ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ?
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 6 – 7 मई 2025 को शुरू किया गया एक सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाना था। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें जिसमें 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या कर दी गई थी। जिसमे एक नेपाली नागरिक मारे गए थे। इस हमले में आतंकवादियों ने हिंदू पुरुषों, विशेष रूप से नवविवाहितों को निशाना बनाया था।

ऑपरेशन सिंदूर नाम का महत्व और क्यों रखा गया?
“सिंदूर” हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं के माथे पर लगाया जाने वाला प्रतीक है, जो उनके पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। पहलगाम हमले में कई महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया था। शाहिद हुए पतियों कि पत्नियों के संदर्भ में इस नाम को चुना गया, जो मानवीय और सांस्कृतिक को दर्शाता है। यह योद्धाओं के माथे पर लगाए जाने वाले तिलक से भी जुड़ा है, जो भारत के वीरतापूर्ण जवाब को दर्शाता है। इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” उस दर्दनाक घटना की ओर संकेत करता है, जिससे उनकी मांग सूनी हो गई थी, यह नाम उन विधवाओं के सम्मान और न्याय के प्रतीक के रूप में चुना गया है।
सिंदूर अभियान का विवरण
- लक्ष्य: भारत ने पाकिस्तान और PoK में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया, जो जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों से जुड़े थे।
- स्थान: हमले बहावलपुर, मुरिदके, कोटली, मुज़फ्फराबाद, सियालकोट, भिंबर और तेहरा कलां जैसे क्षेत्रों में किए गए।
- तकनीकी पहलू: भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन में राफेल लड़ाकू विमानों का उपयोग किया, जो SCALP क्रूज़ मिसाइल और AASM HAMMER बमों से लैस थे। यह अभियान लगभग 23 मिनट तक चला।
कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कार्रवाई में 80 से 90 आतंकवादी मारे गए। ये कहाँ तक सच है अभी कुछ बताना मुश्किल है लेकिन वास्तविक रिपोर्ट आने पर अपडेट मिल जाएगा।
- भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से इस अभियान को अंजाम दिया, जिसमें नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का बहावलपुर मुख्यालय और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुरिदके आधार शामिल थे।
- अभियान में परिशुद्ध हथियारों (precision weapons) जैसे स्टैंडऑफ क्रूज मिसाइल और लॉइटरिंग म्यूनिशन्स का उपयोग किया गया, जो भारतीय क्षेत्र से ही दागे गए।
- यह अभियान “केंद्रित, मापा हुआ और गैर-वृद्धिकारी” (focused, measured, and non-escalatory) था, जिसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया।
उद्देश्य:
- पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना।
- भारत ने इस अभियान के जरिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी शून्य सहिष्णुता नीति को दोहराया।
प्रतिक्रिया और प्रभाव:
- भारतीय सेना ने अभियान के बाद कहा, “न्याय हो गया। जय हिंद!”
- पाकिस्तान ने इन हमलों की निंदा की और इसे “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया, दावा किया कि छह स्थानों पर हमले हुए, जिसमें आठ लोग मारे गए।
- भारत ने कई देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, यूएई, रूस) को इस अभियान की जानकारी दी, और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शांति की अपील की।
- जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान द्वारा जवाबी गोलीबारी की गई, जिसमें तीन नागरिक मारे गए और कई घायल हुए।
राजनीतिक और सामाजिक समर्थन:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान की निगरानी की और सशस्त्र बलों को पूर्ण ऑपरेशनल स्वतंत्रता दी थी।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने अभियान की सराहना की।
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य नेताओं ने इसे आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम बताया।
अतिरिक्त प्रभाव:
- अभियान के बाद श्रीनगर हवाई अड्डा बंद कर दिया गया, और जम्मू, पंजाब, और अन्य उत्तरी राज्यों में उड़ानें प्रभावित हुईं।
- जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद किए गए, और कश्मीर विश्वविद्यालय की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
- पाकिस्तान ने इस हमले को “युद्ध की कार्यवाही” करार दिया और दावा किया कि भारतीय वायुसेना के कई लड़ाकू विमान मार गिराए गए, हालांकि भारत ने इन दावों का खंडन किया है।
- पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारी गोलाबारी की, जिसमें भारतीय क्षेत्र में तीन नागरिकों की मौत हुई।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अमेरिका सहित कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है, जो पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने और सीमा पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के लिए शुरू किया गया। इसका नाम और कार्यप्रणाली भारत के सांस्कृतिक और सैन्य संकल्प को दर्शाती है, जो मानवीय संवेदनाओं और वीरतापूर्ण प्रतिक्रिया को जोड़ती है।