी नहीं है, बहुत मुश्किल से 3 वक्त का भोजन जुटा पाते हैं। इनकी माँ जंगल से दो – ढाई किलोमीटर अंदर जंगल से लकड़ी लाती थी। तब जाकर खाना बनता था। बारिश में इनके घर के छत से पानी टपकता है क्योंकि इनका पूरा घर मिट्टी और खपड़े का है।
2 घंटी अपने नजदीक के स्कूल में भी पढ़ाते थे जब इनके पास समय होता था। इनके पास मास्टर कि डिग्री है और इनके आदर्श भगत सिंह है जिनको ये मानते हैं। जयराम फूटबाल में गोलकीपर और डिफेन्स से खेलते है।
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