Asim Munir Biography in hindi | असीम मुनिर का जीवनी

पाकिस्तानी चीफ असीम मुनिर का जीवन परिचय : Pak Chief Asim Munir Biography

असीम मुनिर पाकिस्तान के एक प्रमुख सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान सेना में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनका जन्म 1966 में हुआ था। असीम मुनिर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पाकिस्तान में प्राप्त की और बाद में पाकिस्तान आर्मी में शामिल हुए। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें इंटेलिजेंस के प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय है। असीम मुनिर ने 2018 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के अधीन काम किया और उन्हें 2022 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी सैन्य सेवा के दौरान, जेनरल असीम मुनिर ने आतंकवाद, सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे एक कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं और उनकी नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें सराहा जाता है। असीम मुनिर की जीवनी में उनके कार्यों, उपलब्धियों और पाकिस्तान की सुरक्षा नीति में उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है।

Asim Munir Biography in hindi

आसिम मुनिर का जन्म, परिवार व शिक्षा

आखिर कौन है आसिम मुनिर? चलते हैं आजादी के समय साल 1947 में, भारत की आजादी के बाद विभाजन हुआ और उसके बाद भारी संख्या में भारतीय मुस्लिम पाकिस्तान को चुना और चले गए। इसी दरमियान पंजाब के जालंधर से एक पंजाबी मुस्लिम परिवार सैयद सरवर मुनीर पाकिस्तान में मौजूद टोबा टेक सिंह पहुंची। यहां कुछ समय रहने के बाद यह परिवार रावलपिंडी चला गया। और वहां के ढेरी हसनाबाद में सेटल हो गया, और साल 1968 में इस परिवार में आसिम मुनिर का जन्म हुआ। और पूरा नाम रखा गया सैयद आसिम मुनीर अहमद शाह। शुरुआत में आसिम मुनीर ने मदरसे में पढ़ाई की। क्रिकेट भी खेलते थे फास्ट बॉलिंग करते थे। और कुछ सालो बाद उसने जापान के फूजी स्कूल क्वेटा के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज क्वालालमपुर के मलेशियाई आर्म्ड फोर्सेज कॉलेज और इस्लामाबाद के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।

आसिम मुनिर का करिअर, इल्जाम क्या क्या है, उपाधि

साल 1986 में आसिम मुनीर का सैन्य करियर शुरू हुआ। पाकिस्तान सेना के फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन मिला।  ध्यान दें कि वह फ्रंटियर फोर्स में रेजीमेंट ही है। जिससे हमारी भारतीय सेना का साल 1965, 1971 और कारगिल युद्ध के समय भी सामना हुआ था। सालों की नौकरी के बाद आसिम मुनीर को ब्रिगेडियर की पोस्ट पर प्रमोशन मिला और काम करने को मिली। पाकिस्तान आर्मी की आई कोर यानी दुश्मन फौज की वह टुकड़ी जिसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पर जमा हुए हैं। साल 2014 में आसिम मुनीर को एक और प्रमोशन मिला। मेजर जनरल की उपाधि मिली। और कमान मिली पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में तैनात सेनाओ को संभालने की। कुछ रिपोर्ट के अनुसार आसिम मुनिर सेवा में होने के साथ-साथ नियुक्ति ट्रांसफर बर्खास्तगी वाली इंटरनल पॉलिटिक्स में भी उनका नाम आता रहा है।

आसिम मुनिर का प्रधामन्त्री इमरान खान के साथ कैसा सबंध था?

किसी की चाटुकारिता और किसी के लिए कुछ भी करने का वादा करते थे। साल 2016 में आसिम मुनीर को नया पोस्ट मिला। पाकिस्तान के मिलिट्री इंटेलिजेंस को संभालने की। असिम मुनीर सालों तक इस कुर्सी पे रहे फिर साल 2018 में एक और बड़ी कुर्सी मिली। ऐसी कुर्सी मिली जिस पर बैठने वाला शख्स पाकिस्तान की सत्ता को कंट्रोल कर सकता था। आतंकवादियों और मिलेटेंट गतिविधियों को अंजाम देता है। दहशत गर्दों को पनाह देता है। लेकिन नाम मिलता है साहब की जासूसों के बॉस हैं। यही कुर्सी थी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस यानि ISI के डायरेक्टर जनरल की। यह वह समय था जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हुआ करते थे। कहा जाता है कि आसिम मुनीर पर उनकी खास कृपा दृष्टि थी। इस वजह से ही ISI चीफ की कुर्सी दी गई थी। लेकिन साल 2021 में हुई एक घटना के बाद आसिम मुनीर की रुखसती का प्लाट लिख दिया गया। ।

पुलवामा हमला के जिम्मेवार कौन?

फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में crpf जवानों के कॉन्वॉय पे सुसाइड बॉम्बर ने हमला किया। इसमें सीआरपीएफ के 40 जवानो की मौत हो गई शहीद हो गए। इस हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर मौजूद बालाकोट में एरियल स्ट्राइक की। इस हमले में पुलवामा के जिम्मेदार संगठन जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर गोलाबारी की गई। कई आतंकवादियों की मौत का दावा भी किया गया। भारत के इस अटैक के बाद पाकिस्तान की बहुत बेईजती भी हुई थी। इससे बचने के लिए पाकिस्तान में विदेशी पत्रकारों का दौरा भी करवाया गया था। या जाहिर करने के लिए कि भारत के इल्जाम झूटे है बेबुनियाद है। 

27 फरवरी को पाकिस्तानी वायु सेवा के जेट बालाकोट स्ट्राइक का बदला लेने भारत में घुसे। प्लान था बॉम्ब गिराया जाएगा। लेकिन भारतीय वायुसेना ने पहले ही भाप लिया था और मिग 21 बाईसन एयरक्राफ्ट जो थे वो एयरबर्न हुए। इस इंगेजमेंट के दौरान भारत का विमान पाकिस्तान के अंदर क्रैश हुआ और उसमें विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमान युद्धबंदी बना लिए गए। लेकिन 1 मार्च को उन्हें पाकिस्तान ने रिहा कर दिया और अभिनन्दन भारत वापस आ गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस समय ये सारा कुछ घट रहा था उस समय पाकिस्तान में आईएसआई के डीजी की कुर्सी पर आसिम मुनीर ही बैठे थे। कहा जाता है आसिम मुनीर की अध्यक्षता वाली ही कमेटी ने सेनाओं को यह सुझाव दिया था कि बालाकोट का बदला इंडिया पर अटैक करके लिया जाएगा। इसके बाद ये पूरा घटना क्रम सामने आया। 

क्या आसिम मुनिर ही आतंगवादियों को भारत के बॉर्डर पार करवाती है?

22 मार्च 2019 को भारत और पाकिस्तान ने शांति समझौता किया और कुछ ही महीनों के बाद यानी जुलाई 2019 में मुनीर को ISI डीजी की कुर्सी से तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने हटा दिया। उस समय इमरान और आसिम मुनीर के बीच बहुत वाद विवाद भी हुआ। कहा गया कि मुनीर को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी पर लगे भ्रष्टाचार के इल्जामों की जांच करवाना चाहते थे। इमरान खान ने इस आरोप का खंडन भी किया। लेकिन isi चीफ को 8 महीने बाद ही उस कुर्सी से हटाकर पंजाब कोर कमांडर बना दिया। उसके बाद रावलपिंडी में सेना हेड क्वाटर में सप्लाई ऑफिस देखने बैठा दिया। मतलब लोगों ने निकाल लिया। इमरान खान के चलते पाकिस्तान में सेना कि बहुत किरकिरी हुई लेकिन आसिम मुनीर का संगठन उनके साथ खड़ा रहा। इमरान आरोप लगाते रहे, सिखी सेना के लोग उनकी जान लेना चाहते हैं।

लेकिन किसी के कानों पर जू तक नहीं रेंगी। और उसके बाद इमरान खान हट गए। और कुर्सी पर बैठे शाहबाज शरीफ, लोगों को लगा कि अब तो कुछ हो नहीं सकता क्यूंकि नवंबर 2022 के दिन आसिम मुनीर को सेना की नौकरी से रिटायर होना था। लेकिन यहाँ पर एक रोचक घटना घटती है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने आसिम मुनीर को रिटायटर करने से इनकार कर दिया। और कहा सर्विस बनी रहेगी। आसिम मुनीर को ऐसा भरोसा दिलाया गया। और रिटायरमेंट की डेट से ठीक 3 दिन पहले यानि 24 नम्बर 2022 को आसिम मुनीर को एक चिट्ठी मिली। जिसमे लिखा था आपको पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ( या पाक आर्मी चीफ) का पद दिया जाता है। 29 नवम्बर को ज्वाइन किया। आसिम मुनीर को मिला रावलपिंडी की चकलाला एरिया में मौजूद आर्मी हेड क्वार्टर का सबसे बड़ा ऑफिस।

कहा जाता है कि ऐसा पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के कहने पर किया गया था। जैसे ही आसिम मुनीर को आर्मी चीफ की कुर्सी मिली। वो समय आ गया जब एक अलग ढंग से पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ शुरू हुई। एक नया तरीका अपनाया गया अब के पहले तक आतंकी संगठनों में कश्मीर के स्थानीय युवाओं की भर्ती की जाती थी। लेकिन सूत्र बताते हैं कि आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की आर्मी से रिटायर हुए लोगों की भर्ती की जमीन तैयार की। इसमें स्पेशल फोर्सेस के जवान भी शामिल हैं। जो सीमा पार करके भारत आते हैं। और भारतीय लोगों पर टारगेट करके हमले करते हैं।  22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में भी यही बात हो रही है। टारगेट करके अटैक और सीधे हत्याएं यह आतंकियों की नई चाल है। और सवाल वही की इसके पीछे जेनरल आसिम मुनीर का कितना बड़ा हाथ है। 

  • पद: पाकिस्तान के 17वें सेना प्रमुख (Chief of Army Staff)
  • सेना में सेवा: 1986 से अब तक
  • रैंक: चार स्टार जनरल (Four-star General)
  • ISI (Inter-Services Intelligence) के डायरेक्टर जनरल रहे।
  • इससे पहले MI (Military Intelligence) के भी प्रमुख थे।
  • सऊदी अरब में तैनाती के समय महत्वपूर्ण इंटेलिजेंस जिम्मेदारियाँ निभाईं।
  • 2022 में, पूर्व आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा के रिटायरमेंट के बाद, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किए गए।
  • ऑफिसर ट्रेनिंग: मंगला स्थित पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA) से ‘Officers Training School’ कोर्स के तहत कमीशन प्राप्त किया।

खास बातें:

  • आसिम मुनिर कुरान हाफिज हैं — यानी उन्होंने पूरा कुरान याद कर रखा है।
  • मितभाषी, धार्मिक और अनुशासित अफसर के रूप में जाने जाते हैं।
  • सेना में बेहद कड़ा अनुशासन और उच्च नैतिकता के लिए उनकी छवि है।
  • भारत के प्रति सख्त दृष्टिकोण रखने वाले अधिकारियों में गिने जाते हैं।
  • ISI में रहते हुए वे कई बड़े ऑपरेशन का हिस्सा रहे, जिनमें भारत और अफगानिस्तान से जुड़े कई मुद्दे भी शामिल थे।

अभी नया रिपोर्ट क्या है

एक रिपोर्ट के अनुसार आसिम मुनिर ने अपने फॅमिली को पाकिस्तान से भगा चुकी है। लंदन के लिए निकाल चुकी है और वहाँ से कनाडा जाएगी। डर इतना है की पूरे परिवार को पाकिस्तान से कनाडा शिफ्ट करने की तैयारी कर चुके है। इनकी दो नौजवान बेटियाँ है, जिनके पास डेप्लोमैटिक पासपोर्ट है। ये पासपोर्ट होने के लिए आपके पास क्या क्या होना चाहिए पहले ये समझिए। डेप्लोमैटिक पासपोर्ट आमतौर पर केवल उन व्यक्तियों को जारी किया जाता है जो सरकारी सेवा में हैं, जैसे कि राजनयिक, कांसुलर अधिकारी, और उनके परिवार के सदस्य। और इनकी बेटियाँ किसी भी सरकारी सेवा में या अन्य किसी भी ऐसे सेवा में नहीं है कि इसको डेप्लोमैटिक पासपोर्ट जारी किया जाए। लेकिन जारी किया गया।

डेप्लोमैटिक पासपोर्ट एक विशेष प्रकार का पासपोर्ट होता है जो उन व्यक्तियों को जारी किया जाता है जो सरकारी प्रतिनिधियों, राजनयिकों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कर्मचारियों के रूप में काम करते हैं। यह पासपोर्ट उन लोगों को विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता है, जैसे कि:

  1. राजनयिक छूट: डेप्लोमैटिक पासपोर्ट धारक को कई देशों में वीजा छूट या वीजा प्राप्त करने में आसानी होती है।
  2. सुरक्षा और संरक्षण: यह पासपोर्ट धारक को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करता है।
  3. विशेष सुविधाएँ: कई देशों में, डेप्लोमैटिक पासपोर्ट धारकों को हवाई अड्डों पर विशेष चेक-इन और सुरक्षा प्रक्रियाओं में प्राथमिकता मिलती है।
  4. राजनयिक कार्य: यह पासपोर्ट धारक को अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेना या अन्य देशों के साथ बातचीत करना।

Anshuman Choudhary

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............