धनबाद के जांबाज IPS रणधीर प्रसाद वर्मा का जीवन परिचय
आज में आपको धनबाद के जांबाज महान IPS अधिकारी Randhir Prasad Verma जी के बारे में बताऊंगा, कि आखिर किस तरह रणधीर प्रसाद वर्मा जी बैंक लुटेरो का सामना किया। धनबाद के हीरापुर के एक बैंक Bank of India ब्रांच में जब कुछ आतंकवादी बैंक को लुटने के लिए घुसे तो धनबाद के आईपीएस अधिकारी रणधीर प्रसाद वर्मा जी जैसे ही पता चला ये अपने छोटे से टीम को लेकर वहां पहुँच जाते हैं। और बाकि थानों को खबर देते हैं लेकिन सबसे पहले रणधीर जी ही पहुँचते हैं।
रणधीर प्रसाद वर्मा जी का जन्म और परिवार (IPS Randhir Prasad Verm Birth, Family, Wife)
रणधीर प्रसाद वर्मा जी का जन्म
3 जनवरी सन् 1952
रणधीर प्रसाद वर्मा जी का जन्म स्थान
बिहार के सुपौल जिले के जगतपुर में
रणधीर प्रसाद वर्मा जी की पत्नी
प्रो. रीता वर्मा
बैंक में घुसे आतंकवादी से Randhir Prasad Verma जी ने किस तरह सामना किया?
रणधीर वर्मा जी का जन्म 3 जनवरी 1952 को बिहार के सुपौल जिला के जगतपुर गाँव में एक बहुत ही सामान्य परिवार में हुआ था। मिडिल स्कूल की पढाई पूरा हो जाने के बाद रणधीर वर्मा जी आगे की पढाई के लिए पटना के कॉलेज में दाखिला लेता है। उसके बाद पूरी मेहनत और लगन से पढाई कर एक दिन 1974 के बैच से Randhir Prasad Verma जी आईपीएस (IPS) अधिकारी बनते हैं। Randhir Prasad Verma जी की Wife का नाम प्रो. रीता वर्मा है, जो BJP से सांसद भी रह चुकी हैं प्रो. रीता वर्मा जी 4 बार सांसद रही चुकी है और अटल बिहारो वाजपयी के सरकार में प्रो. रीता वर्मा जी केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।
जिस समय धनबाद के बैंक में खालिस्तानी आतंकवादी बैंक लुटने के लिए घुसे थे, उस समय कई अन्य जगहों पर इन खालिस्तानी आतंकवादी अपना तांडव मचा रहे थे। पहला जो था वो था पंजाब जहाँ से इसकी शुरुआत हुई थी, उस समय पंजाब इन खालिस्तानी आतंकवादियो से बहुत प्रभावित थे। इसका असर धीरे धीरे देश के कई हिस्सों में देखा जा रहा था बैंक लूटना इन खालिस्तानी आतंकवादियो के लिए आम बात हो गई थी। और उस समय जगह जगह सीखो का दंगा हो रहा था बोकारो में भी हुआ था।
बोकारो के दंगे में करीब 70 के आसपास आम सीख मारे गए थे। बोकारो में उस वक्त सीख आतंकवादियो खालिस्तानी का जमावड़ा शुरू हो गया था।
सुबह के वक्त Randhir Prasad Verma जी नाश्ता करके ऑफिस में बैठे ही थे कि तभी उन्हें खबर मिलती है की धनबाद हीरापुर के बैंक Bank of India में कुछ अपराधी बैंक को लुटने के मकसद से घुसे हैं। उनको तब तक पता भी नहीं था की वहां सीख खालिस्तानी आतंकवादी घुसे हैं, और उनके पास कौन कौन से हथियार हैं। जांबाज Randhir Prasad Verma जी बगैर समय गवांये अपनी छोटी सी टीम के साथ सिर्फ रिवाल्वर के साथ धनबाद के हीरापुर बैंक में पहुँच जाते हैं। और उससे पहले बाकि थानों को भी खबर दे देते हैं लेकिन सबसे पहले रणधीर प्रसाद वर्मा जी ही पहुँचते हैं।
रणधीर वर्मा जी वहां पहुँचने के बाद देरी न करते हुए अपनी रिवाल्वर के साथ सीधे बैंक में घुस जाते हैं। और जब खालिस्तानी आतंकवादी पुलिस को घुसते हुए देखता है, तो आतंकवादी फायरिंग शुरू कर देता है, आपको जानकर हैरानी होगी की खालिस्तानी आतंकवादी के पास AK 47 थी और Randhir Prasad Verma जी के पास सिर्फ रिवाल्वर थी। लेकिन फिर भी उन्होंने उसका सामना किया और उस मुठभेड़ में हमारे धनबाद के महान जांबाज एक पुलिस आईपीएस अफसर शहीद हो गए।
लेकिन जाते जाते कई खालिस्तानी आतंकवादियो का मार गिराया, और रणधीर वर्मा जी हमेशा के लिए अमर हो गए। शहीद भी उस दिन हुए जिस दिन इनका जन्मदिन था, जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों एक दिन हो गई।
जब भी कहीं पर रणधीर प्रसाद वर्मा जी का नाम का जिक्र होता है तो धनबाद वासियो को गर्व होता है की हमारे जिले में कोई ऐसा जांबाज आईपीएस पुलिस अफसर था। जिसने अपनी जान देकर लोगो की जान बचाई सरकार की संपति को बचाई, और शहीद हो गए। इससे पहले भी Randhir Prasad Verma जी ऐसे कई बड़े आतंकवादियों और अपराधियों का खात्मा कर चुके हैं। इससे पहले ये जहाँ पोस्टिंग थी बेगुसराय वहां के बड़े अपराधी कामदेव का भी इन्होंने ही खात्मा किया था।
मरणोपरांत इन्हें राष्ट्रपति ने वीरता पुरुस्कार से सम्मानित किया और भारत सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया और उनके सम्मान में डाक टिकट भीं जारी किये गए।
इनके नाम से धनबाद में एक चौक भी बनाया गया जिसका नाम रणधीर प्रसाद वर्मा चौक हैं जो धनबाद में प्रसिद्ध हैं।