रेलवे ग्रुप डी की सैलरी कितनी होती है? | What is group D in railway post? salary? age limit, post profile

रेलवे ग्रुप डी का फॉर्म 2025 में कब निकलेगा?

रेलवे ग्रुप डी भर्ती 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया 23 जनवरी 2025 से शुरू हो चुकी है और 22 फरवरी 2025 तक चलेगी। इस भर्ती में कुल 32,438 पदो के लिए नियुक्तियां निकाली गई है। आवेदन शुल्क सामान्य, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 500 रुपये है, जबकि एससी, एसटी, महिला, ट्रांसजेंडर, और पूर्व सैनिक आदि उम्मीदवारों के लिए 250 रुपये है। आवेदन शुल्क का भुगतान फरवरी 2025 तक किया जा सकेगा। आवेदन में सुधार की सुविधा 25 फरवरी 2025 से 6 मार्च 2025 तक रहेगा। इस भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास (या आईटीआई) निर्धारित की गई है। आयु सीमा 18 से 36 वर्ष के बीच है।

जिसमें आरक्षित वर्गों को नियमानुसार मिलेगी। चयन प्रक्रिया में कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) और शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) शामिल हैं। सीबीटी में 100 प्रश्न होंगे, जिन्हें 90 मिनट में हल करना होगा। पीईटी में पुरुष उम्मीदवारों को 35 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में 1000 मीटर 4 मिनट 15 सेकंड में पूरा करना होगा, जबकि महिला उम्मीदवारों को 20 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में और 1000 मीटर 5 मिनट 40 सेकंड में पूरा करना होगा। इस भर्ती से संबंधित अधिक जानकारी के लिए रेलवे की वेबसाइट पर चेक करे।

What is group D in railway post? salary? age limit, post profile

रेलवे में ग्रुप डी के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?

इस भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास या आईटीआई निर्धारित की गई है।

रेलवे ग्रुप डी में कितनी उम्र मांगते हैं?

आयु सीमा 18 से 36 वर्ष के बीच है।

रेलवे ग्रुप डी में दौड़ कितनी है?

पीईटी (शारीरिक दक्षता परीक्षा) में पुरुष उम्मीदवारों को 35 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में 1000 मीटर 4 मिनट 15 सेकंड में पूरा करना होगा, जबकि महिला उम्मीदवारों को 20 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में और 1000 मीटर 5 मिनट 40 सेकंड में पूरा करना होगा।

रेलवे ग्रुप डी में आईटीआई जरूरी है क्या? रेलवे में कितनी पढ़ाई मांगते हैं?

अगर आपने आईटीआई की हुई हुई है तो आपको रेलवे ग्रुप डी में अच्छे पोस्ट के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। अगर पाने आईटीआई नहीं की हुई है तो आपको टेक्निकल पोस्ट में जॉब मिलना थोड़ा मुश्किल है तप फिर आपके लिए ट्रेक मैन्टेनर में डाल दिया जाएगा, और आपकी योग्यता और ज्ञान के मुताबिक पोस्ट दिया जा सकता है।

ग्रुप डी में क्या काम होता है?

ग्रुप डी में करीब 14 जॉब पोस्ट है जिसमे Engineering, Mechanical, Electrical, Track Maintain, आदि कई सारे काम है जो नीचे विस्तार से बताया गया है।


रेलवे ग्रुप डी की सैलरी कितनी होती है?

रेलवे ग्रुप डी की शुरुआती सैलरी 18000 से शायद शुरू है जो अधिकतम 50,000 से ऊपर तक जाती है।

रेलवे ग्रुप डी में मेडिकल होता है क्या?

मेडिकल में पीईटी में पुरुष उम्मीदवारों को 35 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में 1000 मीटर 4 मिनट 15 सेकंड में पूरा करना होगा, जबकि महिला उम्मीदवारों को 20 किलोग्राम वजन के साथ 100 मीटर 2 मिनट में और 1000 मीटर 5 मिनट 40 सेकंड में पूरा करना होगा।

रेलवे ग्रुप डी में सबसे अच्छा पोस्ट कौन सा है?

अगर आपने टेक्निकल से जुड़ी कोई भी कोर्स कर रखी है तो आपके लिए बहुत से टेक्निकल पोस्ट है जिसमे आपको सैलरी आपको अच्छा खासा मिलने वाला है। साथ में आपको रेल्वे की तरफ से क्वाटर दिया जाएगा, साथ मेंआपको प्रतिदिन के हिसाब से TA भी मिलेगा। वहीं बात करे रेलवे ग्रुप डी में सबसे अच्छा पोस्ट कौन सा है? तो उनमे से कुछ नीचे निम्नलिखित है:-

  • Pointsman-B
  • Assistant (C&W)
  • Assistant Loco Shed (Diesel)
  • Assistant Loco Shed (Electrical)
  • Assistant Operations (Electrical)
  • Assistant TL & AC
  • Assistant TL & AC (Workshop)
  • Assistant (Workshop) (Mech)

रेलवे ग्रुप डी में कितने घंटे की ड्यूटी होती है? रेलवे ग्रुप डी में कितने पेपर होते हैं? क्या ग्रुप डी की परीक्षा कठिन है? क्या ग्रुप डी एक अच्छी नौकरी है? ग्रुप डी में सबसे अच्छी पोस्ट कौन सी है?)

तो आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे रेलवे ग्रुप डी में जो-जो जॉब पोस्ट है उनके बारे में। कि आखिर कौन से पोस्ट जॉब में कौन सा काम करना पड़ता है। आपके लिए कौन सा जॉब पोस्ट अच्छा रहेगा और लड़कियों के लिए कौन सा जॉब पोस्ट अच्छा रहेगा। कौन से जॉब पोस्ट में सैलेरी ज्यादा है, किसमे प्रोमोशन की संभावना ज्यादा होती है।

RRB Group D Job Profile

रेलवे ग्रुप D नौकरियों के बारे में जानकारी (Railway Group D Jobs Details in Hindi):

📋 पदों के नाम (Posts Included):

रेलवे ग्रुप D के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के पद आते हैं, जैसे:

  • ट्रैक मेंटेनर ग्रेड-IV (Track Maintainer Grade-IV)
  • हेल्पर/असिस्टेंट (Helper/Assistant) – इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, एस एंड टी आदि विभागों में
  • असिस्टेंट पॉइंट्समैन (Assistant Pointsman)
  • हॉस्पिटल अटेंडेंट (Hospital Attendant)
  • पोर्टर (Porter) आदि

योग्यता (Eligibility Criteria):

  • शैक्षणिक योग्यता: 10वीं पास या ITI (मान्यता प्राप्त संस्थान से)
  • आयु सीमा: 18 से 36 वर्ष (आरक्षित वर्गों के लिए आयु में छूट उपलब्ध है)
  • नागरिकता: भारतीय नागरिक होना अनिवार्य

चयन प्रक्रिया (Selection Process):

  1. कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) – वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न
  2. फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट (PET) – शारीरिक दक्षता परीक्षण
  3. दस्तावेज़ सत्यापन (Document Verification)
  4. मेडिकल परीक्षण (Medical Examination)

परीक्षा पैटर्न (Exam Pattern):

  • कुल प्रश्न: 100
  • विषय: गणित, सामान्य बुद्धिमत्ता और तर्कशक्ति, सामान्य विज्ञान, सामान्य जागरूकता
  • नकारात्मक अंकन: प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1/3 अंक काटे जाते हैं

वेतनमान (Salary Structure):

  • पे स्केल: लेवल-1 (7वें वेतन आयोग के अनुसार)
  • प्रारंभिक वेतन: ₹18,000/- प्रति माह (अन्य भत्तों के साथ)

महत्वपूर्ण तिथियाँ (Important Dates):

  • आवेदन शुरू होने की तिथि: भर्ती अधिसूचना के अनुसार
  • अंतिम तिथि: अधिसूचना में उल्लेखित

🔗 आवेदन कैसे करें (How to Apply):

  • आधिकारिक वेबसाइट: www.rrbcdg.gov.in या संबंधित RRB की वेबसाइट
  • ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें
  • आवेदन शुल्क का भुगतान करें (यदि लागू हो)
  • आवेदन फॉर्म सबमिट करने के बाद प्रिंटआउट लेना न भूलें

Railway Group D post Name list and salary

Group D post NameDepartment/ Categorysalary
1. PointsmanTraffic
2. Asst. S & T (Signal & Telecommunictaion )S&T
3. Asst. C & W ( Carriage & Wagon)Mechanical
4. Asst. Workship MechnicalElectrical
5. Asst. TL & AC WorkshopElectrical
6. Asst. TL & AC ( Train Lighting & Air Condisner)Electrical
7. Asst Operation ElectricalElectrical
8. Asst. shed ElectricElectrical
9. Asst. Shed (Loco) DieselMechanical
10. Asst. of TRD ( Assitant Traction & Rolling Department )Electrical
11. Asst. P-WayEngineering
12. Asst. BridgeEngineering
13. Asst. of Track MachineEngineering
14. Track Maintainer Grade IV (Gangmen) पेट्रोल मेनEngineering

  1. Pointsman
  2. Asst. S & T (Signal & Telecommunictaion )
  3. Asst. C & W ( Carriage & Wagon)
  4. Asst. Workshop Mechnical
  5. Asst. TL & AC Workshop
  6. Asst.TL & AC ( Train Lighting & Air Condisner)
  7. Asst Operation Electrical (
  8. Asst. shed Electric
  9. Asst. Shed Diesel (
  10. Asst. TRD (Traction & Rolling Department)
  11. Asst. P-Wav (
  12. Asst. Bridge
  13. Asst. Track Machine
  14. Track Maintainer Grade IV

14. Track Maintainer Grade IV (Gangmen) पेट्रोल मेन, किमैन)

Track Maintainer Grade IV में काम करने वाले लोग नारंगी रंग के कमीज पहने होते हैं। और ये लोग आपको अक्सर ट्रेन के पटरियों के बीच चलते देखा होगा जब ट्रेन नहीं चल रही होती है। Track Maintainer Grade IV में काम ये होता है कि ये लोग रेलवे ट्रैक का रखरखाव करते है। इनके हाथ में एक बड़ा हथौड़ा होता है और कंधे पर एक बैग होता है। जिसमे काम की जरूरी दो तीन और टूल्स होती है। ये लोग का रेलवे ट्रेक पर तकरीबन 10-14 किलोमीटर का क्षेत्र होता है जिसमे ये पैदल चक्कर काटता रहता है। जिसमे ये ट्रेक को चेक करते हैं की कहीं कोई पटरी पर लगी पेंच ढीला हो, पटरी का कोई हिस्सा टूटा हो इससे जो हो पाता है वो करता है नहीं तो ये अपने सीनियर को जानकारी देता है।

ये काम दिन में तो करनी ही करनी ही पड़ती है साथ में आपको रात में भी शिफ्ट लग सकती है और करनी पड़ सकती है। ये काम बहुत ही मेहनत का है, चाहे गर्मी हो ठंड हो या फिर बरसात हो आपको ये काम करना ही पड़ेगा। सबसे ज्यादा रिस्की और खतरनाक जॉब है तो यही होता है और सबसे ज्यादा जाने इसी में जाती है। आपके ऊपर अच्छा खासा वजन रहता है, खास करके गर्मी के दिनों में क्योंकि आपको साथ में 4-5 लीटर पानी भी लेकर चलना पड़ता है। इसके अलावा ट्रेक पर ऑइलिंग करना है, ग्रीसिंग करना है, कुछ सामान इधर से उधर करना है तुम्ही को करना है।

तो इसको सबसे लास्ट के विकल्प (Option ) मे रखना है, अगर किसी और में नहीं मिल पाता है तो। ये काम वैसे लड़कियों के लिए नहीं है लेकिन कोई विकल्प नहीं बचता है तो कुछ सोचा जा सकता है।

Track Maintainer Grade IV के काम को शॉर्ट में जाने: –

Track Maintainer Grade IV भारतीय रेलवे में एक महत्वपूर्ण पद है, जो पटरियों के रखरखाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसका मुख्य उद्देश्य ट्रेनों की सुरक्षित और सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

मुख्य जिम्मेदारियां:

  1. पटरियों का निरीक्षण (Track Inspection):
    • पटरियों की स्थिति की नियमित जांच करना।
    • टूट-फूट, दरारें, या किसी भी तरह के नुकसान की पहचान करना।
  2. रखरखाव और मरम्मत (Maintenance & Repair):
    • पटरी के जोड़, नट-बोल्ट, स्लीपर, और फास्टनिंग्स को कसना और बदलना।
    • पटरियों के आस-पास की साफ-सफाई सुनिश्चित करना।
  3. रेल लाइन की संरेखण जांच (Track Alignment):
    • रेल लाइन का स्तर और लाइनिंग ठीक रखना ताकि ट्रेनों की गति और संतुलन सही बना रहे।
  4. आपातकालीन मरम्मत कार्य (Emergency Repairs):
    • दुर्घटना या पटरी के टूटने की स्थिति में त्वरित मरम्मत करना।
    • ट्रेनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक चेतावनी संकेत लगाना।
  5. मशीनों और उपकरणों का उपयोग (Use of Tools):
    • पटरियों के रखरखाव के लिए हैवी टूल्स और मशीनरी का संचालन करना।
    • छोटी-बड़ी मशीनों के साथ मैनुअल वर्क भी शामिल होता है।
  6. टीम वर्क (Team Collaboration):
    • गैंगमैन की टीम के साथ मिलकर काम करना।
    • वरिष्ठ अधिकारियों को निरीक्षण रिपोर्ट देना।

जरूरी योग्यताएँ:

  • शारीरिक रूप से स्वस्थ और मजबूत होना जरूरी है क्योंकि काम में भारी सामान उठाना पड़ सकता है।
  • टीम के साथ सहयोग करने की क्षमता।
  • रेलवे सुरक्षा नियमों और आपातकालीन प्रक्रियाओं की समझ।

कार्य समय और वातावरण:

  • कठिन मौसम परिस्थितियों में भी काम करना पड़ता है (गर्मी, ठंड, बारिश आदि)।
  • कभी-कभी रात के समय, छुट्टियों में या आपातकालीन स्थिति में ड्यूटी देनी पड़ सकती है।

अगर आप इस पद के लिए तैयारी कर रहे हैं या और जानकारी चाहिए तो बताएं!

13. Asst. of Track Machine

तो ये जॉब देखा जाए तो कुछ लोगों के लिए ये जॉब बहुत ही दिलचस्प और आनंददायक (intresting) जॉब है। तो कुछ लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं है, लेकिन जब पैसे मिल रहे हों तो फिर भारत देश में कोई काम हो वो जायज है। तो आजकल पटरियों पर बड़ी बड़ी मशीनें काम करने लगी जो पहले लोगों के द्वारा की जाती थी। तो इस मशीन को चलाने के लिए JE, SSE और Technician होता है। और इनके साथ ही हेल्पर के रूप में ग्रुप डी के Asst. Track Machine के कर्मचारी होते हैं। कर्मचारी को डब्बे के साथ ही रहना पड़ता है, अगर आपके होम लोकैशन से ये डब्बा किसी दूसरे राज्य में काम के लिए जाता है तो आपको जाना पड़ेगा।

और तकरीबन 15 से 20 दिन आपको घर से बाहर या फिर कभी कभी महीने भर भी आपको इस डब्बे के साथ काम के दौरान रहना पड़ सकता है। तो इस मशीन के साथ एक डब्बा भी जुड़ा होता है, उसी में नहाना, धोना, पास के बाजार से खाने की सब्जियां आदि लाकर खुद से पकाना, खाना, हगना सब डब्बे के अंदर ही होता है। पूरा काम होने के बाद तब कहीं जाकर आपको 5-7 दिन की आराम करने के लिए छुट्टी मिलती है। अगर घर में कोई अकेला है और उसे घर भी देखना है, घर में अचानक कोई आपातकालीन स्थिति पैदा हो गई। वो तो घर ही नहीं पहुँच पाएगा, तो उसके लिए ये काम फिट नहीं बैठती है। उसके लिए ये जॉब बेकार हो गई।

लेकिन अगर किसी घर में 4-5 आदमी हो और घर में जरूरी पड़ने पर वो लोग मैनेज कर लेगा, और आप एकदम फ्री हो तो आपके लिए ये जॉब अच्छा हो सकता है क्योंकि इस काम आपको कभी दिल्ली तो कभी कलकता तो कभी चेन्नई आप काम के साथ साथ एक शहर से दूसरे शहर घूमने का भी मौका मिलेगा। और अगर आप शादीशुदा है तो फिर थोड़ी बहुत समस्या सकती है। लेकिन वो आप और आपके परिवार पर निर्भर करता है, कि आपलोग 15-20 दिन मैनेज कर लेंगे। क्योंकि जो आप काम कर रहे है वो तो परिवार वालों के लिए ही काम कर रहे हैं। और काम लड़कियों के लिए बिल्कुल भी नहीं है। लेकिन इसमे सैलरी अच्छी मिलती है।

क्यों? क्योंकि जिस भी जॉब्स में इस तरह का काम है जहां पर आप अपने घर से, स्टेशन से हेड quarter से दूर जाते है और वहीं रहते हैं। तो आपको बाहर जाने पर TA (ट्रैव्लिंग अलायंस) मिलता है जो प्रतिदिन का करीब 500 रुपये होता है। जिसमे अगर 20-22 दिन बाहर रहते है तो आपका 10-12 हजार सैलरी बढ़ जाता है दिन के हिसाब से।

Asst. Track Machine के काम को शॉर्ट में जाने: –

Assistant Track Machine (ATM) का काम रेलवे ट्रैक के रखरखाव और मरम्मत से जुड़ा होता है, खासकर उन मशीनों के संचालन और देखरेख में जो ट्रैक के रखरखाव के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। यह पद आमतौर पर भारतीय रेलवे में तकनीकी श्रेणी के अंतर्गत आता है। इसके मुख्य कार्यों में शामिल हैं:

मुख्य जिम्मेदारियाँ:

  1. ट्रैक मशीनों का संचालन (Operation of Track Machines):
    • बड़े पैमाने पर ट्रैक रखरखाव के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों जैसे Tamping Machines, Ballast Cleaning Machines, Track Laying Machines आदि को चलाना और मॉनिटर करना।
  2. रखरखाव और मरम्मत (Maintenance and Repair):
    • मशीनों के नियमित निरीक्षण (inspection) और आवश्यक मरम्मत करना ताकि वे सुचारू रूप से काम करती रहें।
    • छोटे तकनीकी खराबियों को समय रहते ठीक करना।
  3. सेफ्टी सुनिश्चित करना (Ensuring Safety):
    • ट्रैक पर काम करते समय सुरक्षा मानकों का पालन करना।
    • मशीन और ट्रैक की स्थिति की निगरानी करना ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
  4. डेटा रिकॉर्डिंग (Data Recording):
    • मशीनों के कामकाज और रखरखाव से संबंधित डेटा को रिकॉर्ड करना और रिपोर्ट बनाना।
  5. टीम के साथ सहयोग (Team Collaboration):
    • सीनियर इंजीनियरों और अन्य टेक्निकल स्टाफ के साथ मिलकर काम करना।

योग्यता (Eligibility):

  • 10वीं पास के साथ ITI (Industrial Training Institute) का सर्टिफिकेट (फिटिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल आदि ट्रेड में)।
  • रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) के माध्यम से चयन।

⏱️ काम के घंटे और स्थान:

  • फील्ड जॉब होने के कारण काम के घंटे अनियमित हो सकते हैं।
  • दूरदराज के क्षेत्रों और अलग-अलग मौसम में काम करना पड़ता है।

प्रमोशन और करियर ग्रोथ:

  • अनुभव के आधार पर Senior Section Engineer या अन्य उच्च पदों पर प्रमोशन के अवसर।

अगर आप इस जॉब में इंटरेस्टेड हैं तो तैयारी के लिए तकनीकी ज्ञान और रेलवे सेफ्टी के बेसिक कंसेप्ट पर ध्यान दें।

12. Asst. Bridge

तो इसमे साफ जाहीर होता है कि इसमे आपको ब्रिज पर काम करना होगा। तो भारत धीरे धीरे रेल का विस्तार कर रहा है। जिसमे बहुत से ट्रेक ब्रिज के ऊपर बनाए जा रहे हैं, तो आपको भी इस पोस्ट के अंतर्गत इसमे काम करने का मौका मिलेगा। इसमे दो तरह का काम होता है एक mentenance करना और दूसरा नया बनाना। ब्रिज से सबंधित सारे काम इसी पोस्ट के अंतर्गत आते हैं। और साथ में आपके JE, SSE और technician और भी आदमी होते हैं लेकिन अगर आपने Asst. Bridge पोस्ट के लिए अप्लाइ किया होगा तो इसी के अंडर हेल्पर के तौर पर काम करना होगा। ये जॉब थोड़ी सी रिस्की है, क्योंकि ये काम आपको हमेशा ब्रिज के ऊपर ही करना पड़ता है। इसमे फिज़िकल काम ज्यादा है, और हर ब्रिज की ऊंचाई अलग अलग होती है।

इसमे काम करने का प्रेशर ज्यादा होता है क्योंकि ये ब्रिज का काम होता है, और ब्रिज काम जल्दी करना होता है। बरसात में कभी कभी कहीं पर ब्रिज के पास मिट्टी कट जाता है जिससे ब्रिज कमजोर हो जाता है। तो उस परिस्थिति में आपको जल्दी काम निपटाना होगा क्योंकि ट्रेन को समय पर भी चलना है। इस जॉब पोस्ट के तहत आपको कभी कभी घर से कई – कई दिन बाहर रहना पड़ सकता है।

Asst. Bridge को शॉर्ट में समझे: –

RRB (Railway Recruitment Board) Assistant Bridge (Asst. Bridge) का काम भारतीय रेलवे के ब्रिज इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है। इस पद का मुख्य कार्य रेलवे पुलों (Bridges) और उनसे संबंधित/संरचनात्मक ढांचों के निर्माण, रखरखाव करना होता है और निरीक्षण करना होता है। यह पद Engineering Department (Works Wing) के अंतर्गत आता है।

मुख्य जिम्मेदारियाँ:

  1. पुलों का निरीक्षण (Inspection) और देखरेख
    • रेलवे पुलों की नियमित जांच करना और उनकी संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित करना।
    • तिग्रस्त या कमजोर पुलों की पहचान करके उनकी मरम्मत करवाना।
  2. रखरखाव और मरम्मत (Maintenance & Repair), नए पुलों का निर्माण और मरम्मत
    • नए पुलों के निर्माण और विस्तार कार्य में इंजीनियरिंग टीम की सहायता करना।
    • कमजोर या क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत का प्रबंधन करना।
    • पुलों की मजबूती बनाए रखने के लिए आवश्यक तकनीकी उपाय लागू करना।
    • आवश्यकतानुसार पुराने पुलों की मरम्मत और नवीनीकरण करवाना।
  3. निर्माण कार्य (Construction):
    • नए रेलवे पुलों के निर्माण में तकनीकी सहायता देना।
    • निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और मानकों की जांच करना।
  4. सुरक्षा उपाय (Safety Measures):
    • पुलों की सुरक्षा से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना।
    • रेलवे सुरक्षा मानकों (IR Codes और रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश) का पालन सुनिश्चित करना।
    • बाढ़, भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के के बाद विशेष निरीक्षण कर पुलों की स्थिति की निगरानी करना।
  5. रिपोर्टिंग और रिकॉर्ड रखना (Reporting & Documentation):
    • निरीक्षण और मरम्मत कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना।
    • सीनियर सेक्शन इंजीनियर (SSE) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पुलों की स्थिति की रिपोर्ट देना।
    • ब्रिज की स्थिति का डेटा रिकॉर्ड करना ताकि भविष्य में निगरानी आसान हो।
    • मरम्मत और निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक सामग्री एवं श्रमिकों की व्यवस्था करना।

आवश्यक कौशल (Skills Required):

  • सिविल इंजीनियरिंग की जानकारी, इस पद के लिए डिप्लोमा/डिग्री इन सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering) अनिवार्य होती है।
  • भर्ती RRB JE (Junior Engineer) Exam के माध्यम से होती है।
  • संरचनात्मक विश्लेषण (Structural Analysis)
  • समस्या समाधान क्षमता
  • टीम प्रबंधन और नेतृत्व कौशल

कार्य स्थल (Work Environment):

  • ज्यादातर समय फील्ड वर्क जैसे पुलों के पास निरीक्षण और निगरानी में बिताना पड़ता है।
  • कठिन मौसम और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी काम करना होता है।

करियर ग्रोथ:

  • Assistant BridgeJunior Engineer (JE – Works/Bridge)Senior Section Engineer (SSE – Bridge)Assistant Divisional Engineer (ADEN)

निष्कर्ष:

RRB Asst. Bridge रेलवे के महत्वपूर्ण पुलों और उनसे जुड़े संरचनात्मक कार्यों की देखरेख और रखरखाव सुनिश्चित करता है। यह पद उन उम्मीदवारों के लिए बेहतरीन है, जो सिविल इंजीनियरिंग में रुचि रखते हैं और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा बनना चाहते हैं। अगर आप इस पद के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो सिविल इंजीनियरिंग और रेलवे ब्रिज की तकनीकी जानकारी पर फोकस करें।

11. Asst. P-Wav

इस जॉब पोस्ट में होता ये है कि गर पटरी कहीं से टूट गई, क्रेक हो गया तो उस परिस्थिति में जो Track Maintainer Grade IV घूम रहे होते हैं वो अपने सीनियर को इन्फॉर्म करेंगे। उसके बाद उस लोकैशन पर Asst. P-Wav वाले को भेजा जाएगा, और Asst. P-Wav वाले टूटे हुए पटरी या क्रेक हुए पटरी को वैल्डिंग करेंगे मरम्मत करेंगे। ये जॉब पोस्ट लड़कयों के लिए एकदम नहीं है।

Asst. P-Wav को शॉर्ट में समझे

RRB (Railway Recruitment Board) में Assistant P-Way (Permanent Way) या Asst. P-Way Supervisor का काम भारतीय रेलवे में ट्रैक से संबंधित होता है। यह पद Permanent Way (P-Way) Department के तहत आता है, जो रेलवे ट्रैक के रखरखाव और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है।

मुख्य जिम्मेदारियाँ:

  1. ट्रैक का निरीक्षण:
    • रेलवे ट्रैक की नियमित जांच करना ताकि कोई खराबी या टूट-फूट न हो।
    • पटरियों के जोड़, स्लीपर, फिश प्लेट्स आदि की स्थिति देखना।
  2. रखरखाव और मरम्मत:
    • ट्रैक के रखरखाव कार्यों की निगरानी करना, जैसे कि पटरी बदलना, स्लीपर बदलना, और लुब्रिकेशन आदि।
    • जरूरत पड़ने पर मरम्मत कार्यों का नेतृत्व करना।
  3. सुरक्षा सुनिश्चित करना:
    • ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही के लिए ट्रैक को सही स्थिति में बनाए रखना।
    • किसी दुर्घटना या तकनीकी समस्या के दौरान तुरंत कार्रवाई करना।
  4. वर्क फोर्स का प्रबंधन:
    • ट्रैकमैन, गैंगमैन, और अन्य तकनीकी कर्मचारियों की टीम का प्रबंधन करना।
    • उन्हें सही दिशा-निर्देश देना और उनकी कार्यक्षमता पर नजर रखना।
  5. रिपोर्ट बनाना:
    • नियमित निरीक्षण और रखरखाव की रिपोर्ट तैयार करना और उच्च अधिकारियों को सौंपना।
  6. इमरजेंसी रेस्पॉन्स:
    • ट्रेन दुर्घटना या ट्रैक संबंधी आपात स्थिति में तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करना।

जरूरी कौशल और योग्यताएं:

  • तकनीकी जानकारी: रेलवे इंजीनियरिंग, विशेषकर ट्रैक इंजीनियरिंग की अच्छी समझ।
  • लीडरशिप स्किल्स: टीम को निर्देश देने और आपातकालीन स्थितियों में तेज निर्णय लेने की क्षमता।
  • फिजिकल फिटनेस: क्योंकि काम में फील्ड में निरीक्षण और मेहनत की जरूरत होती है।

काम के घंटे और स्थान:

  • यह एक फील्ड जॉब है, जिसमें अक्सर बाहर ट्रैक पर काम करना पड़ता है।
  • ड्यूटी का समय फ्लेक्सिबल हो सकता है, और आपातकालीन स्थिति में रात में भी काम करना पड़ सकता है।

अगर आप रेलवे में तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखते हैं और चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं, तो यह एक बेहतरीन पद है।

10. Asst. of TRD ( Assitant Traction & Rolling Department )

TRD का मतलब होता है Traction & Rolling Department, ट्रेन के ऊपर जो बिजली के तार होते हैं। जिससे ट्रेन में बिजली आती है, तो नए बिजली के तार डालने हों समय समय पर मेंटेनेंस करना हो, गर इसमे कोई खराबी आ गई हो, टूट गया हो तो उसको TRD डिपार्ट्मन्ट वाले ही करेंगे। TRD वाले का इसका अलग से एक डब्बे वाला ट्रेन होता है और उसका लोको पायलेट होता है। उसमे SSE, JE और Technician होता है। और साथ में ग्रुप डी के हेल्पर होते हैं। तो ये थोड़ी रिस्की जॉब है क्योंकि काम तो बिजली बंद करके ही किया जाता है। लेकिन गर गलती सी कभी थोड़ी सी बिजली आ ही जाए और इस तार में हाई वोल्टेज करेंट होती है, जो बहुत ही खतरनाक होती है।

इसमे आपने कभी न कभी अखबार में या कहीं से सुना ही होगा की ट्रेन के हाई वोल्टेज तार के संपर्क में आने से रेल कर्मचारी घायल हो गए हैं या फिर उसकी जान चली गई हो। लेकिन ये सब खबर आपको बहुत कम ही सुनने को मिले होंगे क्योंकि सरकार इस खबर को दबा देती है ताकि किसी अन्य को पता न चल जाए और इस डर से कोई इस काम के लिए अप्लाइ ही न करें। ये काम अधिकतर दिन में ही किया जाता है रात में नहीं किया जाता है। तो इस जॉब में भी आपको TA (ट्रैव्लिंग अलायंस) मिलता है जो प्रतिदिन का करीब 500 रुपये होता है।

Asst. of TRD को शॉर्ट में समझे: –

RRB (Railway Recruitment Board) के अंतर्गत Assistant TRD (Traction Distribution) का काम रेलवे के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम से संबंधित होता है। TRD रेलवे के ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर और उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मैनेज करता है।

मुख्य जिम्मेदारियाँ:

  1. ओवरहेड इक्विपमेंट (OHE) की निगरानी:
    ओवरहेड वायर, पैंटो ग्राफ, और ट्रैक्शन सिस्टम की सही स्थिति बनाए रखना।
  2. रखरखाव और मरम्मत:
    इलेक्ट्रिक वायरिंग, इंसुलेटर्स, ट्रैक्शन सबस्टेशन आदि का मेंटेनेंस और फॉल्ट डिटेक्शन।
  3. सेफ्टी और इंस्पेक्शन:
    सेफ्टी गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करना और नियमित निरीक्षण के जरिए सिस्टम की मजबूती जांचना।
  4. शिफ्ट ड्यूटी:
    रेलवे में काम 24/7 चलता है, इसलिए शिफ्टों में ड्यूटी करनी पड़ सकती है।
  5. इमरजेंसी रिस्पॉन्स:
    यदि कोई फॉल्ट या ब्रेकडाउन होता है, तो तुरंत फील्ड में जाकर समस्या का समाधान करना।

योग्यता और स्किल्स:

  • इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिप्लोमा/डिग्री।
  • टेक्निकल नॉलेज, प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स, और फील्डवर्क का अनुभव।

अगर आप RRB Asst. TRD के लिए तैयारी कर रहे हैं तो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बेसिक कॉन्सेप्ट्स, जनरल साइंस, मैथमेटिक्स, और रेलवे संबंधित सेफ्टी नॉर्म्स पर फोकस करें।

प्रमोशन और करियर ग्रोथ:

RRB Asst. TRD के पद पर जॉइन करने के बाद आपके पास प्रमोशन के कई अवसर होते हैं। प्रमोशन परफॉर्मेंस, सीनियरिटी, और डिपार्टमेंटल एग्जाम पर निर्भर करता है। प्रमोशन की सामान्य प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  1. Assistant TRD → Junior Engineer (JE)
  2. Junior Engineer → Senior Section Engineer (SSE)
  3. Senior Section Engineer → Assistant Divisional Electrical Engineer (ADEE)
  4. ADEE → Divisional Electrical Engineer (DEE)

हर प्रमोशन के साथ जिम्मेदारियाँ और सैलरी दोनों बढ़ती हैं।

सैलरी और भत्ते:

Assistant TRD को 7th Pay Commission के तहत वेतन मिलता है। आम तौर पर पे-लेवल 6 के अंतर्गत सैलरी होती है, जिसमें शामिल हैं:

  • बेसिक पे: ₹35,400 (लगभग)
  • महंगाई भत्ता (DA)
  • हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
  • ट्रांसपोर्ट अलाउंस
  • मेडिकल फैसिलिटीज
  • रेलवे पास और अन्य लाभ

वर्क एनवायरनमेंट:

  • फील्डवर्क ज्यादा होता है, खासकर ओवरहेड इक्विपमेंट के निरीक्षण और मेंटेनेंस के दौरान।
  • कभी-कभी आपको कठिन परिस्थितियों में, जैसे बारिश या गर्मी में भी काम करना पड़ सकता है।
  • टीम वर्क जरूरी होता है क्योंकि आपको तकनीशियनों और इंजीनियरों के साथ मिलकर काम करना होता है।

तैयारी कैसे करें:

  1. टेक्निकल सब्जेक्ट्स: इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बेसिक कॉन्सेप्ट्स जैसे करंट, वोल्टेज, पावर, सर्किट थ्योरी, ट्रांसफॉर्मर्स, मोटर्स आदि।
  2. जनरल अवेयरनेस: रेलवे के करंट अफेयर्स, इंडियन रेलवे का इतिहास और संरचना।
  3. मैथ और रीजनिंग: क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड, लॉजिकल रीजनिंग, डेटा इंटरप्रिटेशन आदि।
  4. प्रैक्टिस: पिछले साल के प्रश्न पत्र और मॉक टेस्ट लगाते रहें।

चुनौती और अवसर:

  • चुनौतियाँ: शारीरिक मेहनत, शिफ्ट ड्यूटी, और फील्डवर्क।
  • अवसर: रेलवे में स्थिरता, अच्छी सैलरी, प्रमोशन के अवसर और गवर्नमेंट जॉब के फायदे।

अगर आपको इसके एग्जाम पैटर्न, तैयारी स्ट्रेटेजी, या किसी और जानकारी की जरूरत हो तो बताइए!

9. Asst. Shed Diesel (

Asst. Shed तो तरह के होते है, एक डीजल शेड दूसरा इलेक्ट्रिक शेड, डीजल शेड से थोड़ी सी ऊपर प्रेफ्रन्स रखेंगे इलेक्ट्रिक शेड को, काम तो दोनों का एक ही होता है। ये डीजल इंजन की सर्विस करते है तो वो इलेक्ट्रिक इंजन को सर्विस करते है। डीजल इंजन में तेल पड़ता है बहुत सारा इसमे ऑइलिंग पॉइंट बहुत होता है जिसमे आप इसकी सर्विस के दौरान बहुत ज्यादा गंदे हो जाओगे और शरीर मे तेल भी लग जाएगा। तो इसमे कुछ ज्यादा नहीं है बस एक यही समस्या है। इसमे शिफ्ट के हिसाब से काम होता है और आमतौर ये दिन में ही होता है। इसमे भी कई केटेगरी के काम होते है और उसके हिसाब से सब का काम बंटा होता कि किसको क्या करना है।

किसी का काम लाइट चेक करके ठीक करने का है जिसमे वाइरिंग का काम भी आता है। किसी को ट्रांसफ़र्मर में तेल डालना का काम है, किसी का काम इंजन में तेल डालना है, किसी की पहिये का नट टाइट करना है।

Asst. Shed Diesel को शॉर्ट में समझे: –

RRB (Railway Recruitment Board) में “Assistant Shed Diesel” का कार्य मुख्य रूप से डीजल शेड में होता है। डीजल शेड रेलवे के डीजल इंजन को मेंटेन, रिपेयर और सर्विस करने का स्थान होता है।

Assistant Shed Diesel का काम निम्नलिखित जिम्मेदारियों में शामिल हो सकता है:

  1. इंजन की देखरेख और मरम्मत: डीजल इंजन की नियमित सर्विसिंग, मेंटेनेंस और मरम्मत करना ताकि इंजन सुचारु रूप से कार्य करता रहे।
  2. रिपेयर और ओवरहालिंग: इंजन के पार्ट्स की रिपेयरिंग और समय-समय पर ओवरहालिंग करना।
  3. इंजन के फ्यूल, लुब्रिकेंट्स और अन्य सिस्टम्स की जांच: इंजन की कार्यकुशलता को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सिस्टम्स की जांच करना।
  4. लोडिंग और अनलोडिंग का प्रबंधन: इंजन के कार्य की शुरुआत और अंत में सहायक कार्यों का प्रबंधन करना।
  5. रिकॉर्ड रखना: इंजन के मेंटेनेंस और रिपेयर के बारे में रजिस्टर में रिकॉर्ड रखना।
  6. सुरक्षा सुनिश्चित करना: सभी सुरक्षा मानकों का पालन करना और इंजन की सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करना।

इस तरह, Assistant Shed Diesel का कार्य डीजल इंजन की निरंतर कार्यकुशलता बनाए रखने और उनकी मरम्मत से संबंधित होता है।

Assistant Shed Diesel की भूमिका में और भी कई महत्वपूर्ण कार्य शामिल हो सकते हैं, जिनमें:

  1. ट्रेन ऑपरेशन में सहायता: डीजल इंजन की सही स्थिति सुनिश्चित करने के बाद, ट्रेन के संचालन में सहायता करना और इंजन को ऑपरेशनल स्थिति में रखना।
  2. उपकरण और मशीनरी का संचालन: डीजल शेड में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उपकरणों और मशीनों का संचालन और देखभाल करना। जैसे कि वेल्डिंग मशीनें, लिफ्ट्स, और अन्य उपकरण जो इंजन की मरम्मत या निरीक्षण में सहायक होते हैं।
  3. सामग्री और स्पेयर पार्ट्स का प्रबंधन: इंजन की मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए आवश्यक सामग्री और स्पेयर पार्ट्स की व्यवस्था करना, इनका सही तरीके से भंडारण और वितरण करना।
  4. कार्यक्रमों और शेड्यूल का पालन करना: शेड में इंजन की सर्विसिंग के लिए निर्धारित समय सारणी का पालन करना ताकि ट्रेनों की संचालन में कोई विघ्न न आये।
  5. प्रशिक्षण और टीम वर्क: शेड के कर्मचारियों को मेंटेनेंस और मरम्मत के नए तरीकों और सुरक्षा मानकों पर प्रशिक्षित करना। साथ ही, सहकर्मियों के साथ टीम वर्क में काम करना और समस्याओं का समाधान ढूंढना।

सारांश में, Assistant Shed Diesel का कार्य डीजल इंजन की कार्यकुशलता को बनाए रखने के लिए विभिन्न जिम्मेदारियों को संभालने का होता है, जो रेलवे के संचालन को प्रभावी और सुरक्षित बनाता है। इस भूमिका में कर्मचारियों को तकनीकी दक्षता, समस्या सुलझाने की क्षमता और अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य भी आवश्यक होता है।

8. Asst. shed Electric

समय के साथ डीजल इंजन कम होते जा रहे है अब अधिकतर इलेक्ट्रिक इंजन ही आ रहे हैं। ये काम थोड़ा साफ सुथरा वाला है इसमे आप ज्यादा गंदे नहीं होंगे। इसमे ज्यादा लोग होते है और दिन में ही काम होता है, इसमे सबसे खास बात ये है की इसमे आप शेड से इन्टर्नल exam देकर लोको पायलेट भी बन सकते हैं। इसमे आपका प्रमोशन होता है लेकिन उसके लिए आपको इंटरनल परीक्षा देनी पड़ती है। और इसमे दूसरी सबसे बड़ी खास बात ये है की इसको लड़कियां भी भर सकती है। ये काम अधिकतर शहर में ही थोड़े से साइड में होते हैं, जिसका शहर में घर पड़ता है उसके लिए ये जॉब अच्छा है।

रेलवे में “Asst. Shed Electric” (Assistant Shed Electrician) का काम मुख्य रूप से रेलवे शेड में इलेक्ट्रिकल कामों की देखरेख करना होता है। इसमें शेड में स्थित विभिन्न इलेक्ट्रिकल उपकरणों और सिस्टेम्स को सुचारु रूप से चलाने, उनकी मरम्मत, निरीक्षण और मेंटेनेंस का कार्य शामिल है।

मुख्य कर्तव्यों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  1. इलेक्ट्रिकल उपकरणों की देखरेख: रेलवे शेड में जो इलेक्ट्रिकल उपकरण होते हैं, जैसे कि वाशिंग पिट्स, क्रेनों, लाइटिंग सिस्टम, वेंटिलेशन, आदि, उनकी नियमित जांच और मेंटेनेंस।
  2. मरम्मत कार्य: यदि कोई इलेक्ट्रिकल उपकरण खराब हो जाए या काम करना बंद कर दे, तो उसकी मरम्मत करना।
  3. इंस्टॉलेशन: नए इलेक्ट्रिकल उपकरणों या सिस्टम्स को इंस्टॉल करना और सुनिश्चित करना कि वे सही से काम करें।
  4. सुरक्षा: इलेक्ट्रिकल सुरक्षा मानकों का पालन करना ताकि किसी भी दुर्घटना या शॉर्ट सर्किट से बचा जा सके।
  5. रिपोर्टिंग: शेड के उच्च अधिकारियों को उपकरणों की स्थिति और मेंटेनेंस की रिपोर्ट देना।

यह पद रेलवे के इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, क्योंकि शेड में वाहनों और इंजन की देखभाल होती है, और इनकी कामकाजी स्थिति को बनाए रखने के लिए अच्छे इलेक्ट्रिकल समर्थन की जरूरत होती है।

बिलकुल, Asst. Shed Electrician की भूमिका में और भी कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ होती हैं:

  1. टीम के साथ सहयोग: शेड में काम करने वाली टीम के साथ मिलकर काम करना, जैसे कि मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और ऑपरेशनल टीमों के साथ समन्वय बनाना। यह सुनिश्चित करना कि सभी काम एक साथ और समय पर पूरे हों।
  2. उपकरणों की परीक्षण: समय-समय पर इलेक्ट्रिकल उपकरणों का परीक्षण करना, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे मानक के अनुसार काम कर रहे हैं और किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं हो रही है।
  3. स्टॉक और सामान की निगरानी: उपकरणों, वायरिंग, बैटरी, लाइट बल्ब्स, फ्यूज और अन्य इलेक्ट्रिकल सामग्री का स्टॉक रखना और समय पर जरूरत के अनुसार ऑर्डर करना।
  4. लाइटिंग और पावर सप्लाई: शेड में उचित रोशनी और पावर सप्लाई सुनिश्चित करना ताकि शेड में कार्यरत कर्मचारियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।
  5. आकस्मिक मरम्मत (Emergency Repairs): शेड में यदि अचानक कोई इमरजेंसी इलेक्ट्रिकल समस्या उत्पन्न हो, जैसे कि शॉर्ट सर्किट, पावर कट या उपकरणों का काम करना बंद कर देना, तो तुरंत समस्या का समाधान करना।
  6. प्रशिक्षण और कौशल वृद्धि: शेड में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को इलेक्ट्रिकल सुरक्षा, मरम्मत और मेंटेनेंस के तरीकों पर प्रशिक्षित करना, ताकि सभी कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि हो सके।
  7. सिस्टम का अद्यतन (System Upgradation): पुराने या अप्रचलित उपकरणों को नए और अधिक प्रभावी सिस्टम से बदलने की योजना बनाना, ताकि शेड में इलेक्ट्रिकल कार्य बेहतर तरीके से हो सके।

इस प्रकार, Asst. Shed Electric का काम केवल मरम्मत और मेंटेनेंस तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें शेड के पूरे इलेक्ट्रिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन, सुरक्षा और दक्षता बनाए रखना भी शामिल है। यह सुनिश्चित करना कि शेड में सभी काम समय पर और बिना किसी विघ्न के चलते रहें।

7. Asst Operation Electrical

इसमे इलेक्ट्रिकल से संबंधित काम रहेगा, जैसे कि रेल्वे स्टेशन है, रेल्वे की ऑफिसेस हो गया, रेल्वे की कालोनी हो गई। यहाँ पर बिजली के बहुत से काम होती है, कहीं बिजली नहीं आ रही है, कहीं सॉकेट काम नहीं कर रही है, कहीं बिजली से संबंधित काम आएगा तो आपको ही याद किया जाएगा। तब आपके JE या SSE के पास शिकायत आएगी तो अपने हेल्पर Asst Operation Electrical के साथ जाएगा या फिर उसको ठीक करने के लिए भेज देगा। ये काम अधिकतर दिन का ही होता है और ज्यादा नहीं होता है। अगर आपने इलेक्ट्रिकल वाइरिंग का काम सीखा हुआ है तो ये काम आपके लिए बहुत ही अच्छा है। इसमे ज्यादा काम नहीं होता है जब कहीं जरूरत पड़ती है तभी बुलाया जाता है।

Asst Operation Electrical को शॉर्ट में समझे:-

RRB (Railway Recruitment Board) में Assistant Operation Electrical (Asst. Op. Electrical) का मुख्य काम रेलवे स्टेशन और ट्रेनों के संचालन से संबंधित विद्युत (Electrical) कार्यों को संभालना होता है। इसके अंतर्गत विभिन्न कार्य जिम्मेदारियों का समावेश होता है, जैसे:

  1. विद्युत उपकरणों का निरीक्षण: ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर विद्युत उपकरणों का सही तरीके से काम करना सुनिश्चित करना।
  2. संचालन और रख-रखाव: विद्युत सिस्टम की देखरेख करना, जैसे कि बिजली की आपूर्ति, ट्रैक्शन पावर, और अन्य उपकरणों का नियमित रख-रखाव।
  3. समय पर मरम्मत: यदि विद्युत से संबंधित कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो उसे समय पर ठीक करना ताकि संचालन में कोई रुकावट न हो।
  4. सुरक्षा: रेलवे संचालन के दौरान विद्युत सुरक्षा मानकों का पालन करना, ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
  5. प्रशिक्षण और मार्गदर्शन: नये कर्मचारियों को विद्युत संबंधित कार्यों के बारे में प्रशिक्षित करना।
  6. दस्तावेज़ीकरण और रिपोर्टिंग: विद्युत प्रणाली के कार्यों और समस्याओं के बारे में रिपोर्ट बनाना और वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देना।

यह एक तकनीकी पद है और इसमें एक अच्छा ज्ञान और अनुभव विद्युत प्रणाली के क्षेत्र में चाहिए होता है।

Assistant Operation Electrical (Asst. Op. Electrical) का काम एक महत्वपूर्ण तकनीकी भूमिका है जो रेलवे संचालन में विद्युत उपकरणों के सुचारु रूप से कार्य करने की जिम्मेदारी निभाता है। इस पद के तहत निम्नलिखित कार्यों का विस्तार से ध्यान रखना पड़ता है:

  1. ट्रैक्शन पावर की निगरानी: ट्रेनों के संचालन के लिए जरूरी बिजली की आपूर्ति, जैसे कि ओवरहेड वायर, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव, और अन्य ट्रैक्शन पावर सिस्टम की निगरानी। यह सुनिश्चित करना कि पावर सप्लाई में कोई कमी न हो, ताकि ट्रेन संचालन बाधित न हो।
  2. रेलवे स्टेशनों पर विद्युत आपूर्ति: रेलवे स्टेशनों पर आवश्यक विद्युत आपूर्ति का ध्यान रखना, जैसे कि स्टेशन की लाइटिंग, एयर कंडीशनिंग, और अन्य उपकरणों की सुचारु कार्यवाही।
  3. इमरजेंसी और आपातकालीन स्थितियाँ: विद्युत आपूर्ति में कोई विघ्न आने पर तत्काल समाधान करना। उदाहरण स्वरूप, अगर किसी ट्रैक्शन पावर सप्लाई में कोई खराबी आ जाए तो उसे जल्दी ठीक करना ताकि ट्रेनें अपने समय पर चल सकें।
  4. नए प्रोजेक्ट्स और निर्माण में सहायता: कभी-कभी असिस्टेंट ऑपरेशन इलेक्ट्रिकल को नए प्रोजेक्ट्स में काम करने का अवसर भी मिलता है, जैसे नए विद्युत लाइनें बिछाना या पुराने उपकरणों का उन्नयन करना। इसमें परियोजना प्रबंधन और नए उपकरणों की स्थापना में सहायता करना शामिल हो सकता है।
  5. ऑनलाइन सिस्टम की मॉनिटरिंग: कई बार इलेक्ट्रिकल संचालन से संबंधित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली होती है। इस प्रणाली के माध्यम से असिस्टेंट ऑपरेशन इलेक्ट्रिकल को किसी भी तरह की खराबी या ऑपरेशनल इश्यू का तुरंत पता चलता है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सकती है।
  6. समय पर रेकॉर्डिंग और डेटा एनालिसिस: कार्यों को सही तरीके से रेकॉर्ड करना और उसका विश्लेषण करना। यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के विद्युत संबंधी मुद्दों का समय पर समाधान हो सके।
  7. कर्मचारी सुरक्षा: असिस्टेंट ऑपरेशन इलेक्ट्रिकल को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी कर्मचारी विद्युत से जुड़े कार्यों के दौरान सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें और विद्युत आपूर्ति से संबंधित सुरक्षा मानकों का पालन करें।

इस तरह का काम रुझान और विशेष ध्यान की मांग करता है, क्योंकि छोटी सी लापरवाही से बड़ी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो न केवल ट्रेन संचालन को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकती हैं।

इस पद के लिए आमतौर पर इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा की आवश्यकता होती है, और आपको रेलवे के विद्युत प्रणाली के बारे में अच्छे से समझ होना चाहिए।

6. Asst. TL & AC ( Train Lighting & Air Condisner)

ये वाली जॉब पोस्ट बहुत ज्यादा सैलरी वाली जॉब है, अगर आपको सैलरी ज्यादा चाहिए तो इसको सबसे पहले नंबर पर रखना।TL का मतलब ट्रेन लाइटिंग और AC का मतलब होता है एयर कंडीसनिंग, तो ट्रेन में होता है एसी जो सिर्फ एसी डब्बे में होता है, जनरल और स्लीपर मे एसी नहीं होता है। स्लीपर में तो पंखा होता है, लेकिन बहुत से जनरल कोच में तो पंखे ही नहीं होते हैं और अगर होते हैं तो सही से चलते नही है। तो अगर एसी खराब होता है तो तुरत कॉम्प्लैन होता है और उसका समाधान भी तुरंत या अगले स्टेशन पर Asst. of TL & AC के द्वारा ही किया जाता है। और ट्रेन में आप चलते है तो आपको TA (ट्रैव्लिंग अलायंस) मिलता है, जो टोटल सैलरी 50 हजार के ऊपर हो जाती है।

इसमे आप ट्रेन के साथ ही चलते हैं ट्रेन में ही खाना पीना होता है। और कभी कभी अगर रेल्वे के ऑफिस में एसी खराब हो गई तो आपको ही ठीक करनी पड़ेगी। ऐसा बहुत कम होता है की ऑफिस का एसी खराब हुआ हो।

Asst. of TL & AC को शॉर्ट में समझे:-

Assistant TL (Train Lighting) और AC (Air Conditioner) का काम ट्रेन में यात्रियों को सुविधा देना होता है।

  1. Train Lighting (TL): रोशनी की व्यवस्था
    • ट्रेन के अंदर रोशनी का प्रबंधन करना, जिससे यात्रा के दौरान रात में भी यात्रियों को सही तरीके से देख पाने की सुविधा मिलती है। इसमें कोच के अंदर के लाइट्स, स्टेप लाइट्स, और अन्य उजाला का नियंत्रण शामिल है।
    • यह कोच के अंदर और बाहर की रोशनी को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर कोच में पर्याप्त रोशनी हो ताकि यात्री आसानी से चल-फिर सकें, खासकर रात के समय।
    • डिब्बों के अंदर लाइटिंग सिस्टम, टॉयलेट्स, और डाइनिंग एरिया में रोशनी प्रदान करना भी इसमें शामिल है।
  2. सुरक्षा के लिए लाइट्स:
    • ट्रेन के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा लाइट्स, जैसे कि इमरजेंसी लाइट्स, जो ट्रेनों के इमरजेंसी स्थिति में यात्रियों को मार्ग दिखाती हैं।
  3. डिजिटल डिस्प्ले:
    • कुछ ट्रेनों में, यात्रा की जानकारी दिखाने के लिए स्क्रीन पर सूचना और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है, जिसे एक प्रकार की लाइटिंग की श्रेणी में गिना जा सकता है।
  1. Air Conditioner (AC): कूलिंग और तापमान नियंत्रण:
    • ट्रेनों में यात्रियों को ठंडक और आरामदायक वातावरण प्रदान करने के लिए एयर कंडीशनिंग सिस्टम का काम होता है। यह सिस्टम गर्मियों में ठंडी हवा और ठंडे मौसम में गर्मी प्रदान करता है, ताकि यात्रियों को अधिक आरामदायक यात्रा का अनुभव हो सके।
    • AC सिस्टम ट्रेन के अंदर का तापमान नियंत्रित करता है। यह गर्मी और उमस को कम करके यात्रियों को ठंडक प्रदान करता है, जिससे गर्मियों में यात्रा अधिक आरामदायक होती है।
    • AC सिस्टम विभिन्न कोचों में अलग-अलग कूलिंग स्तर प्रदान कर सकता है, जैसे Sleeper, AC 2-tier, AC 3-tier, और Executive AC coach में अलग-अलग तापमान हो सकते हैं।
  1. वायु गुणवत्ता:
  • AC सिस्टम केवल ठंडक ही नहीं प्रदान करता, बल्कि यह ट्रेन के अंदर ताजगी और ताजे वायु का प्रवाह भी सुनिश्चित करता है, जिससे अंदर की हवा ताजगी से भरी रहती है और किसी प्रकार का बंद और गंदा हवा का अनुभव नहीं होता।

इमरजेंसी सिस्टम:

  • ट्रेन के AC में इमरजेंसी सिस्टम भी होता है, जैसे कि ट्रेन के अचानक रुकने या किसी अन्य इमरजेंसी स्थिति में AC को सही तरीके से बंद किया जा सकता है या उसे ओपन किया जा सकता है ताकि यात्रियों को कोई असुविधा न हो।

दोनों कार्य मिलकर ट्रेन को और अधिक आरामदायक और सुरक्षित बनाते हैं, जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान सहूलियत होती है। Train Lighting (TL) और Air Conditioner (AC) के कार्य को बेहतर तरीके से समझने के लिए, हम इनकी जिम्मेदारियों को थोड़ा विस्तार से देख सकते हैं:

इन दोनों सिस्टम का उद्देश्य ट्रेनों में यात्रा को जितना संभव हो आरामदायक और सुरक्षित बनाना है, जिससे यात्री अपनी यात्रा का अधिकतम आनंद ले सकें।

5. Asst. TL & AC Workshop

सेम अभी आपने जो ऊपर पढ़ा है सेम वही काम है लेकिन आपको ये काम एक फिक्स जगह यानि की वर्कशॉप में आराम से करने को मिलता है। इसमे आपको या तो नई ट्रेन में एसी लगानी होती है या फिर जब कोई पुरानी रेल गाड़ी सर्विस के लिए आती है तो आपको उसके एसी को सर्विस करनी होती है। और लाइट वाइरिंग का काम भो आपको ही करनी पड़ेगी। ये काम आपको दिन में ही करनी पड़ती है रात को जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन ऊपर वाले जॉब पोस्ट में आपको रात में भी करनी पड़ सकती है, क्योंकि वो शिकायत करने पर उसमे बुलाया जाता है और ट्रेन में ही रहते हैं। इस जॉब पोस्ट में लड़कियां भी आराम से भर सकती है।

Asst. TL & AC Workshop को शॉर्ट में समझे: –

Asst. TL (Assistant Team Leader) और AC (Air Conditioning) Workshop के कार्य उनकी भूमिकाओं और कार्यक्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। यहाँ इनके संभावित कार्यों का विवरण दिया गया है:

1. Assistant Team Leader (Asst. TL) के कार्य:

Assistant Team Leader किसी टीम के संचालन और प्रबंधन में Team Leader की सहायता करता है। इसके प्रमुख कार्य होते हैं:

  • टीम प्रबंधन: टीम के सदस्यों को मार्गदर्शन देना और उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाना।
  • संचार और समन्वय: टीम और प्रबंधन के बीच प्रभावी संचार सुनिश्चित करना।
  • कार्य योजना बनाना: परियोजनाओं के लिए कार्य योजना बनाना और समय पर पूरा करना।
  • प्रदर्शन मूल्यांकन: टीम के प्रदर्शन की निगरानी और रिपोर्ट तैयार करना।
  • समस्या समाधान: कार्य से जुड़ी समस्याओं का विश्लेषण कर समाधान प्रस्तुत करना।

4. Asst. Workship Mechnical

रेल्वे की बहुत सी वर्कशॉप है, और हर वर्कशॉप में अलग अलग काम होता है केटेगरी के हिसाब से सब वर्कशॉप का काम बंटा हुआ है। कहीं ट्रेन का मोटर बन रहा है, कहीं ट्रेन का डब्बा बन रहा है, कहीं ट्रेन ही बन रहा है। अगर आपके पास पहले से कोई तकनीकी ज्ञान है तो आपको उस हिसाब से काम में लगाया जा सकता है नहीं तो आपको किसी भी Workship Mechnical में Assitant के तौर पर रखा जाएगा। ये जपब पोस्ट बहुत ही अच्छा होता है ये अच्छे स्टेशन के पास होती है। और आसपास रेल्वे कालोनी भी होती है, ये काम दिन के शिफ्ट में ही होती है और रविवार को छुट्टी होती है। त्योहार पर भी छुट्टी मिलती है, इसको लड़कियां भी भर सकती है।

Asst. Workship Mechnical को शॉर्ट में समझे: –

Assistant Workshop Mechanical का कार्य मुख्य रूप से औद्योगिक या तकनीकी संस्थानों, जैसे कि रेलवे, निर्माण कंपनियों, या बड़ी फैक्ट्रियों में होता है। इसका प्रमुख उद्देश्य वर्कशॉप के यांत्रिक उपकरणों और मशीनों का प्रबंधन और रखरखाव सुनिश्चित करना होता है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

🚜 मुख्य जिम्मेदारियां:

  1. मशीनों का रखरखाव (Maintenance):
    • मशीनों और उपकरणों की नियमित जांच करना।
    • समय-समय पर मशीनों की मरम्मत और सर्विसिंग करना ताकि वे सही तरीके से काम करें।
  2. वर्कशॉप प्रबंधन (Workshop Management):
    • वर्कशॉप के दैनिक संचालन की निगरानी करना।
    • कर्मचारियों को कार्य सौंपना और उनके प्रदर्शन पर नजर रखना।
  3. तकनीकी निरीक्षण (Technical Supervision):
    • मशीनों के इंस्टॉलेशन और संचालन के दौरान तकनीकी मार्गदर्शन देना।
    • मशीनों की कार्यक्षमता का विश्लेषण करना और सुधार के सुझाव देना।
  4. सेफ्टी और क्वालिटी कंट्रोल (Safety & Quality Control):
    • सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना।
    • उपकरणों की गुणवत्ता की जांच करना और गुणवत्ता नियंत्रण उपाय लागू करना।
  5. स्टॉक और सामग्री प्रबंधन (Inventory Management):
    • स्पेयर पार्ट्स और आवश्यक सामग्रियों का स्टॉक बनाए रखना।
    • आवश्यक उपकरणों और सामग्रियों की खरीद के लिए अनुरोध तैयार करना।

⚙️ जरूरी कौशल (Required Skills):

  • यांत्रिक इंजीनियरिंग का मजबूत ज्ञान
  • समस्या सुलझाने की क्षमता
  • टीम लीडरशिप और प्रबंधन कौशल
  • तकनीकी ड्रॉइंग और मैनुअल पढ़ने की क्षमता
  • सुरक्षा मानकों की अच्छी समझ

3. Asst. C & W ( Carriage & Wagon)

C & W का मतलब होता है Carriage & Wagon मतलब किसी सवारी गाड़ी का डब्बा या मालगाड़ी का डब्बा में चलते चलते रास्ते में किसी तरह की समस्या आ जाती है तो इस परिस्थिति में C & W कर्मचारी को ही वहीं पर बुलाया जाता है। जिस भी स्टेशन के आसपास हुआ हो उसके नजदीक के स्टेशन से C & W कर्मचारी को भेजा जाता है। उस वक्त किसी तरह ठीक करके काम चलाया जाता है, बाद में उस डब्बे को जब वर्कशॉप में लाया जाता है तो उसे C & W के कर्मचारी अच्छे से जांच करते है। Asst. of C & W वाले का पोस्टिंग शहर के बड़े स्टेशनो पर होता है, तो इसको लड़कियां भी आसानी से भर सकते हैं।

Asst. C & W ( Carriage & Wagon) को शॉर्ट में समझे: –

Assistant C&W (Carriage & Wagon) भारतीय रेलवे के मैकेनिकल विभाग में एक महत्वपूर्ण पद है। इसका मुख्य कार्य रेलवे के कोच (Carriage) और मालवाहक वैगन (Wagon) से संबंधित निरीक्षण, मरम्मत, रखरखाव और संचालन को सुनिश्चित करना होता है। इस पद पर कार्यरत अधिकारी या कर्मचारी यह सुनिश्चित करते हैं कि रेलवे के डिब्बे और वैगन सुरक्षित और कुशलता से काम कर रहे हों।

मुख्य कार्य:

  1. निरीक्षण (Inspection):
    • यात्री कोच और मालवाहक वैगनों का नियमित निरीक्षण करना।
    • सुरक्षा मानकों के अनुरूप ब्रेकिंग सिस्टम, सस्पेंशन, बोगी, कपलिंग आदि की जांच।
  2. रखरखाव (Maintenance):
    • डिब्बों और वैगनों का नियमित और प्रिवेंटिव मेंटेनेंस।
    • ब्रेक डाउन या खराबी की स्थिति में त्वरित मरम्मत।
  3. सुरक्षा (Safety):
    • कोच और वैगनों की फिटनेस जांच कर ट्रेन की ‘सेफ्टी सर्टिफिकेशन’ देना।
    • रनिंग ट्रेन के दौरान “रनिंग मेंटेनेंस” और इमरजेंसी रिपेयर की निगरानी।
  4. लोडिंग और अनलोडिंग सुपरविजन:
    • मालगाड़ियों में लोडिंग पैटर्न का निरीक्षण ताकि सुरक्षित ढंग से ट्रांसपोर्टेशन हो सके।
    • ओवरलोडिंग या असंतुलित लोडिंग से बचाव सुनिश्चित करना।
  5. ब्रेकडाउन ट्रेन (ART) और रेस्क्यू कार्य:
    • दुर्घटना या ब्रेकडाउन की स्थिति में राहत कार्यों का हिस्सा बनना।
    • एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (ART) का प्रबंधन और त्वरित प्रतिक्रिया।
  6. डॉक्यूमेंटेशन और रिपोर्टिंग:
    • रखरखाव और निरीक्षण कार्यों का रिकॉर्ड रखना।
    • सुरक्षा निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करना और उच्च अधिकारियों को प्रस्तुत करना।

कौशल और ज्ञान:

  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग, विशेष रूप से रेलवे रोलिंग स्टॉक के बारे में गहरी जानकारी।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल, तकनीकी विश्लेषण, और समस्या-समाधान की क्षमता।
  • टीम प्रबंधन और ग्राउंड स्टाफ के साथ समन्वय।

AC Workshop के कार्य:

AC Workshop एयर कंडीशनिंग सिस्टम के रखरखाव, मरम्मत और इंस्टॉलेशन से जुड़ा होता है। इसके कार्य होते हैं:

  • रखरखाव और मरम्मत: एसी यूनिट्स का नियमित निरीक्षण, सफाई, गैस रिचार्जिंग, और खराबी ठीक करना।
  • इंस्टॉलेशन: नई एसी यूनिट्स को स्थापित करना और उनकी सेटिंग्स को अनुकूलित करना।
  • डायग्नोस्टिक्स: एसी सिस्टम में खराबी का पता लगाना और सुधार के उपाय करना।
  • सेफ्टी चेक: सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक परीक्षण करना।
  • ग्राहक सेवा: ग्राहकों को तकनीकी सलाह और सहायता प्रदान करना।

2. Asst. S & T (Signal & Telecommunictaion )

इसमे काम थोड़ा सा ज्यादा हो गया है क्योंकि

रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) के तहत Assistant Signal & Telecommunication (Asst. S&T) का पद भारतीय रेलवे के सिग्नल और टेलीकम्युनिकेशन विभाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पद के अंतर्गत मुख्य रूप से सिग्नलिंग सिस्टम और कम्युनिकेशन नेटवर्क के संचालन और रखरखाव से संबंधित कार्य किए जाते हैं।

मुख्य कार्य और जिम्मेदारियाँ:

  1. सिग्नल सिस्टम का मेंटेनेंस:
    • रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम (जैसे कलर लाइट सिग्नल, रिले इंटरलॉकिंग, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग) की निगरानी और रखरखाव।
    • ट्रैक सर्किट, पॉइंट मशीन और इंटरलॉकिंग उपकरणों को सुचारू रूप से कार्यशील बनाए रखना।
  2. टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क का प्रबंधन:
    • रेलवे नेटवर्क में वॉयरलेस संचार, ऑप्टिकल फाइबर, हॉटलाइन और रेडियो संचार प्रणालियों का संचालन।
    • डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम और नेटवर्किंग उपकरणों की देखरेख।
  3. सुरक्षा सुनिश्चित करना:
    • ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए फॉल्ट डिटेक्शन और त्वरित सुधार कार्य करना।
    • सिग्नलिंग उपकरणों में किसी भी प्रकार की खराबी को जल्द से जल्द ठीक करना ताकि ट्रेन संचालन बाधित न हो।
  4. इंस्पेक्शन और टेस्टिंग:
    • समय-समय पर सिग्नल और टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम का निरीक्षण (inspection) और टेस्टिंग करना।
    • सुरक्षा मानकों के अनुसार रिपोर्ट तैयार करना।
  5. तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग:
    • जूनियर स्टाफ को तकनीकी सहायता प्रदान करना और नई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देना।

काम का माहौल (Work Environment):

  • अधिकतर काम फील्ड में होता है, खासकर रेलवे ट्रैक्स के आसपास।
  • कभी-कभी शिफ्ट वर्क और इमरजेंसी में ड्यूटी करनी पड़ सकती है।
  • ऑफिस कार्य जैसे रिपोर्ट बनाना और डाटा एनालिसिस भी इस रोल का हिस्सा है।

प्रमोशन और करियर ग्रोथ:

  • Assistant S&T से पदोन्नति होकर आप Signal & Telecom Section Engineer (SE/JE), फिर Assistant Divisional Engineer (ADE/S&T) और आगे चलकर Divisional Signal & Telecom Engineer (DSTE) बन सकते हैं।

जरूरी स्किल्स:

  • बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन सिस्टम की समझ।
  • टेक्निकल समस्या हल करने की क्षमता।
  • टीम के साथ अच्छा समन्वय और मैनेजमेंट स्किल्स।

अगर आप रेलवे में तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो यह एक शानदार और चुनौतीपूर्ण करियर विकल्प है। क्या आप इस पोस्ट से जुड़े और भी विवरण जानना चाहेंगे?

सैलरी और भत्ते (Salary & Perks):

Assistant Signal & Telecommunication (Asst. S&T) पद पर कार्यरत कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के तहत वेतन और भत्ते मिलते हैं।

  • पे-स्केल: लेवल-6 (₹35,400–₹1,12,400)
  • ग्रेड पे: ₹4,200 (पुराने ग्रेड पे के अनुसार)
  • मासिक इन-हैंड सैलरी: ₹40,000 से ₹50,000 (स्थान, भत्तों और कटौतियों के अनुसार)

प्रमुख भत्ते (Allowances):

  • डियरनेस अलाउंस (DA)
  • हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
  • ट्रांसपोर्ट अलाउंस
  • नाइट ड्यूटी अलाउंस
  • टीए/डीए (ट्रैवल अलाउंस और डेली अलाउंस)
  • पेंशन स्कीम (NPS के तहत)
  • मेडिकल सुविधाएं (रेलवे अस्पतालों में मुफ्त इलाज)
  • रेलवे पास और प्रिविलेज टिकट (सस्ती दरों पर यात्रा सुविधा)

प्रमोशन का स्ट्रक्चर (Promotion Hierarchy):

  1. Assistant S&T (JE Level)
  2. Senior Section Engineer (SSE/S&T)
  3. Assistant Signal & Telecom Engineer (ASTE/S&T)
  4. Divisional Signal & Telecom Engineer (DSTE/S&T)
  5. Senior Divisional Signal & Telecom Engineer (Sr. DSTE/S&T)
  6. Deputy Chief Signal & Telecom Engineer (Dy. CSTE)
  7. Chief Signal & Telecom Engineer (CSTE)

प्रमोशन अनुभव, सेवा अवधि, और विभागीय परीक्षाओं पर निर्भर करता है।


पोस्टिंग और ड्यूटी लोकेशन:

  • पोस्टिंग मुख्य रूप से रेलवे स्टेशन, सिग्नल केबिन, कंट्रोल ऑफिस या डिवीजनल हेडक्वार्टर में होती है।
  • ट्रेनों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए रिमोट लोकेशन्स और फील्ड ड्यूटी भी करनी पड़ सकती है।
  • शिफ्ट ड्यूटी: इमरजेंसी स्थितियों में 24×7 ड्यूटी का विकल्प हो सकता है।

योग्यता (Eligibility Criteria):

  • शैक्षणिक योग्यता:
    • डिप्लोमा या डिग्री इन Electronics, Electrical, Telecommunication, Instrumentation, या संबंधित क्षेत्र में।
  • आयु सीमा:
    • सामान्य वर्ग के लिए: 18–33 वर्ष (आरक्षित वर्गों को छूट दी जाती है)।
  • फिजिकल फिटनेस: रेलवे की मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करना अनिवार्य है।

अभ्यास के लिए जरूरी विषय (Key Subjects to Prepare):

  1. बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल सर्किट्स
  2. सिग्नलिंग सिस्टम और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी
  3. नेटवर्किंग बेसिक्स (Optical Fiber, GSM-R, etc.)
  4. रीजनिंग और जनरल एप्टीट्यूड
  5. सामान्य विज्ञान और करंट अफेयर्स

फायदे (Advantages):

  • सरकारी नौकरी का स्थायित्व और सुरक्षित भविष्य
  • आकर्षक वेतन और भत्ते
  • रेलवे में मुफ्त या रियायती यात्रा
  • मेडिकल और पेंशन लाभ

चुनौतियाँ (Challenges):

  • फील्ड वर्क के कारण कठिन भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में काम
  • ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी का दबाव
  • इमरजेंसी ड्यूटी कॉल्स

1. Pointsman

RRB (Railway Recruitment Board) में Pointsman का काम रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के ट्रैक को सही दिशा में मोड़ने और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने का होता है। वह उन पंक्तियों और स्विचेस (points) को ऑपरेट करता है, जो ट्रेनों को एक रास्ते से दूसरे रास्ते पर मोड़ने में मदद करते हैं।

Pointsman का काम ट्रेन के संचालन से संबंधित सुरक्षा सुनिश्चित करना है। वह यह सुनिश्चित करता है कि ट्रैक पर सही दिशा और रास्ता हो, ताकि कोई दुर्घटना न हो। इसके अलावा, उसे ट्रेनों के रुकने, शुरू होने, या गति में बदलाव करने के निर्देश भी देने पड़ते हैं।

अलावा इसके, उसके पास स्टेशन पर रेलवे सिग्नल की सही स्थिति का ध्यान रखना और सिग्नल्स को ठीक से संचालन में लाने का भी जिम्मा होता है।

Pointsman का कार्य सिर्फ ट्रेनों के रास्ते को मोड़ने तक सीमित नहीं होता। उसे ट्रेनों के आने और जाने के समय पर पूरी सतर्कता बनाए रखनी होती है।

कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां और कार्य शामिल हैं:

  1. स्विच ऑपरेशन: वह ट्रेन के ट्रैक को सही दिशा में मोड़ने के लिए स्विच (point) का संचालन करता है। यह सुनिश्चित करना कि ट्रैक पर कोई भी गलत मोड़ न हो, जिससे ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है, बहुत जरूरी होता है।
  2. सिग्नल्स का संचालन: ट्रेनों के लिए सिग्नल्स को नियंत्रित करना। यदि सिग्नल लाल है, तो ट्रेन को रुकने का आदेश होता है, और यदि यह हरा है, तो ट्रेन को आगे बढ़ने की अनुमति मिलती है। सिग्नल का सही समय पर संचालन ट्रेन की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. सुरक्षा जांच: वह यह सुनिश्चित करता है कि सभी ट्रैक सही स्थिति में हैं और कोई भी अवरोध (जैसे मलबा या ट्रैक पर कोई वस्तु) न हो, जिससे ट्रेन की गति या मार्ग पर असर पड़ सकता हो।
  4. वातावरण और स्थितियों का निरीक्षण: मौसम की स्थिति जैसे बारिश, कोहरा, या बर्फबारी के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होती है ताकि ट्रेनें सुरक्षित रूप से यात्रा कर सकें।
  5. दूरी और समय का ध्यान रखना: ट्रेन के संचालन में एक व्यवस्थित समय की आवश्यकता होती है, और उसे यह ध्यान रखना होता है कि दो ट्रेनों के बीच पर्याप्त दूरी बनी रहे।
  6. समय पर सूचना देना: जब कोई बदलाव या स्थिति बदलती है, तो उसे अपने अधिकारियों या अन्य संबंधित कर्मचारियों को तुरंत सूचित करना होता है ताकि कोई समस्या उत्पन्न न हो।

अंत में, Pointsman का कार्य अत्यधिक ध्यान और जिम्मेदारी का होता है, क्योंकि एक छोटी सी गलती भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। उसे हमेशा सतर्क रहना पड़ता है ताकि रेलगाड़ियों का संचालन सुरक्षित और समय पर हो सके।

Dipu Sahani

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............