मेहुल चोकसी कौन है? 14000 करोड़ का घपला कैसे किया? जाने विस्तार से।

मेहुल चोकसी का मामला क्या है? पंजाब बैंक को कैसे ठगा?

मेहुल चोकसी, जो गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के मालिक थे, ने अपने भांजे नीरव मोदी और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में लगभग 13,850 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। यह भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है, जो 2011 से 2018 तक चला। 14000 करोड़ रुपए को लेकर भगौड़ा घोषित मेहुल चौकसी को एक लंबे समय के बाद लगभग 6 सालों के बाद वापस बेल्जियम से भारत लाया गया। तो इसने क्या कांड किया था? और पीएनबी को कैसे इसने 14000 करोड़ का टोपा पहनाया। इसने कैसे घोटाला किया? आप सुनकर एकदम चौंक जाएंगे। किस तरह के भ्रष्टाधिकारी कर्मचारी थे पीएनबी बैंक के अंदर, जिन्होंने ऐसे ऐसे काम किया था। इसको बेल्जियम से भारत लाया गया, दरअसल यह बेल्जियम में नहीं था, यह बेल्जियम इलाज करवाने के लिए गया था। और वही बेल्जियम से पकड़ के इसे भारत लाया गया है।

अब इसका इलाज परमानेंट भारत में किया जाएगा अगर मोदी चाहेंगे तो। अब यह समझना है कि आखिर यह मेहुल चौकसी ने यह कांड किया कैसे था? नीरव मोदी और मेहुल चौकसी चाचा भतीजा है। मेहुल चौकसी ने इतने चालाकी से कांड किया कि हर कोई सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।

मेहुल चोकसी कौन है? कैसे 14000 हजार करोड़ का घपला किया जाने विस्तार से।

मेहुल चोकसी ने पंजाब बैंक को कैसे चुना लगाया? PNB घोटाले में लेटर ऑफ क्रेडिट की भूमिका

तो हम एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। जैसे कि अगर हमें विदेश से कोई सामान खरीदना है, मान लीजिए कि विदेश से हमें एक किसी तरह का मशीन खरीदनी है। जिसकी कीमत 10 करोड़ रुपये है। हम विदेश की कंपनी जैसे जर्मनी जाएंगे कहेंगे की हमें सामान भेज दो हम पैसा दे देंगे। यहां पर तो वो डरेगा की भाई इंडिया में सामान भेज देंगे, अब अगर पैसा नहीं दिया तब क्या होगा? और हमको वो कहेगा कि तुम एडवांस पैसा दे दो हम मशीन भेज देंगे। तो हम भी डरेंगे, उसको हम पैसा दे दे और वो मशीन नहीं भेजा तो। तो यहां पर दोनों पार्टियों को डर रहता है। तो इसमें बीच में एक आता है बैंक, तो हम क्या करेंगे वो पैसा हम बैंक को देंगे। और बैंक उस पैसे को लेटर ऑफ क्रेडिट बनाएगा। और कहेगा कि इस व्यक्ति को आप यह सामान भेज दीजिए। इन्होंने जो पैसा दिया है वह मेरे पास है। आप हमसे ले लीजिएगा।

एक तरह का यह व्यापार में भुगतान यानी पेमेंट की गारंटी बनता है, लेटर ऑफ क्रेडिट। तो लेटर ऑफ क्रेडिट मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के नाम पर ने पंजाब बैंक ने फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कर दिया। फॉरेन के लिए यानि विदेश व्यापार करने के लिए एफएलसी (FLC) बना दिया। लेकिन या लेटर ऑफ क्रेडिट फर्जी निकला। यहां समझने वाली चीज यह है कि लेटर ऑफ क्रेडिट तो जारी कर दिया। लेकिन पंजाब बैंक के बड़े अधिकारियों को इसके बारे में नहीं बताया गया था। पंजाब बैंक गारंटर बन तो गई थी मेहुल चौकसी और नीरव मोदी की। अब ये लोग बाहर विदेश जाकर हीरा वैगरह खरीद लिया। विदेशी मेहुल चोकसी को तो सामान दे देता है, लेटर ऑफ क्रेडिट देखकर। चोकसी और नीरव मोदी ने PNB की मुंबई की ब्रैडी हाउस शाखा के कुछ कर्मचारियों, विशेष रूप से डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी और क्लर्क मनोज खरात, के साथ सांठगांठ की।

इन कर्मचारियों ने बिना उचित अनुमति या कोलैटरल के 165 फर्जी LoUs और 58 फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट (FLCs) जारी कर दिया। ये LoUs PNB की आंतरिक सॉफ्टवेयर सिस्टम (Core Banking System) में दर्ज ही नहीं किए गए, जिसके कारण यह धोखाधड़ी वर्षों तक पकड़ में ही नहीं आया।

अगला कांड में इन्होंने फर्जी LoU लेटर ऑफ अंडरटेकिंग से किया?

  • चोकसी की कंपनियों, जैसे गीतांजलि जेम्स, और नीरव मोदी की कंपनियों, जैसे फायरस्टार डायमंड, सोलर एक्सपोर्ट्स, और स्टेलर डायमंड्स, ने इन LoUs का उपयोग विदेशी बैंकों (जैसे इलाहाबाद बैंक, एक्सिस बैंक) से धन प्राप्त करने के लिए किया।
  • ये धन कथित तौर पर हीरे और आभूषणों के आयात-निर्यात के लिए थे, लेकिन वास्तव में कोई माल आयात नहीं हुआ। इसके बजाय, पैसा शेल कंपनियों (डमी कंपनियों) के माध्यम से सर्कुलर लेनदेन में घुमाया गया।
  • इस धन का उपयोग पुराने LoUs को चुकाने, व्यक्तिगत लाभ, और व्यवसाय विस्तार के लिए किया गया। उदाहरण के लिए, गीतांजलि समूह की यूएई शाखा एशियन डायमंड्स एंड ज्वैलरी FZE से हिलिंगडन होल्डिंग्स को 2014 में 6 लाख AED हस्तांतरित किए गए, जो दुबई में संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल हुए।
  • चोकसी और मोदी ने PNB के कर्मचारियों को रिश्वत दी ताकि वे बिना क्रेडिट सीमा या कैश मार्जिन के LoUs जारी करें। जांच में पाया गया कि गोकुलनाथ शेट्टी ने कई वर्षों तक इस धोखाधड़ी में साथ दिया।

मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) का दुरुपयोग किया। ये LoUs और FLCs PNB की मुंबई शाखा द्वारा बिना कोलैटरल या उचित दस्तावेजों के जारी किए गए। 2011 से 2017 के बीच, 1,212 LoUs जारी किए गए, जिनमें से केवल 53 वैध थे। कुल धोखाधड़ी राशि करीब 13,850 करोड़ रुपये थी, जिसमें चोकसी की गीतांजलि समूह से जुड़ी कंपनियों ने 6,097.63 करोड़ रुपये और नीरव मोदी की कंपनियों ने 6,498 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। शेष राशि ब्याज और अन्य शुल्कों से संबंधित थी।

तो जैसे पीएनबी बैंक वाले इनका लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) जारी कर दिया। लेकिन इसका रूल होता हैं, कि अगर पीएनबी बैंक इनका गारंटर बन रहा है तो पीएनबी बैंक इनके सिक्योरिटी डिपोजिट रखे। कोई मॉर्गेज करे कोई जमीन मॉर्गेज करे। की ऐसे ही किसी का गारंटर बन जाएगा। पीएनबी बैंक के बड़े अधिकारियों को पता ही नहीं था कि पीएनबी बैंक नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी कर चुका है। और ये लोग क्या किए, इसकी मदद से अलग अलग देशों से लोन ले लिया। अलग-अलग देशों से लोन लेकर करीब ₹14000 करोड़ का लोन हो गया। यहां पर वह विदेशी जो थे वो तो लोन देते जा रहे थे। क्योंकि यहां पर उनको पंजाब बैंक का एलओयू मिला हुआ था। इन्होंने जहां से लोन लिए थे अब जब वह लोन की रकम वापस मांगना चालु किए। पीएनबी से कहा हमारा पैसा वापस दो। पीएनबी के बड़े अधिकारी को ये सब चीज की जानकारी ही नहीं थी।

इन्होंने सीबीएस (CBS) को कैसे बाईपास कर दिया?

सबसे खतरनाक कांड जब इन्होंने सीबीएस (CBS) को बाईपास करके किया। यहाँ पर विदेश में ये दो लोग pnb को टोपी पहना कर विदेश घुम रहा है। पीएनबी बैंक की गारंटी लेकर कि इसके मदद से चाहे कितना भी लोन ले लो और इसके मदद से चाहे जितने का कोई सामान ले लो। तो व्यापार करने के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट और लोन लेने के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग चाहिए। इसमें भी दो शर्त होती है। कि लेटर ऑफ क्रेडिट का भी एक लिमिट होता है की कितना सामान खरीद सकते हो। पीएनबी के अधिकारी ने लिमिट ही हटा दिया था। इसका मतलब आप जितना सामना ले सकते हैं ले लो कोई लिमिट नहीं है। और LoU का भी लिमिट होता है कि कितना विदेश से लोन ले सकते हैं। इसका भी लिमिट हटा दिया। और किसी को पता न लगे इसलिए इसकी एंट्री कोर बैंकिंग सॉल्यूशन में किया ही नहीं।

तो नियम यह कहता है कि अगर व्यापारी कोई सामान खरीदने के लिए बैंक लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करता है। जिसमे किसी व्यक्ति को 100 करोड़, 200 करोड़ 1000 करोड़ का सामान दे दीजिएगा। यह व्यक्ति पैसा दे देगा और नहीं देगा तो हम उसके गारंटर बन रहे हैं। तो यह गारंटी वाला लेटर ऑफ क्रेडिट को भी तो cbs में रखना चाहिए, एंट्री करना होता है। दूसरा कि अगर इन्हें विदेश व्यापार करने के लिए लोन चाहिए तो LoU को भी पीएनबी बैंक का यह फर्ज बनता था। कि कोर बैंकिंग सॉल्यूशन के अंदर एंट्री करे। ताकि बैंक के जितने बड़े अधिकारी है, उन्हें भी जानकारी रहे कि किसको कितना लोन दिया गया।

जब इसकी जांच ED और CBI कर रही थी तो माथा पीट रहे थे। गजब के यह सेटिंगबाज आदमी है, इसमे पंजाब बैंक के कुछ अधिकारी के मिलीभगत से ये सब संभव हो पाया होगा। इतना बड़ा कांड करके मेहुल चौकसी भारत से भाग गया। और भारत से भागा ऐसे देश में अमेरिका के पास एंटीगुआ देश में एक छोटा सा द्वीप में जहां पर हमारे देश से उस देश से ऐसा कोई समझौता ही नहीं है प्रत्यर्पण संधि नहीं है। कि हम एक दूसरे के कैदी को अदान प्रदान कर सकेंगे।

  1. अन्य आरोप:
  • चोकसी पर स्टॉक मार्केट में हेरफेर (2013) और गीतांजलि जेम्स के शेयरों में धोखाधड़ी (2022 में SEBI ने 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया) के आरोप भी हैं।
  • दिसंबर 2022 में, CBI ने चोकसी के खिलाफ तीन और मामले दर्ज किए, जिसमें 6,700 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के आरोप शामिल हैं।

मेहुल चोकसी की भारत से पलायन की योजना

  • पूर्व नियोजित पलायन: मेहुल चोकसी ने घोटाले के उजागर होने से पहले ही अपनी भागने के सारी योजनाएँ बना ली थीं। मई 2017 में, उन्होंने एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता के लिए आवेदन किया और नवंबर 2017 में मिल गया। 7 जनवरी 2018 को, वह भारत से पहले अमेरिका और फिर वहाँ से एंटीगुआ भाग गए। ठीक उस समय जब PNB ने घोटाले की शिकायत दर्ज हुई थी।
  • जानकारी का पूर्व ज्ञान: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया कि मेहुल चोकसी को आपराधिक कार्यवाही शुरू होने की जानकारी थी। दिसंबर 2017 में, उन्होंने हांगकांग में डमी सप्लायर कंपनियों के निदेशकों को थाईलैंड वीजा के लिए आवेदन करने को कहा, जो उनकी भागने की एक योजना का हिस्सा था।
  • चिकित्सा बहाना: चोकसी ने दावा किया कि वह चिकित्सा जांच के लिए भारत छोड़कर गया था, न कि मुकदमे से बचने के लिए। हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इसे खारिज कर दिया।

धोखाधड़ी का खुलासा कब हुआ?

  • जनवरी 2018: PNB के बड़े अधिकारियों ने जब मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की कंपनियों से नए LoUs के लिए 100% कैश मार्जिन की मांग की। तब कंपनियों ने दावा किया कि उन्हें पहले बिना कोलैटरल के LoUs मिले थे, जिसके बाद बैंक ने आंतरिक जांच शुरू की।
  • 29 जनवरी 2018: PNB ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में शिकायत दर्ज की, जिसमें चोकसी, नीरव मोदी, और उनकी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया।
  • फरवरी 2018: CBI ने पहली FIR दर्ज की, और ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की।

कानूनी कार्रवाई और परिणामगिरफ्तारी और प्रत्यर्पण (extradition treaty)

  • मार्च 2018 में, PNB घोटाले के सिलसिले में चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किए गए।
  • दिसंबर 2018 में, CBI ने इंटरपोल के माध्यम से चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया, जो 2023 में वापस ले लिया गया।
  • मई 2021 में, चोकसी एंटीगुआ से लापता हो गए और डोमिनिका में पकड़े गए। उन्होंने दावा किया कि उनका अपहरण किया गया, लेकिन जांच में पाया गया कि वह कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए भागे थे।
  • 12 अप्रैल 2025 को, चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया, जहाँ वह 2023 से अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहे थे। भारत ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की है, और मामला अभी अदालत में है।

मेहुल चौकसी को भारत कैसे लाया जाएगा? या नहीं आ पाएगा? इस बार भी

तो मेहुल चौकसी की तबियत हो गई खराब, वह इलाज कराने आ गया बेल्जियम में। और बेल्जियम में जैसे इलाज करवाने आया प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) के तहत उसे बेल्जियम ने गिरफ्तार लिया है। ऐसे ही गिरफ्तारियों में सबसे बड़ी बाधा बनते हैं ह्यूमन राइट्स वाले कि आप किसी कैदी को क्यों मरेंगे फिर वो अपने स्वास्थ्य का बहाना बना देते हैं। कि मेरी तबियत ठीक नहीं है। या फिर ब्रिटेन जैसे देश में कानून ऐसा टफ बना दिया गया है कि अगर कोई करोड़ों रुपया लेकर भाग गया है। तो ब्रिटेन में उसका मुकदमा 10 साल चलेगा। जैसे अगर भारत में कोई चोरी कर लिया या लड़ाई कर लिया, तो भारत का कानून ही ऐसा है कि उसे चोर साबित करते करते आपको 10 साल लग जाएंगे। अरे भारत ने क्यो पूरी दुनिया ने देखा कि 2012 में जब निर्भया का रेप हुआ था उसको सजा दिलाने में फांसी चढ़ाने में भारत को 10 साल लग गया। 

तो ये तो ये सब चीजों में तो बहुत देर हो जाता है, तो बहुत सारे अड़चनें होते हैं। क्योंकि हम जब किसी विदेशी से देश प्रत्यर्पण कराते है तो बहुत मुश्किल होता है। भारत ने 48 देशी के साथ प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) किया है यानि अगर आपका क्रिमिनल मेरे यहां आया तो हम लौटा देंगे। हमारा यहां आपके गया तो आप हमे लौटा दीजिएगा। तो यह अच्छी चीज है प्रत्यर्पण संधि, अभी भारत ने प्रत्यार्पण संधि के तहत अमेरिका से तहव्वुर हुसैन राणा को वापस भारत में लाया है। यह वही व्यक्ति है जिसने मुंबई ब्लास्ट 26/11 ताज होटल और अन्य जगह पर जो ब्लास्ट हुआ था उसका मास्टरमाइंड था। यह कनाडा का नागरिक है, पाकिस्तानी मूल का है, कनाडा में जन्म लिया। अमेरिका में जाके शिफ्ट हो गया, इसके बारे में किसी दूसरे आर्टिकल में जानेंगे।

अमेरिका और भारत के बीच 1997 में ही प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) हो गई थी। इस संधि के आर्टिकल 8 के तहत अमेरिका जो है वो हमारे कैदियों को वापस भारत को सौंपेगा। 

जब कोई दूसरे देश भाग जाता है तो उसे कैसे पकड़ा जाता है?

बेल्जियम से पकड़ के भगौड़े मेहुल चौकसी को भारत लाया गया हैं। इंटरपोल कैसे रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। बेल्जियम में कैसे संधि के तहत इन्हें भेज दिया। तो रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल और प्रत्यार्पण क्या होता है इसे समझते हैं।

देखिए जब कोई क्रिमिनल कोई बड़ा अपराध करके अपने देश छोड़कर किसी दूसरे देश भाग जाता है। तो वहां पकड़ना मुश्किल हो जाता है, इसलिए एक इंटरनेशनल पुलिस बनाई गई है जिसे शॉर्टकट में इंटरपोल कहा जाता है। इंटर मतलब इंटरनेशनल पोल मतलब पुलिस, इसका मुख्यालय फ्रांस के लियोन शहर में है। अब अगर किसी देश का अपराधी किसी दूसरे देश में भाग में भाग जाता है, तो उस देश का पुलिस डिपार्टमेंट इंटरपोल को इन्फॉर्म करेगा कि हमारे देश का एक अपराधी आपके देश में आया हुआ है उसे पकड़ना है और हमे देना है। किसी भी अपराधी को आप उसके देश में जाकर नहीं पकड़ सकते हैं। उसको पकड़ने के लिए सबसे पहले इंटरपोल को इन्फॉर्म करना पड़ता है। उसके बाद वह खुद कार्रवाई करते हैं जांच पड़ताल करते हैं। अगर सही मायने में वह अपराधी है तभी वह आपके हवाले करते हैं वह भी सारे सबूत देने के बाद। 

तो महल चौकसी को पकड़ने की बारी थी थी तब उसे सबूत दिया जाएगा तो इंडिया का पुलिस ने सारे ही सबूत दिया। इसके बाद उस व्यक्ति के नाम पर एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है। और यह रेड कॉर्नर नोटिस हर देश के पुलिस को भेज दिया जाता है। कि भैया यह आदमी जहां भी मिले आप इंटरपोल को सौंप दीजिएगा। और इंटरपोल वापस जिस देश का अपराधी होता हैं उस अपराधी को उस देश को सौंप देता है। 195 देश है इंटरपोल में,बड़े अपराधी इंटरपोल की मदद से बहुत आसानी से पकड़े जाते हैं। तो इसमें भारत का इंटरपोल ने भी मदद किया था। 

मेहुल चोकसी की रणनीति और बचाव

  • चोकसी ने खुद को निर्दोष बताया और 2018 में एक खुले पत्र में दावा किया कि जांच एजेंसियाँ पक्षपातपूर्ण हैं।
  • उन्होंने एंटीगुआ में अपनी अनुपस्थिति को चिकित्सा कारणों से जोड़ा और प्रत्यर्पण का विरोध किया, यह दावा करते हुए कि भारत में उन्हें निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।
  • उनकी कानूनी टीम ने बेल्जियम में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ अपील की, यह तर्क देते हुए कि वह कैंसर का इलाज करा रहे हैं और कोई उड़ान जोखिम नहीं हैं।

मेहुल चोकसी ने PNB के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी LoUs के माध्यम से अरबों रुपये की धोखाधड़ी की, जिसका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया। उनकी पूर्व नियोजित योजना, जिसमें विदेशी नागरिकता लेना और भारत से भागना शामिल था, इस घोटाले की जटिलता को दर्शाती है। भारतीय एजेंसियाँ (CBI, ED) उनके प्रत्यर्पण और संपत्ति वसूली के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं, और उनकी हालिया गिरफ्तारी इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मेहुल चोकसी से संबंधित पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में संपत्ति जब्ती एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया रही है, जिसका उद्देश्य धोखाधड़ी से प्राप्त धन को वसूल करना और पीड़ित बैंकों (मुख्य रूप से PNB और ICICI बैंक) को नुकसान की भरपाई करना है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में चोकसी और उनकी कंपनियों की संपत्तियों को जब्त करने और नीलामी के लिए व्यापक कार्रवाई की है। नीचे संपत्ति जब्ती के प्रमुख पहलुओं, हाल के अपडेट्स, और प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है।

मेहुल चोकसी की संपत्ति जब्ती

प्रारंभिक जब्ती:

  • ED ने फरवरी 2018 में PMLA के तहत संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच करना शुरू किया। इसमें भारत और विदेशों में स्थित संपत्तियाँ शामिल थीं।
  • जब्ती से पहले, ED ने 136 स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें मेहुल चोकसी के घर, कार्यालय, गोदाम, और शोरूम शामिल थे।
  • जब्त की गई संपत्तियों में अचल संपत्ति (फ्लैट, मॉल, फार्महाउस), चल संपत्ति (ज्वैलरी, शेयर, बैंक खाते), और लक्जरी वाहन शामिल थे।
  1. PMLA अथॉरिटी की मंजूरी:
  • जब्त की गई संपत्तियों को PMLA अथॉरिटी ने “मनी लॉन्ड्रिंग संपत्ति” के रूप में मान्यता दी। उदाहरण के लिए, 2018 में 1,210 करोड़ रुपये की 41 संपत्तियों को स्थायी रूप से अटैच करने का आदेश दिया गया।
  • इनमें मुंबई में 15 फ्लैट, 17 ऑफिस परिसर, कोलकाता में एक मॉल, अलीबाग में 4 एकड़ का फार्महाउस, और महाराष्ट्र (नासिक, नागपुर, पनवेल) व तमिलनाडु (विल्लुपुरम) में 231 एकड़ जमीन शामिल थी।
  1. मूल्यांकन और नीलामी:
  • जब्त संपत्तियों का मूल्यांकन स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा किया गया ताकि उनकी बाजार कीमत निर्धारित की जा सके।
  • PMLA कोर्ट ने इन संपत्तियों को नीलाम करने की अनुमति दी, ताकि बैंकों को नुकसान की वसूली हो सके। नीलामी की प्रक्रिया गीतांजलि जेम्स के लिए नियुक्त लिक्विडेटर (शांतनु रे) द्वारा संचालित की जा रही है।

जब्त की गई संपत्तियों का विवरण

ED ने अब तक चोकसी और उनकी कंपनियों से संबंधित 2,565.90 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त या अटैच किया है। इनमें शामिल हैं:

  • अचल संपत्ति:
  • मुंबई: सांताक्रूज के खेनी टावर में 7 फ्लैट (लगभग 27 करोड़ रुपये), मालाबार हिल में गोकुल अपार्टमेंट्स में 3 फ्लैट (जिन पर 63 लाख रुपये का रखरखाव बकाया है), और SEEPZ, अंधेरी ईस्ट में 2 फैक्ट्री प्लॉट (98.03 करोड़ रुपये)।
  • कोलकाता: एक मॉल।
  • अलीबाग: 4 एकड़ का फार्महाउस।
  • गुजरात: सूरत में डायमंड पार्क में 4 ऑफिस यूनिट और एक दुकान, भारत डायमंड बोर्स में एक कमर्शियल यूनिट।
  • महाराष्ट्र और तमिलनाडु: नासिक, नागपुर, पनवेल, और विल्लुपुरम में 231 एकड़ जमीन।
  • विदेशी संपत्तियाँ:
  • दुबई: अलमास टावर में 3 संपत्तियाँ (22.5 करोड़ रुपये), जो गीतांजलि समूह की यूएई शाखा (एशियन डायमंड्स एंड ज्वैलरी FZE) से हिलिंगडन होल्डिंग्स के माध्यम से खरीदी गईं।
  • चल संपत्ति:
  • ज्वैलरी और कीमती सामान: 597.75 करोड़ रुपये की सोने, प्लैटिनम की ज्वैलरी, कीमती पत्थर, और लक्जरी घड़ियाँ।
  • वाहन: लक्जरी कारें (कई करोड़ रुपये की)।
  • बैंक खाते और शेयर: 86.72 करोड़ रुपये के म्यूचुअल फंड और शेयर।
  • अन्य: फरवरी 2021 में 14.45 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ, जिसमें मुंबई का एक फ्लैट, लक्जरी घड़ियाँ, और मर्सिडीज-बेंज कार शामिल थी।

हाल के अपडेट्स (2024-2025)

  1. दिसंबर 2024 में संपत्ति हस्तांतरण:
  • PMLA कोर्ट, मुंबई ने 2,565.90 करोड़ रुपये की संपत्तियों को नीलाम करने की मंजूरी दी।
  • इनमें से 125 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ गीतांजलि जेम्स के लिक्विडेटर को हस्तांतरित की गईं, जिसमें मुंबई के खेनी टावर में फ्लैट (27 करोड़ रुपये) और SEEPZ में फैक्ट्री/गोदाम (98.03 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
  • ये संपत्तियाँ PNB और ICICI बैंक को नुकसान की वसूली के लिए लौटाई गईं। ED ने बैंकों और लिक्विडेटर की मदद से इन संपत्तियों का मूल्यांकन और नीलामी की प्रक्रिया शुरू की।
  1. फरवरी 2025 में नीलामी की मंजूरी:
  • 13 फरवरी 2025 को, मुंबई की एक विशेष CBI-PMLA कोर्ट ने गीतांजलि जेम्स की 13 असुरक्षित संपत्तियों (unsecured properties) को नीलाम करने की अनुमति दी।
  • विशेष जज एस.एम. मेनजोगे ने कहा कि अगर संपत्तियाँ बिना रखरखाव के खाली पड़ी रहेंगी, तो उनका मूल्य घटेगा, इसलिए तत्काल नीलामी जरूरी है।
  • इन संपत्तियों में सांताक्रूज के 7 फ्लैट, सूरत में 4 ऑफिस यूनिट, एक दुकान, और भारत डायमंड बोर्स में एक कमर्शियल यूनिट शामिल हैं।
  • नीलामी से प्राप्त धन को ICICI बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा किया जाएगा, जो कोर्ट के पक्ष में होगा।
  1. अप्रैल 2025 में स्थिति:
  • अप्रैल 2025 तक, ED ने कुल 2,565.90 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच/जब्त किया है, और अतिरिक्त संपत्तियों की वसूली की प्रक्रिया जारी है।
  • चोकसी की मालाबार हिल, मुंबई में गोकुल अपार्टमेंट्स की संपत्तियों पर 63 लाख रुपये का रखरखाव बकाया है, और समाज के सदस्यों ने दावा किया कि अवैध रूप से कब्जा की गई छत के साथ कुल बकाया 95 लाख रुपये तक हो सकता है।

कानूनी और वित्तीय प्रभाव

  • बैंकों की वसूली: PNB और ICICI बैंक ने ED और लिक्विडेटर के साथ मिलकर नीलामी से धन वसूलने की प्रक्रिया शुरू की। अब तक 125 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ बैंकों को लौटाई गई हैं, जो कुल नुकसान (13,850 करोड़ रुपये) का एक छोटा हिस्सा है।
  • लिक्विडेटर की भूमिका: गीतांजलि जेम्स के लिक्विडेटर, शांतनु रे, को 5 अप्रैल 2019 को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) और 7 फरवरी 2024 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) द्वारा नियुक्त किया गया था। वे संपत्तियों के मूल्यांकन, नीलामी, और बैंकों को धन वितरण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • चोकसी की कानूनी स्थिति: चोकसी को 12 अप्रैल 2025 को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया, और भारत ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। उनकी कानूनी टीम स्वास्थ्य आधार (कथित कैंसर उपचार) पर जमानत और प्रत्यर्पण का विरोध कर रही है।

चुनौतियाँ

  1. विदेशी संपत्तियों की वसूली: दुबई और अन्य देशों में संपत्तियों को जब्त करना और नीलाम करना जटिल है, क्योंकि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कानूनी प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।
  2. संपत्तियों का रखरखाव: कुछ संपत्तियाँ, जैसे मालाबार हिल के फ्लैट, रखरखाव की कमी और बकाया शुल्क के कारण मूल्य खो रही हैं।
  3. कानूनी देरी: चोकसी ने भारत में और विदेशों में कई कानूनी याचिकाएँ दायर की हैं, जिससे प्रत्यर्पण और संपत्ति वसूली में देरी हो रही है।

मेहुल चोकसी से संबंधित संपत्ति जब्ती PNB घोटाले में वित्तीय नुकसान की वसूली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ED ने 2,565.90 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया, जिनमें से 125 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ दिसंबर 2024 तक बैंकों को लौटाई गईं। फरवरी 2025 में 13 और संपत्तियों की नीलामी को मंजूरी दी गई, जो वसूली प्रक्रिया को और तेज करेगी। हालांकि, विदेशी संपत्तियों की वसूली और चोकसी के प्रत्यर्पण में कानूनी और कूटनीतिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

  • ED ने चोकसी और गीतांजलि समूह से संबंधित 2,565.90 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया, जिसमें मुंबई में फ्लैट, कोलकाता में एक मॉल, अलीबाग में एक फार्महाउस, और विदेशों में संपत्तियाँ शामिल हैं।
  • दिसंबर 2024 में, PMLA कोर्ट ने इन संपत्तियों को बेचने की अनुमति दी, और 125 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ पीड़ित बैंकों (PNB और ICICI) को लौटाई गईं।

PNB घोटाले में चोकसी और उनके भांजे नीरव मोदी ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट (FLCs) के माध्यम से 13,850 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत चोकसी और उनकी कंपनियों (विशेष रूप से गीतांजलि जेम्स लिमिटेड) की संपत्तियों को जब्त किया, क्योंकि ये संपत्तियाँ “अपराध की आय” (Proceeds of Crime) मानी गई।

Anshuman Choudhary

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............