मुनव्वर राणा (Munawwar rana) भारत के बहुत बड़े शायरों में से एक है, मुनव्वर राणाजी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ। मुनव्वर राणा की आधी पढाई लिखाई रायबरेली से हुई और बाकि की कोलकाता से क्योंकि इनके पिताजी काम की तलाश में कोलकाता शिफ्ट हो गए थे।
मुनव्वर राणा का जन्म, शिक्षा व परिवार
मुनव्वर राणा (Munawwar rana) जी का जन्म 26 नवम्बर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ। मुनव्वर राणा जी के पिताजी का नाम सईअद अनवर अली है और इनकी माता जी का नाम आयशा खातून है। मुनव्वर राणा के पिताजी काम की तलाश में कोलकाता स्थानांतरित हो गए थे जिसके वजह से मुनव्वर राणा भी कुछ वक्त बाद कोलकाता शिफ्ट होना पड़ा। शुरुआत की intermediate तक पढाई मुनव्वर राणा जी की उत्तर प्रदेश रायबरेली से हुई और जब मुनव्वर राणा कोलकाता शिफ्ट हुए तो वहां के उमेश चन्द्र कॉलेज, लालबाजार (कोलकाता ) से इन्होंने BA किया।
जब भारत आजाद हुआ तब देश का बंटवारा हुआ था जिसमे बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान में जाकर बस गए जिसमे से मुनव्वर राणा के भी कुछ रिश्तेदार थे। लेकिन मुनव्वर राणा के पिताजी ने भारत में ही रहने का निर्णय किया और तब से ये लोग भारत में ही रह रहे हैं।
मुनव्वर राना अपनी माता जी सी बहुत प्रेम करते है और अपनी मां के नाम पर और मां पर बहुत सी शायरी, गजल, कलाम, कवितताएँ लिखी है जो मां को समर्पित है।
जब मुनव्वर राणा लखनऊ में थे तो उस वक्त उनकी मुलाकात एक प्रसिद्ध शायर और गजल के महापुरुष से मुलाकात होती है जिसका नाम वली असी था। मुनव्वर राणा जी ने वली असी के सलाह से मुनव्वर राणा जी ने कविता सीखना और लिखना शुरू किया जिससे मुनव्वर राणा धीरे धीरे उस क्षेत्र में माहिर हो गए और के एक बड़ा शायर बनके उभरे और सबसे ज्यादा शायरी अपनी मां पर ही लिखते हैं। मुनव्वर राणा जी की मां पर लिखी गई शायरी सुनकर हर किसी के आँखों में आंसू आ जाते हैं कुछ इस तरह का शायरी होती है मुनव्वर राणा जी की।
मुनव्वर राणा जी को बहुत से अवार्ड से भी नवाजा गया है जिनमे से के एक बड़ा अवार्ड है भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली साहित्य अकादमी। मुनव्वर राणा जी ये अवार्ड 2014 में मिला था लेकिन कुछ विवाद होने की वजह से 2015 में मुनव्वर राणा जी ने भारत सरकार द्वारा दी गई साहित्य अकादमी अवार्ड को वापस कर दिया। और दोबारा Future में किसी भी तरह का सरकारी पुरुस्कार न लेने की कसम भी खा रखी हुई है।
मुनव्वर राणा का सबंध नक्सलवादी से बताई जाती थी एक समय –
मुनव्वर राणा जब कोलकाता शिफ्ट हुए थे तब कुछ समय के पश्चात मुनव्वर राणा नक्सलवादी से मिलने जुलने लगे थे उसकी क्या वजह हो सकती है कुछ कहा नहीं जा सकता है। जिनमे से कुछ तो उनके प्रिय मित्र भी बन गए थे जब ये बात उनके पिताजी सईअद अनवर अली जी पता चली तो मुनव्वर राणा जी को घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद मुनव्वर राणा बस इधर उधर भटकता रहता था कुछ भी नही करता था।
शायर मुनव्वर राणा (Munawwar rana) जी को मिले अवार्ड/पुरुस्कार
रईस अमरोहवी पुरुस्कार (रायबरेली)
1993
दिलकुश पुरुस्कार
1995
सलीम जाफरी पुरुस्कार
1997
सरस्वती समाज पुरुस्कार
2004
अदब अवार्ड
2004
ग़ालिब अवार्ड (उदयपुर)
2005
मीर तकी मीर आवर्ड
2005
शहूद आलम आफकुई पुरुस्कार (कोलकाता)
2005
डॉ जाकिर हुसैन पुरुस्कार (नई दिल्ली)
2005
कबीर सम्मान उपाधि (इंदौर)
2006
अमीर खुसरो अवार्ड (इटावा)
2006
मौलाना अब्दुल रजाक महिलावादी अवार्ड (प. बंगाल उर्दू अकादमी)
2011
ऋतुराज सम्मान अवार्ड
2012
साहित्य अकादमी पुरुस्कार (उर्द) भारत सरकार द्वारा
2014 (2015 में Returned)
भारती परिषद प्रयाग अवार्ड, हुमायूं कबीर अवार्ड, बज्मे सुखन अवार्ड, इलाहबाद प्रेस क्लब अवार्ड (प्रयाग), हजरत अल्मास शाह अवार्ड, मीर अवार्ड, मौलाना अबुल हसन नदवी अवार्ड, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान अवार्ड,
मुनव्वर राणा के द्वारा लिखी गई एक कविता शाह्दाबा के लिए मुनव्वर राणा को 2014 में भारत सरकार द्वारा साहित्य अकादमी से नवाजा गया था।