एपीजे अब्दुल कलाम का जीवनी | Apj Abdul Kalam Biography in hindi

एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय, कहानी, स्टोरी : Apj Abdul Kalam Biography

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Apj Abdul Kalam) भारतीय वैज्ञानिक, राष्ट्रपति और भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे। उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष और मिसाइल प्रोग्राम को मजबूत किया और भारतीय राष्ट्रीय रक्षा को एक नई ऊंचाई पर ले गए। कलाम ने अपनी शैक्षिक यात्रा को साधारण परिवार से शुरू किया और उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई को नासिक के स्वदेशी संगठन कॉलेज से और फिर एम.ए.सी इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु से पूरा किया। उन्होंने DRDO और ISRO में अपनी योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

उन्होंने भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया और उन्हें सफलता दिलाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब्दुल कलाम को 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। वे भारत के प्रथम वैज्ञानिक राष्ट्रपति थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में एक सकारात्मक संदेश दिया कि वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति ही देश की प्रगति की कुंजी है। अब्दुल कलाम का उनके योगदान और उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरणादायक जीवन उन्हें एक अद्वितीय व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है। अब्दुल कलाम जी की निधन से पूरा देश शोक मे डूब गया, उनके योगदान और उनका जीवनी लोगों को सदैव प्रेरित करती रहेगी।

Apj Abdul Kalam को मिले अवार्ड्स

कलाम ने अपने जीवन मे बहुत से महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न और अनेक अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल हैं। अब्दुल कलाम की कविताओं, उपन्यासों और भाषणों में वे अपने सपनों के प्रति अपूर्ण आकांक्षाओं को लेकर उत्साहित करते हैं। उनके शौर्य, संघर्ष और संघर्षशीलता की कहानी नए पीढ़ियों को साहस, समर्थन और समर्पण की भावना से भर देती है। अब्दुल कलाम की जीवनी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और परिश्रम से भरी जिंदगी ही एक महान उपलब्धि की कुंजी है। उनका जीवन एक प्रेरणास्त्रोत है, जो हर व्यक्ति को उनके सपनों को पूरा करने के लिए साहस, निरंतरता और अदम्य समर्थन की आवश्यकता को समझना चाहिए।

Apj Abdul Kalam

Apj Abdul Kalam Full nameअब्दुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम
Apj Abdul Kalam birthday15 अक्टूबर सन् 1931
Apj Abdul Kalam birth placeरामेश्वरम के धनुषकोडी में (तमिलनाडु)
Apj Abdul Kalam age 84 साल की उम्र में निधन
Apj Abdul Kalam father’s nameजैनुलअब्दीन
Apj Abdul Kalam mother’s nameआशियम्मा
Apj Abdul Kalam grand father’s name पाकिर
कलाम जी के परदादा का नाम अब्दुल
Apj Abdul Kalam death date27 जुलाई  साल 2015 (दिल का दौरा से)

डॉ० अब्दुल कलाम (Apj Abdul Kalam) के मूल्य एवं आदर्श भावी पीढ़ी के लिए क्या सन्देश दिया। उसकी स्पष्ट विवेचना आज हम करेंगे। भारत के महान राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी के जीवन के बारे में विस्तार से जानेंगे। एपीजे अब्दुल कलाम कलाम जी एक वैज्ञानिक थे। और और देश के राष्ट्रपति होने के साथ साथ देश को बहुत सी मिसाइलें भी बना के दी। जिसके कारण इन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है। कलाम जी कैसे इतनी बड़ी मुकाम पर पहुंचे, कितनी मेहनत की। उनका जीवन किन किन परिस्थितियों से गुजरा जब आप ये जानेंगे तो हैरान रह जायेंगे। क्योंकि आज के वक्त में ऐसा कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है। एपीजे अब्दुल कलाम जी का बचपन बहुत ही आर्थिक तंगी में गुजरी बावजूद इसके एपीजे अब्दुल कलाम जी कभी हार नहीं माने।

साथ में जितनी भी सामर्थ्य था उनके घर वालो की उससे कहीं ज्यादा करने को कोशिश की। इनका परिवार बेहद ही गरीब था जिसके कारण इन्हें बचपन में बहुत सी मुश्किलों का सामान करना पड़ा। घर में बिजली न रहने की वजह से रात में लालटेन के नीचे कई कई घंटो तक पढ़ते थे। ये देखकर उनके माता पिता को बहुत गर्व होता था और वो जानते भी थे कि वो पढना चाहते हैं। लेकिन वो भी मजबूर थे वो सुविधा देने में आसामर्थ्य थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी दस भाई – बहन थे और उनके माता पिता के पास उतने पैसे नही थे। कि सब बच्चो को उस वक्त पढ़ा सकते थे, कलाम जी सुबह ही 4 बजे उठकर अपने गाँव से कई किलोमीटर दूर एक मास्टर के पास किसी भी परिस्थिति में ट्यूशन पढने के लिए पहुँच जाते थे।

आखिर एपीजे अब्दुल कलाम और उनके माता पिता जी ने किस तरह से मुश्किलों का सामान किया। एपीजे अब्दुल कलाम को किस तरह पढाया, सफलता की सीढियों तक कैसे पहुंचाया। आज इसी सब चीजो के बारे में जानेंगे, आखिर कोई कैसे लालटेन के नीचे पढ़कर आपने आप को इतना बेहतर बना सकता है। और देश का राष्ट्रपति बन सकता है और साथ में इनका विचार एकदम अलग हो जाती है। देश को सुरक्षा के बारे में सोचा और देश को अन्य देशो के मुकाबले शक्तिशाली बनाने के लिए और भारत की सुरक्षा के लिए खुद से कई मिसाइलें बनाई। घर की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब होने के कारण एपीजे अब्दुल कलाम जी मात्र 8 साल की उम्र में पेपर बेचने का कार्य किया। पेपर बेचने का निर्णय इन्होने इसलिए लिया था ताकि खाली वक्त में वो पेपर से कुछ नई नई ज्ञान की बाते आसानी से पढ़ सके।

और घर की थोड़ी बहुत आर्थिक सहायता भी कर सके। और साथ में एपीजे अब्दुल कलाम बाहर से आये घुमने के लिए तीर्थयात्रियो (Tourist) को रामेश्वरम मंदिर घुमाने का भी कार्य करते थे। और उस दरमियान भी एपीजे अब्दुल कलाम जी कुछ न कुछ खाली वक्त में कोई किताब पढ़ लिया करते थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी राष्ट्रपति कैसे बने इसके पीछे भी कहानी है। क्योंकि ये राष्ट्रपति बनना चाहते ही नहीं थे, एक तरह से देखा जाये तो राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे। लेकिन फिर इनको राजनीति में लाया गया और सीधे राष्ट्रपति बना दिया गया। एक ही बार में इतना बड़ा पद आखिर इनको कैसे मिला इस चीज के बारे में भी जानेंगे। ये वैसे इन्सान थे जिसके एक कान में भगवत गीता के श्लोक गूंजते थे। तो दूसरे कान में Charles Robert Darwin के सिध्दांत।

कलाम जी को स्कूल में एक मास्टर जी थपड़ मार के पीछे की बेंच पे बिठा देते हैं। तो आइये जानते हैं कि किस तरह Apj Abdul Kalam जी संघर्ष कर इतने ऊपर तक खुद को पहुंचाते हैं। DRDO के डायरेक्टर बनते है, से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र अब्दुल कलाम जी के लिए इतना आसान नहीं था।

एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्म व परिवार (Apj Abdul Kalam BIirt & Education)

अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम क्या है? और उसका मतलब क्या है?

अब्दुल  – इनके दादा जी के पिताजी (Great Grandfather) का नाम है
पाकिर  – इनके दादा (Grandfather) जी का नाम है
जैनुलअब्दीन (Jainulabdeen)  – इनके पिताजी का नाम है
कलाम  – इनका खुद का नाम है

Apj Abdul Kalam family photo

एपीजे अब्दुल कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर सन् 1931 को रामेश्वरम के धनुषकोडी (तमिलनाडु) कस्बे में हुआ। कलाम जी की घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी परिवार बेहद ही गरीब था। कलाम जी 10 भाई-बहन थे जिसमे 5 भाई और 5 बहने थी। एपीजे अब्दुल कलाम जी के पिताजी का नाम जैनुलअब्दीन था जो नाव चलाने का कार्य करते थे। और साथ में मछुआरा को नाव किराया पर भी देते थे, और उसी से घर का गुजारा चलता था। कलाम जी के पिताजी जैनुलअब्दीन कुछ खास पढ़े लिखे नहीं थे जिसके कारण कोई नौकरी नहीं थी। Apj Abdul Kalam के पिता जी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन बावजूद इसके पिता इनके बहुत बुद्धिमान थे। उनके अंदर बहुत करुणा और उदारता थी, ये लोग अपने पुश्तैनी घर में रहते थे। इनके पिता घर की आवश्यकता अनुसार चीजों की पूर्ति पर ज्यादा ध्यान देते थे।

अब्दुल कलाम जी अक्सर रसोई में ही अपनी अम्मी के साथ ही खाना खाते थे। कलाम जी उस वक्त केले के पते पर खाना खाते थे। साथ में उस समय कलाम जी चावल, संभार, घर का बना हुआ आचार और साथ में नारियल का चटनी ज्यादा खाते थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी का पुश्तैनी घर 19वीं सदी के मध्य के वर्षो में बना था। कलाम जी का घर तमिलनाडु के रामेश्वरम के मस्जिद वाली गली में है। जो चुना पत्थर और इंटों से बनी हुई है, वहां अधिकांश मुस्लिम परिवार ही रहते थे। थोड़े बहुत हिन्दू परिवार रहते थे लेकिन उससे कलाम जी को कोई फर्क नहीं पड़ता था। कलाम जी सबको एक समान मानते थे और वहां सब मिलजुल रहते थे। किसी को किसी से बैर नहीं उसी इलाके मे एक बहुत पुरानी मस्जिद है जहाँ पर उनके पिता नमाज के लिए कलाम जी को साथ ले जाते थे।

इनके घर से कुछ ही दूरी पर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है जहाँ भारी मात्रा में लोग आते जाते रहते हैं। पैदल 10 मिनट का रास्ता है। रामेश्वरम मंदिर के सबसे बड़े पुजारी पक्षी लक्ष्मण शास्त्री कलाम जी के पिताजी के प्रिय मित्र थे। कलाम जी के पिताजी का एक बाग़ भी था जिसमे बहुत सारे नारियल के पेड़ होते थे। सुबह सुबह ही करीब 4 बजे ही बाग के लिए निकल जाते थे घर से करीब 6 किलोमीटर दूर था। कलाम जी के पिता प्रतिदिन बाग जाते और करीब दर्जन भर नारियल लाते और सुबह उसी का सब लोग नाश्ता करते थे। जब पिताजी ने नाव बनाने का काम शुरू किया तब कलाम जी मात्र 6 वर्ष के थे। नाव से रामेश्वरम से धनुषकोडी लोगो को लाने ले जाने काम करते थे। रामेश्वरम में प्रतिवर्ष सीता राम विवाह का समारोह आयोजन होता था।

उसके लिए कलाम जी के पिताजी भगवान रामजी की मूर्तियों को ले जाने के लिए खास व्यवस्था करने की जिम्मेवारी होती थी। रामजी का विवाहस्थल भी तालाब के एकदम बीच में स्थित थी, जिसे रामतीर्थ कहा जाता था। जो कलाम जी के घर से कुछ दुरी पर ही थी। कलाम जी कि दादी सारे बच्चो को रात में पैगम्बर मुहम्मद की कहानियां सुनाती थी। और साथ में रामायण की भी कहानी सुनाती थी। कलाम जी के पिताजी एक ठेकेदार के अन्दर काम करता था जिसका नाम अहमद जलाल्लुद्दीन था। कुछ समय के बाद कलाम जी की बड़ी बहन जोहरा जी का विवाह वहीं के एक ठेकेदार अहमद जलाल्लुद्दीन के साथ कर दी गई थी। कलाम जी के जीजा जी कलाम जी के एक अच्छे दोस्त भी बन गए थे। भले उम्र में उनसे बड़े थे, और कलाम जी जो आजाद नाम से बुलाते थे।

शाम में दोनों घुमने के लिए भी जाते थे, घुमते घुमते वही शिव मंदिर पहुचंते और बड़े ही श्रधापूर्वक बाकि लोगो की तरह दोनों शिव मंदिर की परिक्रमा भी करते। एपीजे अब्दुल कलाम जी के पिताजी पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन एक ज्ञानी जरुर थे वो अपने सभी बच्चों के अच्छे संस्कार ही देते थे। और सभी ने उसे स्वीकार भी किया जो कलाम जी में सबने देखा है। कलाम जी के बचपन में 3 प्रिय परम मित्र थे। पहला रामानन्द शास्त्री, जो रामेश्वरम मंदिर के सबसे बड़े पुजारी पक्षी लक्ष्मण शास्त्री जी के पुत्र थे। जो उनके पिताजी की प्रिय मित्र थे, दूसरा अरविन्द और तीसरा शिवप्रकाशन ये तीनों ही ब्रह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। लेकिन कभी भी धर्म को लेकर इन सब मे बैर नहीं हुआ न ही कभी भेदभाव हुआ। रामानन्द शास्त्री अपने पिता का स्थान ले लिया रामेश्वरम मंदिर का पुजारी बना गया।

अरविन्द तीर्थयात्रियों को रामेश्वरम और अन्य प्रसिद्ध स्थानों पर घुमाने के लिए टेम्पू चलाने लगे। और शिवप्रकाशन रेलवे में खाने पीने का ठेकेदार बन गया।

Apj Abdul Kalam Education : एपीजे अब्दुल कलाम जी की शिक्षा

घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की वजह से एपीजे अब्दुल कलाम जी बचपन से ही बहुत सी मुश्किलों का सामान करना पड़ा। सबसे पहले तो कलाम जी की प्राथमिक शिक्षा गांव से हुई। उसके बाद दसवीं की पढाई Schwartz Ramnathpuram Higher Secondary School से पूरी की। जो तमिलनाड़ु के रामनाथपुरम में है। उसके बाद अब्दुल कलाम जी बड़ी मुश्किल से किसी तरह चेन्नई के इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी MIT (Madras Institute of Technology University) में दाखिला लिया। और Aeronautical engineering की पढाई शुरू की। एक समय ऐसा आया कि जब अब्दुल कलाम जी को यूनिवर्सिटी में एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए कार्य मिला था। तब उनके पास पैसे नहीं थे तत्पश्चात कलाम जी की बहन ने अपने कुछ गहने को गिरवी पर रखकर उधार पैसा लिए।

Apj Abdul Kalam old photo

और प्रोजेक्ट करने के लिए अपने भाई कलाम जी को 1000 रुपये दिए। प्रोजेक्ट में कलाम जी को एक बेहतर विमान बनाना था। जब इन्होनें विमान बनाया तो प्रोफ़ेसर को पसंद नहीं आया और कहा कि गर तुमने बढ़िया मॉडल नहीं बनाया तो समझ लो कि तुम्हारे हाथ से scholarship गया। अब एपीजे अब्दुल कलाम जी घबरा गए परेशान हो गए की अब इससे अच्छा कैसे बनाए। अब तो मेरे पास पैसे भी नही है जो था बहन ने जेवर गिरवी रखकर मुझे दे चुकी हैं। अब भला पैसा कहाँ से आएगा गर मैंने ये प्रोजेक्ट नहीं बना पाया तो मेरे हाथ से ये Scholarship चला जाएगा। कलाम जी ने प्रोफ़ेसर से कहा की आप मुझे समय का मोहलत दे दे। मैं एक महीने में इससे भी अच्छा प्रोजेक्ट बनाऊंगा, लेकिन यहाँ प्रोफ़ेसर ने कहा नहीं तुम्हारे पास सिर्फ 3 दिन है उसक बाद कुछ नहीं हो सकता है।

कलाम जी अब और परेशान हो गए कि भला 3 दिन में ये सब कैसे हो पायेगा। किसी तरह Apj Abdul Kalam ने 3 दिन तक बगैर अच्छे से खाए पिये और सोए लगातार मेहनत की और 3 दिन के अन्दर कलाम जी ने फिर से एक प्रोजेक्ट बनाया। जो पहले वाले से बहुत ही बढ़िया था। प्रोजेक्ट बना लेने के बाद प्रोफसर को दिखाया प्रोफ़ेसर को काफी ज्यादा पसंद आया।उसके बाद प्रोफसर ने कलाम जी को शाबाशी भी दी। तत्पश्चात एपीजे अब्दुल कलाम Madras Institute of Technology University से Aeronautical engineering की डिग्री पूरी करने के बाद कलाम जी ने कई जगह पर जॉब के आवेदन दिए।तत्पश्चात एपीजे अब्दुल कलाम जी के सामने दो जॉब के लिए Interview पत्र आये थे। पहली Ministry of Defense की थी तो दूसरी Air Force Dehradun की।

Ministry of Defense के लिए दिल्ली जाना था और Air Force के लिए देहरादून जाना था। कलम जी को जाना तो एक ही जगह था फ़िलहाल, सबसे पहले Air Force के इंटरव्यू के लिए देहरादून गए। फिर आते समय सोचेंगे, जब वहां Air Force के इंटरव्यू में पहुंचे तो वहां पर इंटरव्यू देने के लिए पहले से ही करीब 20 से 25 लोग मौजूद थे। जिसमे से भी सिर्फ 8 पद ही खाली थे। तो Air Force के इंटरव्यू में एपीजे अब्दुल कलाम जी को 9th रैंक मिला। जिसमे वहां पर उनको कुछ नहीं मिला, तत्पश्चात उनके पास दूसरा विकल्प काम आया वो वहां से आने के दरमियान Ministry of Defense के इंटरव्यू के लिए दिल्ली पहुँच गए। उसके बाद कलाम जी एक काम से ऋषिकेश उतर गए वहां पर कलाम जी अपने स्वामी शिवानन्द जी से मिलने के लिए चले गए।

कलाम जी वहां जाकर अपनी समस्याएं बताई तो स्वामी ने कलाम जी को पढने के लिए एक गीता की पुस्तक दिया। और कहा कि तुम अपने कार्य मे जरूर सफल होगे और उन्नति करोगे।

एपीजे अब्दुल कलाम का Ministry of Defense में चयन

अब्दुल कलाम जी जब दिल्ली पहुंचे इंटरव्यू के लिए और Ministry of Defense की नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया। और किस्मत ने साथ दिया और एपीजे अब्दुल कलाम का Ministry of Defense DRDO में चयन हो गया। और तत्पश्चात कलाम जी डॉ. विक्रम सारा भाई के टीम के मेम्बर बन गए। एपीजे अब्दुल कलाम जी ने सन्न 1963 में DRDO ज्वाइन किया। और उसके बाद डॉ. विक्रम सारा भाई के साथ काम करते हुए अच्छा प्रदर्शन देखते हुए कलाम जी को और बढ़िया ट्रेनिंग के लिए नासा भेज दिया गया। कलाम जी को नासा ने वहीं रहकर काम करने का भी ऑफ़र दिया। और साथ में एपीजे अब्दुल कलाम जी को कहा की हमलोग आपको यहाँ की अमेरिकन सिटीजनशिप भी देंगे। और भारत से ज्यादा सैलरी भी देंगे यहीं शादी करलो यहीं बस जाओ।

कुछ छंद सोचने के उपरान्त एपीजे अब्दुल कलाम नें मना कर दिया और अपने देश की सेवा को चुना। और कुछ समय के प्रशिक्षण के बाद एपीजे अब्दुल कलाम अपने देश भारत लौट आये। और उसके बाद कलाम जी को इसरो में जोइनिंग हो गई। उस दौर में इसरो (isro) का उस वक्त किसी तरह का खास दफ्तर तक नहीं हुआ करता था। उस समय उन्होंने इसरो ज्वाइन किया था। उस समय एक चर्च को इनलोगो ने दफ्तर बनाया था और एक समुन्द्र किनारे इनलोगो ने अपना रॉकेट लांच पेड बनाया था। गौशाला को लेबोरटरी बनाया गया और एक घर को वर्कशॉप में तब्दील किया गया। रोकेट को लांच करने के लिए ले जाने के लिए उस वक्त इन लोगो को साधन तक नहीं दिया गया था। और जब भी कुछ सामान लाना और ले जाना पड़ता तब बैलगाड़ी और कभी कभी तो साइकिल में रखकर ले जाना पड़ता था।

उस समय की स्थिति बेहद ही ख़राब थी किसी भी तरह का सुविधा न होने के बावजूद भी इन लोगो ने काम नहीं छोड़ निरंतर कार्य में लगे।

एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा पहला रॉकेट जब लांच हुआ

एपीजे अब्दुल कलाम जी की खोज और आविष्कार

एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कड़ी मेहनत करते हुए साल 1963 में पहला sounding रॉकेट लांच किया। एपीजे कलाम जी अपने काम से बहुत लगाव रखते थे इतना लगाव कि जिस दिन इनका सगाई होनेवाला था। उस दिन अपने Ring ceremony में जाना तक भूल गए थे। साल 1969 में एपीजे अब्दुल कलाम जी को इसरो का डायरेक्टर बना दिया गया। तत्पश्चात इन्होने SLV-3 (Satellite launch vehicle) बनाने का सोची, जिसके द्वारा रॉकेट लांच होता है। और साथ में PSLV प्रोजेक्ट को भी साथ में करना चाहते थे। दोनों प्रोजेक्टों को एक साथ करने से खर्चा थोड़ा कम होता जिस कारण साथ में करना चाहा। उसके बाद जब इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार से कुछ पैसे मांगे तो इंदिरा गाँधी जी ने मना कर दिया। लेकिन बाद में किसी तरह थोड़ा बहुत पैसा इस प्रोजेक्ट के लिए दिया गया।

उसके बाद कलाम जी लग गए प्रोजेक्ट को पूरा करने में 1969 से लेकर 1989 तक कलाम जी खूब मेहनत की। करीब 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद 1979 में SLV-3 लांच हुआ लेकिन सफल नहीं हुआ। सारी मेहनत बेकार हो गई प्रोजेक्ट विफल हो गया। इसको लेकर एपीजे अब्दुल कलाम जी बहुत दुखी भी हुए तत्पश्चात इस प्रोजेक्ट के जो चेयरमैन थे। सतीश धवन जी ने कलाम जी को बुलाया और अपने साथ ले गया जहाँ मीडिया वाले थे। अब्दुल कलाम और भी परेशान हो गए की अब वो मीडिया वालो को क्या जवाब देंगे। चेयरमैन सतीश धवन जी ने माइक उठाई और कहा की इन्होने ये पहली बार किया है। क्या हुआ एक ही बार विफल हुए न अगली बार फिर से दोबारा इसी SLV-3 प्रोजेक्ट को सफल बनायेंगे। कलाम जी को कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया।

एपीजे अब्दुल कलाम जान गए थे कि चेयरमैन सतीश धवन जी ने हमारा सारा जवाबदेही अपने ऊपर ले लिया। और उसने किस तरह हालात को संभाला ये देखकर कलाम जी सतीश धवन से बहुत ज्यादा प्रभावित भी हुए। तत्पश्चात कलाम जी और उनके टीम के सदस्य ने फिर से मिलकर उसी प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। और 1980 में ही SLV-3 को लांच किया और इस बार ये SLV-3 सफल रहा। इस बार माइक सतीश धवन जी ने एपीजे अब्दुल कलाम जी को थमा दी और सारा क्रेडिट कलाम जी को ही दिया।

एपीजे अब्दुल कलाम जी से प्रधानमंत्री क्यों मिलना चाहती थी?

उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी Apj Abdul Kalam जी से काफी अधिक प्रभावित हुई। इंदिरा गाँधी जी एपीजे अब्दुल कलाम जी से मिलना चाहती थी। तो कलाम जी के चेयरमैन सतीश धवन ने कलाम जी से कहा कि चलो तुम्हारा बुलावा आया प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी ने बुलाया है। और उस समय भी उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी कलाम जी ने सतीश धवन जी से कहा की मेरे पास तो पहनने के लिए अच्छे कपड़े भी नहीं है। चप्पल भी टूटी हुई है, मैं इस परिस्थिति में किस प्रकार जा सकता हूँ? तो इस पर सतीश धवन ने कहा की तुम पहले से ही सूट पहने हुए हो। तो इस पर एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कहा पर मैं तो कोई सूट पहना ही नहीं हूँ। तो चेयरमैन सतीश धवन ने समझाया की तुम तो पहले से ही सफलता की सूट पहने चुके हो।

उसके बाद कलाम जी प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी से मिलने के लिए पहुँच जाते हैं। इंदिरा गाँधी जी मिलने के बाद इंदिरा जी कलाम जी को कहा की आपको डिफेन्स पर ज्यादा मेहनत करनी होगी। हमारे देश के सभी पड़ोसी दुश्मन देश अपनी सुरक्षा के लिए मिसाइलें बना रही है। अब तुम्हारा भी कर्तव्य बनता है की तुम भी देश की सुरक्षा के लिए मिसाइलें बनाओ। प्रधानमत्री से मिलने के दरमियान ही पहली बार कलाम जी अटल बिहारी वाजपेयी से मिले। जब कलाम जी अटल बिहारी वाजपेयी जी से हाथ मिलाने के लिए आगे बढे तो अटल जी सीधे कलाम जी को गले लगा लिया। ये सब देख के इंदिरा गाँधी जी प्रसन्न हुई। और इंदिरा जी ने कहा की अटल जी स्मरण रखे कि ये एक मुस्लमान है।

अटल जी ने भी जवाब देते हुए कहा कि ये मुसलमान बाद में है सबसे पहले ये हमारे देश के सर्वोच्च नागरिक है।और उसके बाद हमारे देश के महान साइंटिस्ट हैं, ये सब सुनकर कलाम जी बेहद खुश हुए।

कलाम जी को मिसाइल बनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

Apj Abdul Kalam जी को साल 1981 में पद्म भूसन अवार्ड से नवाजा गया। और 1982 में कलाम जी को DRDO का Director बना दिया गया। तब तक बाकि के कुछ पड़ोसी देश मिसाइलें बना चुके थे और कुछ बना रहे थे। जिससे कलाम जी को लगा की अब देश की सुरक्षा का सवाल है जिसके लिए कुछ करना ही पड़ेगा। नहीं तो कब पड़ोसी देश हमला कर दे कुछ पता नहीं। तत्पश्चात अब्दुल कलाम जी महाभारत की कथायें पढना शुरू की और तत्पश्चात बर्बरीक की कहानी पढने के बाद अब्दुल कलाम को एक बहुत अच्छा आईडिया आया। और सोचा क्यों न एक ऐसा गाइडेड मिसाइल बनाया जाए। जो एक बार लक्ष्य सेट करने के बाद स्वतः ही अपने दुश्मन को खोज के मार दे। और यहां से इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

उसके बाद Integrated Guided Missile मोडल तैयार की और उसके बाद एपीजे अब्दुल कलाम जी ने धीरे धीरे बहुत सी मिसाइलें देश के लिए निर्मित की और देश को समर्पित की। जिसकी वजह से लोग एपीजे अब्दुल कलाम जी को मिसाइल मैन का नाम दिया। 1985 में त्रिशूल नाम से एक मिसाइल लांच किया, फिर साल 1988 में पृथ्वी नाम से एक लांच किया। फिर साल 1989 से अग्नि मिसाइल दिया। भारत 1989 तक आते आते में पुरे देश में मिसाइल के मामले में 6th रैंक पर आ चुके थे। जिस देश के पास इतनी शक्तिशाली मिसाइलें मौजूद थी। उसके बाद अब्दुल कलाम जी Nuclear Power के क्षेत्रों में काम करना शुरू किया और कुछ समय बाद ही परमाणु शक्ति के मामले कलाम जी ने भारत देश को 6th रैंक पर लाकर खड़ा कर दिया।

एपीजे अब्दुल कलाम जी के एक प्रोजेक्ट और आयडिया से 2017 में एक साथ 104 सेटेलाइट को एक साथ भारत ने लांच किया। जो पूरी दुनिया के मुकाबले बहुत ही सस्ती थी भारत ने जो 104 सेटेलाइट जो भेजी थी उसमे कुछ अन्य देशों की भी मिसाइलें थी जैसे कि नीदरलैंड, US, इजराइल, कजाखस्तान और स्विट्ज़रलैंड की।

एपीजे अब्दुल कलाम जी द्वारा परमाणु शक्ति का परीक्षण

कौन कौन देश परमाणु शक्ति का परीक्षण कर रहा है इसके लिए कई देश उस समय सेटेलाइट के जरिए कड़ी नजर रखे हुए था। भारत भी परमाणु शक्ति का परीक्षण करना चाहता था भारत को पता था कि अन्य देश भारत पर सेटेलाइट की सहायता से नजर रखे हुआ है। तो यहां पर एपीजे अब्दुल कलाम जी ने एक बेहतरीन समाधान निकाला। जिससे किसी देश को शक़ ही नहीं होगा तो अपने जितने भी वैज्ञानिक थे। सबको आर्मी की ड्रेस पहना दी, सिर्फ ये दिखाने के लिए की ये लोग आर्मी के लोग है। हमारे देश से मैप धुँधला दिखता है। लेकिन बाकी अन्य देशों से मैप सफा दिखता है इसका कारण ये है कि भारत ने गूगल से कहकर धुँधला करवाया है। क्योंकि भारत की सुरक्षा का सवाल था बाकी देशों से तो खतरा नहीं था लेकिन में भारत के ही कुछ लोग इसका गलत ईस्तेमाल कर सकता था।

जिसके कारण ये सब करना पड़ा था, तो यहाँ पर अन्य देशों को पता न चले कि असल में जो आर्मी के ड्रेस मे है वो असल में वैज्ञानिक है। और क्या कर रहे है, आर्मी के ड्रेस में होने से उन्हें शक नहीं होता है ये लोग कुछ खास नहीं करने वाले हैं। तो सारे वैज्ञानिक आर्मी का ड्रेस पहनने के बाद अपने अपने काम में लग गए। और साल 1998 में भारत ने शक्ति के नाम से परमाणु शक्ति का परिक्षण (Nuclear Power) किया। जो सफल रहा जिसके बदौलत आज भारत परमाणु शक्ति समृद्ध देश बन पाया है। उस समय बहुत से देशों के पास परमाणु शक्ति नहीं थी। मात्र गिने चुने 5 देश के पास थी। Russia, यूनाइटेड किंगडम, चाइना, USA, और फ्रांस और उसके बाद भारत देश के पास थी।

भारत को परमाणु शक्ति बनाने की आवश्यकता थी ही नहीं लेकिन यहां पर चाइना पाकिस्तान की परमाणु शक्ति से मदद कर रहा था। बाकी देशों से खतरा नहीं था लेकिन पाकिस्तान से खतरा था वो पागल देश था कब क्या कर दे उसकी कोई संभावना नहीं थी जिसके कारण भारत को परमाणु शक्ति की बनाने की आवश्यकता पड़ गई थी।

एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) जब रिटायर्ड हुए

करीब 40 साल तक देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन दिया, और तकरीबन 40 साल बाद एपीजे अब्दुल कलाम जी रिटायर्ड हुए। रिटायर्ड होने के कुछ समय बाद Apj Abdul Kalam जी को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बुलाया। और कहा हम अपना मंत्रिमंडल बनाने जा रहे हैं आप भी आइए आपको हम मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाना चाहते हैं। और उसमे आपको मिनिस्ट्री भी देंगे, एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कहा ठीक है मैं सोच कर बताऊँगा। और अगले दिन एपीजे अब्दुल कलाम जी शामिल होने से मना कर देते हैं। एपीजे अब्दुल कलाम जी कुछ और ही करना चाहते थे कलाम जी ने कहा कि मुझे बेहतर भविष्य के लिए एक पीढ़ी तैयार करनी है। यहाँ पर भी कलाम जी देश के के युवाओं को आगे ले जाना चाहते थे उसके लिए कुछ करना चाहते थे।

उसके लिए खुद स्वयं कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाकर ज्ञान देना चाहता हूं पढ़ाना चाहता हूं। उसके बाद एपीजे अब्दुल कलाम जी पढ़ाने के लिए Annamalai यूनिवर्सिटी का चयन किया। जो तमिलनाडु में ही पड़ता है तो उसमे अब्दुल कलाम जी ने पढ़ाना शुरू किया ये आगे चलता रहा। साल 2002 में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा था उसमे तो बहुत से लोग तो थे ही लेकिन बाद में उसमे एपीजे अब्दुल कलाम जी को भी शामिल किया गया। उससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अब्दुल कलाम जी से संपर्क किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एपीजे अब्दुल कलाम जी को बताया कि हम आपका नाम देश के राष्ट्रपति उम्मीदवार पद के लिए देने जा रहे है। बस आपकी आज्ञा की आवश्यकता है, तो इस बार अब्दुल कलाम जी (ने कहा कि मुझे सिर्फ एक घंटा की मोहलत दे मैं निर्णय करके आपको बताता हूं।

और एक घंटे बाद एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) ने हाँ भर दी और कहा ठीक है दे दो। उसके बाद एपीजे जे अब्दुल कलाम जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिया जाता है। जब एपीजे अब्दुल कलाम जी का शपथ ग्रहण करने का समय आया तो उनसे कहा कहा गया कि आप शपथ समारोह में किन किन लोगों को बुलाना चाहते हैं। तो इसमे एपीजे अब्दुल कलाम जी का जवाब एकदम सरल था। और बताया कि मेरे जीवन काल में दो ही प्रिय मित्र थे जिन्होंने मेरी परिस्थिति को समझा था। कलाम जी ने बताया कि जब मैं पढ़ाई करता था तब उस वक़्त एक मोची था जो मेरे फटे जुते की मरम्मत करने में मेरी बहुत मदद की पैसे ना होंने के बावजूद भी। और एक ढाबे वाला जिसने मुझे कई दफा दो रोटी ज्यादा खिलाई वो वक़्त मैं कैसे भूल सकता हूँ।

तो उन दोनों को किसी भी हालात में यहां आने के लिए निमंत्रण देना चाहता हूं। तो आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि एपीजे अब्दुल कलाम जी के दिल में कितनी करुणा भाव थी। शायद ही ऐसी करुणा भाव किसी इंसान में देखने को मिली होगी। लेकिन आज के दौर में तो ये करुणा कब के विलुप्त हो चुकी है। अब तो इस संसार में सिर्फ कपटी लोग भरे पड़े है और यहां सिर्फ प्रपंच, धोखा अन्य बहुत सी चीजे ही देखने को मिलती है। अब वो दौर कभी लौट कर आने वाला नहीं है। आज के वक़्त में भला कौन भलाई याद रखता है और उसका पालन करता है।

जब अब्दुल कलाम (Apj Abdul Kalam) जी राष्ट्रपति पद से हटे

जब एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) जब राष्ट्रपति भवन से रिटायर्ड होकर घर लौटे। तो राष्ट्रपति भवन से सिर्फ दो बैग ले के ही लौटे और जब राष्ट्रपति भवन गए थे तब भी दो बैग ही ले के गए थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी की कुल संपति देखी जाये तो उनके पास कुछ भी नहीं है। बस आज भी संपति के नाम पर रामेश्वरम में सिर्फ उनकी पुश्तैनी पैतृक घर ही है। उनके पास करीब 2500 के किताबे थी, और एक वीणा थी जिसे कलाम जी अकसर बजाया करते थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी को बीणा बजाना बेहद ही पसंद था। और उनके पास सिर्फ एक कलाई की घड़ी थी और एक CD प्लेयर थी। जिसमे वो कभी कभी भजन सुनते थे।

6 शर्ट जिसमे से 3 उनकी खुद की थी और 3 DRDO की थी एक लैपटॉप, 4 पैंट, 2 उनकी खुद की 2 DRDO से मिली थी। 3 सूट थे और मात्र एक जोड़ी जूता। साथ में 40 डॉक्टर्स की उपाधि थी, जबकि इन्होंने कभी Doctorates की पढाई नहीं की थी। लेकिन मिली थी, जिस भी यूनिवर्सिटी में एपीजे अब्दुल कलाम जी जाते थे वहां उन्हें Doctorates की उपाधि बड़े सम्मान के साथ दी जाती थी। Apj Abdul Kalam के हृदय में हर किसी के लिए इतना प्यार, करुणा, उदारता थी जिसको पाकर कोई भी गद गद हो जाता था। जिन जिन लोगो ने एपीजे अब्दुल कलाम जी से मुलाकात की है सबके साथ करुणा से बात करते थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी शुद्ध शाकाहारी थे यानि मांस मछली का सेवन नहीं करते थे। एपीजे अब्दुल कलाम जी हर जीवों से प्यार करते थे उनकी देखभाल तक खुद करते थे।

एपीजे अब्दुल कलाम जी को मिले अवार्ड्स, पुरुस्कार और सम्मान,

Apj Abdul Kalam old photo
पद्म भूषण
पद्म विभूषण
भारत रत्ना
वीर संवारकर अवार्ड
रामानुजन अवार्ड
70 साल की उम्र में कलाम जी को Youth Icon award मिला

जब एपीजे अब्दुल कलाम जी DRDO के दफ्तर में हुआ करते थे तब उसके सुरक्षा कर्मी ने कहा की दीवारों पर टूटे कांच के टुकड़े लगा देना चाहिए। Apj Abdul Kalam जी ने उसके जवाब में कहा की रहने दो उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। उससे पर्यावरण की नुकसान होगा यानि पक्षियों को उससे चोट लग सकती है। वो घायल हो सकती है, इसलिए दीवारों पर कांच के टुकड़े न लगाया जाये। ये मेरा तुमसे निवेदन है, ऐसी ऐसी बहुत सी कहानियां है जिसमे आपको करुणा उदारता देखने को मिलेगी। जिसको देखकर हर किसी को एक नई सीख सिखने को मिलेगी बस उसे हृदय की नजरिये से देखने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति भवन में जब एपीजे अब्दुल कलाम जी थे तब उस समय भी कुछ ऐसी ही एक घटना घटी थी। कलाम जी मुग़ल गार्डन में टहल रहे थे।

तब कलाम जी की नजर एक मोर पड़ी तो उसने पाया की वो मोर अपना मुंह खोल बंद नहीं कर पा रहा है। जब कलाम जी कुछ समझ में नहीं आया तो कलाम जी ने फ़ौरन एक जानवरों के डॉक्टर को बुलाया। और उसका चेकअप करवाया तो पता चला कि उस मोर को ट्यूमर है। तत्पश्चात उसका इलाज करवाया गया उसके बाद वो फिर ठीक हो गया, इन्ही सब चीजो से इनकी महानता का पता चलता है। कलाम जी शुरू से ही हमेशा कुरान और भगवत गीता दोनों ही अपने पास रखते थे। जब वो इंटरव्यू के लिए गए थे तब लौटने समय कलाम जी ने स्वामी जी से भेंट की तब स्वामी ने पढने हेतु कलाम जी को गीता की पुस्तक भेंट की थी।

कलाम जी ने जब सपरिवार को घुमने के लिए राष्ट्रपति भवन बुलाया

अपने परिवार को घुमाने के लिए कलाम जी ने प्राइवेट गाड़ियाँ बुक करवाई और सपरिवार को अजमेर शरीफ घुमने के लिए भेजा। सब कुछ हो जाने के बाद कलाम जी (Apj Abdul Kalam) ने अपने मेनेजर से हिसाब माँगा तो पूरा खर्चा लगभग 3 लाख 50 हजार के आसपास आई। तत्पश्चात राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जी ने जितना खर्चा हुआ उतना का अपनी सैलरी से चेक काटकर दिया। और कहा की ये मेरा परिवार है जिसका खर्चा मैं खुद वहन कर सकता हूँ वो मेरी जिम्मेदारी है। न की राष्ट्रपति भवन की जिम्मेवारी है, राष्ट्रपति भवन को सिर्फ मेरी जिम्मेवारी उठाने की इजाजत देती है।

एपीजे अब्दुल कलाम जी को जब IIT BHU का आमंत्रण मिला

एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) को एक अथिति के रूप में एक आयोजन में IIT BHU की तरफ से आमंत्रण मिला था। जिसमे कलाम जी जाते हैं वहां जाने के बाद उसने देखा की वहां मंच पर सात कुर्सियां एक लाइन में लगी हुई है। और जो बीच वाली कुर्सी है बाकि कुर्सियों से अलग दिख रही थी। वो कुर्सी महाराजा कि जैसी थी और वो कुर्सी बाकि कुर्सियों से थोड़ी ऊँची थी। ऊँची इसलिए थी की उस पर राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी बैठने वाले थे। जब कलाम जी ने पूछा भाई ये बीच वाली कुर्सी इतनी ऊँची क्यों है? एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कहा नहीं सब कुर्सी एक सामान होनी चाहिए। आयोजनकर्ता ने कहा नहीं सर ये कुर्सी खास आपके लिए लगाईं गई। तो कलाम जी ने कहा नहीं सब कुर्सी बराबर होनी चाहिए बहुत डांटने पर कलाम जी की बात को अमल किया गया।

और सब एक सामान कुर्सियां लगाईं गई, इससे हर किसी को एपीजे अब्दुल कलाम जी के महानता का बारे में पता चलता है। और कलाम जी के प्रति और भी सम्मान बढ़ जाता हैं। इनके अन्दर इतना धैर्य, उदारता, करुणा, प्रेम, न्याय, धीरज, संयम और न जाने क्या क्या थी जो कल्पना से भी परे हैं।

Apj Abdul Kalam old photo

एपीजे अब्दुल कलाम जी की आखिरी साँसे, कैसे अब्दुल कलाम जी की मृत्यु हुई?

किसी भी इन्सान को भविष्य पता नहीं होता है कि आगे क्या होनेवाला है। लेकिन वो चाहे तो उसका निर्माण इन्सान अवश्य कर सकता है। इन्सान चाहे तो अपना भविष्य हर क्षण निर्मित कर सकता है ये उस इंसान पर निर्भर करती है। कि उसके अन्दर कितना शौर्य और धैर्य है। एपीजे अब्दुल कलाम जी ने अपना भविष्य हर क्षण निर्मित करने में लगा था। और जिस कारण वो सफल भी हुए और जिसका परिमाण सब के सामने है और पुरे देश को इनकी महानता के बारे में पता है। 27 जुलाई साल 2015 को IIM छात्रों को उपहार के रूप में एक बेहतर भविष्य की कामना करते हुए आईआईएम के छात्रो को एक ऐसा Assignment देने जा रहे थे। जिससे बहुत के जीवन में बहुत हद तक बदलाव आने की संभवाना थी लेकिन ये हो न सका।

उससे पहले ही Apj Abdul Kalam जी के सपने टूट कर बिखर गए ये उनको भी पता नहीं था। जब आईआईएम शिलोंग के लिए कलाम जी और उनकी पूरी टीम रवाना हुई। उसमे 5-6 गाड़ियाँ साथ साथ चल रही थी आगे जो चल रही उसमे कलाम जी की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी की व्यवस्था की गई थी। जिसमे कुछ सुरक्षाकर्मी खड़े थे कुछ समय बाद भी देखा तो वो सुरक्षाकर्मी खड़े ही थे। तो किसी तरह उसके पास कलाम जी का संदेश भेजवाया गया की भाई उसे बैठने को कह दो वो तो वैसे थक जायेगा। लेकिन वो सुरक्षाकर्मी बैठा नहीं पूरे सफ़र में खड़ा ही रहा। तत्पश्चात कलाम जी ने कहा की जब सफ़र खत्म हो जायेगा तो उस सुरक्षाकर्मी से कहना की हम उससे मिलना चाहते हैं। शिलोंग पहुँचने के बाद कलाम जी उस सुरक्षाकर्मी को शुक्रिया अदा की और उससे बाकायदा कलाम जी ने हाथ भी मिलाया।

Apj Abdul Kalam जी कि दयालुता

एपीजे अब्दुल कलाम जी ने उस सुरक्षाकर्मी से पूछा की तुम थक गए होगे कुछ खाना खा लो कृपया मुझे माफ़ करना। तुमको मेरे कारण इतनी तकलीफ उठानी पड़ी। पहले तो सुरक्षाकर्मी को यकीन नहीं हुआ की ये कह रहे हैं। बाद में जवाब में कहा कि आपकी रक्षा में हमारी जान भी चली जाए तो ये हमारा कर्तव्य है। इससे अब्दुल कलाम जी बहुत प्रभावित हुए अब प्रोग्राम शुरू ही होने वाला था। आपको मैं तारीख स्मरण करा दूं 27 जुलाई 2015 को समय करीब 6:35 पे शिलोंग के IIM के मंच पर भाषण देना शुरू किये थे। Apj Abdul Kalam जी के भाषण के अभी 5 मिनट ही गुजरे थे कि उसी दरमियान भाषण देते देते अब्दुल कलाम जी मंच पर ही गिर गए। तुरंत कलाम जी को नजदीक के वेधानी अस्पताल लेकर गए। जो IIM शिलोंग से करीबन 1 किलोमीटर के फासले पर है।

लेकिन तब तक अब्दुल कलाम जी सब को छोड़ के जा चुके थे। पूरी दुनिया को अलविदा कह चुके थे साँसे उनकी बंद हो चुकी थी। एपीजे अब्दुल कलाम जी को दिल का दौरा पड़ा था जिस वजह से उनकी मृत्यु हो गई। और उनकी जिंदगी की ये आखिरी संदेश बनकर रह गई। सुबह अच्छा भला था वैसा कुछ भी लक्षण नहीं थे कलाम जी में। लेकिन भगवान का लिखा हुआ भला आज तक कोई मिटा पाया है। कब यम आये और कब कलाम जी को ले के चले गए किसी को पता तक चलने नहीं दिया। यम को भी पता था गर कहीं लोगो को पता चल गया तो कलाम जी को ले जाने के लिए ये मनुष्य नहीं देगा। जिस वजह से उन्हें बहुत चुपचाप तरीके से ले जाना ही बेहतर समझा।

हर इन्सान को यम ऐसे ही चुपचाप तरीके से ही ले जाते हैं, मौका भी नहीं देते है। कुछ कहने की, जब देश को पता चला कि हब हमारे बीच देश के महान राष्ट्रपति नहीं रहे। तो तो पूरा देश शोक कि लहर मे डूब गया। पूरा देश मानो उसे बुला रही हो, देश के राष्ट्रपति बाद में थे उससे पहले वो तो एक इंसानियत की वो मूरत थी जो आज तक कोई नहीं बना पाया है। शुरू से ही कलाम जी किसी से भी बहुत सरलता से जुड़ जाते थे। हर किसी का राष्ट्रपति होने के बाद भी अपने से नीचे लोगों का आदर करना नहीं भूलते थे। हर किसी के लिए उसके दिल में जो प्यार था वो आज किसी भी इन्सान में होना मुश्किल है। कलाम जी को जब भी मौका मिलता था लोगो से अवश्य मिलते थे उनके विचार जानते थे उसकी सहायता तक करते थे।

उससे मिलने कोई भी जा सकता था किसी भी तरह का बाध्य नहीं होता था। किसी तरह का अपॉइंटमेंट नहीं लेना पड़ता था सीधे जाकर कोई भी उनसे मिल सकता था। ये उसका खुद का निर्णय था वो लोगो की मदद करना चाहते थे उनके विचार जानते थे।और उसका समाधान भी करते थे, इस तरह का इन्सान मिलना आजा के दौर में संभव नहीं है। एक हाथ में कुरान तो एक हाथ में गीता का होना ऐसे महान पुरुष तो कभी कभी ही पैदा लेते है। शिलोंग में Apj Abdul Kalam की मृत्यु के तत्पश्चात उनके मृत शरीर को तिरंगे से लपेटकर शीघ्र ही शिलोंग से सेना के विमान से फ़ौरन दिल्ली लाई गई। अंतिम बिदाई में लोगो की इतनी भीड़ उमड़ गई जिसकी तुलना किसी अन्य के अंतिम बिदाई से नहीं की सकती है। कलाम जी का अंतिम बिदाई लोगो के लिए बेहद ही पीड़ादायक रहा है।

जिसका अनुभव लोगो को आज भी स्मरण होता है तो लोगो के आँखों में उनकी प्रति दुःख के आंसू आ जाते हैं। अभी जाने का समय नहीं हुआ था लेकिन होनी को भला आज तक कौन टाल सका है। कलाम जी (Apj Abdul Kalam) के अंतिम बिदाई में बहुत से लोग आये थे जिनमे से बड़े बड़े हस्ती भी थे जो उस वक्त उनके सामने फीके पड़ रहे थे। सबने कलाम जी को अंतिम बिदाई दी। और उनको श्रधांजलि अर्पित की सभी मौजूद सेनाओ ने कलाम जी सलामी दी, और इस तरह से एक महान पुरुष का अंत हो गया।

death Apj Abdul Kalam old photo

कलाम जी (Apj Abdul Kalam) की बचपन में घटित कुछ घटनाएँ –

आत्मनिर्भर बनने के लिए बचपन में कलाम ने क्या किया? कलाम जी (Apj Abdul Kalam) की संघर्ष की बहुत सी कहानियां है जिसमे से कुछ लोगो को पता है तो कुछ नहीं। उनका जीवन कितना संघर्षपूर्ण रहा है इससे बहुत से लोग वाकिफ ही होंगे। ऐसी बहुत सी घटनाये इनके जीवन में घटित हुई जिससे लोगो को उनसे प्रेरणा लेना चाहिए लेकिन कोई नहीं लेता। तो मैं इनके बचपन की कुछ संघर्ष की कहानियाँ के बारे में जानेंगे –

एपीजे अब्दुल कलाम जी जब छोटे थे और जब 5वीं कक्षा में पढ़ते थे तो कक्षा के अध्यापक पढ़ा रहे थे। पक्षी आसमान में किस प्रकार उड़ती है उसके बारे में विस्तार से बता रही थी। लेकिन फिर भी बच्चे उस चीज को समझ नहीं पा रहे थे, तो अध्यापक इस चीज को अच्छे से समझाने के लिए खुले आसमान के नीचे ले जाता है। और बच्चो को उड़ती हुई चिड़ियाँ दिखाते हैं और उसके बारे में बताते हैं। कलाम जी समझ जाते हैं की पक्षी किस प्रकार उड़ता है। अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) को यहाँ से जिज्ञासा और भी बढ़ जाती है। और ऐरोनोटिक को और बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करने लगता है।

अध्यापक ने जब जाति को लेकर छात्रो के साथ भेदभाव किया

एपीजे अब्दुल कलाम जी उस वक्त 5वीं कक्षा में पढ़ते थे उस वक्त उनके कक्षा में एक नया अध्यापक आया था। और उस समय कलाम जी अपने इस्लामिक टोपी पहनते थे जो इस्लाम का प्रतीक होता है। और वहां के बाकि अध्यापक को उससे कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन जब नए अध्यापक ने देखा की एक मुस्लिम बच्चा एक जनेऊ धारण किये बच्चा रामानन्द शास्त्री के साथ बैठा है। तो उस अध्यापक को अच्छा नहीं लगा कि मुस्लिम और हिन्दू एक साथ कैसे बैठ सकता है। कलाम जी को वहां से उठाकर पीछे बैठा दिया। जिससे कलाम जी को उस वक्त बहुत ख़राब लगा, साथ में उसके प्रिय मित्र रामानन्द शास्त्री को भी बहुत ख़राब लगा। दोनों ही नए अध्यापक के इस रवैये से नाखुश थे, जब विधालय की छुट्टी हुई तो जब बच्चे घर गए। तो ये सारी घटना अपने परिवार वालो की बताया।

परिवार वाले भी बहुत गुस्सा हुए और पहुँच गए उसे सबक सिखाने, जाकर कहा की भोलेभाले और नादान बच्चों में जाति को लेकर क्यों भेदभाव का पाठ पढ़ा रहे हो। बच्चो के दिमाग में जाति को लेकर भेदभाव करना इससे बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ेगा तुम्हे पता भी है। लक्ष्मण शास्त्री ने सफा सफा कह दिया मांफी मांगो या स्कूल छोड़ कर चले जाये। लक्ष्मण शास्त्री जी ने अध्यापक को खूब खरी खोटी सुनाई। तो उसके बाद अध्यापक को अब ख़राब लगने लगा था और उसके बाद अध्यापक ने माफ़ी मांगी और वो अब सही रास्ते पर भी आ गए थे।

जब कलाम जी को उसके अध्यापक ने अपने घर खाने पर बुलाया

एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) के एक शिक्षक हुआ करते थे सुब्रह्मण्य अय्यर जो विज्ञान पढ़ाते थे। और कट्टर सनातनी ब्राह्मण थे और उनकी पत्नी एकदम रुढ़िवादी थी। लेकिन थोड़ा बहुत उनकी पत्नी रुढ़िवादी के खिलाफ हो चुकी थी। सुब्रह्मण्य अय्यर जी अपनी तरफ से सामाजिक रुढियों को नाश करने का बहुत प्रयत्न किया ताकि अलग अलग वर्गों के लोग साथ मिलकर प्रेम से रह सके। आपस में किसी भी तरह का जाति को लेकर भेदभाव की ईर्ष्या न जागे, सुब्रह्मण्य अय्यर जी कलाम जी के साथ काफी वक्त बिताते थे। और सुब्रह्मण्य अय्यर जी कलाम जी से कहा करते थे कि कलाम मैं तुम्हे ऐसा इन्सान बनाना चाहता हूँ कि तुम्हारा नाम बड़े बड़े शहरों में हो। और लोगो की बीच एक उच्च शिक्षित व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बना सको।

एक दिन विज्ञान के वही अध्यापक सुब्रह्मण्य अय्यर कलाम जी को अपने घर खाने के लिए बुलाया। जिसको लेकर उनकी पत्नी नाराज थी। कि कैसे मेरे पति एक मुस्लिम बालक को अपने घर पर खाने पर किस प्रकार बुला सकता है। एक समय तो उनकी पत्नी ने तो खाना खिलाने से साफ़ इंकार कर दिया। जब उनकी पत्नी ने खाना खिलाने से मना कर दिया तो सुब्रह्मण्य अय्यर जी को जरा सा भी गुस्सा नहीं आया। उसके बाद खुद सुब्रह्मण्य अय्यर जी ने अपने हाथो से खाना निकाला और कलाम जी के पास बैठ गए। उनकी पत्नी पीछे से सब देख रही थी जब खाना खाकर कलाम जी अपने घर के लिए प्रस्थान करने लगे। तो उसके अध्यापक ने कहा कि अगले हफ्ते फिर तुम मेरे घर खाने पर आना। कलाम जी थोड़ा घबराए लेकिन उसके अध्यापक ने कहा घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है बेझिझक तुम आना।

जब कोई व्यवस्था बदलने की ठान लेता है तो उसके समक्ष इस तरह की समस्याओ का आना स्वाभिक है। जब अगले हफ्ते कलाम जी अपने अध्यापक के घर खाने पर पहुंचा। तो अबकी उसकी पत्नी ने कलाम जी को खुद रसोई में लेकर गई और कलाम जी के लिए खुद अपने हाथो से खाना परोसी। सुब्रह्मण्य अय्यर जी की पत्नी ने भी अब स्वीकार कर लिया था कि किसी के साथ भेदभाव करने से किसी को कुछ भी प्राप्त नहीं होनेवाला है। अत: अब उसे स्वीकार करना ही उचित है तो एक न एक दिन हर किसी में बदलाव जरुर आता है।

कलाम ने अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए क्या संघर्ष किया?

एपीजे अब्दुल कलाम जी (Apj Abdul Kalam) घर में देर रात तक पढ़ते थे। उस वक्त कलाम जी के घर में लालटेन हुआ करती थी जो केरोसिन तेल से जलती है। ये तो सबको पता होगी ही, उस वक्त लालटेन करीब दो घंटे तक ही चलती थी। क्योंकि उस वक्त उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जिसकी वजह से ज्यादा केरोसिन तेल खरीदने में आसमर्थ थे, कलाम जी देर रात पढ़ते देख और लालटेन का न जल पाना उनके माता पिता जी को भी खराब लगती थी। लेकिन किसी तरह परिवार ने लालटेन अधिक समय तक जलाने के लिए जुगाड़ कर दिया। एपीजे अब्दुल कलाम जी पढने में बहुत तेज थे लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से अच्छी सुविधा नहीं मिल पाती थी। तो उस वक्त कलाम जी के गाँव से कई किलोमीटर की दुरी पर एक बढ़िया गणित एक अध्यापक रहते थे।

अध्यापक ने कहा था की जो बच्चा सुबह 4 बजे मेरे घर आएगा मैं सिर्फ उन्ही सब बच्चो को निशुल्क (फ्री) गणित पढ़ाऊंगा। जिसमे कलाम जी सबसे आगे रहते थे प्रतिदिन सुबह 3 बजे ही उठकर जाने की तैयारी कर लेता था। और किसी भी परिस्थिति में गणित के अध्यापक के घर सुबह 4 बजे उपस्थित हो जाते थे।

कलाम जी पर इनके चचेरे भाई का प्रभाव जब कलाम जी मात्र 8 साल के थे

1939 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ा तब अब्दुल कलाम जी कितने वर्ष के थे? कलाम जी के जीवन पर इनके चचेरे भाई शम्सुद्दीन का भी प्रभाव पड़ा। उस समय उस क्षेत्र में अख़बार की एकमात्र एजेंसी थी जो उनके चचेरे भाई की थी। और एकमात्र अख़बार वितरण करने वाले थे। अख़बार सुबह की ट्रेन से रामेश्वरम आता था तत्पश्चात उसका वितरण होता था। बात साल 1939 की है, जब भारत आजाद भी नहीं हुआ था और उस समय कलाम जी मात्र 8 साल के थे। उस समय उनके अन्दर उतनी समझदारी नहीं थी। तो 1939 में 2nd विश्व युद्ध शुरू हो चुका था और उसी दरमियान किसी कारणवश इमली के बीजों की अचानक न जाने क्यों मांग बढ़ गई थी। आखिर इसके पीछे क्या कारण रहा होगा इसकी स्पष्ट जानकारी तो नहीं उसके बाद कलाम जी इमली के बीजों को अधिक से अधिक इकठ्ठा करने की कोशिश में जुट गए।

और उसके घर से कुछ दुरी पर एक दुकान थी वहां जाकर बेच आते थे। जिसके बदले उन्हें उस समय प्रतिदिन मात्र एक आना मिल जाता था। उस समय एक आना उनके लिए बहुत अनमोल थी। लेकिन आज कल के बच्चो को तो 10 रूपया का भी कोई मोल नहीं है। तो दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था जिसका असर धीरे धीरे भारत में भी देखने को मिल रहा था। स्थिति उस समय इतनी खराब हो गई कि भारत में आपातकालीन घोषित करना पड़ गया था। जिसके कारण जो ट्रेन से अख़बार आती थी अब वो ट्रेन स्टेशन पर रूकती ही नहीं थी। और चलती ट्रेन से वो लोग अख़बार का बण्डल फेंकते हुए वो ट्रेन स्टेशन से निकल जाती थी। जिसके कारण कलाम जी के चचेरे भाई शम्सुद्दीन को अख़बार एकत्रित करने में मुश्किलें आने लगी।

तो स्थिति में कलाम जी के चचेरे भाई शम्सुद्दीन को अख़बार एकत्रित करने में किसी की मदद की आवश्यकता थी, और समय कलाम जी भाई शम्सुद्दीन की मदद करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

अब्दुल कलाम राष्ट्रपति कब बने?

जुलाई साल 2002 में

एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई थी?

27 जुलाई 2015 में शिलोंग में दिल के दौरा से

सन् 1939 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ा तब एपीजे अब्दुल कलाम जी कितने वर्ष के थे?

मात्र 8 साल के

अब्दुल कलाम जी जन्म कब हुआ था?

15 अक्टूबर सन् 1931 को

Apj Abdul Kalam father name

Jainulabdeen

Who was Kalam close friend?

Ramanand Shastri, Shiv Prakashan, & Arvind are very close friend.

Who is the best friend of Abdul Kalam?

Ramanand Shastri

Abdul Kalam full name

Abdul Pakir Jainulabdeen Kalam

Where was Abdul Kalam born

Rameshwaram Dhansuhkodi (Tamilnadu)

0 0 votes
Article Rating
0 0 votes
Article Rating

Leave a Reply

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x