झारखण्ड की अन्य प्रमुख नीतियाँ व अधिनियम

सेवा का अधिकार अधिनियम – 2011

  • वर्ष 2011 में राज्य में सेवा का अधिकार अधिकार अधिनियम लागू किया गया। इस अधिनियम में राज्य के अधिकारियों या कर्मचारियों के लिए नागरिक सेवाओं को निश्चित समय सीमा के भीतर उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
  • इस अधिनियम में कुल 172 सेवाओं को शामिल किया गया है, जिसका निष्पादन निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाना जरूरी है।
  • निर्धारित समय सीमा के भीतर सेवा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर दोषी अधिकारी या कर्मचारी के लिए 500 रूपये से 5000 रूपये तक के आर्थिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। जुर्माने की राशि दोषी अधिकारी या कर्मचारी के वेतन से काट ली जाएगी।

झारखण्ड में राज्य खाद्य सुरक्षा कानून या अधिनियम – 2015

  • केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम – 2013 के आलोक में 25 सितंबर, 2015 को राज्य में खाद् सुरक्षा कानन को लागू किया गया।
  • इस योजना के तहत राज्य के 2.33 लाख से अधिक व्यक्तियों हेतु खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • इस योजना के तहत 37 लाख से अधिक व्यक्तियों को अंत्योदय के तहत खाद्य सुरक्षा का लाभ प्राप्त होगा।
  • इस योजना के तहत अंत्योदय श्रेणी में शामिल परिवारों को 35 किलाग्राम अनाज प्रतिमाह उपलब्ध कराया जायेगा।
  • योजना के तहत जरूरतमंद लोगों के प्राथमिकता समृह के लोगों को प्रति व्यक्ति 5 किग्रा अनाज प्रतिमाह प्राप्त होगा।
  • योजना के तहत लाभुकों को 1 रूपये प्रति किग्रा. की दर से चावल व गेहूँ का वितरण किया जायेगा।
  • लाभाथ्थियों की पहचान सामाजिक- आर्थिक व जातीय जनगणना-2011 के आधार पर की जायेगी।
  • योजना के तहत 65 वर्ष से अधिक उम्र के बीपीएल श्रेणी के व्यक्ति को 10 किग्रा. चावल नि:शुल्क यानि फ्री दिया जायेगा।
  • इस योजना के तहत गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं को बच्चे के जन्म से 6 माह तक आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से मुफ्त भोजन तथा मातृत्व लाभ के रूप में 6000 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी।

झारखंड क्रय निति 2014

  • झारखण्ड राज्य में वर्ष 2007 में लागू क्रय नीति, जो स्थानीय सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के विकास पर केन्द्रित थी, में संशोधन करते हुए वर्ष 2014 में नई झारखण्ड क्रय नीति को लागू किया गया है। नई झारखण्ड क्रय नीति का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय सुक्ष्म एवं लघु उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना है।

इस नीति के प्रमुख प्रावधान निम्नवत् है-

  1. सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के विकास एवं प्रोत्साहन के लिए इनक उत्पादों को राज्य सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर क्रय किया जाएगा।
  2. राज्य के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उचित प्रयास किया जाएगा।
  3. सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के उत्पादों को राज्य सरकार के विभागों, संस्थाओं एवं अनुदान प्राप्त एजेंसियों द्वारा खरीदा जाएगा।
  4. राज्य सरकार के नियंत्रण में कार्यरत सभी प्रशासनिक विभागों, एजेंसियों, बोडों, निगमों, विकास प्राधिकरण, नगरपालिका, अधिसूचित क्षेत्र समिति, सहकारी निकाय व अन्य संस्थाओं, जो राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करते हैं। अथवा जिस कंपनी में राज्य सरकार की 50% या अधिक हिस्सेदारी है, उन्हें वर्ष 2014-15 एवं उसके आगामी तीन वर्ष तक अपने कुल क्रय का न्यूनतम 20% सूक्ष्म एवं लघु उत्पादों के रूप में क्रय करना अनिवार्य है। 3 वर्ष बाद 1 अप्रैल, 2017 से इन्हें कुल क्रय लक्ष्य का न्यूनतम 20% उत्पाद एवं सेवा निर्माण करना भी अनिवार्य होगा।
  5. इस नीति के तहत सुक्ष्म एवं लघ उत्पाद इकाईयों में निर्धारित वार्षिक 20% के क्रय लक्ष्य के 20% (कुल का 4%) अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के स्वामित्व वाले इकाईयों हेतु नियत कर दिया गया है।
  6. राज्य के प्रत्येक विभाग, सहायता प्राप्त संस्थान एवं सार्वजनिक उपक्रम निर्धारित क्रय लक्ष्य से संबंधित वार्षिक प्रतिवेदन को वेबसाईट पर प्रदर्शित करेंगे।
  7. राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों द्वारा जारी की जाने  वाली वस्तुओं एवं सूची के लिए क्रय मूल्य दर को संविदा प्रणाली हेतु आरक्षित कर दिया गयां है।
  8. सूक्ष्म एवं लघु इकाईयों को भुगतान में विलंब होने पर इसके समाधान हेतु MSMED Act, 2006 के तहत सूक्ष्म एवं लघु उद्योग सुविधा परिषद् का गठन किया गया है।

झारखण्ड राज्य की पर्यटन नीति – 2015

झारखण्ड राज्य की पर्यटन नीति का प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् है-

  • रोजगार के अवसरों का निर्माण करना तथा पर्यटकों की संख्या को बढ़ाना।
  • उपलब्ध संसाधनों का समुचित प्रयोग करना ताकि अधिकाधिक संख्या में घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों को लम्बे समय तक राज्य में पर्यटन हतु आकर्षित किया जा सके।
  • प्रत्येक पर्यटन क्षेत्र को एक विशेष भ्रमण क्षेत्र के रूप में विकसित करना।
  • पर्यटन क्षेत्रों के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना और उन्हें राज्य में मुलभत सुविधाएँ उपलब्ध कराना। 
  • मास्टर प्लान तैयार कर उसे लागू करना तथा पर्यटन क्षेत्रों का एकीकृत विकास करना।
  • घरेल एवं विदेशी पर्यटकों को गुणवत्तायुक्त यानि अच्छी सेवा उपलब्ध कराना। पर्यटन संबंधी उत्पादों को प्रोत्साहित करना।
  • राज्य के सांस्कृतिक स्मारकों को क्षय ( नाश ) से बचाना।
  • पर्यटन क्षेत्र में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना और सहयोगात्मक पर्यटन को प्रोत्साहित कर लोगों को आर्थिक लाभ पहुँचाना।
  • झारखण्ड को पर्यटन एडवेन्चर के विभिन्न क्षेत्रों जैसे -वायु, भूमि, जल आधारित एडवेंचर में प्रमुख दिलाना।
  • उचित सुविधाओं एवं सूचनाओं का विकास कर धार्मिक पर्यटन का विकास करना। 
  • झारखण्ड के समृद्ध हथकरघा उद्योग, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और रिवाजों को संरक्षित करना तथा इनके संवर्द्धन हेतु पर्याप्त कदम उठाना।
  • पर्यटन के क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था को सक्षम, सरल तथा पारदर्शी बनाना।

झारखण्ड राज्य की खाद्य प्रसंस्करण नीति 2015

  • राज्य की खाद्य प्रसंस्करण नीति का प्रमुख लक्ष्य खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए मूलभूत सुविधाओं को बढ़ावा देना, निवेश को प्रोत्साहित करना, बाजार नेटवर्क को विकसित करना, तकनीकी सहायता प्रदान करना आदि है।
  • सरकार का लक्ष्य कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों को विकसित करते हुए निवेशकों को लाभ पहुँचाना तथा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में राज्य को अग्रणी स्थिति में लाना है।

 इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् हैं –

  1. प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाना, अनुपयोगी पदार्थों की मात्रा को कम करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और निर्यात को बढ़ावा देना ताकि समग्र रूप से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा सके।
  2. लघु वनोत्पादों, जड़ी-बूटी संबंधी उत्पादों आदि को प्रोत्साहित कर जनजातीय समुदाय के लोगों की आय में वृद्धि करना।
  3. नए खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हेतु वित्तीय मदद प्रदान करना। साथ ही तकनीकी स्तर में सुधार लाना और वर्तमान इकाईयों का विस्तार करना।
  4. उत्पादकों एवं निम्माताओं को बाजार प्रणाली से संबद्ध करना।
  5. तैयार खाद्य पदार्थों के लिए पूर्ण सरंक्षण की व्यवस्था करना और उत्पादक क्षेत्रों से उपभोक्ताओं एवं बाजारों तक खाद्य सामग्री की पहुँच सुनिश्चत करना।
  6. मांस एवं मछली के दुकानों में उचित सुविधाएं उपलब्ध कराना ताकि स्वास्थ्यकर खाद्य पदाथं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

उपरोक्त उह्वेश्यों की प्राप्ति हेतु झारखण्ड सरकार आधारभूत सरचनाओं के विकास, उचित वातावरण पूंजी निवेश तकनीकी एवं कौशल विकास, वित्तीय सहायता तथा अन्य दूसरी सुविधाएँ बहाल करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।

झारखण्ड राज्य की निर्यांत नीति – 2015

देश के कुल निर्यांत में राज्य की हिस्सेदारी को 2019 तक 2 प्रतिशत” तक लाने के लक्ष्य के साथ राज्य सकार द्वारा वर्ष 2015 में झारखण्ड निय्यात नीति को स्वीकार किया गया है।

 इसी नीति के महत्वपूर्ण बिंदु निम्न हैं-

  • निर्यात में शीघ्र वृद्धि करने हेतु सरल, प्रभावी, सहयोगात्मक एवं उत्तरदायी व्यवस्था को लाग करना।
  • खनिज आाधारित उत्पाद, हस्तशिल्प, हस्तकरघा, कृषि, प्रोस्टेट खाद्य पदार्थ आदि पारंपरिक निर्यात को बढ़ावा देना तथा इसके लिए कुशल एवं तकनीकी प्रणाली का विकास करना।
  • निश्चित समय के अंदर विमानों द्वारा मौसमी फूलों , फलों एवं सब्जियों को निर्धारित स्थानों तक पहुँचाना।
  • वर्तमान में निर्यांत करने वाली इकाईयों पर ध्यान देना तथा निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु उनहें आवश्यक्र सहयोग प्रदान करना।
  • गुणवत्तायुक्ति प्रबंधन और पर्यावरण प्रबंधन की व्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार विकसित करना ताकि निय्यात को अंतराष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अधिकाधिक साझेदारी का विकास करने हेतु उचित प्रयास करना।
  • निर्यातकों के बीच वित्तीय सहायता पहुँचाना।
  • समय-समय पर नियात जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना ताकि नियोतिकों एवं अन्य लोगों में संबंधी विषयों के संबंध में जागरूकता पैदा किया जा सके।

उपरोक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए झारखण्ड सरकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एकल खिड़की व्यवस्था, मजबूत एनालीटिकल डाटा, ई-गवनेंस, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, शोध एवं विकास कार्यक्रम आदि को प्रोत्सड़ित करने हेतु प्रयासरत है।

झारखण्ड फिल्म नीति – 2015

  • राज्य में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहन देने, लोक कला को बढ़ावा देने तथा राज्य की लोक भाषाओं में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में इारखण्ड फिल्म नीति को लागू किया गया है।
  • इस नीति के तहत राज्य में झारखण्ड फिल्म विकास निगम एवं राज्य-स्तरीय फिल्म विकास परिषद् का गठन किया गया है।
  • राज्य में ‘राज्य फिल्म टेलीविजन संस्थान’ के खूप में संगीत नाट्य अकादमी का विकास प्रस्तावित है। इस संस्था द्वारा राज्य में झारखण्डी लोक संस्कृति पर आधारित फिल्म निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • राज्य में फिल्म सिटी का निर्माण किया जाएगा तथा इसके लिए निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही फिल्म सिटी के निर्माण हेतु औद्योगिक दरों पर सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराया जाएगा।
  • राज्य में फिल्म निर्माण से संबंधित अधिसंरंचना के निर्माण हेत् आसान शतों पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा
  • फिल्म निर्माण से संबंधित उपकरणों को किराये पर उपलब्ध कराया जाएगा।
  • राज्य में मल्टीप्लेक्स के निर्माण हेतु प्रथम वर्ष में 100%, द्वितीय व तृतीय वर्ष में 759 तथा चतुर्थ व पचम वर्ष में 50% अनुदान दिया जाएगा।
  • राज्य में छोटे सिनेमाघरों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ बंद सिनेमाघरों को पुनः शुरू किया जाएगा।
  • सौर ऊर्जा संचालित सिनेमाघरों को कुल निवेश की राशि के 50% के बराबर अनुदान दिया जाएगा।
  • राज्य के सिनेमाधरो द्वारा मनोरंजन कर के अतिरिक्त प्रति टिकट 6 रूपये तथा 3 रूपये का उपयोग एयर-कंडीशनर एवं अन्य सुविधाओं हेतु किया जा सकेगा।
  • राज्य में जिन फिल्मो की शूटिंग 50% हुई है, उन्हें 6 माह के लिए मनोरंजन कर में 50% तक की छूट प्रदान का जाएगी। इसी प्रकार राज्य में 75% शूटिंग की गयी फिल्मों को 6 माह के लिए मनोरंजन कर में 75% तक की छूट प्रदान की जाएगी।
  • सिनेमाधरों में कैप्टिव पावर प्लांट जेनरेटर की स्थापना हेतु 3 वर्षों तक विद्युत कर में छूट प्रदान की जाएगी।
  • राज्य में 75% निर्मित फिल्मों हेतु वित्तपोषण का प्रावधान इस नीति में किया गया है। इस हेतु फिल्म विकास निथि का गठन किया गया है। इस निधि हेतु फिल्म टिकट पर 2 रूपये के अधिभार का प्रावधान किया गया है।
  • राज्य की क्षेत्रीय भाषा में निर्मित फिल्मों को 50% तथा हिन्दी व अन्य भाषाओं की क्षेत्रीय फिल्मों को 25% तक अनुदान देने का प्रावधान इस नीति में किया गया है। इसके लिए 10 करोड रूपये वार्षिक अनुदान की राशि का निर्धारण किया गया है।
  • राज्य में पर्यटन स्थल को विशेष रूप से प्रसारित करने वाली फिल्मों को 50 लाख रूपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • राज्य में फिल्मोत्सव का आयोजन, पुरस्कारों का आयोजन, फिल्म सोसाइटीज को मजबूती आदि के द्वारा जनसाधारण की फिल्मों को लोकप्रिय बनाने हेतु प्रयास किया जाएगा।

झारखण्ड औद्योगिक पार्क नीति – 2015

  • झारखण्ड राज्य के निवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य में औद्योगिक पार्क नीति, 2015 का निर्माण किया गया है।
  • यह नीति अधिसूचना जारी करने की तारीख से अगले 5 वर्षों तक लागू रहेगी।
  • इस नीति में प्रावधान किया गया है कि छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट- 1908 की धारा-49 के तहत् औद्यगिक पार्क की स्थापना के लिए उपायुक्त द्वारा अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • इस नीति के तहत राज्य में निजी क्षेत्र, संयुक्त उद्यम एवं निजी-सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से औद्योगिक पार्क की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इसका निर्माण 50 एकड़ भूमि पर किया जाएगा, जिसमें कम – से कम 15 औद्योगिक इकाईयों की स्थापना की जाएगी।
  • निजी क्षेत्र अथवा संयुक्त उद्यम (पीपीपी) में विशिष्ट औद्योगिक पार्क की स्थापना हेतु कम से कम 10 एकड़  भूमि तथा 5 औद्योगिक इकाईयों की स्थापना किया जाना अनिवार्य है।
  • निजी क्षेत्र में औद्यगिक पार्क की स्थापना हेतु भूमि की व्यवस्था स्वयं निजी क्षत्र द्वारा की जाएगी। परंतु राज्य सरकार के पास भूमि उपलब्ध है, तो सरकार द्वारा औद्योगिक पार्क हेतु निर्धारित कुल भूमि का अधिकतम  35% आवंटित किया जा सकता है। इस भूमि का आवंटन कम से कम 30 वर्षों के लिए किया जाएगा
  • निजी औद्योगिक पार्क हेतु आवंटित कूल भूमि का 60% औद्योगिक इकाईयों हेतु तथा 40% सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों की स्थापना हेतु आरक्षित होगा। कुल आवंटित भूमि का 40% आधारभूत संरचना या हरित क्षेत्र के रूप में किया जाना अनिवार्य होगा।
  • निजी औद्योगिक पार्क को आधारभूत संरचना निर्माण हेतु राज्य सरकार द्वारा कुल परियोजना लागत का 50% या अधिकतम 10 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। इसी प्रकार विशिष्ट औद्योगिल पार्क हेतु कुल परियोजना लागत का 50% अथवा अधिकतम 7 करोड़ रूपये वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।
  • औद्योगिक पार्क हेतु दी जाने वाली वित्तीय सहायता की अधिकतम अवधि 10 वर्ष होगी जिसका 5 वर्ष पर नवीकरण किया जाएगा।
  • निजी औद्योगिक पार्क को अनुमोदित किए जाने की तिथि से तीन वर्ष के अंदर पूरा करना होगा। निर्धारित अवधि में औद्योगिक पार्क का निर्माण नहीं किए जाने पर अथवा नियमों को तोड़ने पर राज्य सरकार मंत्रिपरिषद की मंजूरी से राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक पार्क का अधिग्रहण कर लिया जाएगा।

झारखण्ड ऑटोमोबाइल एवं ऑटो-कंपोनेंट नीति – 2015

  • भारत विश्व में दोपहिया वाहनों का दसरा सबसे बड़ा विनिर्माण करने वाला देश है तथा झारखण्ड राज्य ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट के विनिर्माण की दृष्टि से देश का अग्रणी राज्य है।
  • देश के अन्य शहरों के साथ साथ झारखंड राज्य में जमशेदपुर – आदित्यपुर शहर ऑटो क्लसटर के रूप में विकसित हुआ है।
  • राज्य में ऑटो विनिर्माण की वृहद् संभावनाओं की दृष्टि  से वर्ष 2015 में झारखण्ड ऑटोमोबाइल एवं ऑटो-कंपोनेंट नीति का निर्माण किया गया है।

इस नीति के प्रमुख उद्दश्य निम्नवत् हैं-

  • झारखण्ड राज्य को पूर्वी भारत में ऑटोमोबाइल एवं ओटो-कंपोनेंट के विनिर्माण के प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करना।
  • इस क्षेत्र में वर्ष 2020 तक अतिरिक्त 50,.000 रोजगार अवसरों का सूजन करना।
  • राज्य में मेगा ऑटो परियोजनाओं को आकर्षित करना, नये ऑटो कलस्टर की स्थापना करना तथा वर्तमान ऑटो कलस्टर को मजबूत करना।
  • राज्य में टीयर-1, टीयर-2 एवं टीयर-3 ऑटो-कंपोनेंट की स्थापना हेतु विनिर्माताओं को प्रोतसाहित करना।
  • वर्तमान में स्थापित अवसंरचनाओं की खामियों की पहचान करना जो ऑटोमोबाइल एवं ऑटे- कंपोनेंट उद्योगों को प्रभावित करते हैं तथा इन कमियों को दूर करना।
  • राज्य में सार्वजनिक -निजी भागीदारी पर आधारित कुशलता विकास को प्रोत्साहित करना।

झारखण्ड सिंगल विंडो क्लीयरेंस एक्ट – 2015

  • राज्य में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने हेतु वर्ष 2015 में झारखण्ड सिंगल विंडो क्लीयरेंस कानून अधिनियमित किया गया है।

नीति का उद्देश्य 

  • औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • विभिन्न अनुज्ञप्तियों, अनुमतियों तथा स्वीकृतियों को त्वरित एवं समयबद्ध मंजूरी प्रदान करना।
  • नए निवेशों को सुगम एवं सरल बनाकर राज्य में निवेशोनूकूल माहौल तैयार करना।
  • विनियामक ढांचे को सरल बनाना।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • अधिनियम के उद्देश्यां को पूरा करने हेतु एक शासी निकाय का गठन किया जाएगा जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। इस निकाय के अन्य सदस्य उद्योग मंत्री, वित्त मंत्री, राजस्व व भूमि सुधार मंत्र तथा मुख्य सचिव होंगे। उद्योग सचिव इस निकाय के सदस्य सचिव होंगे।
  • शासी निकाय का मुख्य कार्य सिंगल विंडो एवं उद्योग सरलीकरण हेतु रणनीति दिशा-निर्देश तय करना होगा।
  • अधिनियम के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा जिसकी प्रमुख कार्य उद्योग सरलीकरण एवं एकल खिड़की मंजूरी हेतु एकल खिड़की मंजूरी समिति, एजेंसी, जिला स्तरीय नोडल एजेंसी एवं जिला कार्यकारिणी समिति के कार्यों का नियमित रूप से निरीक्षण, पर्यवेक्षण एवं समीक्षा करना होगा।
  • उद्योग विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक एकल खिड़की मंजरी समिति का गठन किया जाएगा जिसका प्रमुख कार्य किसी उद्यम स्थापना या उसके संचालन की शुरूआत हेतु मंजूरी प्रदान करना होगा।
  • अधिनियम के प्रावधानों के तहत जिला के उपायुक्त की अध्यक्षता में एक जिला कार्यकारिणी समिति का गठन किया जाएगा जिसका प्रमुख कार नियमित रूप से जिला स्तरीय नोड़ल एजेंसी के कामकाज का अनुश्रवण, पर्यवेक्षण एवं समीक्षा करना होगा।
  • जिला स्तरीय नोडल एजेंसी जिले में निवेश प्रोत्साहन गतिविधियों में सहायता प्रदान करेगी। यह उद्यमियों को विविध मंजूरियों हेतु उचित मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

झारखण्ड खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति – 2015

  • झारखण्ड राज्य की लगभग आधी आबादी कृषि एंव प्राथमिक क्षेत्र में संलग्न है। राज्य की जलवायविक दशा भी कृषि कार्य के अनुकूल है। अतः राज्य में कृषि एवं संबड्ध गतिविधियों के विकास की असीम संभावनाएँ मौजूद हैं। राज्य में खा्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास द्वारा जहाँ रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करते हुए आय के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं।
  • राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास की संभावनाओं के मद्देनजर ही वर्ष 2015 में झारखण्ड खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का निर्माण किया गया है।
  • इस नीति का प्रमुख उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हेतु राज्य में अनुकूल वातावरण का निर्माण करना, पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना, तकनीकी उन्नयन, विपणन नेटवर्क का विकास करना तथा अनुदान व रियायत प्रदान करना है।

इस नौति के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-

  • प्लांट व संयंत्र व तकनीकी सिविल कार्य की कुल लागत का 35 प्रतिशत सहायता प्रदान किया जाएगा।
  • परतु सामान्य क्षेत्रों में सहायता की अधिकतम राशि ₹500 लाख तथा एकीकृत जनजाति विकास परियोजना (TTDP) क्षेत्र में सहायता की राशि 45 प्रतिशत तक होगी।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्र / संग्रह केन्द्र की स्थापना हेतु लागत का 50 प्रतिशत एवं 75 प्रतिशत ITDP क्षेत्र हेतु सहायता राशि के रूप में दी जाएगी। जिसकी अधिकतम सीमा 2.5 करोड़ रूपए होगी। 
  • शीतगृह, मूल्य वर्धन एवं संरक्षण ढाँचे के निर्माण की कुल लागत का 35 प्रातशत (आधकतम 7 करोड़ रूपये ) सहायता अनुदान के रूप में दिया जाएगा। ITDP क्षेत्र हेतु यह राशि कुल लागत का 50 होगा।
  • मांस एवं मछली के दुकान की स्थापना या आधुनिकीकरण हेतु परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम 5 लाख रूपये) सहायता अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। ITDP क्षेत्र हेतु यह राशि का 75 प्रतिशत होगा।
  • गढ़वा एवं पलामू जिले दाल के अधिक उत्पादन के मद्देनजर दाल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी।
  • लातेहार जिले में टमाटर के वृहृद उत्पादन के मद्देनजर टमाटर प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी।

झारखण्ड चारा प्रसंस्करण उद्योग नीति – 2015

  • झारखण्ड राज्य में पशुपालन के विकास की असीम संभावनाएँ विद्यमान हैं, जिसमें मांस, डेयरी, सुअर पालन, बकरी पालन, कुक्कूट पालन एवं मत्स्यन शामिल है। इस क्षेत्र के विकास हेतु उपयुक्त चारे की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण शर्त है।
  • राज्य में पशुपालन के विकास की संभावनओं के परिप्रेक्ष्य में ही झारखण्ड चारा प्रसंस्करण उद्योग नीति – 2015 का निर्माण किया गया है।
  • इस नीति का प्रमुख उद्देश्य राज्य में चारा उत्पादन संभावनाओं का दोहन करना है, कृषि उपउत्पादों की मांग में वृद्धि कर किसानों को भी इसका लाभ प्रदान किया जा सके।
  • इस नीति का अन्य उद्देश्य चारा प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना हतु राज्य में अनुकूल वातावरण का निर्माण करना, पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना, तकनीकी उन्नयन, विपणन नेटवर्क का विकास करना तथा अनुदान व रियायत प्रदान करना है।

इस नीति के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-

  • सामान्य क्षेत्रों में प्लांट व संयंत्र व तकनीकी सिविल कार्य की कृल लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 500 लाख रूपये) सहायता प्रदान किया जाएगा।
  • एकीकृत जनजाति विकास परियोजना (ITDP) क्षत्र में सहायता की राशि 45 प्रतिशत (अधिकतम 500 लाख रूपये) तक होगी।

झारखण्ड राज्य सौर ऊर्जा नीति – 2015

राज्य में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने तथा ऊर्जा के नवीकरणीय सोतों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में झारखण्ड राज्य सौर ऊर्जा नीति लागू किया गया है। इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं –

  • निजी क्षेत्र की सहायता से वर्ष 2020 तक 2650 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करना।
  • सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण हेतु उपयुक्त वातावरण का निर्माण करना।
  • राज्य में पर्यावरण प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित करना।
  • राज्य में सौर ऊर्जा के उत्पादन हेतु स्थानीय विनिर्माण इकाईयों को प्रोत्साहित करना तथा रोजगार सृजन करना।

इस नीति के तहत ऊर्जा उत्पादन हेतु आगामी वर्षों के संबंध में निम्न लक्षण निर्धारित किया गया। 

विवरणFY
2015-16
FY
2016-17
FY
2017-18
FY
2018-19
FY
2019-20
कुल
सोलर फोटोवॉलटीक पावर प्लांट्स1002505005007502100
रूफ़टोप सोलर पावर प्लांट्स2550100125200500
सोलर थर्मल पावर प्लांट्स51010101550
कुल1303106106359652650

इस नीति क प्रमुख प्रावधान निम्नवत् हैं-

  • रज्य सरकार के द्वारा सोलर पार्क की स्थापना हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। तथा इस हेतु राज्य में अनुत्पादक भूमि या अन्य परती भूमि को सोलर पार्क हेतु आवंटित किया जाएगा।
  • सोलर पार्क की स्थापना हेतु झारखण्ड स्टेट इलेक्टिसिटी रेगलेटी कमीशन (JSERC) द्वारा आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा। तथा इस हेतु राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगा।
  • सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने हतु जरेडा (JREDA – Jharkhand Renewable Energy Development Agency) को नोडल एजंसी बनाया गया है।
  • झारखण्ड सरकार द्वारा सरकारी और निजी भवनों पर रूफटॉप प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए 53 सरकारी भवनों का चयन किया गया है।
  • सौर ऊर्जा के क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली परियोजनाओं पर 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क में छूट प्रदान किया जाएगा।
  • सौर ऊर्जा संयंत्र को डीम्ड उद्योग का दर्जा प्रदान किया जाएगा ताकि इस क्षेत्र पर झारखण्ड औद्योगिक नीति के नियम लागु न हों।
  • आवासीय उपभोक्ताओं द्वारा अपने छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर उन्हें वाणिज्यिक छूट प्रदान की जाएगी।
  • सौर संयत्र में प्रयुक्त उपकरणों को मूल्य वर्धित कर के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
  • सौर ऊर्जा इकाईयों को प्रदूषण क्लियरेंस से छूट प्रदान की जाएगी तथा इन्हें झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।

झारखण्ड मद्य निरषेध नीति – 2016

वर्ष 2016 में राज्य में मद्य निषेध नीति को लागू करते हुए निम्न प्रावधान किया गया है।

  • शराब की सभी बोतलों पर अनिवार्य रूप से यह अंकित किया जाएगा कि ‘मदिरापान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को शराब की बिक्री करना प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • राज्य में शराब के प्रचार व प्रसार को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • राज्य में 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या वाले अनुसूचित ग्राम पंचायतों में शराब की दुकान खोलना प्रतिबंधित कर दिया गया है।
  • राज्य में पचवई की दुकानों की बन्दोबस्ती नहीं की जाएगी तथा इसकी खुदरा बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है। केवल जनजातीय त्योहारों व सामाजिक कार्यक्रम के अवसरों पर सीमित मात्रा में पचवई का निर्माण करना व उसे रखने की छूट होगी।
  • 15 अगस्त, 26 जनवरी, गाँधी जयंती, रामनवमी, दशहरा, होली, ईद व मुहरेम पर्व के अवसर पर राज्य में शुष्क दिवस घोषित है। तथा इस दिन शराब की बिक्री प्रतिबंधित होगी।

झारखण्ड राज्य की स्टार्टअप नीति – 2016

  • राज्य सरकार द्वारा 6 अक्टूबर, 2016 को झारखण्ड स्टार्टअप नीति-2016 की घोषणा की गई है।
  • इसका प्रमुख लक्ष्य 2021 तक स्टार्टअप के क्षेत्र में झारखण्ड को अग्रणी राज्यों में शामिल करना है।
  • इसके लिए सरकार ने नवोन्मेष हेतु उचित वातावरण उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • नीति के तहत 1000 सामान्य स्टार्टअप तथा 1500 कल्पना आधारित स्टार्टअप पर काम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • एक लाख वर्ग फीट क्षेत्र में स्टार्टअप के तहत इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत राज्य के 10 प्रतिष्ठित संस्थानों को इन्क्यूबेशन सेंटर खोलने हेतु 50 -50 लाख रूपये की राशि का अनुदान प्रदान किया जाएगा। यह राशि प्रत्येक शिक्षण संस्थानों को पांच वर्ष तक मिलेगी।
  • अगले पांच वर्षों में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके लिए 250 करोड़ रूपये की व्यवस्था करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर भी कोष की व्यवस्था की जाएगी।

झारखण्ड वस्त्र, परिधान और फूटवियर नीति – 2016

  • झारखण्ड में उद्योग एवं प्रोत्साहन नीति-2016 में टेक्सटाइल क्षेत्र को झारखंड में एक विशेष क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है।
  • रेशम क्षेत्र में झारखण्ड ने महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है तथा झारखण्ड देश में सर्वाधिक तसर रेशम उत्पादित करने वाला राज्य है। यहाँ देश के कुल तसर रेशम का लगभग 40% उत्पादित किया जाता है।
  • झारखण्ड राज्य में उत्पादित तसर रेशम अपनी गुणवत्ता के कारण वैश्विक स्तर पर जाना जाता है तथा अमेकिा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे विकसित देशों में इसकी बहुतायात में मांग है।
  • राज्य में रेशम के डिजाइन, प्रशिक्षण, उद्यमिता, विपणन व उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा झारखण्ड सिल्क टेक्सटाइल एवं हैंडिक्रॉप्ट विकास प्राधिकरण (झारक्रॉप्ट) का गठन वर्ष 2006 में किया गया था। इसके माध्यम से राज्य में लगभग दो लाख रेशम कीट पालकों, सूत कातने वाले लोगों, बुनकरों एवं शिल्पकारों को रोजगार हेतु सहायता प्रदान किया जा रहा है।
  • झारक्रॉफ्ट द्वारा राज्य एवं देश के विभिन्न शहरों में 18 आउटलेट का संचालन भी किया जा रहा है। इसमे राँची, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरू, अहमदाबाद एवं मुंबई प्रमुख हैं।
  • झारखण्ड रेशम उत्पादन के साथ-साथ सूती धागों व हैन्डलूम वस्तुओं के उत्पादन में भी देश का अग्रणीं राज्य है। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य में कपास ऊन बुनाई, हैन्डलूम कपड़ों की बुनाई, ऊन व रेशमी धागा आदि को भी प्रोत्साहित करने हेतु गंभीर प्रयास किया जा रहा है।
  • इस प्रकार की वस्तुओं के निर्माण की दृष्टि से रांची, लातेहार, पलाम्, रामगढ, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज एवं खूँटी प्रमुख जिले हैं।
  • राज्य में सरकार ने राजनगर (सरायकेला- खरसावाँ) व इरबा (रांची) सिल्क पार्क तथा देवघर में मेगा टेक्सटाइल पार्क की स्थापना की है। साथ ही देवघर, दमका साहेबगंज गोड्डा, पाकुड़ एवं जामताड़ा जिले को भारत सरकार की ओर से मेगा हैंडलूम कलस्टर योजना में शामिल किया गया है।

झारखण्ड सरकार की वस्त्र, परिधान और फुटवियर नीति, 2016 के उदेश्य निम्नवत् है-

  • समग्र टेक्सटाइल क्षेत्र में उच्च एवं सतत् वृद्धि दर प्राप्त करना।
  • टेक्सटाइल क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करना।
  • सहकारी क्षेत्र की कताई मिलों को बेहतरी हेतु प्रोत्साहित करना।
  • विद्युतकरघा क्षेत्र के अधुनिकीकरण द्वारा उन्हें मजबूती प्रदान करना ताकि वे उत्तम कोटि के वस्त्रों का निर्माण कर सकें।
  • टेक्सटाइल उत्पादन क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का सद्पयोग करके उसकी गुणवत्ता, डिजाइन एवं विपणन को बढ़ावा देना।
  • आयात को प्रतिस्थापित करना।
  • टेक्सटाइल उद्योगों के विनियमन संबंधी नियमों का उदारीकरण करना, ताकि इस क्षेत्र को अधिकाधिक प्रतिस्पर्द्धात्मिक बनाया जा सके।
  • इस क्षेत्र में कुशल कामगारों का निर्माण करना तथा इस नीति के तहत 5 लाख रोजगार सृजन करना।

झारखण्ड किफायती आवास नीति – 2016

  • इस नीति का निर्माण केन्द्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी’ के अंतर्गत ‘सभी के लिए आवास’ के तहत 2016 में की गयी है।
  • इस नीति का प्रमुख लक्ष्य ‘शहरी क्षेत्रों में सभी परिवारों के लिए किफायती आवास’ प्रदान करने हेतु सक्षम वातावरण का निर्माण करना है।
  • इस नीति के तहत आवास की कमी को दूर करने हेतु सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) पर बल दिया जायेगा।
  • इस योजना के अंतर्गत कमजोर वर्गों यथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (पिछड़े वर्ग अल्पसंख्यकों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों व दिव्यांगों को लक्षित किया जायेगा।
  • इस नीति के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी तथा प्राइवेट डेवलपर्स द्वारा निर्मित की जाने वाली कॉलनियों में तथा EWS के LIG लिए आवास को आरक्षित किया जायेगा। 4000 वर्ग मीटर की कॉलनियों में न्यूनतम 10% तथा 3000 वर्ग मीटर की कॉलनियों में न्यूनतम 15% आवास अति कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित होगा।
  • सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत निर्मित कॉलनियों हेतु सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराया जायेगा। कुल उपलब्ध भूमि के 65% भाग पर कॉलोनी का निर्माण तथा 35% भाग पर व्यावसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जायेगा। इस निर्मित कॉलोनी में 50% कमजोर वर्गों हेतु आरक्षित होगा।
  • गंदी बस्ती के पुनर्वास में केन्द्र द्वारा 1 लाख रूपये तक की मदद की जायेगी।
  • इस नीति के तहत 100 सदस्यों वाली सहकारी समितियाँ सरकार द्वारा अनुदानित भूमि पर अपने सदस्यों हेतु आवासीय कॉलोनी का निर्माण कर सकेंगी।
  • नीति के तहत 3 लाख रूपये वार्षिक आय वाले अति कमजोर वर्गों को 300 वर्गफीट तथा 3-6 लाख रुपए आय वाले निम्न आय वगों को 600 वर्गफीट का आवास उपलब्ध कराया जायेगा।
  • इस नीति के तहत शहरी क्षेत्रों में 1200 रूपये प्रति वर्गफीट की दर से आवास उपलब्ध कराया जाएगा।
  • EWS के LIG वर्ग के व्यक्तियों को आवास क्रय हेतु 6 लाख रूपये का ऋण 15 वर्षों हेतु उपलब्ध कराया जायेगा। इस पर 6.5% वार्षिक की दर से ब्याज लिया जायेगा।
  • व्यक्तिगत आवास के निर्माण हेतु केन्द्र की ओर से 1.5 लाख रूपये तथा राज्य सरकार की ओर से 75 हजार रूपये का अनुदान प्रति लाभुक प्रदान किया जायेग।
  • आवास का वितरण लॉटरी के माध्यम से किया जायेगा।

इारखण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन एवं विनिम्माण नीति – 2016

नीति का उद्देश्य

  • राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मांग को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाना।
  • कच्चे माल व उपकरणों की आपूर्ति हेतु एक श्रृंखला का निर्माण करना।
  • 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के निर्यांत में झारखण्ड की भागीदार 2 बिलियन सुनिश्चित करना।
  • अगले 10 वर्षो में राज्य में न्यूनतम 50 संबंधित इकाईयों का विकास करना।
  • इस उद्योग के विकास हेतु मानव संसाधन को प्रशिक्षित करना।
  • ग्रामीण आवश्कताओं को पूरा करने हेतु पर्याप्त उपकरणों का निर्माण करना।

सरकार की रणनीति

  • रांची, जमशेदपुर तथा धनबाद में न्यूनतम 200 एकड़ भूमि पर इएसडीएम (ESDM) नवाचार हब का निर्माण किया जायेगा।
  • स्थानीय कच्चा माल का उपयोग करने वाली कंपनियों को वित्तीय अनुदान प्रदान किया जायेगा।
  • निवेशकों को आवश्यकतानुसार भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी।
  • सरकार द्वारा सड़क, बिजली, पानी आदि आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जायेगा।

सरकार द्वारा प्रदत्त अनुदान

  • कुल पूंजी लागत का अधिकतम 20% अनुदान दिया जायेगा।
  • सभी इएसडीएम (ESDM) इकाईयों को 5 वर्ष तक आयकर में छूट प्रदान किया जायेगा।
  • सभी इएसडीएम (ESDM) इकाईयों को स्टाम्प शुल्क, स्थानांतरण कर एवं पंजीकरण कर में छूट प्रदान किया
  • जायेगा।
  • इएसडीएम (ESDM) इकाईयों द्वारा विदेशों से कच्चा माल लाने पर वाणिज्य कर में 50% की छूट दी जायेंगी।
  • सौर ऊर्जा संयंत्रों को 10 वर्ष तक विद्युत कर से राहत प्रदान किया जायेगा।
  • आवासीय उपभोक्ताओं द्वारा रूफटॉप सौर तकनीक का प्रयोग करने पर उन्हें विद्युत कर में छूट प्रदान किया जायेगा।

झारखण्ड बीपीओ/बीपीएम नीति – 2016

नीति का लक्ष्य

  • राज्य को बीपीओ तथा बीपीएम क्षेत्र में समग्र रूप से वरीयता राज्य के रूप में विकसित करना ताकि राज्य के लोगों हेतु रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकें।

नीति का उद्देश्य

  • वर्ष 2021 तक राज्य के जिलों में संचालित बीपीओ व बीपीएम की सहायता से 15000 लोगों को रोजगार नीति की रणनीति उपलब्ध कराना।
  • सभी जिलों के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ व बीपीएम इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहन देना।
  • आईटी व आईटीइ सेवाओं को प्रोत्साहन देने हेतु छोटे शहरों में विकास व बुनियादी सुविधाओं का विका करना।

नीति की रणनीति 

सहायिकी तथा प्रोत्साहन – इस नीति के तहत सूचीबद्ध बीपीओ व बीपीएम व संबंधि गतिविधियों को सहायिकी तथा प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा।

1. भुमि लागत संबंधी प्रोत्साहन – वैसे कर्मचारी जो झारखण्ड राज्य के रहने वाले हैं या झारखण्ड से 10वीं कक्षा से उपर की पढ़ाई किये हों, उन्हें 30,000 की दर से भूमि लागत की प्रतिपूर्ति की जायेगी।

2. पंजीगत प्रोत्साहन – ए टाइप शहरों में 5 वर्ष, बी टाइप शहरों में 7 वर्ष तथा सी टाइप शहरों में 9 वर्ष हेतु प्रति सीट अधिकतम 1 लाख रूपये तक का सब्सिडी प्रोत्साहन व पुनर्भुगतान किया जायेगा।

3. कार्यकारी भुगतान संबंधी प्रोत्साहन – बीपीओ तथा बीपीएम इकाईयों को लीज या किराया पर अधिकतम 15.000 रूपये प्रति सीट प्रतिवर्ष 3 वर्षों तक के लिए प्रतिपूर्ति की जायेगी। इसके अंतर्गत प्रथम र्ष में 100%, द्वितीय वर्ष में 75% तथा तीसरे वर्ष में 50% की प्रतिपूर्ति की जायेगी।

अन्य प्रोत्साहन

  • 3 वर्षों तक दूरसंचार लागत के 50% की प्रतिपर्ति की जायेगी, जो अधिकतम 30 000 रूपये प्रति सीट प्रतिवर्ष होगी।
  • इंटरनेट ब्रॉडबैंड की लागत की 50% प्रतिपर्ति की जायेगी, जो अधिकतम 40.000 रूपये प्रति सीट होगी।
  • सौर ऊर्जा लागत के 15% तक की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
  • बीपीओ तथा बीपीएम इकाईयों को 3 वर्ष तक विद्युत शुल्क की प्रतिपर्ति प्रदान की जायेगी।
  • 4000 रूपये प्रतिमाह की दर से प्रशिक्षण संबंधी लागत की प्रतिपूर्ति की जायेगी। यह प्रतिपूर्ति प्रति व्यक्ति 3 माह तक की जायेगी।
  • राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शनी में भाग लेने हेतु 2 लाख रूपये तक की प्रतिपूर्ते की जायेगी।
  • बीपीओ तथा बीपीएम प्रोफेशनलों को 3 वर्ष तक ईपीएफ में 500 रूपये का सहयोग दिया जायेगा।
  • बीपीओ तथा बीपीएम इकाईयों को पहली बार नियोजन में सहायता हेतु प्रति कर्मचारी 10000 रूपये की सहायता प्रदान की जायेगी।
  • दिव्यांग कर्मचारियों को 500 रूपये की अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।

झारखण्ड की खेल नीति – 2020

  • झारखण्ड खेल नीति की घोषणा 29 दिसंबर, 2020 को की गयी है।
  • इस नीति का उद्देश्य झारखण्ड राज्य में खेलकद को प्रोत्साहित करना है।
  • इसमें राज्य के खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, विद्यालय स्तर पर खेलकूद की अनिवार्यता, पदक जीतने पर खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार, प्रशिक्षकों को पुरस्कार, राज्य के पुराने खिलाड़ियों को सम्मान व पेंशन, दिव्यांग खिलाड़ियों को प्राथमिकता आदि महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं।
  • राज्य के खिलाड़ियों व कोच को प्रोत्साहित करने हेतु ‘जयपाल सिंह मुण्डा अवार्ड’ प्रदान किया जायेगा।
  • सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में प्राथमिक से उच्च – माध्यमिक स्तर तक के पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा एवं खेल को अनिवार्य बनाया जायेगा।
  • विद्यालय परिसर में प्रतिभाशाली बच्चों को उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • सभी सरकारी व निजी विद्यालयों में कम-से-कम एक घंटे शारीरिक गतिविधियों व खेल के लिए निर्धरित होगा।
  • कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में खेलों का विकास किया जायेगा।
  • राज्य के प्रत्येक विधानसभा में कम-से- कम एक विद्यालय (जिसके पास खेल का मैदान या स्टेडियम हो) को चिन्हित करके उसमें खेल की सचुचित सुविधाएँ उपलब्ध करायी जायेंगी तथा उसे ग्रामीण खेल केन्द्र को रूप में विकसित किया जायेगा।
  • ग्रामीण खेल केन्द्रों के लिए अनुबंध पर दो वर्ष हेतु एक खेल मित्र की बहाली की जायेगी, जो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पसंदीदा खेलों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करेगा।
  • राज्य में खेल अकादमी तथा खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जायेगी।
  • राज्य के मेगा स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स में खेल विश्वविद्यालय शुरू किया जायेगा।
  • राज्य में उच्च प्राथमिकता वाले खेलों के लिए एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की जाएगी जिसमें खिलाड़्यों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • खेल निदेशालय द्वारा समय-समय पर तय मानदंडों के अनुसार खिलाड़ियों का चयन किया जायेगा। इन खिलाड़ियों को निःशुल्क आवास, बोडिंग, खेल किट, खेल उपकरण, प्रतियोगिता दर्शन और पोषण विशेषज्ञ का समर्थन व चिकित्सा सहायता प्रदान की जायेगी।
  • खेल निदेशालय की ओर से प्रतिवर्ष ‘खेल प्रतिभा खोज’ का आयोजन किया जायेगा।

दिव्यांगों हेतु प्रावधान

  • दिव्यांग खिलाड़ियों को समान अवसर प्रदान करते हुए उनके लिए जिला-स्तरीय स्टेडियम की सुविधा प्रदन की जायेगी तथा पदक जीतने पर नकद पुरस्कार भी प्रदान किया जायेगा।

खेल संघों को अनुदान हेतु प्रावधान

  • खेल विभाग से मान्यता प्राप्त खेल संघों को ही राज्य सरकार की ओर से अनदान प्रदान किया जायेगा।
  • खेल संघों को सोसाइटी एक्ट के तहत निबंधन कराना अनिवार्य होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन हेतु अधिकतम 1 करोड़ रूपये की राशि अनुदान स्वरूप प्रदान की जायेगी। इसमें से 50% राशि तत्काल तथा 50 प्रतिशत राशि ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद दी जायेगी।
  • अन्य खेलों के आयोजन हेतु भी अनुदान प्रदान किया जायेगा।

ओलंपिक खेल में मिलने वाला पुरस्कार राशि

पदकइनाम राशि
स्वर्ण पदक2 करोड़
रजत पदक1 करोड़
कांस्य पदक75 लाख

विश्वकप या विश्व चॅम्पियन में मिलने वाले इनाम राशि

पदकइनाम राशि
स्वर्ण पदक20 लाख
रजत पदक15 लाख
कांस्य पदक10 लाख

झारखण्ड की पर्यटन नीति – 2020

  • इस नीति को पर्यटन नीति-2015 के तर्ज पर तैयार किया गया है।
  • इस नीति का उद्देश्य भारत के पर्यटन मानचित्र पर झारखण्ड को अनिवार्य गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
  • नीति में पर्यटन के क्षेत्र में 75 000 रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस नीति के तहत निवेशकों को निवेशित पूंजी का 30% या अधिकतम ₹10 करोड़ की सब्सिड़ी प्रदान की जायेगी।
  • अधिसूचित क्षेत्र में निवेश करने पर निवेशकों को 5% की अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान की जायेगी।
  • रज्य में पर्यटन इकाई शुरू करने पर बिजली की दरों में 30% की छूट प्रदान की जायेगी।
  • पर्यटन इकाई की स्थापना हेतु निवेशकों द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज में 50% या अधिकतम ₹25 लाख तक की छूट (5 वर्षों के लिए) प्रदान की जायेगी।
  • नये पर्यटन इकाई को 5 वर्षों तक राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) के भुगतान में 75% की छूट तथा स्टॉम्प शुल्क में 2% तक की छूट प्रदान की जायेगी।

अन्य तथ्य

  • मधुबन तथा पारसनाथ के प्रबंधन हेतु पारसनाथ विकास प्राधिकार की स्थापना की जायेगी।
  • देवघर के तर्ज पर ईटखोरी तथा बासूकीनाथ का विकास किया जायेगा।
  • लातेहार-नेतरहाट- चांडिल-बेतला- दालमा-मिरचईया – गेतलसुद सर्किट जैसे पारिस्थितिकी सर्किट का विकास किया जायेगा।
  • नेतरहाट के विकास पर विशेष बल प्रदान किया जायेगा।
  • एकीकृत जनजातीय कॉम्प्लेक्स का विकास किया जायेगा ताकि जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित किया जा सके।
  • ग्रामीण पर्यटन समिति का गठन वकिया जायेगा।
  • स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देने हेतु एडवेंचर पर्यटन संस्थान की स्थापना की जायेगी।
  • राज्य में फिल्म सिटी की स्थापना की जायेगी तथा राज्य में किसी भी फिल्म की शुटिंग पर फिल्म निर्माण की कुल लागत का 15% सब्सिडी प्रदान किया जायेगा।

झारखण्ड की सीएसआर नीति – 2020

  • यह झारखण्ड की पहली कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी पॉलिसी (सीएसआर नीति) है।
  • इस नीति की घोषणा 4 फरवरी, 2021 को की गयी है।

नीति का उद्देश्य

  • राज्य में सीएसआर निवेश को आकर्षित करने हेतु उचित वातावरण तैयार करना तथा विभिन्न चुनौतियों से निपटने हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन व्यवहार आपनाना।
  • राज्य सरकार, कॉरपोरेट एवं सिविल सोसाइटी के बीच साझेदारी का निर्मित करना तथा उनकी प्राथमिकता व गतिविधियों को सुगमता प्रदान करना।
  • संसाधनों को समूचित उपयोग हेतु केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वरा संचालित योजनाओं के बीच तालमेल बैठाना व पारदर्शी वातावरण का निर्माण करना।
  • सीएसआर गतिविधियों को सही तरीके से लागू करने हेतु फ्रेमवर्क करना तथा सीएसआर कोष का प्रभावी उपयोग करना।
  • समुदाय व वातावरण पर सतत् व दीर्घकालिक प्रभाव उत्पन्न करने हेतु सीएसआर परियोजनाओं की प्राथमिकता निर्धारित करना।

सीएसआर को का स्रोत

  • निजी व सार्वजनिक काॅरपोरेट
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
  • व्यक्तिगत व अन्य इकाईयां
  • कॉरपोरेट सरकार के साथ प्रत्यक्ष साझेदारी में या किसी गैर- लाभकारी फाउंडेशन के द्वारा या अन्य किसी गैर-सरकारी संगठन के द्वारा या अन्य कॉरपोरेट के साथ मिलकर सीएसआर गतिविधियों में शामिल हो सकंगे।

अन्य तथ्य

सीएसआर कोष की अनुमति दो स्तरों पर दी जायेगी-

  • स्तर-1 – उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित सीएसआर समिति द्वरा। इस स्तर पर कम राशि के काष का अनुमति प्रदान की जा सकेगी।
  • स्तर-2 – शासकीय निकाय/कार्यपालक परिषद् द्वारा। इस स्तर पर अधिक राशि के कोष की अनुमीति दी जायेगी। इस स्तर पर सीएसआर राशि का निर्धारण उद्योग विभाग द्वारा किया जायेगा।
  • एक सीएसआर पोर्टल को संचालित किया जायेगा ताकि इस नीति को पारदर्शिता के साथ व प्रभावी ढग स क्रियान्वित किया जा सके।
  • एक झारखण्ड सीएसआर प्राधिकरण का गठन किया जायेगा। इस प्राध्धिकरण के गठन के साथ ही पूर्व में गाठत झारखण्ड सीएसआर परिषद् स्वत: भंग हो जायेगी।

सीएसआर प्राधिकरण की संरचना

पदाधिकारी का नामप्राधिकार
मुख्यमंत्रीअध्यक्ष
उद्योग सचिवमुखय कार्यकारी अधिकारी
योजना सह वित्त सचिवसदस्य
विधालय शिक्षा एवं साक्षारता सचिवसदस्य
स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा व परिवार कल्याण सचिवसदस्य
ग्रामीण विकास सचिवसदस्य
श्रम नियोजन व प्रशिक्षण सचिवसदस्य
उद्योग निदेशकसदस्य सचिव
उद्योग विभाग का एक अधिकारी/ परामर्शीनामित किया जाएगा
सीआईआई, झारखंड चैप्टर के चेयरमैनआमंत्रित
फिक्की, झारखंड चैप्टर के चेयरमैनआमंत्रित
एसोचैम, झारखंड चैप्टर के चेयरमैनआमंत्रित
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