Manoj Kumar biography in Hindi | मनोज कुमार का जीवनी

मनोज कुमार का जीवन परिचय : Manoj Kumar biography in Hindi

Manoj Kumar Real Nameहरी किशन गिरी गोस्वामी
Manoj Kumar Birthdayजन्म 24 जुलाई 1937
Manoj Kumar age85 (2022)
Manoj Kumar birth placeब्रिटिश इण्डिया अबोटाबाद में (अविभाजित पाकिस्तान में)
Manoj Kumar father’s nameएच.एल. गोस्वामी
Manoj Kumar mother’s nameकृष्णा कुमारी गोस्वामी
Manoj Kumar wife’s nameशशि गोस्वामी
Manoj Kumar sister nameराजीव गोस्वामी
Manoj Kumar childrens2
Manoj Kumar sons nameविशाल गोस्वामी और कुणाल गोस्वामी

मनोज कुमार (Manoj Kumar) कह लीजिए या इन्हें भरत कुमार मनोज कुमार ने अपने अभिनय से लोगों के दिल में देश के प्रति प्रेम का जज्बा बढ़ाया है। मनोज कुमार अभिनेता के साथ साथ शानदार स्क्रिप्ट राईटर और डायरेक्टर भी है, उन्होंने अपनी कई फिल्म को डायरेक्ट किया है जिसमें अभिनेता खुद भी थे जिनमें से एक फिल्म थे उपकार इस फिल्म में इन्होंने अभिनय भी किया और डायरेक्ट भी किया इस फिल्म के लिए इन्हें अवार्ड भी दिया गया बेस्ट अभिनय और बेस्ट डायरेक्शन के लिए।

Manoj Kumar photo

मनोज कुमार का जन्म, परिवार व शिक्षा (Manoj Kumar birthday)

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 ब्रिटिश शासन इण्डिया में इब्टाबाद में हुआ था। इनका नाम हरी किशन गिरी गोस्वामी रखा गया, इनका अधिकांश जीवन बचपन का लाहौर में बीता। इससे पहले ये अपने पुश्तैनी गांव में भी रहे जिसका नाम जंडियाला शेरखान जो पाकिस्तान के शेखुपुरा में पड़ता है। और आज भी वजूद में हैं और आज ये सब इलाके पाकिस्तान के हिस्से में आता है।

मनोज कुमार जीवन सफर

बंटवारे का दर्द लेकर पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए मनोज कुमार कैसे फिल्म इंडस्ट्री तक पहुंचे उनके फिल्मी सफर कैसा रहा, मनोज कुमार जी मात्र 10 साल के थे जब भारत का विभाजन हुआ, मनोज कुमार के माता-पिता पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान आ गए। किसी तरह किसी तरह मनोज के माता-पिता पूरे परिवार के साथ दिल्ली के रिफ्यूजी कैंप में आ गए, और काफी वक्त इनका यहीं गुजरा। रिफ्यूजी कैंप में रहने के दौरान इनकी मां और एक छोटा भाई बीमार रहने लगा, मां और भाई का इलाज के लिए तीस हजारी अस्पताल ले गए।

माता और भाई को उसी अस्पताल में भर्ती करा दिया, उस वक्त दिल्ली दंगों की आग से झुलस रही थी, जब भी दंगे भड़कते और इमरजेंसी सायरन बजती थीं तो सभी डॉक्टर और नर्स हॉस्पिटल के बेसमेंट में जाकर छिप जाते थे।

एक बार जब ऐसे ही सभी डॉक्टर और नर्स बेसमेंट में जाकर छिपे थे, तो मनोज कुमार के भाई की तबीयत काफी बिगड़ गई थी। मनोज कुमार ने डॉक्टरों से बहुत विनती की कि उसके भाई की तबीयत बहुत बिगड़ गई है लेकिन डॉक्टर दंगों के डर से बेसमेंट में छिपे रहे उनके भाई का इलाज नहीं की। मात्र 2 साल के इनके भाई ने दम तोड़ दिया, भाई के इस तरह से हुई मौत को बर्दाश्त नहीं कर पाए। मनोज कुमार ने एक लाठी उठाई और हॉस्पिटल के बेसमेंट में किसी तरह घुस गए,

उसके बाद बेसमेंट में छिपे डॉक्टर और नर्स को लाठी से पीटने लगे जब यह बात इनके पिताजी को इस घटना के बारे मे पता चली थी, उनके पिताजी ने मनोज कुमार को खूब डांटा कसम खिलाई, और भविष्य में कभी भी किसी पर हाथ नही उठाओगे।

इस घटना के बाद से पिताजी के समझाने के बाद से मनोज कुमार ने उसके बाद से कभी भी किसी को एक थप्पड़ तक नहीं मारा। राजकुमार का फिल्म इंडस्ट्री में आने की कहानी भी फिल्मी से कम नही और दिलचस्प है एक दफा इनके रिफ्यूजी कैंप में दिलीप कुमार साहब की फिल्म दिखाई जा रही थी। फिल्म का नाम जुगनू थी दिलीप कुमार के पर्सनलिटी से बहुत प्रभावित हुए, उस समय इनकी उम्र करीब 12 साल रही होगी। मनोज कुमार को दिलीप कुमार की पर्सनलिटी, acting, और स्टाइल ने दीवाना बना दिया था।

कुछ दिन बाद मनोज कुमार दिलीप कुमार जी की एक और फिल्म देखते हैं फिल्म का नाम था शहीद, जहां जुगनू फिल्म में दिलीप कुमार साहब के आखरी में मृत्यु हो जाती है शहीद फिल्म में भी आखरी में दिलीप साहब की मौत हो जाती है। उस वक्त मनोज कुमार छोटे थे तो उसको यह समझ में नहीं आ रही थी कि कोई इंसान कैसे दो बार मर सकता है। मनोज कुमार यही सब सो बार बार सोच कर चिंतित रहने लगे अकेले रहने लगे हैं जब इसकी मां ने मनोज कुमार को शांत बैठा देखा इनकी मां ने गुमशुम रहने की वजह पूछी। तो मनोज कुमार ने अपनी मां से पूछा की एक आदमी कितनी बार मरता है।

तो मां ने कहा एक बार तो मनोज कुमार ने कहा अगर 2–3 बार मरे तो, तो मां ने कहा फिर तो वो इंसान नही वो फरिश्ता होता है।

मासूम मनोज कुमार ने तभी फैसला किया की वो आगे चलकर फरिश्ता बनेगा, दिल्ली रिफ्यूजी कैंप में रहने के दौरान मनोज कुमार क्रिकेटर हॉकी के बेस्ट प्लेयर में गिने जाने लगे बहुत ही अच्छा खेलते थे। उस दरमियान मनोज कुमार जी को शशि नाम से एक लड़की से बेहद प्यार हो गया और यह प्यार दोनों तरफ से थी लड़की भी मनोज कुमार जी से बहुत प्यार करती थी। दोनों अक्सर साथ में फिल्म देखने जाया करते थे, मनोज कुमार इतने किस्मत वाले हैं कि उनकी शादी उनके प्रेमिका से ही शशि से ही हुई।

मनोज कुमार जी दिल्ली में ही थे जब की मुलाकात इनके कजन लेखराज भाकरी से हुई जो एक जो उस समय के जाने माने डायरेक्टर थे।

वो अपने फिल्म के प्रीमियर के सिलसिले में वह मुंबई से दिल्ली आए थे, मनोज कुमार को देखते ही लेखराज भाकरे ने कहा कि तुम तो हीरो जैसे लगते हो। तो मनोज कुमार ने कहा कि अगर मैं हीरो जैसा लगता हूं तो आप मुझे हीरो बना ही दीजिए। तू इस पूरा डायरेक्टर और लेखराज भाकरी ने कहा कि टाइम निकाल कर तुम मुंबई आओ तुम्हारे बारे में सोचेंगे, मनोज कुमार लेखराज बकरी के कहने पर दिल्ली से मुंबई जाने का फैसला किया। अपने माता-पिता से ज्यादा लेकर 9 अक्टूबर 1956 को दिल्ली से मुंबई के लिए मनोज कुमार जी रवाना हो गए। मनोज कुमार जी मुंबई पहुंच जाते हैं उसके बाद इनके जीवन का संघर्ष शुरू होता है,

मनोज कुमार के कई भाई थे जो फिल्म इंडस्ट्री में थे, लेकिन लेखराज भाकरी कहा फिल्मों में काम करने से पहले अपने आपको पहले बहुत ज्यादा घिसना होगा। मनोज कुमार मुंबई में किसी तरह अपना गुजारा कर रहे थे, और बीच-बीच में मनोज कुमार लिखते भी रहते थे कि भी एक राइटर थे इन्होंने कई फिल्में भी लिखें। इनकी लिखी स्क्रिप्ट पर कई फिल्में भी बनी लेकिन इन्हें उन फिल्मों के लिए कभी भी क्रेडिट नहीं दिया गया इन्होंने उस स्क्रिप्ट को बेच दिया। इन्हीं सब पैसों से मनोज कुमार का मुंबई में गुजारा हो रहा था।

फिर इसके दोस्त लेखराज भाकरी ने 1957 में एक फिल्म बनाएं जिसका नाम फैशन था, उस फिल्म में मनोज कुमार को पहली दफा अभिनय करने का मौका दिया। उस फिल्म में 20 साल के मनोज कुमार को एक रोल मिला था भी वह भी 80–90 बूढ़े भीकारी का। उस फ़िल्म में मनोज कुमार नर्वस हो रहे थे, फिर भी किसी तरह वह रोल निभाया। उसके बाद मनोज कुमार ने चांद और सहारा जैसी फिल्मों में भी छोटे मोटे रोल किया। आखिरकार 1961 आई फिल्म कांच की चूड़ियां में पहली बार बतौर हीरो के किरदार में नजर आए, इनकी पहली हीरोइन थी शायिदा खान हालांकि ये फ़िल्म चली नही।

उसके बाद इनकी फ़िल्म आई पिया मिलन की आस, सुहाग सिंदूर, रेशमी रुमाल फिल्मों में इन्होने हीरो का रोल किया था लेकिन ये फिल्मे भी फ्लॉप हो गई। लेकिन 1962 में आई इनकी फ़िल्म हरियाली और रास्ता continue..

5 1 vote
Article Rating
5 1 vote
Article Rating

Leave a Reply

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x