पाकिस्तान की वर्तमान (2025) कृषि और औद्योगिक स्थिति
1. पाकिस्तान में कृषि (Farming) की स्थिति
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा, विदेशी मुद्रा आय (निर्यात के माध्यम से), और ग्रामीण आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य फसलें और उत्पादन
- प्रमुख फसलें: गेहूँ, चावल, गन्ना, कपास, और मक्का। ये फसलें कुल फसल मूल्य का 75% से अधिक हिस्सा हैं।
- गेहूँ: पाकिस्तान दुनिया का 8वाँ सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक है। 2018 में उत्पादन 26.3 मिलियन टन था, लेकिन 2025 में सूखे के कारण 30-35% की कमी की आशंका है।
- चावल: दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल और निर्यात वस्तु। 2024/25 में चावल उत्पादन स्थिर है, लेकिन सूखे ने बारानी क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- गन्ना: 2024/25 में उत्पादन 50% तक कम हुआ, जिससे चीनी की कीमतों में वृद्धि की आशंका है।
- अन्य: खट्टे फल (विशेषकर किन्नू), आलू, और दालों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है, जिसमें किन्नू निर्यात में 35% की कमी देखी गई।
- पशुधन: कृषि क्षेत्र में लगभग 11% GDP का योगदान देता है। मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, और मुर्गीपालन से मांस, डेयरी, और ऊन का उत्पादन होता है।
- मत्स्य पालन: कराची में केंद्रित, यह क्षेत्र निर्यात (झींगा, लॉबस्टर) के लिए महत्वपूर्ण है। पंजाब में मछली पालन (GIFT तिलापिया) तेजी से बढ़ रहा है।
वर्तमान चुनौतियाँ
- सूखा और जल संकट:
- 2024-25 का सर्दी मौसम पाकिस्तान के इतिहास में सबसे शुष्क रहा, जिसमें 67% कम बारिश दर्ज की गई। सिंध में 90% और पंजाब में 69% बारिश की कमी ने सिंचाई को प्रभावित किया है।
- पाकिस्तान पानी की कमी की ओर बढ़ रहा है। प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1947 में 5,300 घन मीटर से घटकर 2025 में 1,017 घन मीटर हो गई है, जो पानी की कमी के दहलीज (1,000 घन मीटर) के करीब है।
- सिंचाई प्रणाली, जो दुनिया की सबसे बड़ी है, पुरानी और अकुशल है। 90% पानी कृषि में उपयोग होता है, लेकिन नहरों में रिसाव और बाढ़ सिंचाई से 40% पानी बर्बाद होता है।
- जलवायु परिवर्तन:
- अप्रत्याशित मौसम, बाढ़, सूखा, और गर्मी की लहरें फसलों को नुकसान पहुँचा रही हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण फसल उत्पादकता में 20% की कमी देखी गई है।
- पुरानी तकनीक और बीज:
- अधिकांश किसान पारंपरिक खेती पर निर्भर हैं। आधुनिक उपकरण, जैसे प्रेसिजन फार्मिंग और मृदा स्वास्थ्य निगरानी, तक पहुँच सीमित है।
- निम्न-गुणवत्ता वाले बीज उत्पादकता को 20% तक कम करते हैं। निजी क्षेत्र को बीज विकास में निवेश के लिए प्रोत्साहन की कमी है।
- भूमि असमानता:
- 50.8% ग्रामीण परिवार भूमिहीन हैं, और 5% आबादी के पास 64% कृषि भूमि है। बड़े जमींदारों की तुलना में छोटे किसानों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता अधिक होती है, लेकिन उनकी पहुँच सीमित है।
- पंजाब में उपजाऊ भूमि का 70% शहरीकरण के कारण खो गया है, जिससे खाद्य उत्पादन प्रभावित हुआ है।
- उच्च लागत और कर्ज:
- उर्वरक और अन्य आदानों का आयात पर निर्भरता लागत बढ़ाती है। डीजल की ऊँची कीमतें और बिजली की कमी ट्यूबवेल संचालन को महँगा बनाती हैं।
- किसानों को सरकारी खरीद की कमी और निजी मिलों को कम कीमत पर बिक्री के कारण नुकसान हो रहा है।
- खाद्य सुरक्षा:
- जनसंख्या वृद्धि (2024 में 254.4 मिलियन) के कारण खाद्य मांग बढ़ रही है। 2025 तक खाद्य उत्पादन को 40% बढ़ाने की आवश्यकता है, लेकिन कमी की आशंका है।
- 2025 में गेहूँ की कटाई में 16.5 लाख एकड़ की कमी देखी गई, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ेगी और खाद्य कीमतें बढ़ेंगी।
सकारात्मक पहल और सुधार
- कॉर्पोरेट और वित्तीय रुचि: फातिमा ग्रुप (बीज विकास), पेप्सिको (आलू), और K&N (मुर्गीपालन) जैसे कॉर्पोरेट खिलाड़ी कृषि में निवेश कर रहे हैं।
- निर्यात वृद्धि: चावल, मछली, फल (नारंगी, आम), और सब्जियों का निर्यात बढ़ रहा है। 2009-10 में कृषि निर्यात 288.18 अरब रुपये था।
- स्मार्ट खेती: Concave AGRI जैसे संगठन जलवायु-स्मार्ट खेती, जल संरक्षण, और सूखा-प्रतिरोधी फसलों को बढ़ावा दे रहे हैं।
- CPEC का योगदान: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) ने तिल के निर्यात को बढ़ावा दिया है।
- बीज सुधार: हाइब्रिड बीज उत्पादन और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए Seed Act में संशोधन की माँग है।
- सिंचाई सुधार: उच्च दक्षता वाली सिंचाई प्रणालियों (जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर) को अपनाने की सिफारिश की गई है।
2. पाकिस्तान में औद्योगिक (Industrial) स्थिति
पाकिस्तान की औद्योगिक स्थिति मिश्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित है, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों शामिल हैं। यह GDP का लगभग 20% योगदान देता है, जिसमें विनिर्माण, कपड़ा, और ऊर्जा क्षेत्र प्रमुख हैं।
मुख्य औद्योगिक क्षेत्र
- कपड़ा और परिधान:
- कपड़ा उद्योग पाकिस्तान का सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है, जो कुल निर्यात का 60% हिस्सा है। प्रमुख उत्पादों में सूती कपड़ा, चमड़ा, और खेल उपकरण शामिल हैं।
- 2025 में निर्यात में 7.1% की वृद्धि देखी गई, लेकिन उच्च बिजली कीमतों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने इसे प्रभावित किया है।
- विनिर्माण:
- बड़े पैमाने पर विनिर्माण में रसायन, सीमेंट, और इस्पात शामिल हैं। 1960 के दशक में यह 16% प्रति वर्ष की दर से बढ़ा, लेकिन 2025 में वृद्धि धीमी है।
- औद्योगिक उत्पादन 2024 में 10.3% सिकुड़ा था, लेकिन 2025 में स्थिरीकरण के संकेत हैं।
- आईटी क्षेत्र:
- आईटी क्षेत्र में 28% की वार्षिक वृद्धि देखी गई, जो निर्यात में सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। यह 2025 में आर्थिक विकास का प्रमुख चालक है।
- रोशन डिजिटल खाते ने 9 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित किया है।
- ऊर्जा:
- CPEC ने ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है, लेकिन उच्च क्षमता भुगतान (capacity payments) ने बिजली की कीमतें बढ़ा दी हैं, जो क्षेत्रीय स्तर पर सबसे अधिक हैं।
- 2025 में 5 स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPPs) के अनुबंध समाप्त किए गए, जिससे 70 अरब रुपये की वार्षिक बचत हुई। 16 अन्य IPPs के साथ बातचीत से 481 अरब रुपये की बचत की उम्मीद है।
- खनन और खनिज:
- रेको डीक सोना और ताँबा भंडार जैसे प्रोजेक्ट्स आर्थिक परिदृश्य को बदल सकते हैं।
- अमेरिकी कंपनियाँ खनन क्षेत्र में निवेश की तलाश में हैं।
वर्तमान चुनौतियाँ
- उच्च बिजली लागत:
- बिजली की कीमतें क्षेत्र में सबसे अधिक हैं, जिससे औद्योगिक उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है।
- उद्योगों को बिजली की कमी और लोड शेडिंग का सामना करना पड़ता है, जो उत्पादन को बाधित करता है।
- आर्थिक अस्थिरता:
- 2024 में मुद्रास्फीति 38% तक थी, लेकिन 2025 में यह 3% से नीचे आ गई। फिर भी, उच्च कर और उपयोगिता लागत उद्योगों पर बोझ डाल रही है।
- विदेशी मुद्रा भंडार 2023 में 4 अरब डॉलर तक गिर गया था, लेकिन 2025 में 12 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
- निवेश की कमी:
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) 2025 के पहले छह महीनों में 20% बढ़ा, लेकिन दीर्घकालिक निवेश के लिए और सुधारों की आवश्यकता है।
- व्यापार नीतियाँ संरक्षणवादी हैं, और कारोबारी माहौल कठिन है।
- शहरीकरण और भूमि उपयोग:
- राजनीतिक और सुरक्षा अस्थिरता:
- आतंकवाद और कानून-व्यवस्था की स्थिति (जैसे पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव) निवेशकों के विश्वास को प्रभावित करती है।
सकारात्मक विकास
- आर्थिक सुधार: IMF के 7 अरब डॉलर के Extended Fund Facility (EFF) ने स्थिरीकरण में मदद की है। विनिमय दर स्थिर हुई, और चालू खाता लगातार तीन महीनों तक अधिशेष में रहा।
- निवेश: Aramco, BYD, और Samsung जैसे वैश्विक दिग्गज निवेश कर रहे हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) निवेश को आकर्षित कर रहे हैं।
- CPEC प्रगति: 2025 में मेन लाइन-1 (ML-1) रेलवे प्रोजेक्ट (कराची-हैदराबाद-मुल्तान) में प्रगति की उम्मीद है, जो औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था: IT निर्यात और डिजिटल उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए SIFC (Special Investment Facilitation Council) सक्रिय है।
- नीतिगत सुधार: कर प्रणाली को प्रगतिशील बनाने और बिजली लागत को कम करने के प्रयास जारी हैं।
पहलगाम हमले का अप्रत्यक्ष प्रभाव
पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) का पाकिस्तान की कृषि और उद्योग पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है: –
- भारत-पाक तनाव: हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और कूटनीतिक संबंधों को डाउनग्रेड किया।
- पाकिस्तान की 80% कृषि सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों पर निर्भर है, जो भारत से निकलती हैं। यदि भारत पानी रोकता है, तो पंजाब, सिंध, और बलूचिस्तान में गेहूँ, चावल, गन्ना, और कपास की फसलें नष्ट हो सकती हैं, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक नुकसान होगा।
- निवेश पर प्रभाव: बढ़ते तनाव और आतंकवाद (जैसे TTP हमले) से निवेशक विश्वास कम हो सकता है, जो औद्योगिक विकास को प्रभावित करेगा।
निष्कर्ष
- कृषि: पाकिस्तान की कृषि सूखा, जल संकट, और जलवायु परिवर्तन से जूझ रही है, जिसने गेहूँ, गन्ना, और किन्नू जैसे प्रमुख फसलों को प्रभावित किया है। भूमि असमानता और पुरानी तकनीक उत्पादकता को सीमित करती हैं। फिर भी, कॉर्पोरेट निवेश, CPEC, और स्मार्ट खेती से सुधार की exploringly possible है।
- उद्योग: कपड़ा, IT, और ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति हो रही है, लेकिन उच्च बिजली लागत, आर्थिक अस्थिरता, और सुरक्षा चिंताएँ चुनौतियाँ हैं। CPEC और FDI से दीर्घकालिक विकास की उम्मीद है।
- क्षेत्रीय तनाव: पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव, विशेष रूप से सिंधु जल संधि का निलंबन, कृषि और उद्योग के लिए दीर्घकालिक जोखिम पैदा करता है।
पाकिस्तान में जल संकट का प्रभाव एक गंभीर और बहुआयामी मुद्दा है, जो कृषि, उद्योग, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिरता, और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है।
1. कृषि पर प्रभाव
पाकिस्तान की 80% कृषि सिंधु नदी प्रणाली (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर निर्भर है, जो अर्थव्यवस्था का 24% GDP और 42% रोजगार प्रदान करती है। जल संकट के प्रभाव:
- फसल उत्पादन में कमी:
- 2024-25 में सूखे के कारण गेहूँ उत्पादन में 30-35% कमी, गन्ना उत्पादन में 50% कमी, और किन्नू निर्यात में 35% कमी देखी गई।
- चावल, कपास, और मक्का जैसी प्रमुख फसलें प्रभावित हुईं, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ी।
- सिंध में खरीफ फसलों (चावल) का उत्पादन 20-25% तक कम हुआ, क्योंकि पंजाब को पहले पानी मिला।
- सिंचाई संकट:
- पाकिस्तान की 90% कृषि सिंचाई पर निर्भर है, लेकिन 97% पानी कृषि में उपयोग होता है, जिसमें 40% बर्बाद होता है (रिसाव, बाढ़ सिंचाई)।
- 7 मिलियन एकड़-फीट पानी समुद्र में बर्बाद होता है, क्योंकि भंडारण क्षमता केवल 30 दिन की है (भारत: 220 दिन)।
- खाद्य असुरक्षा:
- 2025 में गेहूँ की कटाई में 16.5 लाख एकड़ की कमी देखी गई, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ी।
- जनसंख्या वृद्धि (2024 में 254.4 मिलियन) के कारण खाद्य मांग 40% बढ़ी, लेकिन उत्पादन में कमी से खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं।
- पहलगाम हमले का प्रभाव:
- पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया।
- इससे पाकिस्तान की 47 मिलियन एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हो सकती है, जिससे गेहूँ, चावल, कपास, और गन्ना फसलें नष्ट हो सकती हैं।
- X पोस्ट्स के अनुसार, यह 240 मिलियन लोगों के लिए खाद्य असुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को खतरा पैदा कर सकता है।
2. उद्योग पर प्रभाव
पाकिस्तान का औद्योगिक क्षेत्र (20% GDP) जल संकट से प्रभावित है, विशेष रूप से कपड़ा, ऊर्जा, और विनिर्माण।
- कपड़ा उद्योग:
- कपड़ा 60% निर्यात में योगदान देता है, लेकिन कपास (पानी-गहन फसल) की कमी ने उत्पादन को प्रभावित किया।
- उच्च बिजली लागत और पानी की कमी ने प्रतिस्पर्धात्मकता को कम किया।
- ऊर्जा क्षेत्र:
- जल विद्युत (हाइड्रोपावर) पर निर्भरता के कारण, पानी की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ।
- थर्मल पावर प्लांट्स, जो 65% ऊर्जा प्रदान करते हैं, पानी की कमी से प्रभावित हैं, क्योंकि भाप उत्पादन और कूलिंग के लिए पानी चाहिए।
- आर्थिक नुकसान:
- जल संकट से औद्योगिक उत्पादन 2024 में 10.3% सिकुड़ा, और 2025 में स्थिरीकरण धीमा है।
- यदि IWT निलंबन से पानी रुकता है, तो औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में और कमी आ सकती है।
3. खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- खाद्य सुरक्षा:
- फसल उत्पादन में कमी और खाद्य कीमतों में वृद्धि से 30 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में 42% आबादी कृषि पर निर्भर है, और पानी की कमी से उनकी आय प्रभावित हुई।
- स्वास्थ्य जोखिम:
- 80% आबादी दूषित पानी पर निर्भर है, जिससे 80% बीमारियाँ और 30% मौतें जलजनित हैं (जैसे डायरिया, टाइफाइड, हेपेटाइटिस)।
- कराची में 30,000 लोग (20,000 बच्चे) असुरक्षित पानी से मरते हैं।
4. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- सामाजिक अशांति:
- पानी की कमी से सिंध और पंजाब में प्रांतीय तनाव बढ़ा, क्योंकि पंजाब को पानी की प्राथमिकता दी जाती है।
- शहरी संकट:
- कराची और लाहौर जैसे शहरों में पाइपयुक्त पानी केवल 40% घरों को उपलब्ध है। लोग महंगे और दूषित टैंकरों पर निर्भर हैं।
- कराची में 16 मिलियन झुग्गीवासी चलते पानी से वंचित हैं।
- प्रवास:
- सूखे और बाढ़ ने ग्रामीण-शहरी प्रवास को बढ़ाया, विशेष रूप से बलूचिस्तान और सिंध से।
- जल संकट से बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय प्रवास का खतरा है, जो मानवीय संकट पैदा कर सकता है।
7. भविष्य के जोखिम और भारत-पाक तनाव
- UNDP और PCRWR ने चेतावनी दी है कि 2025 तक पाकिस्तान पूर्ण जल संकट की स्थिति में पहुँच सकता है।
- भूजल भंडार तेजी से खत्म हो रहे हैं, और इंडस बेसिन एक्वीफर दुनिया का दूसरा सबसे तनावग्रस्त है।
- IWT निलंबन:
- पहलगाम हमले के बाद भारत का IWT निलंबन 30-36 दिनों में पानी की कमी पैदा कर सकता है, क्योंकि पाकिस्तान की भंडारण क्षमता सीमित है।
- इससे 90% खाद्य उत्पादन और 21% GDP प्रभावित हो सकता है।
- पाकिस्तानी मीडिया इसे “जल आतंकवाद” कह रहा है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है।
- सामाजिक और सुरक्षा जोखिम:।
मौजूदा उपाय और सुझाव
- सकारात्मक कदम:
- ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से पानी की बचत हो रही है, लेकिन पंजाब में इसे व्यापक करना चुनौती है।
- H2O व्हील जैसी पहल ने महिलाओं के पानी लाने के बोझ को कम किया।
- CPEC और निजी क्षेत्र (फातिमा ग्रुप, पेप्सिको) कृषि और जल संरक्षण में निवेश कर रहे हैं।
- सुझाव:
- राष्ट्रीय जल नीति: एक प्रभावी नीति और प्रबंधन की आवश्यकता है।
- छोटे बाँध: बड़े बाँधों की तुलना में कम सामाजिक-पर्यावरणीय लागत वाले छोटे बाँध बनाए जाएँ।
- सिंचाई सुधार: उच्च दक्षता वाली प्रणालियाँ (ड्रिप, स्प्रिंकलर) लागू करें।
- जलवायु अनुकूलन: जलवायु-स्मार्ट खेती और सूखा-प्रतिरोधी फसलों को बढ़ावा दें।
- जागरूकता: पानी संरक्षण और अपशिष्ट जल उपचार (वर्तमान में केवल 1% उपचारित) पर जागरूकता बढ़ाएँ।
निष्कर्ष
पाकिस्तान का जल संकट कृषि, उद्योग, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। 2024-25 का सूखा, IWT निलंबन, और जलवायु परिवर्तन ने स्थिति को और गंभीर किया है। गेहूँ, चावल, और कपास जैसे फसलों में कमी, खाद्य असुरक्षा, और जलजनित बीमारियों ने आर्थिक और सामाजिक संकट को बढ़ाया है। पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव ने जल संकट को क्षेत्रीय सुरक्षा से जोड़ दिया, जिससे 240 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं। X पोस्ट्स में किसानों और जनता की निराशा स्पष्ट है, जो सरकारी नीतियों को अपर्याप्त मानते हैं। तत्काल नीतिगत सुधार, जैसे जल संरक्षण, आधुनिक सिंचाई, और छोटे बाँध, आवश्यक हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्या क्या आयात और निर्यात होता है?
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध 2019 के बाद से काफी सीमित हो गए हैं, मुख्य रूप से राजनीतिक तनाव, जैसे पुलवामा हमला (फरवरी 2019) और अनुच्छेद 370 की समाप्ति (अगस्त 2019) के कारण। इन घटनाओं के बाद, दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाए, जिससे सीधा व्यापार लगभग बंद हो गया। फिर भी, कुछ अप्रत्यक्ष व्यापार तीसरे देशों (जैसे यूएई) के माध्यम से होता है।
वर्तमान स्थिति (2025)
- 2019 के बाद व्यापार में कमी:
- फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया और पाकिस्तानी सामानों पर 200% सीमा शुल्क लगा दिया।
- अगस्त 2019 में, धारा 370 हटने के बाद, पाकिस्तान ने भारत से सभी व्यापारिक संबंध तोड़ दिए, जिससे भारत से पाकिस्तान का निर्यात 90% तक गिर गया (जुलाई 2019 में 12.03 करोड़ डॉलर से सितंबर 2019 में 1.24 करोड़ डॉलर)।
- 2024-25 में, भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार न्यूनतम है, और अधिकांश व्यापार अप्रत्यक्ष रूप से तीसरे देशों (विशेषकर यूएई) के माध्यम से होता है।
- आयात-निर्यात की मात्रा:
- 2018-19 में, भारत से पाकिस्तान का औपचारिक निर्यात 2.17 बिलियन डॉलर (भारत के कुल निर्यात का 0.83%) और पाकिस्तान से भारत का आयात 50 करोड़ डॉलर (भारत के कुल आयात का 0.13%) था।
- 2024 में, भारत ने पाकिस्तान को 304.93 मिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि पाकिस्तान से आयात लगभग शून्य रहा।
- कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि 2023-24 में अमृतसर के अटारी चेकपोस्ट के माध्यम से 3,886 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, लेकिन पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत ने अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया, जिससे व्यापार पूरी तरह रुक गया।
- पहलगाम हमले का प्रभाव:
- पहलगाम हमले (लश्कर-ए-तैयबा के TRF द्वारा) के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया और अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया।
- यह व्यापार पर और प्रतिबंध लगाएगा, क्योंकि अटारी-वाघा भारत-पाकिस्तान के बीच एकमात्र भूमि व्यापार मार्ग था। X पोस्ट्स के अनुसार, बॉर्डर 1 मई 2025 तक केवल पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी के लिए खुला रहेगा।
- अप्रत्यक्ष व्यापार:
- यूएई जैसे देशों के माध्यम से कपड़ा, तकनीकी सेवाएँ, और अन्य सामान का व्यापार होता है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Upwork) पर भी सीमित व्यापारिक गतिविधियाँ देखी गई हैं।
भारत से पाकिस्तान को निर्यात (Export from India to Pakistan)
2019 से पहले, भारत से पाकिस्तान को कई वस्तुओं का निर्यात होता था, लेकिन अब यह सीमित है। 2024 में प्रमुख निर्यात वस्तुएँ (304.93 मिलियन डॉलर मूल्य की):
- जैविक रसायन (Organic Chemicals):
- फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals):
- दवाएँ और चिकित्सा उत्पाद, जो पाकिस्तान की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- प्लास्टिक (Plastics):
- पैकेजिंग और औद्योगिक उपयोग के लिए प्लास्टिक उत्पाद।
- अजैविक रसायन (Inorganic Chemicals):
- औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए रसायन।
- कृषि उत्पाद (Agricultural Products):
- फल (जैसे आम, किन्नू), सब्जियाँ, और अनाज।
- 2019 से पहले, भारत से कपास, चीनी, और चाय का भी निर्यात होता था।
- कपड़ा उत्पाद (Textile Products):
पहले की स्थिति (2019 से पहले):
- भारत से कपास, चीनी, चाय, कॉफी, मसाले, तेल बीज, और मशीनरी का निर्यात प्रमुख था।
- सीमेंट और पेट्रोलियम उत्पाद भी महत्वपूर्ण निर्यात वस्तुएँ थीं।
पाकिस्तान से भारत को आयात (Import from Pakistan to India)
- 2024-25 में आयात: भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 महीनों में पाकिस्तान से कोई आयात नहीं हुआ।
- 2019 से पहले की प्रमुख आयात वस्तुएँ:
- खनिज उत्पाद (Mineral Products):
- फल और सब्जियाँ (Fruits and Vegetables):
- सीमेंट:
- निर्माण उद्योग के लिए सस्ता सीमेंट आयात होता था।
- चमड़ा और कपड़ा:
- चमड़े के उत्पाद और कुछ कपड़ा सामग्री।
- रसायन और खनिज:
- औद्योगिक उपयोग के लिए कच्चे माल।
- वर्तमान में:
- भारत ने पाकिस्तानी सामानों पर 200% सीमा शुल्क और सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे आयात बंद हो गया।
व्यापार मार्ग और माध्यम
- भूमि मार्ग:
- अप्रत्यक्ष व्यापार:
- यूएई, सिंगापुर, और अन्य देशों के माध्यम से व्यापार होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय कपड़ा यूएई के रास्ते पाकिस्तान पहुँचता है।
- डाक और कूरियर:
- अनौपचारिक व्यापार:
पहलगाम हमले और जल संकट का व्यापार पर प्रभाव
- पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025):
- लश्कर-ए-तैयबा के TRF द्वारा हमले में 26 लोग मारे गए, जिसके बाद भारत ने IWT निलंबित और अटारी बॉर्डर बंद किया।
- इससे भारत-पाकिस्तान व्यापार पूरी तरह रुक गया, क्योंकि अटारी-वाघा एकमात्र सक्रिय व्यापार मार्ग था।
- X पोस्ट्स में भावनाएँ तीव्र हैं, कुछ भारतीय यूजर्स का कहना है कि व्यापार बंद करना उचित है, जबकि अन्य अर्थव्यवस्था पर प्रभाव की चिंता जताते हैं।
- जल संकट और IWT निलंबन:
आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव
- भारत के लिए:
- पाकिस्तान से आयात भारत के कुल आयात का 0.16% से कम और निर्यात का 1.1% से कम था, इसलिए व्यापार बंद होने का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा।
- भारत ने अन्य देशों (चीन, यूएई, अमेरिका) के साथ व्यापार बढ़ाकर इस कमी को पूरा किया। 2019 में भारत का कुल आयात 5.2 लाख करोड़ डॉलर था, जिसमें पाकिस्तान का हिस्सा 0.1% था।
- पाकिस्तान के लिए:
- रणनीतिक प्रभाव:
- भारत ने व्यापार प्रतिबंधों को आतंकवाद के खिलाफ रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया, क्योंकि खुफिया रिपोर्ट्स में पाकिस्तान से तस्करी (हथियार, जाली नोट, नशीले पदार्थ) की आशंका थी।
- पहलगाम हमले और IWT निलंबन ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनाव को बढ़ाया, जिससे व्यापार की बहाल होने की संभावना और कम हो गई।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 के बाद सीधा व्यापार लगभग बंद है। भारत से पाकिस्तान को 304.93 मिलियन डॉलर (2024) के निर्यात में जैविक रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक, और कृषि उत्पाद शामिल हैं, जबकि पाकिस्तान से आयात शून्य है। 2019 से पहले, भारत से कपास, चीनी, और मशीनरी, तथा पाकिस्तान से खनिज, फल, और सीमेंट का व्यापार होता था। पहलगाम हमले और IWT निलंबन ने अटारी-वाघा बॉर्डर बंद कर दिया, जिससे व्यापार पूरी तरह रुक गया। जल संकट ने पाकिस्तान की कृषि को प्रभावित किया, जिससे भारत से आयात की संभावित माँग बढ़ सकती थी, लेकिन प्रतिबंध इसे असंभव बनाते हैं। अप्रत्यक्ष व्यापार (यूएई के माध्यम से) और अनौपचारिक व्यापार सीमित रूप से जारी है।