नीरज सिंह का जीवन परिचय : jharia Former Deputy Mayer Neeraj Singh Biography
नीरज सिंह झरिया के पूर्व डिप्टी मेयर थे, और आगामी झरिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सीट के उम्मीदवार भी थे। झरिया जो कि झारखंड राज्य के धनबाद जिले में स्थित है। और झरिया पूरे एशिया में कोयले और आई. आई. टी. आइ. एस. एम. कॉलेज के लिए प्रसिद्ध है। नीरज सिंह जी का प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक करिअर और उनके योगदान के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। नीरज सिंह का नाम पहली बार लोगों की जुबान पर तब जाव साल 2010 में डिप्टी मेयर का चुनाव जीतकर धनबाद की राजनीति में अपना कदम रखा था। और यहाँ से नीरज सिंह जी का राजनीति में एंट्री होती है।
उनकी राजनीति में पारदर्शिता और जनता के प्रति जिम्मेदारी की भावना हमेशा प्रमुख रही है। जनता से उनकी मिलनसार उन्हें एक विश्वसनीय और सम्मानित नेता बना दिया था। उनकी नेतृत्व शैली और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें झरिया में एक लोकप्रिय नेता बना दिया। नीरज सिंह के कार्यकाल के दौरान झरिया में कई बदलाव हुए, जो आज भी लोगों के दिलों में उनकी छवि को मजबूत करते हैं। लोगों को उनकी बातों पर विश्वाश था, जो वो बोलते थे वो जनता के लिए करते भी थे। नीरज सिंह जी मिलनसार नेता थे, किसी से भी तुरंत घुल मिल जाते थे।

नीरज सिंह का जन्म, परिवार व शिक्षा
नीरज सिंह का जन्म 21 नवंबर 1985 को हुआ, नीरज सिंह के पिता का नाम राज नारायण है, जो सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई है। और नीरज सिंह सूर्यदेव सिंह के भतीजा लगते थे। माताजी का नाम सरोजनी देवी है। एक रिपोर्ट के माने तो नीरज सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई ISL (इंडियन स्कूल ऑफ लर्निंग) और उसके बाद DAV स्कूल से हुई थी। और साल 2001 में हिंदुस्तान कॉलेज साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मथुरा (उप.) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया था। 2002 से 2009 तक रांची समेत कई स्थानों पर बिल्डर का भी काम किया था। उस समय तक नीरज का राजनीति में आने को कोई इरादा नहीं था।
राजनारायण सिंह : चार संतान
- नीरज सिंह : पुत्र
- अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू : पुत्र
- मुकेश सिंह : पुत्र
- एकलव्य सिंह उर्फ छोटे : पुत्र
- नीरज सिंह : वर्ष 2010 में धनबाद नगर निगम के पहले डिप्टी मेयर बने।
- एकलव्य सिंह : वर्ष 2015 में धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर बने।
नीरज सिंह चार भाइयों में सबसे बड़े थे। दूसरे नंबर पर अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू फिलहाल जमीन समेत अन्य कारोबार संभालते हैं। तीसरे नंबर के भाई मुकेश सिंह की कार हादसे में मौत हो चुकी है, जबकि सबसे छोटा भाई एकलव्य सिंह डिप्टी मेयर हैं और चारों भाई शादीशुदा हैं। चारों भाइयों में मुकेश के बाद मां सरोजनी सिंह सबसे सबसे जान नीरज पर ही छिड़कती थी।

नीरज सिंह का राजनीतिक सफर
साल 2010 में उन्होंने नगर निगम चुनाव में उतरने का फैसला किया। लेकिन यह पद महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाने पर डिप्टी मेयर चुनाव के मैदान में उतरे। चुनाव में नीरज ने धमाकेदार अंदाज में जीत दर्ज की। इसी बीच जनता मजदूर संघ पर दावा जताने के लिए चाचा बच्चा सिंह का साथ मिला और कानूनी लड़ाई लड़ी। 2015 के निगम चुनाव में वे मैदान में नहीं थे, परंतु चुनाव बाद अपने छोटे भाई एकलव्य सिंह को डिप्टी मेयर बनवा दिया।
उनके छोटे भाई मुकेश सिंह की जिद पर नीरज ने 2009 में धनबाद विधानसभा चुनाव में खड़े हुए थे। Municipal corporation, deputy manager का पद मिला। जिसका कार्यकाल 1 जून 2010 से 31 मई 2015 तक रहा। साल 2012 में इनका विवाह पूर्णिमा सिंह से हुई थी। नीरज सिंह के काफिले में एक ही नंबर की कई 10 गाड़ियां एक साथ चलती थी। जिसका नंबर 4500 होता था और सभी गाड़ियां एक ही रंग की होती थी। नीरज सिंह के चचरे बड़े भाई संजीव सिंह के काफिले में भी एक ही नंबर की कई गाड़ियां चलती हैं। जिसका नंबर 7007 है।
उनकी सबसे पहली प्राथमिकता झरियावासी को बेहतर सुविधाएं देना था। झरिया, जो कि कोयला खनन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। जिससे बहुत ही ज्यादा प्रदूषण फैलती है, और आज भी फैल रही है, साथ में झरिया धनबाद के बहुत से ऐसे क्षेत्र है जो भूधसान के कगार पर है। और कुछ कुछ दिनों के अंतराल में तो कहीं न कहीं भूधसान होती रहती है। लोग विस्थापित होते रहते हैं, कितनी दफा तो उनलोगों को उसी परिस्थिति में मरने के लिए छोड़ देते है। और यहाँ के सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगती कि लोग मर रहे हैं या जी रहे हैं। लोगों को उसी परिस्थिति में धूल फाँकने और मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। नीरज सिंह ने इसके समाधान के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर कई कदम उठाए।

साथ ही उन्होंने शहर में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए भी योजनाएं बनाई। उन्होंने बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव रखा। नीरज सिंह की एक और अहम पहल रही, जो कि उनके सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में थी। उन्होंने महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कई कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया, ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें और स्थानीय समुदाय के विकास में भागीदार बन सकें।
सिंह मेंसन और रघुकुल के बीच का आपसी विवाद और रंजिश का इतिहास
अब पूरे घटनाक्रम को देखे तो साल 2017 की जनवरी में झरिया विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजय सिंह हत्या की, 1996 में संजय सिंह की हत्या जैसी ही थी। और शक की सुई रघुकुल की ओर मोड़ दी जाती है। जानकारों की मानें तो उस समय सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद शातीर दिमाग सुरेश सिंह ने सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई राजनारायण सिंह के सगे साढु संजय सिंह की हत्या करवा दी थी। और पैसे और पैरवी के दम पर सीआईडी जांच में रामाधार सिंह और राजीव रंजन को मामले में आरोपी बनवा दिया। संजय सिंह की हत्या के बाद प्रमोद सिंह की भी हत्या हो गई और और कोयलांचल की बादशाहत सुरेश सिंह के हाथ लगी।
एक बार फिर पैसे और पैरवी के बल पर सुरेश सिंह ने रामाधीर सिंह और राजीव रंजन को प्रमोद सिंह की हत्या के आरोपी बनवा दिया। हुआ यूं कि सिंह मेंशन के करीबी एवं यूपी के डॉन बृजेश सिंह के माध्यम से सुरेश सिंह ने छल प्रपंच का ऐसा दांव खेला कि महाभारत का शकुनी भी पानी भरे, बड़ी साजिश के तहत सुरेश सिंह ने कथित रूप से प्रमोद सिंह की हत्या करवा दी। हत्या के आरोपी बनवा दिए गए राजीव रंजन सिंह और रामाधीर सिंह। राजीव रंजन ने यूपी के डॉन बृजेश सिंह को लाख सफाई दी कि उनका प्रमोद सिंह से कोई लेना देना नहीं है।
लेकिन उनको बरगला कर डॉन बृजेश सिंह ने कोलकाता के लिलुआ में बुलाया और वहीं उनकी हत्या करके शव को गंगा में बहा दिया। मतलब साफ है कि एक तीर से कई निशाने एक साथ साध लिए गए। 20 साल बाद एक बार फिर अदालत ने नए सिरे से संजय सिंह हत्याकांड का का मामला खोला है। बीस साल पहले का घटनाक्रम देखें, तो लगता है इतिहास खुद को दोहरा रहा है। उसी तरह हत्याएं, वहीं स्थिति वहीं परिस्थिति और घटनाक्रम भी करीब करीब वैसा ही।
फिर उसके बाद नीरज सिंह की हत्या हो जाती है। और इस मामले में आरोपी सिंह मेंसन के संजीव सिंह को बना दिया जाता है। पुलिस भी पहली नजर में इसे बदले की भावना के नजरिए से देखता है। हालांकि पुलिस बीच बीच में यह भी कहती हैं कि दोनों हत्याओं की तह में जाकर कोल माफिया का लिंक तलाशेंगे, लेकिन हकीकत ऐसा कुछ भी पुलिस नहीं करती यानि कि जांच आगे बढ़ती ही नहीं है। उधर बच्चा सिंह के साथ सिंह मेंशन और रघुकुल भी पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं। पर होता कुछ भी नहीं है। अब जरा सोचिए, इन दो हत्यायों से सिंह मेंशन और रघुकुल दोनों की नींव हिल जाती है। एक तरफ झरिया विधायक संजीव सिंह अपने ही चचेरे भाई की हत्या के आरोप में जेल में है।
जानकार मानते हैं कि इतिहास ने खुद को दोहराया है और इस बार भी सत्ता, पैरवी एवं पैसे के बल पर नीरज और रंजय हत्याकांड में सिंह मेंशन और रघुकुल को गहरी साजिश के तहत फंसा गया है।
साजिशकर्ता का नाम न उगलवा पाई पुलिस –
पूर्वी डिप्टी नीरज समेत कोयलांचल में हुई चार ताबड़तोड़ हत्याओं के मामले में अब तक पुलिस पकड़े गए पांच शूटरों से साजिशकर्ताओं का नाम तक नहीं उगलवा पाई है। शूटर किसके कहने पर धनबाद आया। धनबाद में किस से मिले, हत्या की योजना में कौन-कौन शामिल थे। सुपारी की कितनी रकम मिली उसने शूटरों को कितने रुपए दिए। कोयलानगर में पिस्टल देने कौन आया था? पिस्टल कहां से आया था। हत्या के बाद शूटरों को वापस ली गई पिस्टल कहां है? पुलिस भले ही कुछ कहे, लेकिन विधायक संजीव सिंह के खिलाफ उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि नीरज सिंह और रंजय सिंह की हत्या कोयला बादशाहत की गहरी साजिश तो नहीं है।
नीरज हत्याकांड में अब तक
नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या मामले में पांच शूटर और रेकी करने के आरोपी विनोद सिंह का केस सत्र न्यायालय के सुपुर्द कर दिया गया। सीजेएम राजीव रंजन ने शूटर शिबू उर्फ सागर सिंह, चंदन सिंह उर्फ रोहित सिंह, सतीश व कुर्बान अली और सोनू के अलावा डबलू मिश्रा का दोस्त विनोद सिंह झरिया विधायक संजीव सिंह, शूटर अमन सिंह, धनंजय सिंह उर्फ धनजी, रंजय सिंह के भाई संजय सिंह, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू का मामला सेशन कोर्ट में सबमिट हो चुका है। लेकिन साजिश और सुपारी और पिस्टल का राज खुलासा नहीं हो पाया है।
इनमें 5 शूटर और डबलू मिश्रा के अलावा संजीव सिंह बॉडीगार्ड अनुसेवक शामिल है। विधायक संजीव सिंह और पिंटू सिंह को छोड़ बाक़ी सभी आरोपियों ने पंकज सिंह को हत्या का मुख्य सूत्रधार बताया है। वहीं पंकज ने विधायक संजीव सिंह का नाम साजिशकर्ता के रूप में नहीं लिया है। उधर रंजय हत्याकांड में धनबाद पुलिस के हत्थे अब तक कुछ भी नहीं लगा है।
झरिया के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या कैसे हुई?
मंगलवार 21 मार्च 2017 शाम करीब 7 बजे हर दिन की तरह अपना कामकाज करके घर लौट रहा था। वो अपने काले SUV में ड्राईवर के बगल वाले सीट पर बैठा हुआ था, और ड्राईवर और गनमैन के साथ कुल 5 लोग थे, शाम 7:15 बजे के करीब जैसे वो घर के नजदीक धनबाद के सरायढेला स्टील गेट के पास स्पीड ब्रेकर के पास गाड़ी धीमी हुई। पल्सर बाइक से आए अपराधी जिसके पास AK 47 थे। जब तक नीरज सिंह कुछ समझ पाते हमलावरों ने उन पर गोलियों की बरसात कर दी। एक के बाद एक 100 राउंड फायरिंग की। अचानक अंधाधुंध गोलियों की गूंज से पूरा इलाका थर्रा उठता है। सरेआम हुए इस हमले में पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत 4 की हत्या कर दी जाती है। जिसमे बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी, ड्राइवर घलटू और पीए अशोक यादव की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी।
हत्या के बाद पुलिस ने चारों ओर से नाकाबंदी कर दी थी। इस हत्याकांड ने पूरे धनबाद कोयलांचल को झकझोर कर रख दिया था। हत्याकांड का मास्टरमाइंड अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है। इस मामले में नीरज सिंह के ही चचरे भाई पूर्व झरिया विधायक संजीव सिंह और चार शूटर समेत 11 लोग जेल में बंद है। जिसमे से कुछ सबूतों के अभाव में छूट चुके हैं।
नीरज सिंह का पोस्टमार्टम रिपोर्ट
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार नीरज सिंह के शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह छलनी हो गया था। शरीर के हर जरूरी बॉडीपार्ट (ऑर्गन) क्षतिग्रस्त थे। हार्ट, चेस्ट, बैक, स्टॉमेक, ब्रेन, चेहरा सभी अंगों में गोलियां लगी थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार 50 लाख रुपए में हुआ था सौदा तय। नीरज सिंह को 25 गोलियां लगी, जबकि उनकी बाॅडी पर 67 गोली लगने के निशान मिले। शव के पोस्टमार्टम में नीरज के शरीर से 17 गोली निकाली गई थीं। नीरज के शरीर में गोलियों से 67 छेद हो गए थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम के अनुसार 7-8 गोलियां नीरज के शरीर के आर-पार हो गई थीं। शरीर का ऊपरी हिस्सा छलनी हो गया था। शरीर के लगभग सभी अंग क्षतिग्रस्त हो चुके थे। नीरज को सभी गोलियां कमर से ऊपर लगी थीं और गले से ऊपर चेहरे और सिर में 4-5 गोलियां लगने के निशान थे।
गाड़ी में नीरज सिंह के अलावा अन्य 3 लोगों को भी 6-7 गोलियां मारी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, पीए अशोक यादव और बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी के शरीर से 2-2 तथा ड्राइवर चंद्र प्रकाश उर्फ घलटू के शरीर से 3 बुलेट निकाली गई। ड्राइवर को पेट, छाती, हाथ और सिर में गोली लगी थी।
आखिर नीरज सिंह की हत्या क्यों और किसने कारवाई?
नीरज सिंह की हत्या का इल्ज़ाम परिवार के ही चचेरे भाई संजीव सिंह पर लगी। सिंह मेंशन और रघुकुल को करीब से जाननेवाले यह मानने को कतई तैयार नहीं है। कि नीरज की हत्या संजीव सिंह करवा सकते हैं। फिर भी कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है। और अभी तक ये साबित नहीं हो पाया कि आखिर नीरज सिंह की हत्या कौन और किसने कारवाई। एक रिपोर्ट की माने तो 27 अगस्त 2025 को आखिरी सुनवाई होनवाली है। और इस तारीख को जजमेंट आ जाएगा कि आखिर नीरज सिंह की हत्या किसने की। या फिर पता ही न चले कि किसने नीरज सिंह की हत्या की या कारवाई। क्योंकि संजीव सिंह के पक्ष का कहना है कि नीरज सिंह की हत्या संजीव सिंह ने नहीं की। लेकिन हां कुछ लोग इतना जरूर कहते हैं कि नीरज की हत्यारा कोई और है, जो संजीव सिंह को इस केस में फ़साना चाहता है।
27 अगस्त 2025 को नीरज सिंह हत्याकांड का आखिरी सुनवाई है। जिसको लेकर प्रशासन ने रणधीर वर्मा चौक से डीआरएम चौक तक धारा 163 लागू, पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक है। इस निषेधाज्ञा के जारी होने के उपरांत उपर्युक्त क्षेत्र में पाँच या उससे अधिक व्यक्तियो का एक साथ एकत्रित होना, किसी प्रकार का धरना, रैली, सभा, प्रदर्शन, ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने, हरवे हथियार एवं आग्नेयास्त्र के साथ चलने अथवा उसके प्रयोग करने पर प्रतिबंध रहेगा।
काण्ड सं – 48/17 का दिनांक – 27.08.2025 को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-XVI, धनबाद के न्यायालय में उक्त काण्ड के अभियुक्त एवं झरिया के पूर्व विधायक सहित अन्य अभियुक्तों का फाईनल जजमेन्ट होने की संभावना है। उक्त जजमेन्ट के आलोक में दोनों गुटों के समर्थको का काफी संख्या में न्यायालय में उपस्थित रहने की सूचना है, जिससे आपसी टकराव होने एवं अप्रिय घटना घटित होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसलिए विधि-व्यवस्था के दृष्टिकोण से निषेधाज्ञा जारी की है।
रघुकुल और उसके समर्थक के हिसाब से हत्यारा कौन?
21 मार्च, 2017 की शाम नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के बाद धनबाद सेंट्रल हॉस्पिटल पहुंची नीरज सिंह की मां सरोजनी देवी व मौसी पुष्पा सिंह ने चीख-चीख कर झरिया विधायक संजीव सिंह पर हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप लगाया। नीरज सिंह के दोनों छोटे भाइयों अभिषेक सिंह (गुड्डू) व डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह (छोटे सिंह) ने भी संजीव सिंह को हत्यारा ठहराया। अभिषेक सिंह की ओर से दर्ज प्राथमिकी में भी संजीव सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया। बावजूद इसके आम जनता यह मानने को तैयार नहीं थी कि ऐसी घटना को संजीव सिंह अंजाम दे सकते हैं। पहला कारण यह था कि संजीव सिंह अब तक हत्या तो दूर मारपीट की राजनीति से भी दूर रहते हैं।
अपराध जगत पर नजर रखनेवालो कि माने तो नीरज सिंह कोल माफियागिरी में भीष्म बनकर उभर रहे थे। लोग उन्हें धनबाद के भावी सांसद के तौर देखने लगे थे। अपराध जगत को गतिविधियों पर पैनी नजर रखने वालों की माने तो कोयलांचल से 25000 करोड़ की अवैध कोयला कारोबार के लिए ही नीरज सिंह की हत्या हुई है। तेजी से उभर रहा कोल माफियाओं का नया समूह ने ही सूर्यदेव सिंह कुनबा बिखरने के लिए गहरी साजिश रच कर पहले रंजय सिंह की फिर नीरज सिंह की हत्या कर दी। पैसा और सत्ता के बल पर पुलिसिया कार्रवाई से मामले को पेंचीदा बनाकर सूर्यदेव सिंह के कुनबे को बिखेरा गया है। जरा गौर कीजिए कोयले के अवैध धंधे पर कब्जा जमाने के लिए यूपी के मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत अन्य कई गैंगों ने भी काफी प्रयास किया।
लेकिन उनकी दाल नहीं गली, पता चला कि यूपी के जेल में बंद डॉन बृजेश सिंह के नेटवर्क से संपर्क साधने के बाद ही रंजय सिंह और नीरज सिंह की हत्या हुई। रंजय की हत्या संजय की तरह ही बाइक पर जाने के दौरान की गई। वहीं नीरज की हत्या ठीक प्रमोद सिंह की तरह गोलियां की बौछार से की गई।
नीरज सिंह डिप्टी मेयर के तौर पर धनबाद में लोकप्रिय हो रहे थे विस्थापितों श्रमिकों के हक की लड़ाई के लिए उन्हें प्रसिद्धि मिलने लगी थी। नीरज सिंह ने भी सूर्यदेव सिंह की तरह सिंह मेंशन की तरह रघुकुल का दरवाजा भी सबके लिए खोल दिया था। उनकी छवि कतरास झरिया इलाके में तेजी से उभर रही थी।
नीरज सिंह हत्याकांड का फ़ैसला
धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड मामले में 27 अगस्त 2025 को धनबाद की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। पूर्व झरिया विधायक संजीव सिंह सहित सभी 10 आरोपियों को सबूत के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया गया। यह फैसला 8 साल, 5 महीने और 5 दिन बाद आया, जिसने धनबाद और कोयलांचल की सियासत में हलचल मचा दी।
मामले का विवरण –
21 मार्च 2017 को सरायढेला थाना क्षेत्र के स्टील गेट पर नीरज सिंह, उनके पीए अशोक यादव, बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घल्टू महतो की AK-47 से अंधाधुंध गोलीबारी कर हत्या कर दी गई थी।
संजीव सिंह, जो नीरज सिंह के चचेरे भाई थे, पर हत्या की साजिश रचने का आरोप था। उनके साथ यूपी और बिहार के कई कुख्यात शूटरों पर भी चार्जशीट दाखिल की गई थी।
कानूनी प्रक्रिया : इस मामले में 408 सुनवाइयां हुईं, 74 गवाहों में से 37 अभियोजन पक्ष ने पेश किए, और बचाव पक्ष ने 5 गवाहों की गवाही कराई।
हाल के घटनाक्रम –
संजीव सिंह को 8 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी, जिसके बाद उनके समर्थकों में उत्साह था।
मुख्य शूटर अमन सिंह की 3 दिसंबर 2023 को धनबाद जेल में हत्या हो गई थी, और एक अन्य शूटर रिंकू सिंह का ट्रायल अलग से चल रहा है।
कोर्ट परिसर में फैसले के दिन सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, और केवल केस से जुड़े पक्षकारों और वकीलों को ही प्रवेश की अनुमति थी।
फैसले का प्रभाव –
संजीव सिंह की पत्नी और झरिया की वर्तमान विधायक रागिनी सिंह ने फैसले पर खुशी जाहिर की और कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। उन्होंने इसे “असत्य पर सत्य की जीत” बताया।