Sanjeev Singh Biography in hindi | झरिया पूर्व विधायक संजीव सिंह का जीवनी 

संजीव सिंह का जीवन परिचय : Biography of former Jharia MLA Sanjeev Singh

आज हम बात करेंगे झरिया के पूर्व विधायक रह चुके संजीव सिंह (Sanjeev Singh) जी के बारे में। जोकि सूर्यदेव सिंह और कुंती सिंह जी का पुत्र है। और माता पिता दोनों ही झरिया विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। इनके पिता लगातार वर्ष 1977 से 1991 तक 14 वर्षों तक झरिया के विधायक के रूप में सूर्यदेव सिंह ने यहां के लोगों की सेवा दी। वर्तमान समय में झरिया के विधायक सूर्यदेव सिंह की बहु संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह जी है। संजीव सिंह जो पिछले तकरीबन साढ़े 8 साल से अपने ही चचेरे भाई नीरज सिंह के कत्ल के आरोप में जेल में बंद था। लेकिन अब संजीव सिंह को सबूतों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया। 

संजीव सिंह अपने चचेरे भाई नीरज सिंह के हत्या के मामले में 8 साल के बाद जेल से जमानत मिली है। उसके बाद बरी किया गया,  इनका केस करीब साढ़े आठ साल चला और सबूत के अभाव में अदालत ने रिहा कर दिया। संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह जो बीजेपी सीट से झरिया की विधायक है वर्तमान (2025) समय में। संजीव सिंह के भाई राजीव रंजन सिंह (बबुआ) के हत्या के बाद संजीव सिंह ने अपनी भाभी रागिनी सिंह से शादी कर ली। संजीव सिंह के पिता सूर्यदेव सिंह के मरने के बाद से ही आपसी सबंध धीरे धीरे संपत्ति के चक्कर में बिखरते चले गए।

सिंह मेंसन में आपसी विवाद इतना बढ़ा हुआ है, जब से सिंह मेंसन के नींव रखने वाले सूर्यदेव सिंह जी का निधन हुआ। तब से ही सिंह मेंसन में अनगिनत हत्याएं हुई। जिसका इल्जाम हमेशा अपनों पर लगा। कब कौन किसको मार देगा ये बता पाना मुश्किल है।

Sanjeev Singh Biography in hindi

संजीव सिंह का जन्म, परिवार व शिक्षा

संजीव सिंह का जन्म 4 फरवरी 1986 को हुआ। पिता का नाम सूर्यदेव सिंह है, माताजी का नाम कुंती सिंह है। माता पिता दोनों ही राजनीतिक से जुड़े रहे हैं और साथ में झरिया से कई बार विधायक भी रह चुके हैं। इन्होंने हाई स्कूल आचार्य जेबी कृपलानी इंटर कॉलेज जमालपुर बलबिया माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी से वर्ष 2000 में किया। 2003 में संजीव के भाई राजीव रंजन की हत्या के बाद संजीव सिंह ने 15 जुलाई 2013 को भाभी से शादी कर ली थी। संजीव सिंह ने कोर्ट मौरिज की थी जिसमे फैमिली और कुछ खास लोग ही शामिल हुए थे। जिसमें संजीव सिंह ने भाभी के साथ शादी पूरे परिवार की सहमति से की थी।

संजीव सिंह धनबाद जिले के झरिया से बीजेपी के विधायक रह चुके हैं। और वर्तमान समय में उनके ही पत्नी रागिनी सिंह जी झरिया के विधायक हैं। उनके पिता सूर्यदेव सिंह धनबाद में कोल किंग, कोल माफिया के नाम से मशहूर थे। वहीं, मां कुंती सिंह जी भी झरिया की विधायक रह चुकी हैं। धनबाद में उनका बंगला काफी चर्चित रहता है। जिसे ‘सिंह मेंशन’ नाम से जाना जाता है। वे यहां के सबसे ताकतवर राजनीतिक घरानों में से एक है। संजीव सिंह ने दिसंबर 2014 में भाजपा की टिकट से झरिया सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। 2024 के झरिया विधानसभा सीट से रागिनी सिंह जी का टक्कर पूर्णिमा नीरज सिंह जी से ही था। और इससे पहले के 2019 झरिया विधानसभा चुनाव में रागिनी सिंह और नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह के बीच चुनावी टक्कर थी जिसमे पूर्णिमा सिंह की जीत हुई थी।

इनका जब काफिला निकलता था तो लगभग 8 से 10 बुलेटप्रूफ काले रंग की गाड़ियां होती थी और सब गाड़ी का नंबर 7007 होती है।

संजीव सिंह के पिता के निधन के बाद सत्ता का वर्चस्व 

सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद परिवार की बागडोर उनकी पत्नी कुंती सिंह के हाथ आ गई। और सालों तक सबको एकजुट करके रखा। लेकिन बाद में बच्चा सिंह ने अलग रास्ता चुना और अलग हो गए। और उसके बाद धीरे धीरे परिवार बिखरता चला गया। बच्चा सिंह झारखंड के पूर्व मंत्री रह चुके थे, और ये सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई भी थे। संजीव सिंह के पिता सूर्यदेव सिंह जी के चले जाने के बाद से राजनीतिक सत्ता के लिए, वर्चस्व के लिए और संपत्ति के लिए आपस में लड़ाईयां होती रही है। संजीव सिंह बीजेपी से हैं तो वहीं नीरज सिंह कांग्रेस पार्टी से थे।

तो नीरज सिंह के हत्या के बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह तो वहीं पर बीजेपी से संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह खड़ी हुई थी। लेकिन कहा ये भी जाता है कि नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी को चुनाव में सिमपैथि वोट मिला। जिसके कारण वो जीत गई और जब अगला विधानसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी से रागिनी सिंह जी जीत गई। तो इस चुनाव में देवरानी और जेठानी के बीच लड़ाई हो रही थी चुनाव में। तो इससे पहले संजीव सिंह की माताजी और रागिनी सिंह की सासु जी कुंती सिंह जी भी झरिया से विधायक रह चुकी है।

संजीव सिंह और अन्य पर चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या का आरोप?

नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने हत्या के दो दिन बाद 23 मार्च 2017 को सरायढेला थाने में लिखित शिकायत दी थी। जिसमे पिंटू सिंह, मनीष सिंह, महंत पांडे, गया प्रताप सिंह थे। 11 अप्रैल 2017 को संजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त संजीव सिंह झरिया के विधायक पद पर आसीन थे। गिरफ्तारी के बाद संजीव सिंह पर तकरीबन साढ़े आठ साल चला, और 8 साल 5 महीने 5 दिन के बाद सबूतों के अभाव में 27 अगस्त 2025 को बरी कर दिया गया। साथ में सभी 10 आरोपी भी सबूतों के अभाव में बरी हुए।

  • संजीव सिंह – गोली चलाने और षड्यन्त्र रचने का आरोप।
  • सागर सिंह (शिबू) – शूटर, फ़ाइरिंग में शामिल होने का आरोप।
  • चंदन सिंह – शूटर, फ़ाइरिंग में शामिल होने का आरोप।
  • पिंटू सिंह (पिंटू सिंह) –  विधायक संजीव सिंह को बाइक से ले जाने का आरोप।
  • पंकज सिंह – लाइजनर की भूमिका निभाने का आरोप।
  • अमन सिंह – यूपी का शूटर, जेल में 3 दिसंबर 2023 को हत्या हो गई। 
  • रणधीर धनंजय सिंह (धनजी सिंह) – अन्य आरोपियों के साथ सूचना आदान प्रदान करने का आरोप।
  • विनोद सिंह – रेकी कार उसकी सूचना अन्य साथियों को खबर देना।
  • डब्लू मिश्रा – मुन्ना बन शूटरों को मकान दिलाने का आरोप।
  • कुरबान अली (सोनू)-  शूटर, फ़ाइरिंग में शामिल होने का आरोप।

10 आरोपी में से 3 हिरासत में थे बाकी के 7 आरोपी जमानत पर बाहर थे, जिसमे विनोद सिंह धनबाद जेल में, सागर सिंह कोडरमा जेल में और चंदन सिंह पलामू जेल में था। 4 अगस्त 2027 को मामले में आरोप गठन किया गया था। अंतिम बहस में 408 तिथियाँ पड़ी 13 अगस्त 2025 को अंतिम बहस हुई। 3 आरोप पत्रों में 74 नाम थे, अभियोजन ने 37 की ही गवाही कराई। इस मामले में 11 आरोपी बनाए गए थे जिसमे एक अमन सिंह ट्रायल के दौरान हत्या जेल में ही एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई। बाकी 10 आरोपी पर केस चल रहा था

कोर्ट में फैसले के समय संजीव सिंह कुछ कह पाने में असमर्थ थे, वो स्ट्रेचर पर लाए गए थे। जैनेन्द्र सिंह (पिंटू सिंह), पंकज सिंह, रणधीर धनंजय सिंह (धनजी), संजय सिंह, डब्लू मिश्रा कोर्ट में मौजूद थे। कुर्बान अली कोर्ट नहीं आए उसके सीने मे दर्द की शिकायत थी, तो उनको व्हाट्सएप्प विडिओ कॉल के माध्यम से जोड़ा गया। विनोद सिंह को भी धनबाद जेल से विडिओ कॉल से जोड़ा गया, कोडरमा जेल में बंद सागर सिंह और पलामू जेल में बंद चंदन सिंह को भी विडिओ कॉल से जोड़ा गया।

नीरज सिंह हत्याकांड के चश्मदीद गवाह आदित्य का बयान?

वारदात के समय आदित्य की मौजूदगी

आदित्य ने अदालत में बयान दिया की घटना के समय 21 मार्च 2017 को वो नीरज सिंह के साथ गाड़ी में ही था। झरिया से हमलोग घर रघुकुल के लिए करीब 6 बजे निकले थे। अशोक यादव सब्जी खरीदकर गाड़ी में रखा, स्टील गेट के ब्रेकर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि संजीव सिंह, गया सिंह, और  महंत पांडे को गाड़ी की तरफ आते देखा। संजीव सिंह के कहने पर पहले से वहाँ मौजूद अपराधियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। सभी को मार दिया और मुझे छोड़ दिया। जब तहकीकात हुआ और जब आदित्य का उस समय का मोबाईल लोकेशन चेक किया तो उसका लोकेशन गिरीडीह निकला।

और तो और गाड़ी में सब्जी होने की बात भी झूठी निकली, गाड़ी में कोई भी सब्जी नहीं मिली। तो इससे साफ हो जाता है की आदित्य घटना के समय नीरज सिंह के साथ गाड़ी में नहीं था। जिससे आदित्य का दावा को खारिज कार दिया जाता है। आदित्य घटना के 2 दिन बाद 24 मार्च 2017 को धनबाद आया। 

आदित्य जख्मी होकर भर्ती होने का दावा भी झूठा निकला

फ़ाइरिंग के दौरान आदित्य जखमी हुआ और शाम 7:45 बजे सेंट्रल अस्पताल मे भर्ती हुआ, दसतवेज में सीरीअल नंबर 2937 दर्ज दिखाया गया। लेकिन बचाव पक्ष ने अस्पताल के दस्तावेज को झुटा साबित किया, अस्पताल के दस्तावेज के मुताबिक नीरज सिंह को शाम करीब 7:30 बजे भर्ती किया गया। जिसका सीरीअल नंबर 2343 था, और आदित्य का 2937 तो फिर इतना कम समय मात्र 15 मिनट में 600 नंबर के आसपास का अंतर कैसे हो सकता है। तो इससे आदित्य का अस्पताल में भर्ती होने का दावा भी गलत निकला। 

फ़ाइरिंग में आदित्य के दायें हाथ में गोली लगने की बात की गई। लेकिन अस्पताल के दस्तावेज के हिसाब से आदित्य के दायें हाथ पर सिर्फ एक कटा हुआ घाव मिला, उसमे जलने काला पड़ने, कार्बन कणों का निशान तक नहीं मिला, जैसा कि गोली लगने पर निशान होता है। तो ये दावा भी झूठा निकला। 

नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने क्या कहा नीरज सिंह के आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे, और फांसी की सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।  

संजीव सिंह जी की माताजी ने क्या कहा था?

संजीव सिंह की माताजी कुंती सिंह ने कहा जैसे प्रमोद सिंह हत्याकांड में सीबीआई ने रमाधीर सिंह और राजीव सिंह को क्लीन चिट दे दी थी। वैसे ही नीरज सिंह हत्याकांड की सच्चाई भी एक दिन सामने आ जाएगी। और संजीव सिंह निर्दोष साबित होंगे। उन्होंने कहा था कि जैसे मेरे लिए संजीव है उसी तरह नीरज भी थे। राजनैतिक प्रतिद्वंदीता चुनाव तक ही थी। झरिया में दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा मैंने दोनों को आशीर्वाद दिया था। दोनों में कोई भी जीते मेरा बेटा ही होगा। बेटे राजीव रंजन की रहस्यमय ढंग से गायब होने और हत्या की घटना जीवन की सबसे दुखट क्षण था मेरे लिए। 

पारिवारिक विवाद और और वर्तमान हालात के लिए कुंती सिंह ने सीधे तौर पर अपने देवर पूर्व मंत्री बच्चा सिंह को कसूरवार बताई। नीरज सिंह के हत्या के बाद उन्होंने कहा था कि जैसे विधायक जी सूर्यदेव सिंह सब को समेट कर चलते थे सारे भाई और परिवार को लेकर चलते थे, उसका आधा भी बच्चा बाबू लेकर चलते तो यह दिन नहीं देखना पड़ता। परिवार अलग नहीं होता, परिवार बर्बाद नहीं होता। उन्हे परिवार नहीं पैसा चाहिए था, वह भी सिर्फ राजन बाबू के बच्चों के लिए।

2014 झरिया विधानसभा चुनाव परिणाम : Jharia assembly constituency election results 2014

2014 के विधानसभा चुनाव में नीरज सिंह और संजीव सिंह के बीच सीधा मुकाबला था। और जब चुनाव हुआ तो संजीव सिंह 33,692 वोट से विजयी हुए और झरिया के विधायक बने। 

नंदलाल पासवान (CPM), मदन मोहन राम (BSP), अमित कुमार साहू (JMM), लुकमान अंसारी 2014 , तरुण साव (AIFB), अजय कुमार सिंह (IND), विशाल कुमार अग्रवाल (IND), राम कृष्णा प्रसाद, इंद्रजीत सिंह, और लुकमान खलीफा कुल 14 प्रत्याशी 2014 झरिया विधानसभा सीट से खड़े हुए थे।

झरिया विधानसभा क्षेत्र के सभी विधायकों की सूची, लिस्ट : List of all MLAs of Jharia Assembly Constituency

Anshuman Choudhary

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............