Janmashtami 2021) : भगवान श्री कृष्ण जी अवतार कथा

जन्माष्टमी (janmashtami) श्री कृष्ण जी के अवतरित होने के उपलक्ष्य में बड़े ही धूमधाम से हर साल लघभग पुरे भारत में मनाई जाने वाली त्यौहार है। जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाती है, इसी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। विदेश में बसे भारतीय लोग भी बड़े धूमधाम से जन्माष्टमी (janmashtami) का त्यौहार मानते हैं, बहुत से विदेशी लोग भी भगवान श्री कृष्ण जी की आराधना करते हैं उसकी पूजा करते हैं जन्माष्टमी भी मनाते हैं। श्री विष्णु जी कृष्ण जी के रूप में द्वापरयुग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रात में अवतरित हुए थे।

अभी जो वर्तमान में युग चल रहा है वो है कलियुग जिसकी शुरुआत आज से करीब 5122 वर्ष पहले हुईं थी। कलियुग ख़त्म होने का जो समय है वो है 4 लाख 32 हजार जिसमे आज 5122 वर्ष बीत चुके हैं।
वर्तमान में स्वेत बारह कल्प का 28वां महा युग चल रहा है, जिसमें सत्ययुग का 17 लाख 28 हजार वर्ष व्यतित चुका है। 12 लाख छन्नू हजार का ‘त्रेतायुग’ बीत चुका है। उसके बाद 8 लाख 64 हजार का ‘द्वापरयुग’ व्यतित हो चुका है और इसी ‘द्वापरयुग’ में श्री कृष्ण जी का अवतार हुआ था। आज से 5248 वर्ष पहले ‘द्वापरयुग’ में भगवान श्री कृष्ण जी का अवतार हुआ था। जिसकी ख़ुशी में आज यानि कलियुग में जन्माष्टमी (janmashtami) भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के तिथि को मनाते है। वर्तमान समय में कलियुग चल रहा है कलियुग का 4 लाख 32 हजार वर्ष होते हैं जिसमें से वर्तमान में 5122 वर्ष गुजर चुकी है।
तो श्री भगवान कृष्ण जी का अवतार वर्तमान समय से करीब 5248 वर्ष पूर्व मथुरा नगरी में हुआ था। भगवान श्री कृष्ण जी का अवतार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में जब चन्द्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में विराजित हुए थे तब मध्य रात्रि के ठीक 12 : 00 बजे भगवान श्री कृष्ण जी अवतरित होते हैं।

श्री कृष्ण जी का जन्म जन्माष्टमी (janmashtami) को अन्य नाम से भी जाना है जैसे कुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, मोह रात्रि आदि।
जन्माष्टमी (janmashtami) एक बहुत बड़ा पर्व है जिसको सभी को करना चाहिए जिसको करने से इन्सान को बहुत लाभ होता है। जो भी जन्माष्टमी करेंगे उन्हें नियम का पालन करना अति आवश्यक होता है, ये चीजे सभी को अवश्य ध्यान में रखना है।
2021 में जन्माष्टमी (janmashtami) कब मनाई जाएगी?
साल 2021 का जन्माष्टमी (janmashtami) इस बार 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार को मनाया जायेगा।
सभी को जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व जरूर करना चाहिए एक मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व करने से जन्मों जन्मांतर के जितने भी पाप है सब का नाश हो जाता है। और जीवन के सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है, जीवन की सारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। जन्माष्टमी (janmashtami) करने से सन्तान की भी प्राप्ति होती है और अगर आपकी पहले से ही सन्तान है तो संतान की उन्नती के लिए भी इस पर्व को लोग करते हैं।
इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 29 अगस्त 2021 दिन रविवार रात्रि 11:25 बजे से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी। जो 31 अगस्त 2021 दिन मंगलवार मध्य रात्रि 1:59 बजे तक रहेगी, उसके पश्चात् अष्टमी तिथि समाप्त हो जाएगी। सभी सनातन धर्मावलंबियों को जन्माष्टमी (janmashtami) का पर्व अवश्य करना चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण जी का अवतरण होने का जो नक्षत्र है वो है रोहिणी नक्षत्र, तो 2021 में श्री कृष्ण जी का जो अवतरण होने का जो नक्षत्र है वो है 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार के सुबह 6:38 बजे से शुरू होती है। जो अगले दिन तक सुबह 9:43 बजे तक रहेगी इसके बाद 2021 का रोहिणी नक्षत्र खत्म हो जाएगी। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म का जो चन्द्रमा था यानी जो उस समय जो चंद्रमा की स्थिति थी वो उच्च राशि यानि वृषभ राशि में विराजित थी। चंद्रमा वृषभ राशि में पूरे 30 अगस्त 2021 दिन और रात्रि में भी रहेगी, एक राशि में चंद्रमा पूरे सवा दिन तक रहते हैं।
इस बार जन्माष्टमी (janmashtami) का जो समय है वो समय एकदम मेल खा रहे हैं वो चाहे रोहिणी नक्षत्र हो, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन हो सारे के सारे वर्तमान समय से एकदम मिलते हैं।
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जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?
जन्माष्टमी श्री कृष्ण जी के अवतरित होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।
कृष्ण जी का व्रत कौन से दिन रखा जाता है?
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के तिथि से