आजाद भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा कोई मुख्यमंत्री रहा होगा जो जिसने करोड़ों नहीं पूरे 4 हजार करोड़ के घोटाला किया। और दोषी साबित भी हुआ एक ऐसा मुख्यमंत्री जो निर्दलीय था, और सूबे पर करीब 2 साल तक राज किया। और उसके बाद कैबिनेट के 50 फीसदी मंत्री भी अलग अलग घोटालों मे फंसे और साथ में दोषी साबित भी हुए। और जेल की हवा भी खाए। वो थे मधु कोड़ा जिनको साल 2008 में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। मधु कोड़ा एक पूर्व राजनेता और भारतीय राजनीतिज्ञ रहे हैं, जिन्होंने झारखंड राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपना शिक्षा झारखंड के स्थानीय विश्वविद्यालय से प्राप्त किया और बाद में राजनीति में प्रवेश किया।
वे झारखंड में कई मंत्रीमंडलों में मंत्री और निगमों के चेयरमैन भी रहे। मधु कोड़ा की राजनीतिक करियर में सबसे महत्वपूर्ण संघर्ष उनके मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में हुआ। जिसके बाद उन्होंने 2006 में झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
मधु कोड़ा का जन्म परिवार व शिक्षा
मधु कोड़ा का जन्म झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम के जगरनाथपुर के पाताहातु गाँव में ६ जनवरी १९७१ को हुआ। शुरुआती जीवन संघर्षो से भरा हुआ था। इनके पिता किसान थे, आदिवासी इलाके से आने वाले मधु कोड़ा जिंदगी को और अपने आसपास को भी बदल देना चाहते थे। कोड़ा शुरुआती दिनों में कोयला खदान में काम करते थे। मधु कोड़ा का पत्नी का नाम गीता कोड़ा है। गीता कोड़ा इस बार पश्चिमी सिंघभूम से नामांकन दाखिल किया है। गीता कोड़ा के पास ५ साल में एक करोड़ से अधिक संपत्ति बढ़ी है। गीता कोड़ा के पास २ करोड़ से अधिक की संपत्ति है।
राजनेता मधु कोड़ा का राजनितिक सफर
छात्र जीवन में उन्होंने सबसे पहले आल इंडिया स्टूडेंट यूनियन में शामिल हुआ। उसके बाद RSS से भी जुड़े और इसी के जरिये राजनीति में घुसे। बीजेपी ने उनमे एक आग देखी तो उसे टिकट दे दिया और इसी टिकट पर पहली बार साल 2000 में मधु कोड़ा ने विधानसभा में जगह मिली। बात साल 2005 की है झारखण्ड में चुनाव शुरू हो चुका था, बीजेपी ने इस इस बार मधु कोड़ा को टिकट नहीं दिया तो नाराज हो कर मधु कोड़ा ने इस्तीफा दे दिया। और उन्होंने जगरनाथपुर से निर्दलीय ही पर्चा भर दिया, और ये ऐसा चुनाव था जिसमे किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। लेकिन मधु कोड़ा 10000 वोट के अंतर से चुनाव जीत गए थे, 2 मार्च 2005 को शिबू सोरेन के नेतृत्व वाले कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गठबंधन को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया।
लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं हो सका, और सोनिया सरकार गिर गई। और एक फिर अर्जुन मुंडा ने दावा पेश किया उनके पास भी विधयाको की संख्या कम थी। मधु कोड़ा ने अपनी सर्तो पर अर्जुन मुंडा को समर्थन दिया। अपने तीन साथियों से समर्थन दिलवाया जिसके बाद सरकार बन गई और बहुमत साबित हो गया। अर्जुन मुंडा Cm तो बन गए थे लेकिन सरकार तो जैसे तैसे ही चल पा रही थी। इसी बीच एक सड़क को लेकर मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा के बीच अनबन हो गई। मधु कोड़ा विधानसभा में रो पड़े और अपने ही सरकार पर आरोप लगाये और भाषण ख़त्म करते ही मधु कोड़ा अर्जुन मुंडा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।
जिसके कारण अर्जुन मुंडा का सरकार गिर गया, उसके बाद कांग्रेस, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, और भी कई पार्टियों ने मधु कोड़ा को अपना समर्थन दे दिया। और इस तरह निर्दलीय विधायक रहते हुए भी मधु कोड़ा झारखण्ड के 5वें Cm बन गए। इस तरह से Cm बनने के कारण उनका नाम लिमका बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
मधु कोड़ा अर्श से फर्श तक कैसे पहुंचे
साल 2007 में हुआ कोल ब्लोक आबंटन घोटाला झारखण्ड में ही पश्चिमी सिंघभुम में रहने वाले बिनोद सिन्हा नाम के एक शख्स मधु कोड़ा के बहुत करीबी थे। आयकर विभाग ने मधु कोड़ा, बिनोद सिन्हा, और उनसे जुड़े देश भर में 167 ठिकानो पर छापा मारा। इस दौरान पता चला की मधु कोड़ा ने कोयला, आयरन और खदान आबंटन के साथ ही उर्जा विभाग में भी भारी गड़बड़ घोटाला किया है। उस वक्त के राज्य कांग्रेस प्रभारी अजय माखन ने ही मधु कोड़ा के खिलाफ मुहिफ छेड़ा था। सीबीआई ने कहा की साल 2007 में हुए इस कोल ब्लोक आबंटन के बदले अरबो रूपये रिश्वत ली गई। सीबीआई ने इस पुरे मामले में 9 लोगो को आरोपी बनाया।
इनमे मधु कोड़ा, एस सी गुप्ता और कंपनी के अलावा झारखण्ड के पूर्व चीफ सेकेट्री एके बासु दो अन्य अफसर बसंत कुमार भट्टाचार्य, बिपिन बिहारी सिंह, बी आई एस यू एल के डायरेक्टर वैभव तुलस्यान, कोड़ा के कथित करीबी बिजय जोशी और चार्टेड अकाउंटेंट नविन कुमार तुलस्यान शामिल थे। 30 नवम्बर २००९ को सीबीआई ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया, ED ने भी कोड़ा को कई मामलों में अभियुक्त बनाया। कुल मिलाकर एक बड़ी जीत से राजनीति का सफ़र शुरू करने वाले कोड़ा का नाम जितनी तेजी से अर्श तक पहुंचा उतने ही तेजी से फर्श पर भी आ गया। रांची के सीबीआई कोर्ट के एक फैसले के बाद झारखण्ड में साल 2006 से लेकर 2008 के बीच शासन करने वाली मधु कोड़ा सरकार के नाम एक अजीबो गरीब रिकॉर्ड भी बन गया।
मधु कोड़ा को ३ साल की सजा
इस सरकार में मंत्री रहे बंधू तिर्की को आय से ज्यादा संपति रखने के मामले में कोर्ट ने दोषी पाते हुए ३ साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही सरकार के एक तिहाई मंत्री भ्रष्टचार और अपराधिक मामलों में सजा दी गई। रिकॉर्ड ये भी है की ये सरकार की ५० फीसदी मंत्रियों को अपराधिक मामलों की वजह से जेल यात्रा करनी पड़ी। झारखण्ड विधानसभा के सदस्यों की संख्या के आधार पर यहं राज्य सरकार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या १२ होती है। १८ सितम्बर २००६ से लेकर २३ अगग्स्त २००८ तक निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री रहे। उनकी सरकार में भी १२ मंत्री थे जिसमे से ६ मंत्री पार आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे। और उनके खिलाफ सीबीआई जांच बैठी, इसमें मधु कोड़ा के आलावा कैबिनेट में शामिल एनोस्क एक्का, हरी नारायण राय, बंधु तिर्की, भानु प्रताप शाही और कमलेश सिंह शामिल थे।
इन सभी के खिलाफ अलग अलग तरह के घोटालों में भी मामले दर्ज हुए। मधु कोड़ा ४ हजर करोड़ के बहुचार्चित्त कोयला घोटाले में दोषी पाए गए। दिल्ली में पटियाला हाउस की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में जस्टिस भरत ने १६ दिसम्बर २०१७ को उन्हें ३ साल की सजा सुनाई थी। साथ ही उनपर २५ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, फ़िलहाल कोड़ा जमानत पर है। उनकी सरकार की ३ और मंत्रियों को अबतक जेल जा चुके है उनको सजा दी गई।