Ratan Tata biography in hindi | रतन टाटा का जीवनी

नवल रतन टाटा का जीवन परिचय : Ratan Tata biography

रतन टाटा (Ratan Tata) भला ये नाम किसने नहीं सुना होगा। टाटा मोटर, टाटा नमक, टाटा स्काई, टाटा एयरलाइन, टाटा स्टील, आदि ऐसे बहुत सी कम्पनियाँ है। जो इनके ही नाम से है, और इनका ही है। ये सारे रतन टाटा जी के ही प्रोडक्ट है, तो आज जानेंगे की आखिर किस तरह रतन टाटा एक बड़ा नाम बनके उभरा। इनकें सफल बनने के पीछे की कहानी क्या है? आज इनके बारे में शुरू से जानने की पूरी कोशिश करेंगे। और आपको सरल शब्दों में समझाने की पूरी कोशिश करेंगे। कि आखिर किस तरह रतन टाटा ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई? रतन टाटा जी जितने बड़े व्यापारी है उससे कहीं ज्यादा बड़े दानकर्ता भी है। कुछ लोग तो बस इनके व्यापार के बारे में ही जानते हैं लेकिन व्यापार से हटके इनका एक अलग भी रूप है।

टाटा जी में वो करुणा है जो एक इन्सान में होनी चाहिए जो एक इन्सान में दया होनी चाहिये वो इनमे में है। ये भी जानेंगे कि आखिर लोगो के लिए अभी तक रतन टाटा जी ने क्या क्या किया है? जब आप इनके करुणा के बारे में जानेंगे तो हो सकता है आपमें भी दया और करुणा का भाव आ जाये। आप भी मोह-माया त्याग करने पर मजबूर हो जाएँ। टाटा जी का बचपन इतना सरल नहीं था बेहद ही संघर्षपूर्ण रहा है। रतन टाटा जी सिर्फ 10 साल के थे जब इनके माता पिता के बीच तलाक हो गया था। तत्पश्चात टाटा जी की माँ ने दूसरी शादी कर ली थी। जिससे टाटा के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। एक समय इनके जीवन में ऐसा आया कि रतन जी जब पढने के लिए बाहर गए थे। तब इनको एक लड़की से बेइन्तिहा मोहब्बत हो गई।

और वो लड़की भी रतन टाटा जी से बेहद प्यार करती थी, एक दुसरे को हमेशा साथ रहने का वचन भी दे चुके थे। और एक समय आया की वो लड़की किसी कारण से रतन टाटा से बिछड़ गई। और उसके बाद से रतन टाटा जी ने महाभारत में देवव्रत की तरह भीष्म प्रतिज्ञा ले ली की अब वो कभी भी शादी नहीं करेंगे। और जिस कारण से आज तक शादी नहीं की उस प्रतिज्ञा के कारण, आखिर रतन टाटा इतना सम्पति किसके लिए कमाया इसके पीछे क्या वजह है? रतन टाटा जी की प्रेमिका की कहीं और शादी हो गई। वो पल रतन टाटा (Ratan Tata) जी के लिए कैसा था? उसके तत्पश्चात रतन टाटा जी ने कैसे इतनी बड़ी कंपनी खड़ी की और आज पुरे दुनिया में इनका नाम का डंका क्यों बज रहा है?

Ratan Tata biography in hindi
रतन टाटा का पूरा नाम नवल रतन टाटा
रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर सन् 1937
रतन टाटा जी जन्मस्थानसूरत
रतन टाटा की उम्र 84 साल 2021 में
रतन टाटा की माता जी का नाम सोनू टाटा (Sonu Tata)
पिताजी का नाम नवल होरमुसजी टाटा
धर्म पारसी
रतन टाटा जी का भाई जिम्मी (सौतेला)
स्कूल Cathedral and John Connon School (मुंबई), Bishop Cotton School (शिमला)
कॉलेज/यूनिवर्सिटी Cornell University, Harvard Business School
शिक्षा Engineering में आर्किटेक्चर एवं स्ट्रक्चरल में स्नातक
पहला जॉब IBM
Ratan Tata जी का घर कुलाबा मुंबई में

रतन टाटा जी का जन्म, परिवार, शिक्षा और करियर

Ratan tata biography in hindi

रतन टाटा जी का असली नाम नवल रतन टाटा है, रतन टाटा जी का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को सुरत में नवल (रतनजी टाटा द्वारा गोद लिया हुआ बेटा) और माता सोनू (sonu) के घर हुआ। रतन टाटा धर्म से पारसी है, रतन टाटा जी की उम्र उस वक्त 8 से 10 रही होगी। जब इनके माता पिता के बीच किसी कारणवश तलाक हो गया। रतन टाटा का एक भाई था जिसका नाम जिम्मी जो सिर्फ 5 वर्ष का ही था। तब जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई (रतन टाटा की दादी) ने इन्हें गोद ले लिया था। ये अपनी दादी के यहाँ चले गए दोनों भाई का भरण पोषण दादी नवाजबाई ने की। रतन टाटा ने अपनी शुरूआती पढ़ाई Cathedral and John Connon School ( मुंबई ) और Bishop Cotton School ( शिमला ) से पूरी की।

फिर वास्तुकला में B.S की पढ़ाई पूरी करने के लिए सन् 1962 में Cornell University चले गए। फिर 1975 में Harvard Business School से Advanced Management Program की पढ़ाई पूरी की। और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से Engineering में आर्किटेक्चर एवं स्ट्रक्चरल में स्नातक की, रतन की पढाई पूरी होने के बाद जब में भारत लौटे और IBM की नौकरी को ठुकराकर टाटा ग्रुप के साथ अपने कैरियर की शुरूआत की। 1961 में Tata steel में एक employee के रूप में कार्य करना शुरू किया था। लेकिन 1991 आते-आते वो टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए, और 2012 में जाकर रिटायर हुए।

टाटा जी ने सबसे पहले जमशेदपुर के टाटा स्टील में नौकरी की और कंपनी में अन्य लेबर के साथ ही रहते थे। और उसके साथ ही सोते थे वहीं खाना खाते थे। एक दिन रतन टाटा जी ने टाटा स्टील कंपनी के मेनेजर से कहा की क्या आने जाने के लिए गाड़ी मिलेगी। वहां के मेनेजर ने सीधा इंकार कर दिया और कहा की साइकिल से आया जाया करो। लेकिन रतन टाटा जी पैदल ही आने जाने लगा। अपने लीडरशिप में इन्होंने TCS टाटा मोटर को न्यूयोर्क स्टोक exchange में लिस्ट किया। रतन टाटा अपने 21 साल की अध्यक्षता में कंपनी को शिखर पर लेकर गए, कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी।

रतन टाटा जी की कुछ अनसुनी सच्ची कहानियां

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रतन टाटा जी का जब गाड़ी का टायर पंचर हो गया

टाटा जी एक बार किसी ऑफिसियल काम से मुंबई से नासिक जा रहे थे। उनके साथ कई अन्य ऑफिसर भी थे, रास्ते में इनकी गाड़ी का टायर पंचर हो जाता है। तो सब गाड़ी से उतर कर इधर उधर घुमने लगते है। कोई चाय पीने चला जाता है, कोई कुछ कर रहा था, कोई सिगरेट पी रहा था कोई घूम रहा था। लेकिन रतन टाटा नजर नहीं आ रहे थे सब रतन टाटा को ढूँढने लगते हैं। लेकिन अचानक सब देखते ही की वो अपने गाड़ी के ड्राईवर के साथ टायर बदलने में उनकी मदद कर रहें हैं। तो उसके कुछ सहायक ने कहा आप ये क्या कर रहे हैं? आप रतन टाटा है, ये आपका काम नही है ये काम वो कर लेगा उसको करने दीजिये।तो रतन टाटा ने का कि देखो अगर इसे टायर बदलने में 20 मिनट लगता है।

तो गर मैं मदद कर दूंगा तो 20 मिनट का 10 मिनट में ही हो जायेगा। और हम लोग सही वक्त पर मीटिंग में पहुँच सकते हैं। तो आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की Ratan Tata के मन में किसी के लिए और कोई भी काम के लिए किसी भी तरह का भेदभाव नहीं रखते। इनके अन्दर करुणा, दया बहुत है और किसी की भी सहायता करने से पीछे नहीं हटते हैं।

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जब 26 नवम्बर 2008 ( 26/11) को मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ

जब मुंबई में कई जगहों पर कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी ने (26/11 – 26 नवम्बर 2008) हमला हुआ। बम धमाके किये जिनमे से एक मुंबई के और देश के सबसे बड़े होटल ताज होटल का नाम सबसे पहले आता है। ताज होटल में हुए हमले में जितने भी लोग और स्टाफ घायल हुए और जिनकी मृत्यु हुई। रतन टाटा जी स्वयं एक एक के घर जाकर मिले और हर किसी को 50 से 80 लाख तक compensation ( नुकसान की भरपाई ) दिया। और जिन्दगी भर के लिए मेडिकल councilor तक दिया जिन जिन लोगो की मृत्यु हुई उसके घर वालो को 50 से 60 लाख रुपया तक दिया। और जो जो लोग ताज होटल में नौकरी कर रहे थे लेकिन आतंकवादी हमले के कारण जो बुरी तरह घायल हो गया नौकरी करने के लायक नहीं रहा।

जिनकी जिनकी जितने साल की नौकरी बची हुई उसको उतने साल की सैलरी बगैर काम करवाए रतन टाटा जी ने सबको पूरी सैलरी दी। और तो और उसके घर की सारी जिम्मेवारी (responsibility) भी रतन टाटा जी ने उठाई। जैसे कि उसके किसी घायल कर्मचारी के घर किसी का शादी हो, बच्चो का पूरा पढाई खर्चा का वहन करना, चिकित्सा से संबंधित इलाज करवाना आदि सब टाटा जी ने उठाई। अगर उसके किसी कर्मचारी ने लोन ले रखा था तो उसके लोन को चुकाया। और तो और ताज होटल में जो अभी नए कर्मचारी आए थे कुछ ही दिन हुए थे। रतन टाटा जी ने उसे तक compensation ( नुकसान की भरपाई ) दिया। अपने होटल के कर्मचारी की मदद तो की ही साथ में ताज होटल के बाहर जितने भी राहगीर घायल हुए

जिनमे से कुछ पुलिसकर्मी, छोटे मोटे दुकानदार, चाय वाला, गुब्बारे वाले पाव भाजी वाले, भेल पूरी वाला आदि जिनका-जिनका आतंकवादी हमले से नुकसान हुआ था। सब को रतन टाटा जी ने compensation ( नुकसान की भरपाई ) दिया। रतन टाटा का राहगीरों और अन्य बाहर फुटकर दुकानदारो से कोई मतलब और रिश्ता नहीं था। लेकिन बावजूद इसके रतन टाटा जी ने उसकी मदद की बगैर किसी भेदभाव के ऐसा इन्सान दुनिया में शायद ही होगा। और बहुत से लोगो को नौकरी तक टाटा ग्रुप्स में दी जिनका उनसे कोई वास्ता तक नहीं था। और वहीं दूसरी तरफ एक लड़की थी देविका नाम की जो CST मुंबई रेलवे स्टेशन पर थी और उसके पिता और भाई वाशरूम गए हुए थे उसी दौरान उस लड़की के पैर में गोली लग गई थी।

और कोर्ट में गवाही भी देती है की अजमल कसाब ने उनको गोली मारी है। रतन टाटा जी ने तो करीब 15 से 20 में सबका compensation ( नुकसान की भरपाई ) दे दिया। लेकिन 2020 तक उस लड़की को किसी भी तरह का compensation (नुकसान की भरपाई ) नहीं मिला। ये है भारत सरकार की व्यवस्था प्रणाली वो लड़की एक मछुआरा थी और करीब 12 साल बाद उसे compensation ( नुकसान की भरपाई ) मिला।

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जब पाकिस्तानी सरकार ने रतन टाटा से टाटा सूमो के लिए आर्डर दिया

26 नवम्बर 2008 (26/11) के पाकिस्तानी आतंकवादी हमले के कुछ समय के पश्चात पाकिस्तानी सरकार ने रतन टाटा जी से करीब हजार टाटा सूमो आर्डर का दिया। लेकिन रतन टाटा जी ने पाकिस्तानी सरकार के ये आर्रडर सीधे रद्द कर दिया। और कहा की भले कंपनी का नुकसान हो जाये ये मेरा हो जाये लेकिन पाकिस्तान को मैं कुछ नहीं दूंगा।

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रतन टाटा ने ताज होटल की मरम्मत करने के लिए जब टेंडर निकाला

एक बार रतन टाटा जी ने ताज होटल की मरम्मत करने के लिए टेंडर निकाला। हमारे ताज होटल को कौन बेहतर ढंग से मरम्मत कर सकता है? तो यहाँ पर पाकिस्तान की दो कंपनियों को इसके बार में पता चलता है और टेंडर के लिए आवेदन कर देता है। और पाकिस्तान की ये दो कम्पनियां कहती है कि हम आपका होटल की मरम्मत कर सकते हैं। लेकिन यहाँ पर रतन टाटा ने पाकिस्तान की कम्पमियों पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया। पहले पाकिस्तानी आतंकवादी आकर यहाँ लोगो को मारे और तोड़े फोड़े और दूसरी तरफ पाकिस्तानी कंपनी ही उसका फायदा उठाये ये मेरे लिए संभव नहीं है। जैसे लग रहा ये करके हमारे ऊपर बड़ा मेहरबानी कर रहा है। मुझे पाकिस्तानी टेंडरो की कोई जरुरत नहीं है।

जब पाकिस्तानी टेंडरो को ये ये टेंडर नहीं मिलता है तो आपने सामने बात करने के लिए और मिलने के लिए बिना appointment लिए रतन टाटा जी के दफ्तर पहुँच जाते है। लेकिन यहाँ रतन टाटा ने मिलने से सीधा इंकार कर दिया, और अपने कर्मचारी से बोला उसे कह दो मैं बहुत व्यस्त हूँ। सुबह से शाम हो गया पाकिस्तानी टेंडर इन्तेजार में बैठे रहे। उसके स्टाफ ने कहा शाहब आज बहुत ज्यादा व्यस्त है। आप लोगो ने appointment ले के नहीं आया है और बोला तुम लोग जाओ। उसके बाद ये पाकिस्तान टेंडर एक एक जान पहचान वाले के पास पहुँच गए जो दिल्ली के बड़े काग्रेस के नेता थे। उसके पास गए और उनसे कहा की मेरे और रतन टाटा के बीच appointment फिक्स करा दो

हम उनके होटल की मरम्मत करने और उसके द्वारा निकाले गए टेंडर को लेना चाहते हैं। उसके बाद वो कांग्रेसी नेता ने रतन टाटा से संपर्क किया। कांग्रेसी नेता ने रतन टाटा जी को फोन किया और कहा की यहाँ दो पाकिस्तानी टेंडर वाले आये इनको टेंडर दे दो ये आपका होटल की मरम्मत कर देंगे। एक मीटिंग ही कर लोजिये, तो इसमें रतन टाटा जी ने कहा कि तुम बेशर्म हो सकते हो मैं नहीं पाकिस्तानियो को धंधा नहीं दूंगा। इतना बोला और फोन काट दिया ऐसे है हमारे रतन टाटा जी।

💦 छात्रों से मिलने के लिए जब फ्लाइट मिस कर दिया💦

एक बर एक कॉलेज के चेयरमैन ने रतन टाटा जी को किसी कार्यक्रम में आमंत्रण किया। जब रतन टाटा वहां गए और जब बच्चो को पता चला की रतन टाटा जी आये हुए हैं। रतन टाटा जी को देखने के लिए छात्र-छात्राओं की बहुत भीड़ इकठ्ठा हो गई। धक्का मुक्की होने लगा इस धक्का मुक्की में एक लड़की गिर गई। और जब रतन टाटा ने ये देखा तो सब से कहा की कार्यक्रम खत्म होने के बाद मैं आप सब से मिलूँगा। कार्यक्रम थोड़ा लम्बा हो गया रतन टाटा जी को उस दिन फ्लाइट से कहीं जाना भी था और देर भी हो रही थी। लेकिन रतन टाटा जी उस दिन अपनी फ्लाइट मिस कर दी सब बच्चो से मिलने के लिए। जब प्रिंसिपल ने कहा आपने इन सब बच्चो के लिए अपनी फ्लाइट क्यों मिस दी।

तो रतन टाटा जी कहा कि मैंने सब बच्चो को वचन दिया है मैं उनसे मिलूँगा मैं अपने वचन से कभी पीछे नहीं हटता हूँ। और आख़िरकार रतन टा जी सब बच्चों से मिलकर ही जाते हैं। रतन टाटा जी इतने सरल स्वभाव के हैं मन इतना शांत होता है की कभी भी गलत फैसला नहीं लेते हैं।

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रतन टाटा जी छात्रों के साथ जमीन पर बैठकर फोटो खिंचवाना

एक बार रतन टाटा जी किसी सेमिनार में गए थे और वहां जब सेमिनार खत्म हुआ। तो सब बोले चलो रतन टाटा जी के साथ फोटो खिंचवाते हैं। और जब फोटो खिंचवाने के लिए सबने लाइन बनाई तीन लाइन बनाई। सबसे पहले पीछे सबसे लम्बे वाले लड़के खड़े हो गए फिर उसके बाद उससे थोड़े छोटे लड़के फिर उसके बाद टाटा जी के लिए कुर्सी लगाई गई। लेकिन कुर्सी हटा दिया। लोगो का लगा की रतन टाटा जी खड़े होंगे जब खड़े हुए तो कुछ लड़के पीछे वाले नजर नहीं आने लगे। पीछे जाये तो वो खुद ही छिप जाये उसके बाद खुद आगे आकर जमीन पर बैठ गए। थोड़ा समय के लिए तो वहां सन्नाटा ही छा गया तो आप इसकी विन्रमता देख सकते हैं। जब इनका Instagram account में 1 million follower हुए तो Instagram पे सबका धन्यवाद करते हुए एक पोस्ट डाला।

और वहीं एक लड़की कमेंट में लिखा congratulation छोटू तो इससे रतन टाटा के एक प्रशंसक को बुरा लग गया। उसके बाद क्या उस लड़की को ट्रोल करना सब शुरू कर दिया, भला बुरा सब कहने लगा। लोग कहने लगे तुम्हे पता नहीं ये कौन है रतन टाटा जी है, तुझे समझ में नही आता है, ये कौन है? फिर उसके बीच रतन टाटा जी आ गए, लड़की के पक्ष में ही लिखा कि खामखाँ मेरी वजह से आपको इतना कुछ सुनना पड़ा। और लोगो से कहा की आप इस लड़की की इज्जत से पेश आये रेस्पेक्ट करे उसके बाद तो फिर रतन टाटा के प्रसंशक ने लिखा देख ले ये ये है रतन टाटा जी विन्रमता की मूरत उसके बाद उस लड़की ने अपना कमेंट डिलीट किया।

💦 जब जापानी कंपनी भारत आई 💦

जब जापानी कंपनी भारत आई थी और अपना automobile कम्पनी लगाईं तो बहुत स्ट्राइक होती है। मारुती सुजुकी उसके वहां भी बहुत स्ट्राइक हुई हौंडा की हुई। टाटा मोटर में एक बार कर्मचारी और मैनेजमेंट में झगड़ा हो गया। कर्मचारी लेबर यूनियन का कहना था की हमें बोनस नहीं दिया जा रहा है। ये हमारा हक़ है और त्यौहार में बोनस तो बनता ही है। लेकिन मैनेजमेंट देने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। जिसको लेकर मैनेजमेंट और लेबर में झगड़ा हो गया और दोनों को चोटें भी आई। लेबर डटे रहे लेकिन management बोनस देने को तैयार नहीं हो रहे थे। उसके बाद टाटा जी आते और कहते मैं लेबर से मिलता हूँ। उसके यूनियन से बात करता हूँ और जाकर उसके सामने वो भी जमीन पर बैठ गए, और बोले आप ठीक बोल रहे हैं आपको बोनस तो मिलना ही चाहिए।

आपने इतना मेहनत किया खून पसीना बहाया और उसके बाद रतन टाटा मैनेजमेंट को समझाने लगे की भाई इसको बोनस दो। लेकिन फिर भी मैनेजमेंट मना कर कर रहे थे। मैनेजमेंट ने कहा हमारे हिसाब से इनको बोनस नहीं देना चाहिये। रतन टाटा भी अड़ गए नहीं इनको आप बोनस दो मैनेजमेंट कहता आपके कहने पर हम दे देंगे। लेकिन इसका बोनस बनता नहीं है और मजदूर भी देख रहे है कि टाटा मोटर के owner खुद हमारे लिए लड़ रहे हैं। ये सब देखकर लेबर भी सोचने लगे की हमारे लिए खुद टाटा मोटर के owner लड़ रहे है। यही काफी है लोग रतन टाटा जी से बहुत प्रभावित हुए इसके बाद इन लोगों ने धरना देना बंद कर दिया ये लोग वापस अपने अपने काम में लग गए।

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रतन जी ने एक कार्यक्रम चलाया Reward the failures यानि जो कोई भी कंपनी में कुछ नया करता है। भले वो सफल नहीं होता है लेकिन अगर उसका आईडिया अच्छा लगा तो हम उसे इनाम देंगे। टाटा नैनो के failures से रतन टाटा जी को एक चीज सिख मिली और एक फैसला करते हैं कि क्यों न नए आईडिया failure के लिए एक reward रखते हैं। छोटे छोटे failure होने दो इन्होने एक annual contest ही लांच कर दिया। जिसमे जिसका सबसे अच्छा आईडिया failed होगा उसको reward दिया जाएगा। जिससे होगा क्या कि छोटे छोटे आईडिया पर काम करेंगे और fail भी होगा तो ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

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रतन टाटा जी भारत के सबसे बड़े दानकर्ता हैं

रतन टाटा जी बहुत बड़े Philanthropy यानि दानकर्ता है और सेवा देने वालो में से एक है। रतन टाटा जी अपने कम्पनी के करीब 60 से 70 प्रतिशत हिस्से की कमाई दान में दे देते हैं। इनका बहुत से सेवा सहायता कार्यक्रम और फाउंडेशन चलते हैं, जैसे कि Health nutrition education water conversation, digital transformation, skill development, disaster relief scholarship आदि ऐसे कई जगहों पर रतन टाटा जी दान देते हैं। ये तो वहां पहुँच गए जहाँ इन्होंने पढ़ा था वहां कह दिया की गर कोई भारतीय आता है और पढने में बहुत तेज हो काबिल हो। उसे फाइनेंसियल मदद कर दो वहां टाटा जी 100 करोड़ दे आये। इन्होंने मुंबई के IIT को दे दिया। और बाकि 1500 करोड़ इन्होंने तो covid में दान दिया। इन्होंने रिसर्च प्रोजेक्ट सेंटर को फण्ड दिया और कहा की आप ऐसा कुछ करो कुछ ऐसा बनाओ जिससे कि लोग बीमार ही न हो।

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2011 का एक स्टोरी है जब विवेक बिंद्रा अपने गुरु से कहा की वो गरीब बच्चो को खाना खिलाना चाहते हैं। तो उसके गुरु ने कहा कि आप टाटा ग्रुप से जाकर मिले वो इसमें आपकी मदद करेंगे वे बहुत दान देते हैं। तब उस समय अर्जुन मुंडा 2011 में जमशेदपुर के सांसद थे। तो विवेक बिंद्रा जी गए, अर्जुन मुंडा जी से मिले और गीता की कुछ कत्था सुनाई तो अर्जुन मुंडा बहुत खुश हुए। और विवेक बिंद्रा से काफी प्रभावित हुए। अर्जुन मुंडा भगवत गीता पढ़ते पढ़ते 15 दिन में झारखण्ड के मुख्यमंत्री बन गए। अर्जुन मुंडा बहुत खुश हुए, विवेक बिंद्रा जी को फोन किया और कहा कि विवेक बिंद्रा जी आपने जो भागवत गीता दी और मैं मुख्यमंत्री बन गया। और साथ में शपथ समारोह में भी विवेक बिंद्रा जी को बुलाया और पूछा कि विवेक बिंद्रा जी और बताइये मैं आपका क्या सेवा करूँ।

तो विवेक बिंद्रा जी ने कहा कि आप मेरे लिए कुछ मत करिए बस जमशेदपुर के रतन टाटा के मैनेजिंग डायरेक्टर से मिलवा दीजिये। मैं चाहता हूँ की गरीब बच्चो के लिए मुफ्त किचेन बनाऊं और गरीब बच्चो को मिड डे मिल के द्वारा बच्चो को स्कूल लाया जाये। जिसमे स्कूल में आने वाले हर बच्चो को पौष्टिक आहार मिले, और विवेक बिंद्रा रतन टाटा के मैनेजिंग डायरेक्टर से कहता है। की हम क्या करेंगे हम आपके गाड़ियों पर टाटा ace और टाटा 407 पे बड़ा बड़ा बैनर लगवा देंगे जिसमे लिखा रहेगा की टाटा group यहाँ गरीब बच्चो को खाना खिला रही है। और मिड डे मिल का कैम्पन चला रहे हैं स्कूल में अब फ्री में बच्चो को दाल भात सब्जी रोटी मिलेगा। जिससे बच्चे स्कूल आने लगेंगे उनको ये आईडिया अच्छा लगा और 15 करोड़ दान दे दिया और आज भी वो किचेन चल रही है।

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हार्वड के अंदर university Washington Dc (1867) crises management सिखाया जाता है। तो किसी विषय पर सर्वे करने के लिए कुछ ऑफिसर रतन टाटा के पास आते हैं। ये पता लगाने के लिए कि जो रतन टाटा की कम्पनी है और टाटा ग्रुप के जो होटल है और होटल के जो कर्मचारी हैं वो एक दुसरे से इतना communicated कैसे हैं? टाटा ग्रुप के होटल के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर होटल में हुए हमला में ग्राहक की जान क्यों बचा रहे थे? उस होटल का एक मेनेजर था करमवीर जिसकी बीबी को गोली लग गई थी, और उसकी मृत्यु हो गई थी। और बच्चे की भी मृत्यु हो गई थी, उसको पता था बावजूद इसके वो दूसरे लोगो की जान बचाने में लगा था।

वो मेनेजर सिर्फ एक साल पुराना ही था, उसकी बीबी निति और बच्चे उदय और समर एक 14 साल का दूसरा 5 साल का उसी होटल में रुके हुए थे। इसके आलावा जितने भी वहां के नए पुराने स्टाफ थे सब होटल में आये लोगों कि जान बचाने में लगे हुए थे। और एक लड़की receptionist थी वो भी human शील्ड बना के गेस्ट को बाहर निकलने में मदद कर रही थी। हार्वड के ऑफिसर ने बोला ऐसा वहां क्या है सब हैरान हैं की वहां के स्टाफ अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे लोगो को बचाने में लग हुए थे। हार्वड के दो ऑफिसर देशपांडे और रैना ये सर्वे करने भारत आये थे। रिसर्चर को लगा की टाटा ग्रुप लोगो को पहले ट्रेनिंग देता होगा लेकिन पूछने पर पता चला कि ऐसा करके यहाँ कुछ भी ट्रेनिंग नहीं दिया जाता है।

जब रतन टाटा जी ने कहा कि होटल में आने वाले हर नए कर्मचारी का चयन उसके चरित्र और व्यवहार पर किया जाता है। काम करना तो हम सिखा ही देते हैं बस इन्सान इमानदार होना चाहिए हम बस वो देखते हैं।

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रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की?

रतन टाटा जी को लेकर हर किसी के मन एक सवाल आता है कि आखिर रतन टाटा जी ने आखिर शादी क्यों नहीं की? कुछ लोगों को लग रहा होगा कि रतन टाटा जी शादीशुदा है लेकिन वास्तविक में रतन टाटा जी की शादी नहीं हुई। या कहे रतन टाटा जी ने खुद शादी नहीं की। इसके पीछे के बहुत लम्बी कहानी है और बहुत ही प्यारा सा स्टोरी है। रतन टाटा जी तो शादी लोस अन्जेल्स में कर लेते लेकिन उस समय उनकी दादी बीमार होने की वजह से रतन टाटा जी उस समय भारत लौट आये। उसके बाद उनके जिंदगी में नया मोड़ ले लिया। टाटा जी जब पढाई करने के लिए बाहर गए थे उसी दरमियान वहां पर एक अमेरिकी लड़की से बेहद प्यार हो गया था। दोनों कुछ दिनों में शादी भी करने वाले थे शादी होना एकदम तय था।

लोस angles में वहां दोनों की शादी भी होनेवाली थी दोनों एक दुसरे से बेहद प्यार भी करते थे। दोनों कुछ दिन में शादी करने वाला था। लेकिन उनको भारत से फोन आया कि उनकी दादी माँ बीमार है तो उसे जाना पड़ा। क्योंकि उसका आधा जीवन तो दादी के साथ ही गुजरा था। टाटा ने कहाँ चलो इंडिया वहीं शादी कर लेंगे और दादी से भी मिलवाऊंगा। तो लड़की के माता पिता ने उसे वहां रोक लिया। साल 1962 का समय था अभी भारत जाना तुम्हारे लिए ठीक नहीं है, कुछ दिनों के बाद चले जाना। तो टाटा जी सिर्फ भारत आये और इधर टाटा जी भारत में उस लड़की का इन्तेजार रहे थे। क्योंकि उनकी प्रेमिका ने कहा था कि वो कुछ दिनों के बाद भारत आ जाएगी। लेकिन लड़की के माता पिता ने उस लड़की की शादी वहीं किसी और लड़के से कर दी।

जब रतन टाटा को पता चला तो इनको बड़ा धक्का लगा उस लड़की को वचन दे चुके थे। कि शादी उससे ही करेगा अन्यथा किसी भी लड़की से नहीं करेंगे। लड़की के माता पिता ने लड़की की शादी किसी और से शादी करा दी। लेकिन यहाँ रतन टाटा ने जिंदगी भर कुंवारे रहने का फैसला ले लिया। और आज तक रतन टाटा ने शादी नहीं की और अकेला ही रह रहे हैं।

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बात साल 1999 की है जब इंडिका गाड़ी बाजार में आई थी और आया हुआ करीब एक साल हो गया था। रतन टाटा फोर्ड के हेडक्वाटर डेट्राॅयट पहुँच गए। और कहा कि आप मेरी टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल जो चल नही रही है मैं उसे बेचना चाहता हूँ। और आप इसको खरीद लीजिये। उस दिन बिल फोर्ड ने उनकी बेइज्जती कर दी और उस दिन उन्होनें कहा था तुम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं तेरा ये टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल खरीद कर जब गाड़ी बनानी नही आती तो धंधे में क्यों आए थे। जैसे ही बिल फोर्ड ने ये बात रतन टाटा से कही ये बात रतन टाटा जी के दिल में लग गई। और घर कर गई, रातों रात रतन टाटा ने पूरी टीम को लेकर डेट्राॅयट से मुंबई के लिए रवाना हुए।

टाटा मोटर्स पर रतन टाटा ने अलग से वक्त दिया और कुछ ही दिन बाद टाटा मोटर्स ने अच्छा बाजार पकड़ा लिया। उसके बाद बिल फोर्ड की कंपनी घाटे में चलने लगी। साल 2009 में फोर्ड दिवालिया होने की कगार पर आ गई। तो टाटा ग्रुप ने उनको प्रोपोजल भेजा कि तुम चाहो तो अपनी कंपनी बेच सकते हो उसी तरह फोर्ड की पूरी टीम डेट्राॅयट से मुंबई आ गई। और आकर बोले आप हमारी जैगुआर लैंडरोवर खरीदकर हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं। रतन टाटा ने बड़े प्रेम से 9600 करोड़ रूपये में उनकी ये जैगुआर लैंडरोवर खरीद ली।

टाटा कंपनी की कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • टाटा ग्रुप के अन्तरगत लगभग 100 कंपनी आती है, टाटा चाय से लेकर बड़े बड़े होटल तक इनके लिस्ट में आते हैं। स्टील से लेकर नैनों कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ इनके अंतर्गत आता है।
  • टाटा को पालतू जानवरों से बेहद ही प्यार है और दूसरा उन्हें प्लेन उड़ाना भी बेहद पसंद है उनके पास लाइसेंस भी है।
  • रतन टाटा अपने कर्मचारियों से बेहद प्यार करते हैं जो काब़िल-ए-तारीफ़ है। टाटा में नौकरी करना सरकारी नौकरी से कम नही माना जाता है। उससे भी बेहतर ख्याल अपने करमचारियों का रखते हैं। रतन टाटा नए स्टार्टअप में भी इंवेस्ट करते है जैसे – Ola, PayTm आदि में।
  • टाटा जी जी को साल 2000 में पद्म भूषण और साल 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • साल 2008 में 26 नवम्बर के दिन आतंकवादियो ने मुंबई के ताज होटल पर हमला किया था। होटल में जितने भी लोग घायल हुए उन सब का इलाज रतन टाटा जी ने ही कराया।
  • होटल के आस-पास जितने भी फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले थे। जिन जिन लोगो का भी नुकसान हुआ था रतन टाटा जी उन सबकी मदद की। होटल जितने दिन तक बंद रहा, कर्मचारियों को उतने दिन की पूरी तनख्वाह दिया।

  • कुछ लोगों का पता होगा कि मुंबई के ताज होटल का निर्माण टाटा कंपनी बनाने वाले जमशेदजी टाटा ने ही करवाया था।यह होटल सन् 1903 में सिर्फ 4 करोड़ 21 लाख रूपए में बना दिया गया था।
  • टाटा कंपनी के फाउंडर जमशेदजी टाटा को छोड़कर पहले 5 चेयरमैन में से किसी का कोई वारिस ही नही था। सन् 1887 में टाटा की स्थापना करने वाले जमशेदजी टाटा खुद चेयरमैन बने। 1904 में उनकी मौत हो गई और जमशेदजी के बेटे सर दोराबजी टाटा को 1904 में चेयरमैन बनाया गया। 1932 में इनकी मौत हो गई उसके बाद टाटा कंपनी की कमान दोराबजी की बड़ी बहन के बेटे नौरोजी सकलतवाला को मिला। 1938 में इनकी मौत हो गई उसके बाद टाटा की कमान जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई के बेटे जे.आर.डी. टाटा को मिला और 1991 में ये रिटायर हो गए।
  • जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा द्वारा गोद लिए हुए नवल टाटा के पुत्र रतन टाटा को 2012 में रिटायर हो गए। रतन टाटा के सौतेले भाई के सगे साले साइरस मिस्त्री को 2016 में साइरस मिस्त्री को कंपनी से किसी कारणवश निकाल दिया गया। नटराजन चंद्रशेखर को टाटा कंपनी का कमान मिल गया।
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