डाकू Phoolan Devi जी (फूलन देवी जी ) इस नाम से शायद ही ऐसा कोई होगा जो आज की तारीख में वाकिफ नहीं होगा। हमारे देश भारत में जब भी डाकू का जिक्र होता है तो उसमे डाकू फूलन देवी का नाम न आये ऐसा हो ही नहीं सकता है। इनके बिना हर डाकू की कहानी अधूरी रह जाती है और डाकू फूलन देवी के बगैर चम्बल भी अधुरा लगता है वीरान लगती है। इनके चर्चे अंतरराष्ट्रीय (International) स्तर तक आज भी होती है। जिनका नाम सुनकर ही लोगो में दहशत फैल जाती थी। ऐसा नहीं कि इनसे सभी लोग डरते थे इनसे वही लोग डरते थे जिनको डरना चाहिए जिन्होंने इनके साथ दुर्व्यवहार किया गलत काम किया। इतनी दहशत शायद आज तक किसी डाकू को लेकर हुआ होगा। इसका मुख्य कारण क्या है?
ऐसा नहीं कि उन्होंने बचपन से ही डाकू बनने का सपना था। इनकी मजबूरी थी और जरूरी भी थी, अगर आज फूलन देवी जी ने यह कदम नहीं उठाई होती तो आज पूरे विश्व के लिए एक मिसाल नहीं बन पाती। और आज बहुत सी महिलाएं घुट घुट की जिंदगी जी रही होती। शायद आज की नई पीढ़ी की महिलाओं को महान क्रांतिकारी फूलन देवी जी के बारे में पता नही है। नही तो शायद आज दुनियां में न जानें कितनी फूलन देवी जी की अवतार में होती। और आज ये हमारा देश दरिंदों की दरिंदगी से मुक्त होती।
फूलन देवी जी डाकू कैसे बनी आखिर वो कौन सी मजबूरी थी,ये मैं घटना के घटित समयानुसार ही बताऊंगा जिसकी वजह जानकर आपको भी हैरानी होगी। हो सकता है कुछ लोगों को इस चीज के बारे में जानकारी हो, लेकिन जिसको नहीं पता होगी उसके लिए ये हैरानी की ही बात होगी। Phoolan Devi जी की दहशत इंदिरा गाँधी की सरकार में भी थी, क्योंकि ना उत्तर प्रदेश की सरकार Phoolan Devi जी को पकड़ पा रही थी और ना ही इंदिरा गांधी की सरकार कुछ कर पा रही थी। उत्तर प्रदेश की सरकार जब Phoolan Devi जी को पकड़ नहीं पायी तो वहाँ के मुख्यमंत्री तक को इस्तीफा देना पड़ गया था।
फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की कहानी बहुत लम्बी है बचपन से लेकर डाकू बनने तक का सफ़र फिर उसके बाद सरेंडर करने का बाद सजा काटने के बाद जेल से निकालने के बाद आम जिंदगी से शुरू करना और फिर राजनीति में आना फिर उसके बाद 2001 में फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की कैसे और क्यों किस कारण से हत्या कर दी जाती है कैसे हत्यारा खुद आ आकर सरेंडर करता है फिर जेल से भाग जाता है फिर पुलिस पकड़ती है।
Phoolan Devi जी का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में एक मल्लाह जाति के घर में होती है। फूलन देवी जी बचपन से ही निडर थी, बहुत ही कम उम्र में दुनिया की सच्चाई से रूबरू हो चुकी थी, जिसकी बगावत उन्होंने मात्र 10 साल में ही कर दी थी। फूलन देवी जी की दहशत पूरे गांव में तो थी ही उनके घर वाले भी खास करके उनके पिताजी भी बहुत परेशान रहते थे। क्योंकि गांव में वो किसी से नहीं डरती थी यहां तक कि पुलिस से भी लड़ जाती थी। और बहुत से लोगों से लड़ तक जाती थी और ऐसी ऐसी गालियां देती थी जिसको सुनकर लोग दंग रह जाते थे।
कैसे फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की शादी नाबालिक में ही मात्र 10 – 11 साल की उम्र में उनके पिता एक अधेड़ उम्र के आदमी से बगैर फूलन देवी जी की इजाजत के शादी कर दी जाती है। फिर उसके बाद फूलन देवी जी पर उनके पति द्वारा अत्याचार किया जाता है उसके साथ बलात्कार किया जाता है। क्योंकि शादी तो हो गई थी लेकिन गंवना नहीं हुआ था, कैसे Phoolan Devi जी अपने पति से परेशान होकर बगावत कर बैठती है। पिता के घर जाने के बाद पिता भी ठुकरा देते हैं, अपनी ही बेटी फूलन देवी पर ही झूठी केस में फंसा कर उससे छुटकारा पाने के लिए जेल तक भेजवा देती है।
उसके बाद जेल में ही Phoolan Devi जी के साथ पुलिस अधिकारी तक उसके साथ बलात्कार करती है, जेल सी निकलने के बाद कैसे सब से बगावत करके चंबल के बीहड़ में पहुंच जाती है। और कैसे चंबल के डाकू से मिलकर एक एक करके सब से अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेती है और क्यों एक साथ 22 लोगों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से फूलन देवी जी भुन देती है। फिर उसके बाद इंदिरा गांधी के समक्ष अपने 6 शर्तों के साथ अपना हथियार गांधी जी और दुर्गा जी की तस्वीर के सामने डाल देती है। फिर जेल से निकलने के बाद कैसे राजनीति में आती है। और चुनाव जीतती है
फिर कुछ सालो बाद क्यों फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की हत्या की साजिश की जाती है और एक दिन उसकी हत्या कर दी जाती है। हत्यारा खुद क्यों आकर पुलिस के सामने आकर सरेंडर करती है। ये तो छोटा सी कहानी थी शॉर्ट में अभी तो पूरा पिक्चर बाकी है, बने रहे शुरू से अंत तक Phoolan Devi जी के पुरी संघर्ष की कहानी जानने के लिए।
Phoolan Devi जी का जन्म और परिवार ( Fulan Devi family)
Phoolan Devi Birthday (DOB)
10 August 1963
Phoolan Devi Age
34 Yrs
Phoolan Devi Birth Place
Jalaun District Gorah village Purva (UP)
Phoolan Devi Husband name
Puttilal Mallah
Phoolan Devi Father’s name
Devdeen Mallah
Phoolan Devi Mother’s Name
Mula Devi
Phoolan Devi death date
25 July 2001
Phoolan Devi Brothers
2
Phoolan Devi sister
2
फूलन देवी जी का जन्म 10 अगस्त सन् 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के एक छोटे से गोरहा गांव पूर्वा में निषाद (मल्लाह) जाति में बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। पिता का नाम देवीदीन मल्लाह और माता का नाम मूला देवी है। ये गाँव धीरे धीरे फूलन देवी जी की वजह से सुर्ख़ियों में आई और आगे चलकर प्रसिद्ध भी हुआ।
फूलन देवी के पिताजी देवीदीन मल्लाह जी के पास छोटा सा जमीन का हिस्सा था जिससे थोड़ी बहुत income होती थी और थोड़ा बहुत नाव वैगरह चला कर परिवार का भरण पोषण होता था। परिवार में कुल 6 लोग थे देवीदीन मल्लाह उनकी पत्नी मुला देवी और 4 बच्चे जिसमे फूलन देवी जी सबसे छोटी थी, सबसे बड़ी फूलन देवी की एक बहन थी उसके बाद 2 भाई थे उसके बाद चौथे नंबर पर फूलन देवी जी थी।
फूलन देवी जी की घर की स्थिति बहुत ही ख़राब थी जैसे तैसे जीवन व्यतीत हो रही थी, बेहद ही गरीबी अवस्था में सब बच्चो की परवरिश हो रही थी। एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा जिससे थोड़ी बहुत आमदनी होती थी, जो इनके पास जमीन थी उसके कुछ हिस्सों पर फूलन देवी जी के चाचा ने कब्ज़ा कर कर रखा था। और उनके चाचा के कुछ बेटे भी थे जो बड़े थे फूलन देवी जब 10 साल की थी, वहां की परवरिश जैसी थी की बाकि लड़कियों से थोड़ी अलग थी। बाकि लड़कियों की तरह शर्मीली, डरपोक या फिर किसी के दवाब में आकर डर जाये वैसी लड़की नहीं थी वो बचपन से ही निडर, बहादुर और सहनशील थी।
तुरंत पलटकर किसी के बातों का जवाब दे देती थी डरती नहीं थी किसी से और वहां का जो रहन सहन था वहां का पारंपरिक या फिर जो वहां की आम भाषा थी। और जो वहां जितनी भी गालियाँ होती थी वो सब फूलन देवी जी हर उस इन्सान को देती थी जो उसके साथ लड़ाई झगड़े करती थी।
जब फूलन देवी जी 10 साल की थी किसी बात को लेकर घर में झगड़ा हुआ था फूलन देवी जी को पता नहीं थी। तो मां बाप रो रहे थे कि चचा ने जमीन हड़प लिया जिंदगी कैसे कटेगी और चाचा के लड़के बही बहुत तंग कर रहे हैं। जब फूलन देवी जी को ये सब बात पता चली तो फूलन देवी अपने ही चाचा थे लड़ गई उसके बेटे से भी लड़ गई। और अपनी बहन के साथ वहां के स्थानीय पुलिस थाने के बाहर धरने पर बैठ गई थी,
उस वक्त फूलन देवी जी कि उम्र मात्र 10 साल थी, अपने चाचा और उसके बेटे के साथ हुई लड़ाई, झगडे में फूलन देवी के चाचा के लड़के ने पत्थर से फूलन देवी जी का सर फोड़ दिया तो फूलन देवी ने भी इसके जवाब में अपने चाचा के बेटे पर पत्थर चला दिया था। तो कुछ इस तरह की थी फूलन देवी जी मात्र 10 साल की उम्र में, फिर उसके बाद फूलन देवी जी अपने ही बस्ती के लोगो और लड़को के साथ किसी न किसी बात को लेकर अकसर लड़ाई होती रहती थी। और ये सब लड़ाई झगड़े की खबरे अब फूलन देवी जी के घर तक पहुँचने लगी थी।
जिसको लेकर अकसर फूलन देवी जी के घर वाले भी बहुत परेशान रहने लगे थे, और जिसको लेकर फूलन देवी और उनके परिवार वालो के बीच भी अकसर बाते होती थी। फूलन देवी जी को परिवार वाले बहुत समझाते थे लेकिन फूलन देवी नहीं समझते थे जिस कारण अपने ही परिवार वालो से भी लड़ जाती थी। जिस कारण अपने ही परिवार से बन रही थी, अच्छे संबंध नहीं थे फूलन देवी जी के जो भाई थे बहुत ही उम्र में ही उनकी मौत हो गई थी। सिर्फ घर में दो बहने एक फूलन देवी और उसकी एक बड़ी बहन बची थी।
जमीन को लेकर फूलन देवी (Phoolan Devi) चाचा के साथ अकसर लड़ाई होती रहती थी, इसको लेकर कभी कभी अपने पिता जी से भी लड़ जाती थी।
फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की शादी कब और किनसे हुई थी?
तो फूलन देवी (Phoolan Devi) उस वक्त सिर्फ 11 या 12 साल की रही होगी जब उनके पिता देवीदीन मल्लाह ने गुस्से में आकर और हर दिन किसी न किसी के साथ के झगड़े से परेशान होकर उनकी शादी के नाम पर एक अधेड़ उम्र के आदमी से शादी कर दी। शादी भी ऐसे शख्स से कर दी थी जिसकी उम्र फूलन देवी जी की उम्र से करीब 3 गुणा अधिक थी करीब उसकी उम्र 32 से 38 रही होगी। फूलन देवी जी की शादी उसी की विरादरी मल्लाह जाति में ही हुई थी, फूलन देवी जी के पति का नाम पुत्तीलाल मल्लाह था जो बगल के ही गाँव का रहने वाला था।
बाप ने फूलन देवी जी की शादी गुस्से में आकर सिर्फ 1 देकर उससे शादी कर दी थी यहीं से फूलन देवी जी की जिंदगी धीरे धीरे बदलनी शुरू होती है।शादी तो हो गई थी लेकिन बिदाई/ गंवना बालिक होने के बाद ही की जाती थी इस तरह का रीति रिवाज पहले के ज़माने में बहुत चलता था। यह एक तरह का बाल विवाह था, शादी तो फूलन देवी जी की नाबालिक में ही हो गई थी गंवना अभी नहीं हुई थी उसी दरमियान फूलन देवी जी के पति पुत्तिलाला मल्लाह बगैर उसके मर्जी के उसके साथ जोर जबरदस्ती करता है, और एक दिन उसके साथ बालात्कार भी करता है।
फूलन देवी का पुत्तीलाल मल्लाह पति तो था लेकिन फूलन देवी उस समय नाबालिक थी और बगैर पत्नी के मर्जी से रजामंदी के उसके साथ संबंध बनाना अपराध है। तो ये एक तरह का rape ही हुआ, उसके बाद से फूलन देवी जी थोड़ी सहमी सहमी सी रहने लगी और अपने पति से डरने लगी थी। उसके दिमाग में अपने पति को लेकर एक डर बैठ गया था। गंवना न होने के बावजूद भी फूलन देवी जी पिता देवीदीन मल्लाह गुस्से में आकर अपनी बेटी फूलन देवी को अपने पति के घर अकसर जबरदस्ती भेज देती थी। उसके बाद पति द्वारा पहले की तरह जोर जबरदस्ती और परेशान किया जाता था, और फूलन देवी घर भाग जाती थी।
इस तरह की घटना कई बार Phoolan Devi जी के साथ घटित होती थी। इधर इनके पिता देवीदीन मल्लाह भी इनके बार बार घर आने से परेशान हो रहे थे जिस कारण फूलन देवी जी से लड़ाई होती रहती थी। एक तरह से देवीदीन मल्लाह भी फूलन देवी से पिछा छुड़ाना चाहते थे और जब एक दिन पहले की तरह ही भाग कर अपने पिता के घर चल आती है तो उससे परेशान होकर उनके पिताजी ने वहां के स्थानीय थाना में FIR कर देती है। अपनी ही बेटी के खिलाफ घर में मारपीट और एक सोने की अंगूठी चुराने का इल्जाम लगाती है, पुलिस उन सब के बारे अच्छे से जानती थी और पुलिस ने भी इसका फायदा उठाया।
पुलिस आती है और Phoolan Devi जी को पकड़ कर ले जाती है उसे जेल में बंद देती है फूलन देवी जी 3 दिन तक जेल में बंद रहती है उस 3 में जेल में बंद के दौरान पुलिस वाले भी फूलन देवी जी के साथ जबरदस्ती करता है उसके साथ योन शोषण तक करता है तब वो छोटी थी।
फूलन देवी जी डाकू कैसे बनी?
तो इधर फूलन देवी का पति पुत्तिलाला मल्लाह से झगड़ा पिता से भी रिश्ते ख़राब और फूलन देवी (Phoolan Devi) जी के ऊपर बाप ने चोरी का इल्जाम लगाया फिर उसके बाप ने ही जेल भेजा उसके बाद पुलिस lockup में पुलिस अधिकारी ने rape किया। इन सारी चीजो ने फूलन देवी को जिंदगी पर गहरा प्रभाव डाला और धीरे धीरे फूलन देवी जी को बाघी बना दिया। सब से बगावत करने पर मजबूर कर दिया जेल से बाहर आने के बाद वो अपने घर आई फिर उसके बाद उसके पिता देवीदीन मल्लाह ने फूलन देवी जी को अपने पति के घर भेज देती है। Phoolan Devi जी के न चाहते हुए भी जब फूलन देवी ससुराल पहुँचती है।
अपने पति पुत्तिलाला मल्लाह के घर तब तक उनका पति पुत्तिलाला मल्लाह दूसरी शादी कर चुका होता है। अपने पति के साथ कुछ दिन तक फूलन देवी (Phoolan Devi) रहती है, उसके बाद उनके साथ मारपीट होती है इस बार ससुराल वाले शादी में जितने भी सामान दिए थे सारा सामान के साथ फूलन देवी जी को अपने गाँव पिता जी के पास भेज देती है। अब अपने पति से भी अलग हो चुकी थी अपने पिता से भी झगड़े के कारण आपस में बनती नहीं थी। तो जब Phoolan Devi जी गाँव लौटी थी तब फूलन देवी से कुछ अनजान लोगो से जान पहचान हो चुकी थी।
जो उसी गाँव के रहने वाले थे और मल्लाह जाति के ही लोग थे और चम्बल में अलग अलग डाकुओ के गैंग में काम करते थे। और तब तक मल्लाह जातियों के बीच Phoolan Devi जी के बारे में बहुत से चर्चे हो रहे थे उनके बारे में सब को पता था कि किस तरह सब से वो लड़ जाती है। हर किसी से बगावत कर बैठती है एकदम मुंहफट थी किसी को भी जवाब दे देती थी और गाली भी दे देती थी। किसी को भी पत्थर मार देती थी, कई दिनों तक जेल में भी रह चुकी थी। उसी दरमियान सन् 1979 में एक दिन फूलन देवी अचानक चम्बल के बीहड़ में डाकुओं के नजदीक पहुँच जाती है।
फूलन देवी चम्बल के बीहड़ में कैसे पहुंची? इसका मुख्य कारण क्या है?
फूलन देवी का चम्बल के डाकुओं के नजदीक पहुँचने का मुख्य 2 वजह बताई जाती है या फिर मानी जाती है।
पहली जो कहानी है वो ये है कि चम्बल के बीहड़ में अधिकांश डाकू मल्लाह जाति के ही लोग हुआ करते थे। तो उनमें से मल्लाह के कुछ डाकुओं को फूलन देवी जी के बारे में सब पता थी, की कैसे फूलन देवी जी बाघी बनी सब से झगड़ा करती है तो ये हमारे पेशे में बहुत काम आयेगी तो इस कारण से वो लोग फूलन देवी को समझा बुझा कर अपने साथ चम्बल के बीहड़ में ले गया होगा।
फूलन देवी का चम्बल पहुँचने की दूसरी कहानी ये थी की चम्बल के ही गैंग के डाकू ने फूलन देवी जी को किडनैप करके चम्बल के बीहड़ में ले लेकर गया उनकी दबंगई देखकर डाकू बनाने के इरादे से।
और जब फूलन देवी जी का interview किया गया था और उनसे ये सवाल पूछा गया था, कि चम्बल जाने के पीछे की कहानी क्या है? तो फूलन देवी जी ने भी अलग ही जवाब दिया था फूलन देवी जी ने भी सच्चाई नहीं बताई थी। उसने clear जवाब नहीं दिया था उसने कहा था शायद किस्मत को मंजूर था, और शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था चम्बल जाना इसलिए मैं चम्बल पहुँच गई। ये अपनी मर्जी से गई या फिर उन्हें डाकू किडनैप करके ले गई फूलन देवी जी ने भी clear नहीं की सच्चाई नहीं बताई थी, बस एक तर्क देकर लोगो को समझा दिया था।
फूलन देवी जी डाकू के किस गैंग में शामिल हुई थी?
फूलन देवी ( Phoolan Devi ) जी सन् 1979 में चम्बल पहुंचती है Phoolan Devi जी का चम्बल पहुँचने के बाद जिस डाकू के गैंग में शामिल होती है। उस गैंग का के सरदार का नाम बाबु गुर्जर था, और उसी गैंग का जो दूसरा लीडर था वो था विक्रम मल्लाह जो उसी विरादरी से आते थे जिस विरादरी से फूलन देवी जी आती थी मल्लाह जाति से। तो फूलन देवी जी को लेकर विक्रम मल्लाह के दिल में आदर का भाव था, यानि उसके साथ बड़े ही सलीके से पेश आते थे। और विक्रम मल्लाह को फूलन देवी जी की सारी कहानी पता थी, फूलन देवी जी बाबु गुर्जर के गैंग में शामिल तो हो जाती है।
लेकिन बाबू गुर्जर की बुरी नजर फूलन देवी (Phoolan Devi) जी पर थी और एक रात बाबू गुर्जर ने फूलन देवी जी के साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश करता है। फूलन देवी जी के शोर ममचाने पर उसी गैंग के दुसरे नंबर मेम्बर जो कि लीडर था विक्रम मल्लाह वहां आता है, और सारा माजरा पता चलने के बाद विक्रम मल्लाह और बाबु गुर्जर के बीच लड़ाई छिड़ जाती है। और दोनों के बीच जबरदस्त लड़ाई होती है, और लड़ाई के दौरान ही विक्रम मल्लाह बाबू गुर्जर को गोली मर देता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है।
इस बात को लेकर गैंग में अलग ही बात होती थी कि कैसे Phoolan Devi के खातिर विक्रम मल्लाह अपने ही गैंग के सरदार को मार दिया।
चूँकि विक्रम मल्लाह पहले से ही शादी शुदा थे बाबू गुज्जर को मारने के बाद खुद विक्रम मल्लाह गैंग का सरदार बन जाता है, उसके बाद विक्रम मल्लाह और फूलन देवी (Phoolan Devi) जी के प्यार के चर्चे पुरे गैंग में होने लगती है। विक्रम मल्लाह गैंग की पूरी कमान संभालने के बाद विक्रम मल्लाह फूलन देवी जी को बाकायदा बंदूक/राइफ़ल चलाना भी सिखाते हैं कैसे एक डाकू का जीवन होता है डाकू में क्या क्या खूबियां होनी चाहिए वो सारी चीजे फूलन देवी जी को विक्रम मल्लाह सिखाते हैं और बताते हैं।
उसके बाद चंबल के डाकू विक्रम मल्लाह के गैंग उस समय छोटी मोटी किडनैपिंग का काम, सुनसान सड़कों पर जा रही गाड़ियों को रोककर छिनतई करना थोड़ी बहुत robbery कर लेते थे, तो कुछ तरह डाकुओं की ज़िन्दगी कट रही थी।
तो फूलन देवी जी के गैंग में पूरी तरह Combatable होने के बाद अनुभव होने के बाद एक दिन विक्रम मल्लाह से कहकर पूरी गैंग के साथ अपने पति पुत्ती लाल मल्लाह के गांव जाती है। गांव पहुंचने के बाद अपने पति पुत्ती लाल मल्लाह को उसके घर से घसीट कर बाहर चौराहे पर लाती है, और उसे पूरी तरह फूलन देवी जी पिटती है। और लगभग अधमरा करने के बाद फूलन देवी जी पुत्ती लाल मल्लाह को छोड़ देती है, एक संदेश के साथ संदेश में कहती है की अगर कोई अधेड़, बुजुर्ग, बुढ़ा आदमी किसी नाबालिक छोटी लड़की से शादी करने की कोशिश करेगा उसको फूलन देवी बीच चौराहे पर गोली मार देंगी।
क्योंकि Phoolan Devi खुद इन परिस्थितियों से गुजर चुकी थी ऐसे हालातों को वह झेल चुकी थी, उनको एहसास था। उसके गांव में दोबारा ऐसा किसी के साथ ना हो इसलिए यह संदेश देती है। इसके बाद फूलन देवी लौट जाती है। और ऐसे ही छोटी मोटी लूटपाट चलती रहती है लेकिन अभी तक फूलन (Phoolan Devi) देवी जी सुर्खियों में नहीं आई थी।
विक्रम मल्लाह के गैंग में फुट क्यों पड़ती है? विक्रम मल्लाह की हत्या किसने की?
जो बाबू गुर्जर का जो गैंग था जिसका सरदार विक्रम वाला था उसी गैंग के दो खास डाकू श्रीराम और लालाराम किसी क्राइम सीन से पुलिस पकड़ लेती हैं। दोनो को जेल भेज देती हैं कुछ समय के पश्चात् दोनों डाकू छूट जाते हैं और वापस चंबल पहुंच जाते हैं, चंबल पहुंचने के बाद इन दोनों को सारी खबर मिल चुकी थी कि बाबू गुर्जर की मौत हो गई है जिसको विक्रम मल्लाह ने फूलन देवी के खातिर मार दिया। तो इस घटना से श्रीराम और लालाराम का विक्रम मल्लाह और Phoolan Devi से दुश्मनी हो जाती है।
तो श्रीराम और लालाराम ऊंची जाति से आते थे जो राजपूत जाति से थे, तो श्रीराम और लालाराम के जेल से बाहर आने के बाद गैंग में फूट पड़ती है। उस गैंग में मल्लाह भी थे लेकिन बाबू गुर्जर के मौत के बाद इस गैंग में फूट पड़ती है। और उन दोनों को भी यही कहना था कि बाबू गुर्जर को विक्रम मल्लाह ने फूलन देवी (Phoolan Devi) जी के ख़ातिर मारा है। फुट पड़ने के बाद श्रीराम और लालाराम चाहते थे कि गैंग में राजपूतों का वर्चस्व हो लेकिन विक्रम मल्लाह चाहते थे कि मल्लाहों के वर्चस्व हो, तो जाति को लेकर इस गैंग में फूट पड़ चुकी थी
तो राजपूतों की संख्या ज्यादा थी तो बाकी के भी राजपूत श्रीराम और लालाराम के गैंग में हो लिए, और बाद में श्रीराम लालाराम और विक्रम मल्लाह के बीच लड़ाई होती है। इस लड़ाई में विक्रम मल्लाह मारे जाते हैं, श्रीराम लालाराम ने विक्रम मल्लाह को गोली मार दी, उसके बाद श्रीराम लालाराम उर उसके गैंग के लोग फूलन देवी जी को किडनैप करके अपने गांव ले जाते हैं। उत्तर प्रदेश का एक गाँव है जिसका नाम बेहमई है वहां ले के गए और उस गांव में करीब 3 हफ्ते तक फूलन देवी जो को एक घर में बंद करके रखा और 3 हफ्ते तक फूलन देवी के साथ एक-एक करके कई सारे लोग उनके साथ बलात्कार किया।
बेहमई गांव का रहने वाला एक शख्स जो मल्लाह जाति का ही था, और विक्रम मल्लाह के दो और साथी को जब पता चलता है की फूलन देवी जी को बेहमई गांव के एक घर में बंदी बना रखा है। तब किसी तरह उस गांव तक पहुंचते हैं, और किसी तरह उस कमरे से फूलन देवी को आजाद करके फिर से बीहड़ के जंगलों में ले आते हैं। विक्रम मल्लाह के 2 साथी में से एक का नाम था मानसिंह मल्लाह जो विक्रम मल्लाह के गैंग का ही था। पुनः चंबल के बीहड़ में पहुँचने के बाद यह लोग मल्लाहो को एकजुट करना शुरू करते हैं और एक पूरी मल्लाहओ का गैंग बनाते हैं।
और फूलन देवी जी खुद उस गैंग की लीडर बनती है उसके बाद से फूलन देवी जी और मानसिंह मल्लाह के बीच प्रेम प्रसंग चलता है। उसके बाद फूलन देवी जी लूटपाट करना शुरू करती है, लूटपाट भी अधिकांश बड़े विरादरी के लोगों के साथ ही करती है। फूलन देवी चोरी डकैती करने के बाद अपने ही जाति के लोगों की मदद करते थे। गाँव के शादी – विवाह समारोह में फूलन देवी जी दान अनुदान ज्यादा करती थी, जिससे कि उनका एक अलग ही इमेज बने। जिससे कि लोगों का भरोसा भी जीत सके जिससे कि कोई भी गांव के लोग पुलिस को उनके बारे में मुखबिरी ना का कर दे, जिससे उन लोगों को खतरा हो सकता था।
और ये डाकुओं के लिए बेहद ही जरूरी भी होता है, लोगो का भरोसा जीते क्योंकि कोई उनके बारे मे गाँव के लोग पुलिस से मुखबिरी न कर दे। और गांव से ही डाकुओं की अनाज की पूरी होती थी, गांव के लोग ही डाकुओं तक अनाज पहुंचाते थे।
फूलन देवी श्रीराम लालाराम गैंग से बदला कैसे लेती है?
फूलन देवी (Phoolan Devi) जी के साथ हुए उस गैंग रेप के ठीक 7 महीने बाद 14 February 1981 को अपनी पूरी गैंग के साथ बेहमई गांव पहुंचती है। उसी बेहमई गांव में जहां फूलन देवी (Phoolan Devi) के साथ करीब 3 हफ्ते तक बलात्कार हुआ था। किसी तरह फूलन देवी को पता चला था बेहमई गांव में एक राजपूत परिवार में किन्ही की शादी है। तो फूलन देवी जी पक्का थी कि श्रीराम लालाराम के गैंग के लोग ज़रूर उस शादी में आयेंगे। तो शादी के दिन फूलन देवी जी अपने गैंग के साथ जो कि पुलिस की वर्दी में गई थी ताकि किसी को शक़ ना हो।
उसके बाद शादी समारोह में डाकू श्रीराम लालाराम के गैंग के लोगों को ढूंढना शुरू करते हैं।
और किसी तरह शादी में दो ही लोग मिल पाते हैं जो श्रीराम लालाराम के गैंग के थे, उसे पकड़ने के बाद उन्हें खूब पीटते हैं और बाकी के लोगों का पता पूछते हैं। बाकी लोग गांव से भाग चुके थे, फूलन देवी उस समय बेहद ही गुस्से में थी बाकी लोगों के ना मिलने पर अपने गैंग से कहती है कि इस शादी में जितने भी लोग है खासकर करके राजपूत समुदाय के लोग सिर्फ मर्दों को पकड़ कर एक लाइन में खड़ा करो उसके बाद 22 राजपूत समुदाय के मर्द हाथ लगते हैं और उसके बाद 22 लोगो को एक साथ एक लाइन में खड़ा करते हैं।
उसके बाद फूलन देवी (Phoolan Devi) जी मुयाना करती है उसके बाद फूलन देवी जी के आग्रह पर गैंग के लोग उन 22 लोगों को राइफ़ल की गोलियों से भून देते हैं। जिनमे से सभी की मौत हो जाती है सब को मारने के बाद पूरी गैंग वहाँ से निकल जाती है और अगले ही दिन ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल चुकी थी। और तब फूलन देवी जी का नाम घर घर पहुंच जाता है पूरे देश को पता चल जाता है कि कैसे फूलन देवी जी 22 लोगों एक साथ गोलियों से भुन दिया।
फूलन देवी एक साथ 22 लोगो को क्यों मारी? Bandit Queen नाम कैसे पड़ा?
फूलन देवी 22 लोगों को एक साथ मारने के पीछे की कहानी एक ये थी कि इसे मार कर बदले की शुरुआत तो कर दी ही थी। साथ ही जब विक्रम मल्लाह जब जिन्दा थे तब विक्रम मल्लाह ने फूलन देवी जी से कहा था कि तुम बदला लोगी तो तुम एक को मारोगी दो को मारोगी उससे उन लोगों कुछ ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ने वाला है। तुम एक को भी मारोगी तो फांसी होगी और जब 20 लोगों को भी मारोगी तो फांसी ही होगी, और जब तुम 20 लोगों को एक मारोगी तो तुम्हारा नाम होगा प्रसिद्धी मिलेगी। नाम होने पर बहुत से काम होंगे तो ये बात फूलन देवी जी के दिमाग में घर कर गई थी।
जिस वजह से फूलन देवी (Phoolan Devi) जी एक साथ 22 लोगों को मारने का निर्णय लेती है और एक साथ 20 लोगो को मरती है। 14 फरवरी 1981 की बेहमई की घटना सब को याद रहा, ये खबर न्यूज़ और मीडिया में आने के बाद मीडिया के माध्यम से फूलन देवी (Phoolan Devi) जी का दूसरा नाम Bandit Queen पड़ा।
फूलन देवी जी की वजह से UP के CM को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?
फूलन देवी जी ने जब 22 लोगो को एक साथ मारा था तो ये मामला राजनिति जोड़ पकड़ ली थी, इस घटना को लेकर उस क्षेत्र में खूब हंगामा हुआ। और इस घटना का जिक्र अब राजनीति में होने लगी थी, और इस पर सवाल भी खड़े किये जा रहे थे, और राजनीति भी होने लगी थी। नीची और ऊंची जातियों के लेकर ये मामला और भी गहराने लगी थी, जगह जगह धरना प्रदर्शन किये जा रहे थे। और उस समय UP के मुख्यमंत्री (Cm) वी. पी. सिंह थे और Prime Minister इंदिरा गांधी थी। फूलन देवी जी की गिरफ्तारी को लेकर UP सरकार पर बहुत ज्यादा दबाव था, लेकिन फूलन देवी पुलिस के चंगुल में नहीं आती है
फूलन देवी जी की गिरफ़्तारी न होने की वजह से और मजबूर होकर UP के मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा और इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री पद से हट गया। उसके बाद भी फूलन देवी जी गिरफ्त में आ रहो थी, कई जगहे छापे पड़े लेकिन फूलन देवी पकड़ में नहीं आयी। भले फूलन देवी जी के गैंग के कुछ लोग पकड़े जाते हैं, और कुछ भागने के दरमियान उनका Encounter भी कर दिया गया। इस घटना के दो साल गुजरने के बाद भी फूलन देवी जी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आई। उसके बाद से फूलन देवी जी का नाम और बड़ा हुआ और बाकी दुश्मनों को भी धीरे धीरे खत्म किया।
तो उस समय भिंड के एसपी थे राजेंद्र चतुर्वेदी भिंड और चंबल लगभग सटे हुए है, तो राजेंद्र चतुर्वेदी इस घटना से पूर्व भी फूलन देवी जी को सरेंडर को लेकर मुखबिरी के माध्यम से Source से बात कर रहे थे और घटना के बाद भी कोशिश कर रहे थे। फूलन देवी (Phoolan Devi) और राजेंद्र चतुर्वेदी के बीच थोड़ी बहुत खबरी के जरिए से बात हो रही थी, लेकिन कुछ बात नहीं बन रही थी। और फिर उसके बाद Prime Minister इंदिरा गांधी जी एक पहल शुरू करती है और कहती है। घटना के आज करीब दो साल हो चुके हैं, लेकिन डाकू फूलन देवी अभी तक हमारे हाथ नहीं आई।
तो इसमें इंदिरा गाँधी ने कहा कि ऐसा करते है उनसे किसी तरह बातचीत का करने का का सबसे पहले रास्ता निकाला जाये। उनसे किसी तरह बात किया जाए और ग़र फूलन देवी सरेंडर करने को राजी होती है तो हम भी शांतिपूर्रावक तरीके से उसके साथ पेश आयेंगे उन्हें किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे ये मेरा ऑर्डर है। उसके बाद भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी और जोर शोर से फूलन देवी जी से सोर्स के जरिए सम्पर्क करना साधना शुरू करते हैं। और बहुत कोशिश के बाद फरवरी 1982 में सरेंडर करने को राजी हो जाती हैं, लेकिन फूलन देवी जी की कुछ शर्ते थी।
उधर फूलन देवी जी के गैंग के लोग धीरे धीरे मारे जा रहे थे और फूलन देवी के गैंग कमजोर पड़ती जा रही थी, और फूलन देवी जी बीमार भी रहने लगी थी। सेहत धीरे धीरे कमजोर हो रही थी फूलन देवी(Phoolan Devi) जो अब इलाज की भी जरूरत थी तो सरेंडर करने करने के पीछे एक ये भी वजह हो सकती है।
फूलन देवी जी के सरेंडर करने की 6 शर्ते कौन कौन सी थी?
जब इंदिरा गाँधी जी की सरकार ने फूलन देवी जी से सरेंडर को लेकर बात हुईं तो फूलन देवी (Phoolan Devi) जी ने अपनी 6 शर्ते रखी थी।
फूलन देवी जी कि पहली जो शर्त थी वो ये थी कि वो UP में सरेंडर नहीं करेगी, उन्हें UP पुलिस पर एक जरा सा भी भरोसा/विश्वाश नहीं है ये आज भी आप कुछ मामलों में देखा होगा और आपको भी अंदाजा हो गया होगा।
फूलन देवी जी कि दूसरी शर्त ये थी कि वो MP में सरेंडर करेगी, और उस वक़्त MP के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे, और उन्हीं के उपस्थिति में ही सरेंडर करेगी।
Phoolan Devi जी कि तीसरी शर्त ये थी कि वो पुलिस वालों के सामने अपना हथियार नहीं डालेगी, वो अपना हथियार वहाँ डालेगी जहाँ महात्मा गांधी जी का और दुर्गा मां की तस्वीर होगी। फूलन देवी जी दुर्गा मां की बहुत बड़ी भक्त थी और अक्सर दुर्गा मां की मंदिर जाया करती है।
Phoolan Devi जी कीकि चौथी शर्त ये थी कि वो सरेंडर के बाद खुद फूलन देवी और उनके गैंग के किसी भी member को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी।
फूलन देवी जी कि पांचवी शर्त ये थी कि उसके गैंग के किसी भी मेम्बर को 8 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी। और सजा पूरा होने के उन्हें सरकार जमीन allot करेगी ताकि वो शराफत की ज़िन्दगी बसर कर सके अपना परिवार बना सके।
फूलन देवी जी कि छटी जो शर्त थी वो ये थी कि जब वो सरेंडर करेगी तो उसके जितने भी परिवार में मेम्बर हैं वो वहाँ सब मौजूद होने चाहिए, और सरेंडर करते समय उन्हें सामने से देखें ये सब फूलन देवी जी के शर्ते थी। फूलन देवी जी की ये सारी शर्तों को सरकार मान लेती है और शांतिपूर्वक मामले को सुलझाने का वायदा भी करती है।
और आख़िरकार फरवरी 1982 में फूलन देवी जी भिंड के एक ग्राउंड में सरेंडर करती है जो पहले से जगह तय थी। पुलिस के करीब 300 से 400 जवान ग्राउंड के चारो तरफ मौजूद थे, और करीब 16000 – 18000 लोग वहाँ मजीद थे सिर्फ फूलन देवी जी सरेंडर करते हुए देखने के लिए। जिस भीड़ को काबु करना पुलिस के लिए मुश्किल हो रही थी उसके बाद फूलन देवी जी और उनका गैंग उस भिंड के ग्राउंड में प्रवेश करना शुरू करती है। और अपनी शर्त के अनुसार एक एक करके सब दुर्गा मां और महात्मा गांधी जी के तस्वीर के सामने अपना हथियार डाल कर सरेंडर करते हैं।
उसके बाद फूलन देवी और उसके गैंग को पुलिस जेल ले जाती है और जेल में बंद कर देती है, उनके खिलाफ कानूनी दस्तावेज/काग़ज़ों पर करीब 48 अपराध के मामले दर्ज थे। लेकिन हैरत की बात ये थी कि फूलन देवी जी को 1982 में जेल में डालने के बाद अगले 11 साल तक फूलन देवी जी के ऊपर दर्ज मामले में किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई और कोर्ट की सुनवाई होती ही नहीं है।
11 साल तक बिना चार्ज शीट के फूलन देवी जी जेल में पड़ी रही चूंकि फूलन देवी जी का तबीयत भी खराब थी, तो उस दौरान बाकायदा फूलन देवी जी का इलाज भी करवाया जाता है।
फूलन देवी जी का Uterus यानि गर्भाशय क्यों निकाल दिया गया?
फूलन देवी जी का दो – दो ऑपरेशन भी किया जाता है, एक ऑपरेशन तो फूलन देवी जी को बगैर बताये बगैर इजाजत लिए बगैर जानकारी दिए जिसकी जानकारी उनके घर वालो की भी नहीं दी जाती है, क्योंकि गर किसी बता देता तो कभी ये आपरेशन हो ही नहीं पाता क्योंकि ये आपरेशन था ही कुछ ऐसा की किसी को बता नहीं सकता था। बड़े ही ख़ुफ़िया तरीके से चोरी चुपके फूलन देवी जी के अन्दर से Uterus यानि गर्भाशय निकाल देती है।
फूलन देवी जी काUterus (गर्भाशय) निकालने की पीछे की वजह क्या थी?
जहाँ तक हमको जो लग रहा है देश में ऐसा पहली बार हुआ जब सरकार को भी कहीं ना कहीं डर था कि जेल से रिहा होने के बाद गर फूलन देवी जी अपना घर बसाती है। और गर उनके कोख से Bandit Queen फूलन देवी जी जैसी ही कोई दूसरी पैदा हो जाये और बड़ा होने पर इससे भी बड़ा तहलका न मचा दे जिस कारण से बगैर फूलन देवी जी को बताए और ना ही उसके घर वालों को बताए बगैर उनके इजाजत के ऑपरेशन करके उनके अन्दर से Uterus (गर्भाशय) निकाल दिया जाता है ताकि देश में फिर से कोई दूसरी फूलन देवी (Bandit Queen) पैदा ना हो सके।
Phoolan Devi death date : फूलन देवी की मृत्यु कैसे हुई?
साल 2001 में केवल 38 साल की उम्र में फूलन देवी जी की हत्या कर दी गई थी, दिल्ली में सरकारी आवास के बाहर ही 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी जी की एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई। फूलन देवी के हत्यारे ने इस हत्या को ठाकुरों की सामूहिक हत्या का बदला का नाम दिया है। To be continue
Shekhar Kapoor film made without Phoolan devi permission.
Who was known as the Bandit queen?
Phoolan Devi.
What is the Story of Bandit queen?
फूलन देवी (Phoolan Devi) जी की शादी नाबालिक में ही मात्र 10 – 11 साल की उम्र में उनके पिता एक अधेड़ उम्र के आदमी से बगैर फूलन देवी जी की इजाजत के शादी कर दी जाती है। फिर उसके बाद फूलन देवी जी पर उनके पति द्वारा अत्याचार किया जाता है उसके साथ बलात्कार किया जाता है। क्योंकि शादी तो हो गई थी लेकिन गंवना नहीं हुआ था, कैसे Phoolan Devi जी अपने पति से परेशान होकर बगावत कर बैठती है। पिता के घर जाने के बाद पिता भी ठुकरा देते हैं, अपनी ही बेटी फूलन देवी पर ही झूठी केस में फंसा कर उससे छुटकारा पाने के लिए जेल तक भेजवा देती है।
How Phoolan devi was killed?
दिल्ली में सरकारी आवास के बाहर ही 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी जी की एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई।
Phoolon Devi ji ne jo bhi kiya bahut achha kiya tha…. kyoki wo bhi thak gyi thi ..Darindo se jo hmesha unhe pareshan krte rahte the..