Zeishan Quadri आज इस नाम से कौन वाकिफ नहीं होगा, एक Actor एक Producer एक Director एक Writer ये सभी हुनर Zeishan Quadri में है।
तो आज इस Article में आप जानेंगे कि किस तरह Zeishan Quadri फिल्म की दुनिया में घुसा, जिन्हें सिनेमा के बारे में सही से पता भी नहीं था। जीशान कादरी खुद एक interview में कहते हैं की उसने कभी सोचा भी नहीं था की वो कभी फ़िल्मी दुनिया में घुसेगा, और न ही उसने कभी कुछ ऐसा planning की थी की एक दिन Bollywood में घुसना हैं। उसने कभी सोचा ही नहीं था की वो एक एक्टर या डायरेक्टर या राइटर या फिर एक producer बनेगा। Zeishan Quadri/Zeeshan Quadri शुरू से अपना खुद का business करना चाहते थे, वे किसी दुसरे के अंडर में रहकर काम करना नहीं चाहते थे।
आखिर क्या वह क्या कारण था कि फिल्म Gangs of Wasseypur की कहानी लिखी कहानी लिखने की पीछे की कहानी क्या है? आज शुरू से जानेंगे इनके बारे में वासेपुर से जीशान कादरी ने सफ़र शुरू किया था और वासेपुर की वजह से ही आज जीशान कादरी एक बड़े आदमी बन पाया है। Zeishan Quadri का जन्म वासेपुर (Dhanbad) में ही हुआ पूरा बचपन भी धनबाद के वासेपुर में ही गुजरा है, दोस्तों के साथ घूमना क्रिकेट खेलना स्कूल से भाग कर फिल्मे देखना, जीशान कादरी को पहले फिल्मे देखना बहुत पसंद था। लेकिन अब इनको फिल्मे बनाना उससे ज्यादा पसंद हैं, तो किस तरह इस तरह का बदलाव आया चलिए शुरू करते हैं?
जीशान कादरी का जन्म 17 मार्च 1983 को धनबाद के वासेपुर में के बहुत ही मिडिल क्लास परिवार में हुआ था, इनका पूरा बचपन वासेपुर धनबाद में ही गुजरा है। Zeishan Quadri की मां इनको घर से बाहर निकलने के लिए मना भी करती, लेकिन फिर भी जीशान कादरी नहीं मानते थे। वासेपुर के लगभग जीतने लड़के थे सभी के साथ उठना बैठना था जीशान कादरी का और गर जब कभी वासेपुर जाता है तो मिलमा जुलना लगा रहता हैं, और उन लोगो के साथ ही क्रिकेट खेलने और घुमने के लिए निकल जाते थे। उनकी माँ को पता था की वहां का माहौल कुछ ठीक नहीं है, जीशान कादरी को इनकी मां कहती तुम पढाई करो और स्कूल में ही खेलो।
लेकिन जीशान कादरी नहीं मानते थे और वासेपुर के ही दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकल जाते थे।
जीशान कादरी का शिक्षा (Zeishan Quadri Education & School Life )
जीशान कादरी/Zeeshan Quadri को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था स्कूल में एडमिशन करके बस इधर उधर दोस्तों के साथ घूमता रहता था। 2002 2003 में कुछ नहीं कर रहा था चूँकि 12th पास कर चुका था। बाद इन्होंने अपना खुद का कुछ व्यापार करना चाहा जॉब करना इनको एकदम पसंद नहीं था इनका कहना था इनसे जॉब नहीं होगा किसी दुसरे के अंडर में काम करना इनको पसंद नहीं था। जीशान कादरी थोड़े आलसी टाइप के भी है इसने खुद जोश टॉक के एक interview में कहा था। इसके बाद किसी कारण जीशान कादरी मेरठ जाता हैं और वहीं एक कॉलेज में एडमिशन लेता है, यहाँ भी ज्यादा वक्त घुमने में ही बिताता था और किसी तरह ग्रेजुएशन करता है।
जीशान कादरी की इंटरमीडिएट (10+2) तक की पढाई वासेपुर धनबाद से ही हुई है। जीशान कादरी का एडमिशन De Nobili School में भी होता है जो पुरे धनबाद जिले के टॉप स्कूलों में से एक है। वहां से किसी कारणवश जीशान कादरी को हमेशा के लिए निकाल दिया जाता हैं, कारण स्पष्ट नहीं है। फिर उसके बाद ISL – Indian school of Learning saraidhela ( सराईढेला ) से 10th Pass की, इसके बाद ISL Jharia से Intermediate कि पढ़ाई पूरी कि। Intermediate के बाद जीशान कादरी पढ़ाई छोड़ दी थी बस धनबाद वासेपुर में ही इधर-उधर में घूमता रहता था।
जब जीशान कादरी सरायढेला स्कूल में पढ़ते थे तो स्कूल से भागकर फिल्म देखने भाग जाते थे, जीशान कादरी स्कूल से भागकर धनबाद के रे टॉकीज में पहली फिल्म शाहरुख खान की चाहत देखी थी। स्कूल बैग सारा दोस्त बगल के ही दुकान में रख कर भाग जाते थे, और टीचर ने एक दिन सबका बैग जब्त भी करली। जीशान कादरी स्कूल से कई बार भागकर फिल्म देखने जाया करते थे। जीशान कादरी को फिल्में देखना भले पसंद था लेकिन कभी सोचा नहीं था या प्लानिंग नहीं की थी कि फ्यूचर में कभी फिल्में बनाएंगे उसमें एक्टिंग करेंगे और प्रोड्यूस भी करेंगे। जीशान कादरी तो शुरू से अपना खुद का एक कोई छोटा सा बिजनेस धनबाद में करना चाहता था।
Success Story of Zeishan Quadri (जीशान कादरी की सफलता की कहानी?)
Zeishan Quadri मेरठ क्यों गए थे? जीशान कादरी की एक बहन दिल्ली में पढ़ती थी तो एक दिन जीशान कादरी अपनी बहन से मिलने के लिए दिल्ली जाते हैं। वहां पहुँचने के बाद अपनी बहन से मिलते हैं और इधर उधर घुमने निकल जाते हैं, एक दिन घुमने के लिए मेरठ निकल जाते हैं। और वहां पर जीशान कादरी को एक कॉलेज पसंद आ जाती है और घर वापस आकर अपने पिताजी से कहता है कि मैं मेरठ में पढूंगा। इनेक पिताजी तैयार हो जाते हैं और जीशान कादरी का एडमिशन मेरठ के कॉलेज में करवा देता है। मेरठ से ग्रेजुएशन करने के बाद वह दिल्ली चला जाता है।
और दिल्ली में ही कुछ वक्त के लिए कॉल सेंटर में काम पकड़ लेता है कुछ खर्चा निकालने के लिए क्योंकि जीशान कादरी के पास पैसे नहीं थे, इनके घर की भी उस वक्त आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। जीशान कादरी कभी कभी कॉल सेंटर पर ओवरटाइम करता था जिसमे वो करीब 16 से 17 घंटे काम करते थे। 2006 के अंत में जीशान कादरी वापस अपने घर आते हैं और पिताजी से कहते हैं कि मैं अपना खुद का कोई बिजनेस करना चाहता हूँ। लेकिन जीशान कादरी के पिताजी सीधे मना कर देते हैं और कहते हैं अभी तो नहीं हो सकता अभी न करो तो अच्छा रहेगा।
जीशान कादरी जहाँ जॉब किया था यो था वो Hutch कंपनी थी जो अब शायद कुछ वर्ष पहले करीब 2019 तक Vodafone थी। लेकिन अब 2021 में वोडाफोन अब VI हो चुकी हैं जिसमे वोडाफोन और आईडिया दोनों कंपनी मिल गई है। Hutch कंपनी में भी Zeishan Quadri काम कभी कभी ही करने जाते थे जब मन किया तो गए नहीं किया तो नहीं गए। एक दिन जीशान कादरी फिर वापस वासेपुर धनबाद चले आते हैं, और अपने परिवार वालो से कहता है की ये सब मुझसे नहीं होगा मैं एक restaurant खोलना चाहता हूँ और वही करूँगा। लेकिन किसी कारणवश restaurant नही खोल पायें, और कुछ वक्त के लिए जीशान कादरी अपने घर वासेपुर में ही रहा।
तो इसी बीच 2007 में इनके पिताजी कहते हैं तुम ग्रेजुएशन करके ऐसे ही खाली बैठे हो कोई काम भी नहीं कर रहे हो। तो इस खाली वक्त में MBA ही कर लो, इनके पिताजी पीछे लग गए की अब MBA कर ही लो Zeishan Quadri ने कहा की जब business करना है तो फिर MBA कर के क्या करना है। तो फिर Zeishan Quadri ने कहा ठीक है मैं कर लूँगा मैं पहले जॉब करता हूँ उसके बाद उसी बीच मैं MBA कर लूँगा।
फिर उसके बाद 2007 में जीशान कादरी दिल्ली वापस चले गए वहां पहुँचने के बाद उसने कहा की मुझसे ये कॉल सेंटर में 3000 वाली जॉब नहीं होगी। और जब वापस गए तो Zeishan Quadri के पास उतने पैसे भी नहीं थे, दिल्ली में एक जगह है जाकिरनगर जहाँ सबसे सस्ता रूम मिलता है, वहां उसने कमरा लिया। इसके बाद International Call Centre में जॉब करना था तो उसके लिए ईंग्लिश आना भी जरुरी था। उसके लिए थोड़ी बहुत बेसिक इंग्लिश सीखते है और जीशान कादरी के कुछ दोस्त भी बनते है जो इंग्लिश मदद करते हैं। जीशान कादरी पास ज्यादा पैसे नहीं बचे थे, सिर्फ 10 रुपये का सुबह नाश्ता करता था और 10 रुपया का शाम में कुछ कर लेता था।
कुछ इस तरह Zeishan Quadri का जीवन कट रहा था और कह रहा था कि किसी तरह बस International Call Centre में जॉब लग जाये। उसके बाद तो आर्थिक तंगी खत्म हो जाएगी, 17 मार्च 2009 की Interview था और 17 मार्च इनका जन्म दिन भी है। Interview में सेलेक्ट हो गए तो वहां पर ऑफिस में कहा का तुम्हारा एक फोटो चाहिए तो Zeishan Quadri के पास उस वक्त उतने पैसे भी नहीं थे। Zeishan Quadri ने कहा की सर आप ही दे दीजिये मैं आपको पेमेंट मिलने के बाद पैसे लौटा दूंगा और भी कई लड़के गए थे Interview देने के लिए लेकिन बाकि सेलेक्ट नहीं हुए सिर्फ Zeishan Quadri को ही चुना गया था।
उसके बाद उन्होंने पैसे दिए और उसके बाद Zeishan Quadri ने फोटो खिंचवाकर वहां पर दिया उसके बाद Zeishan Quadri अपने भाड़े के रूम में आये। अब सोचने लगा की अब तो अगल महिना पेमेंट आ ही जायेगा अब पैसे की किल्लत खत्म हो जाएगी। लेकिन इनको अप्रैल की सैलरी 15 मई को जा के मिलती है। तो Zeishan Quadri International Call Centre में कुछ वक्त तक तो काम करता है उसके बाद इस काम से उब गया। जीशान कादरी को शुरू से बकैती करने की आदत थी इसी की वजह से आज राइटर डायरेक्टर एक्टर producer बन पाया है। काम के दौरान ही जीशान कादरी का शाहिद नाम का एक दोस्त बना था जो जीशान कादरी की मदद करते हैं।
Zeishan Quadri को सचिन लाडिया से शाहिद ही मुलाकात करवाता है, सचिन लाडिया जो एक Screenplay Writer है। जब गैंग्स ऑफ़ वासेपुर फिल्म बनती है तो गैंग्स ऑफ़ वासेपुर फिल्म की Screenplay राइटिंग भी सचिन लाडिया ही करते है तो उनसे मुलाकात होती है। वहां से बातचीत शुरू होती है दोस्ती आगे बढती है और बकैती भी खूब होती है, और एक दिन Zeishan Quadri को कहता है की तुम Bollywood में क्यों नहीं कोशिश करते हो। Zeishan Quadri बोलते हैं ऐसा बात है क्या? वैसे ख़राब भी नहीं कहा, तो Zeishan Quadri ने इस बात से खुश होकर उनको ठंडा भी पिलाया। फिर साल आया 2008 और 2008 में जीशान कादरी ने जॉब छोड़ दी मन नहीं लग रहा था।
जीशान कादरी Bombay कैसे पहुंचा? Gangs of Wasseypur Writing Story Idea
जॉब छोड़ने के बाद जीशान कादरी के अंदर Bollywood Industry की तरफ इंटरेस्ट जगा और सोचा क्यों ना मुंबई चला जाये। कुछ जुगाड़ हो गया तो ठीक है नहीं तो फिर Call Centre जिन्दा बाद है ही। तो 2009 में जीशान कादरी अपने पिताजी को फोन किया की और कहा की मैं Bombay जा रहा हूँ, तो पिता ने कहा बोम्बे क्यों? वहां काहे जा रहे हो? तो जीशान कादरी ने कहा मतलब क्या बस Try करने जा रहा हूँ।पिताजी ने कहा कहाँ? जीशान कादरी ने कहा और कहाँ Bollywood में, तो पिता ने कहा की पगला गए हो का? तो जीशान कादरी ने कहा की बस 2 – 3 महीने देखता हूँ हो गया तो ठीक है नहीं तो फिर Call Centre है।
पिता ने कहा ये सब करोगे लेकिन तुम MBA नहीं करोगे? तो Zeishan Quadri ने कहा इसके बाद कुछ न हुआ तो हम पक्का MBA अबकी कर लेंगे। तो इसके बाद जिशान कादरी के पिता थोड़े शांत हुए और कहा चलो ठीक है, उसके बाद सचिन लाडिया से बात हुई उसके बाद 17 मार्च को मुंबई पहुंचे। Bombay स्टेशन पहुंचने के बाद जीशान कादरी सचिन लाडिया को फोन किया लेकिन सचिन लाडिया जी फोन नहीं उठाते हैं, कई बार फोन किया लेकिन फोन नहीं उठाते हैं। जीशान कादरी दादर स्टेशन पर खड़े थे, अब Zeishan Quadri करे तो करे क्या? अब तो बुरी तरह फंस गए थे अब किधर जाए।
तो जीशान कादरी का एक दोस्त मुंबई में ही चेंबूर में रहता था जो वासेपुर का रहने वाला था, तो जीशान कादरी अपने दोस्त को फोन करता है। और सारा कहानी बताता है उसके बाद उसका दोस्त लेने आता है अपने घर चेंबूर ले जाता है, और फिर वहां से प्रतिदिन चेंबूर से अंधेरी काम की तलाश में आना-जाना लगा रहता है। कुछ दिन बाद सचिन लाडिया का फोन आता है उसके बाद सारी बातचीत होती है, सचिन लाडिया कहते हैं थोड़ा बिजी था इसलिए फोन उठा नहीं सका। तो बराबर अंधेरी आना जाना लगा रहा और वहां पर एक चाय की टपरी थी वहां अक्सर चाय पिया करते थे, वहां कुछ लोगों से जीशान कादरी की दोस्ती हो गई।
उन लोगों के साथ भी जीशान कादरी खूब बकैती किया करते थे वासेपुर की घटना वगैरा सुनाते रहते थे। हमारे वासेपुर में इतना बड़ा बड़ा कांड होता है की पूछो ही मत, तो उन लोगों एक रूममेट चाहिए था तो जीशान कादरी ने कहा तो भाई मुझे ही रख ले। उसने कहा कि ₹3000 भाड़ा लगेगा तो जीशान कादरी ने कहा ठीक है। तो दूसरे दिन जीशान कादरी अपने दोस्त चेंबूर से अपना जो भी थोड़ा बहुत सामान था सब लिया और अंधेरी शिफ्ट हो गए । अंधेरी वाली रूम में 3 लोग रहते थे, जब वह जीशान कादरी रात में सोया और जब सुबह जागा तो उन्होंने देखा कि रूम में दस बारह आदमी सोया है।
जीशान कादरी ने रूममेट से पूछा कहा कि सबका रूम अगल बगल में ही हैं। रात को बकैती करते करते हैं सब यहीं सो गए। जीशान कादरी ने कहा चलो ठीक है। तो वहां एक सिनेमेटोग्राफर आया जो बराबर आना जाना करता था, तो उस सिनेमेटोग्राफर से जीशान कादरी पूछता है कि आपने कौन सा डांस करवाया था। तो उस सिनेमेटोग्राफर कहता है भाई वो करियोग्राफर का काम होता है, मैं एक सिनेमैटोग्राफर हूं मैं सूट करता हूं कैमरा पकड़ता हूं, Zeishan Quadri कहता है ओ ऐसा बात है क्या तो ठीक है।
Zeishan Quadri उसे खुश करने के लिए और जानकारी लेने के लिए क्योंकि सिनेमा के बारे में जीशान कादरी को कुछ भी पता नहीं था चाय बनाता है और उसे लाकर पिलाता है। और उस सिनेमा के बारे में उससे सारी जानकारी हासिल करता है, डायरेक्शन क्या होता है प्रोड्यूसर क्या करता है। धीरे धीरे सब जानकारी ले लेता है कि फिल्म कैसे बनती है, और सारा प्रोसेस कैसे होता है इसमें कौन कौन होता है। एक समय Zeishan Quadri को लग रहा था की अगर कैमरा सिनेमैटोग्राफर पकड़ता है तो फिर डायरेक्टर क्या करता है जीशान कादरी को तो लग रहा था कि कैमरा डायरेक्टर पकड़ता है।
तो सिनेमैटोग्राफर कहता तू हीरो बनने आया है ना, पहले तू गुरु दत्त का फिल्म देख, अब Zeishan Quadri भी सोचने लगा ये गुरुदत्त कौन है? Zeishan Quadri भी सोचने लगे कि आखिर गुरुदत्त कौन एक्टर है भाई मैंने तो बहुत सारी फिल्म देखी अभी तक तो मैंने गुरुदत्त को किसी फिल्म में नहीं देखा है। तो जीशान कादरी एक दोस्त से धीरे से पूछता है कि ये गुरुदत्त कौन है? तो उसका दोस्त कहता है कि गुरुदत्त एक एक्टर और डायरेक्टर है बहुत सी फिल्मे बनाई है। और वहां से वह बहुत सारे डायरेक्टर की फिल्में देखना शुरू करते हैं और वहीं से वर्ल्ड सिनेमा से इंट्रोड्यूस कराया जाता है।
Gangs of Wasseypur की स्टोरी लिखने का आईडिया Zeishan Quadri कोकहाँ से आया?
तो Zeishan Quadri उसी दौरान एक फिल्म देखता है, सिटी ऑफ गॉड फिल्म देखने के बाद जीशान कादरी अपने अंदाज में चाय पीते हुए का कहता है। कि इससे ज्यादा बदमाशी और गुंडागर्दी तो हमारे वासेपुर में होती है वो भी रियल में ये तो उसके सामने कुछ भी नहीं है। तो उसके कुछ दोस्त बोलते हैं क्या कह रहे हो भाई ऐसा भी होता है क्या? तो यहाँ से जीशान कादरी का जिंदगी धीरे धीरे बदलने वाला था। ये फिल्म देखने के बाद Zeishan Quadri को एक आईडिया आता है क्यों ना वासेपुर की कहानी लिखी जाए और देखते हैं कोई ना कोई है शायद बना दे। बात करके देखूंगा किसी को तो मेरी कहानी पसंद आएगी।
Zeishan Quadri Anurag Kashyap से कैसे मिले?
Zeishan Quadri कहानी लिखने के बाद वह हंसल मेहता का पास गया उसने कहा कहानी तो ठीक है, लेकिन कोई प्रोड्यूसर नहीं मिल रहा है। ऐसा है कि तुम कहीं और देख लो तो वह कहता कि तुम अनुराग कश्यप से क्यों नहीं मिलते, तो जीशान कादरी ने जब उसका नंबर माँगा तो उसका नंबर नहीं दिया। कहा कि वह बुरा मान जाएगा, तुम ऐसा करो कि जाकर उसके ऑफिस में मिल लो, तो Zeishan Quadri अनुराग कश्यप के ऑफिस में गया। जब पहला दिन का अनुराग कश्यप के ऑफिस गया तो वहां पर कह दिया कि अभी Anurag Kashyap ऑफिस में नहीं है। उसके बाद Zeishan Quadri वापस रूम पर चले गए, फिर दो-तीन दिन बाद उसके ऑफिस गए।
फिर उसके ऑफिस के लड़के कहते हैं कि यहां पर अनुराग कश्यप नहीं हैं, तो जिशान कादरी परेशान होकर स्टाफ से कहता है कि जब भी अनुराग कश्यप जी यहां पर अगर गलती से आ जाये। तो उनसे कह देना कि सोनिया गांधी का लड़का राहुल गांधी आया था, वो लोग जीशान कादरी का मुंह देखने लगा। तो जीशान कादरी जब ऑफिस से निकला और जब उसने दरवाजा बंद किया तो दरवाजे पर उसने देखा कि एक नोटिस कुछ लगा हुआ था जिसमें कुछ लिखा हुआ था। अनुराग कश्यप जहां पर कुछ काम रहे थे उस जगह का नाम था। तो जिशान कादरी वहां पहुंच गए, वहां पहुंचने के बाद भी कंफ्यूज थे कि वहां पर अनुराग कश्यप कौन है?
तो वहां पर किसी ने बताया कि वह वहां पर बैठे हुए हैं, तो जिसने बताया कि अनुराग कश्यप वहां बैठा हुआ है उसने भी उससे पूछा कि तू मेरा हीरो बनाने आया है ना तो जीशान कादरी कहा हां चल निकल। उसके बाद जीशान कादरी एक सिगरेट जलाता है पृथ्वी थिएटर में ही और अनुराग कश्यप सर को बार बार घूरता रहता है। उसके बाद अनुराग कश्यप वहां से उठकर किसी दूसरे जगह पर चल जाता है और किसी से बातें करने लगता है। जीशान कादरी बस उन्हें घूरता जा रहा था तो Anurag Kashyap जी से रहा नहीं गया और जीशान कादरी के पास आकर Anurag Kashyap सर मध्यम स्वर में बोलते है कि ए बोलना क्या हुआ।
बहुत देर से देख रहा हूँ तू मुझे घुर रहा है बात क्या है बोलो न, तो जीशान कादरी कहता है कि मेरे पास एक स्टोरी है। अपने झारखंड का नाम सुना है वहां पर एक जगह है वासेपुर वहां की रियल स्टोरी है। तो उसने कहा ठीक है ठीक है, तुम जो है कहानी लिखकर लाओ मैं पढूंगा फिर देखूंगा उसके बाद डिसाइड करूंगा कहानी कैसा है, बनाने लायक है या नहीं, ठीक है जाओ। उसके बाद Zeishan Quadri अपने रूम पर गया उसने कहानी लिखना शुरू कर दिया और उसने करीब 40, 45 पेज कहानी लिख दी। एक लड़का ने कहा फ़िलहाल कहानी को शोर्ट में लिख 6 – 7 पेज में वो इतना पेज नहीं पढ़ेगा।
फिर Zeishan Quadri उस कहानी को थोड़ा शोर्ट करके लिखता है, उसके बाद कहानी लेकर जीशान कादरी अनुराग कश्यप सर के पास पहुंच जाता है। अनुराग कश्यप जी कहानी पढ़ते हैं और कहते हैं कि ठीक है मैं ये फिल्म बनाऊंगा, यह लो मेरा नंबर और यहां मेरा ऑफिस है कल आ जाना। तो दूसरे दिन जीशान कादरी Anurag Kashyap जी के ऑफिस में जाकर बैठ जाता है, उस वक्त अनुराग कश्यप ऑफिस में नहीं थे। इससे पहले भी उनके स्टाफ से जीशान कादरी की आपसी बहस मतभेद हो चुकी थी। तो जीशान कादरी ने सोचा ये लोग तो चाय पिलायेगा नहीं चलो खुद पी कर आते हैं।
और जैसे ही जिशान कादरी ऑफिस से बाहर निकलते हैं चाय पीने के लिए वैसे ही अनुराग कश्यप सर टैंपू से उतरते हैं। जब जीशान कादरी ने देखा की Anurag Kashyap सर टेम्पू से उतर रहे हैं तो मन ही मन सोचा क्या ये फिल्म बना पाएंगे। तो अनुराग कश्यप सर कहते हैं कहां जा रहे हो? तो Zeishan Quadri ने कहा बस सर थोड़ा चाय पीने जा रहे हैं। तो अनुराग कश्यप जी ने कहा कि क्या मेरे ऑफिस में चाय नहीं मिलती है क्या? तो जीशान कादरी ने कहा आपके ऑफिस में चाय तो मिलती है लेकिन तमीज नहीं मिलती है। तो अनुराग सर ने पूछा क्या करते हो Zeishan Quadri ने फ़िलहाल तो कुछ नहीं।
तो अनुराग कश्यप सर पूछते हैं की कभी तुमने एक्टिंग की है, तू जीशान कादरी कहते हैं कि नहीं, तू वासेपुर में क्या करेगा है? तो जीशान कादरी कहता है कि एक्टिंग करूंगा। तो इसमें अनुराग कश्यप कहते हैं तूने कभी पहले एक्टिंग की है तुझे एक्टिव आती है, जिशान कादरी कहते हैं नहीं। उसके बाद इशान कादरी अनुराग कश्यप दोनों ऑफिस में जाकर बैठते हैं। उनके स्टाफ चाय चाय लाकर पिलाते हैं और उनको घूरते भी है। अनुराग कश्यप जी कहते हैं कि तुम डेफिनेट का रोल करना जीशान कादरी जी खुश हुए, खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके बाद जीशान कादरी अपने रूम में गया, और अपने पिताजी को फोन किया है और सारी चीजें बताई।
तो उनके पिताजी कहते हैं कि ये अनुराग कश्यप कौन है तो जीशान कादरी कहते हैं कि एक बड़ा फिल्म डायरेक्टर है फिल्में बनाते हैं। कुछ दिन बाद उनके पिताजी ने फोन किया और कहा कि कोई तुम्हे उल्लू बना रहा है तुम वापस घर चले आओ। Zeishan Quadri की एक बहन थी जो घर में पढ़ी लिखी थी उनको फिल्म की जानकारी थी तो जीशान कादरी ने कहा की तुम पापा को समझा दो बाकि मैं समझ लूँगा। तो Zeishan Quadri की बहन अपने पापा को समझाते हैं उसके बाद उनके पापा कहते हैं चलो ठीक है। तो 2009 में अनुराग कश्यप बॉम्बे वेलवेट करके कोई फिल्म बना रहे थे तो सकता था उसमें कुछ ज्यादा टाइम लग जाये।
वासेपुर बनाने में हो सकता है थोड़ा वक्त लगेया लेकिन बनेगी, तो जीशान कादरी अनुराग कश्यप के साथ ही रहने लगे और उनसे बहुत कुछ धीरे धीरे सीखता भी रहा। उसके बाद Zeishan Quadri वापस वासेपुर धनबाद आते हैं पूरा रिसर्च करते हैं और पूरी कहानी लिखते हैं और बहुत लंबी कहानी लिख देते हैं। जब अनुराग कश्यप कहानी देखते हैं तो कहते हैं कि यह तो बन ही नहीं पाएगी, तो जीशान कादरी कहते हैं कि मतलब, तो कहा कि मतलब एक फिल्म बनेगी ही नहीं। इसमें तो Gangs of Wasseypur की दो फिल्मे बन जाएगी जीशान कादरी भी खुश हो गए कि एक फिल्म बनाने आए थे और दो दो फिल्म बन गई।
Gangs of Wasseypur 1 बनने के बाद Gangs of Wasseypur 2 भी बनती है, और Gangs of Wasseypur 3 पर फ़िलहाल काम चल रही है।
तू उसी वक्त अनुराग कश्यप एक शॉर्ट फिल्म बना रहे थे नो मोर तो जीशान कादरी को इसमें एक रोल करने को कहा और एसिसियोट डायरेक्टर भी बना दिया। साथ में दो चार काम और उसको दे दिया, 2011 में गैंग्स ऑफ़ वासेपुर फिल्म सूट हो चुकी थी और 22 जून 2012 को जब ये रिलीज़ हुई तो फिल्म सुपर डुपर हिट रही। तो उसके बाद जीशान कादरी अपने पिता जी को फोन किया और कहा कि पापा अब मैं MBA कर लेता हूं, तो इनके पापा कहते हैं कि जब करना था तब किया नहीं और अब कह रहे हो MBA करना है। जो तुम कर रहे हो चुपचाप तुम वही बैठ के करो, कोई एमबीए करने की आवश्यकता नहीं है।
उसके बाद धीरे धीरे Bollywood में अपनी पकड़ बनाता है, उसके बाद स्टोरी राइटिंग करता रहता है, कुछ वक्त तक तो कुछ खास काम वगैरह नहीं मिलता है लेकिन धीरे धीरे थोड़े बहुत काम मिलने लगता है। उसके बाद खुद का अपना प्रोडक्शन हाउस खोला, उसके बाद जीशान कादरी मेरठिया गैंगस्टर को डायरेक्ट करती हैं। और कुछ लोगो के साथ मिलके produce भी करती है, मेरठिया गैंगस्टर को देखने के बाद अनुराग कश्यप कहते हैं कि तुम गैंग्स ऑफ वासेपुर 3 डायरेक्ट करोगे। तो जीशान कादरी गैंगस आफ वासेपुर 3 की स्टोरी लिख रहे हैं, हो सकता है इसको Zeishan Quadri ही डायरेक्ट करे।
तो Zeishan Quadri के जीवन में उतना कुछ खास संघर्ष (Struggle) नहीं रहा है ये तो कभी और Bollywood Industry में जाना ही नहीं चाहते थे। इनके पास बस एक ऐसी कहानी थी जो रियल थी जो आँखों देखी थी और सिर्फ इनको ही पता थी, एक समय तो उनको भी पता नहीं था कि वासेपुर की सच्ची घटनाओ पर कोई फिल्म भी बनाया जा सकता है। Zeishan Quadri जब मुंबई गया वहां पर पूरी Bollywood Industry से अच्छे से वाकिफ हुए। तब जाकर इनको पता चला की फिल्मे कैसे बनाई जाती है तो इनको यहाँ से फिल्म के पीछे की कहानी समझ में आई और गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की स्टोरी लिखी गई।
इन्होंने जो कहानी लिखी Gangs of Wasseypur ये सब लगभग Zeishan Quadri के आँखों के सामने घटी घटना है। और जो ये फैजल खान है Zeishan Quadri का पड़ोसी ही था, तो स्वाभाविक है कि Zeishan Quadri ने ये सब घटना को होते हुए बहुत ही नजदीक से देखा है। तो जीशान कादरी के लिए ये कहानी लिखना बहुत आसान था और थोड़ी बहुत कहानी जो पीछे की थी इन्होंने वासेपुर आकर लिखी पुराने लोगो से मिलकर लिखी 1940 केआसपास से कहानी लिखना शुरू किया था