DFC (DFCCIL) का क्या है?
DFC (DFCCIL) क्या है? – DFC आजाद भारत का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके तहत भारत में बहुत लम्बी रेल लाइन बिछाई जा रही है जिसके मध्याम से सिर्फ़ इस रेल लाईन पे सिर्फ मालगाड़ियां ही चलेगी सवारी गाड़ी एक भी नही चलेगी। इससे ये फ़ायदा होने वाला हैं कि जितने भी खाने पीने से लेकर हमारी प्रतिदिन की जरूरतों के सामान है एक से दूसरे राज्य से आयात निर्यात किये जाते हैं यानी कि लाए और पहुंचाये जाते हैं अब इसी DFCCIL के द्वारा निर्मित रेल लाइन के द्वारा की जाएगी।
DFCCIL द्वारा निर्मित रेल लाइन मार्ग कि कुछ लाइने फ़िलहाल कुछ कुछ चालू कर दी गई पूरी तरह से नही लेकिन कुछ कुछ लाइने चालू है। पहले जो मालगाड़ी होती थी वो रेल्वे की रेल लाइन पे ही चलती थी और साथ में पैसेंजर रेलगाड़ी भी इसी लाइन पे चलती है दोनों रेलगाड़ी एक ही लाइन पर चलने की वजह से मालगाड़ी को अपने स्थान पर पहुंचने में जहाँ 1 से 2 दिन भी लगना चाहिए था वहाँ वो मालगाड़ी 7 – 8 लगा देती है।
मालगाड़ी को इतना लेट क्यों चलती है?
इतनी देर होने का क्या कारण है? कारण साफ है उसी लाइन पे सवारी रेलगाड़ी भी चलती है जिसके कारण बीच में ही मालगाड़ी को दूसरी साइड की रेल लाइन पे Transfer कर उसे वहीं कुछ समय के लिए रोक दी जाती है, और सबसे पहले पैसेंजर रेलगाड़ी को जाने के लिए पास दी जाती है। कभी कभी तो पैसेंजर रेलगाड़ी भी दूसरी पैसेंजर रेलगाड़ी को जाने दे देती है कि नही सबसे पहले यही पैसेंजर रेलगाड़ी जाएगी इसको बहुत जल्दी है आपने भी कभी कभी देखी ही होगी।
ऐसी बहुत सी पैसेंजर ट्रेने हैं जो हर दिन एक ही पटरी से आते जाते है और उसी पटरी पर सामान ढोने वाली मालगाड़ी भी चलती है, मालगाड़ी को एक दिन में न जाने कितनी बार रोकी जाती है इसकी कोई सीमा नहीं है जिस वजह से मालगाड़ियों को अपने स्थान पर पहुँचने में इतनी देर हो जाती है।
इस समस्या से निजात पाने के लिए इस प्रोजेक्ट का आधारशिला रखी गई है ये आधारशिला तो डॉ. मनमोहन जी की सरकार 2006 में ही उसी वक़्त रखी गई थी लेकिन उस वक़्त DFC प्रोजेक्ट पर कुछ खास काम नही हो पाया था। लेकिन अब इस DFC प्रोजेक्ट पर बहुत जोरों सोरों और स्पीड से काम चल रही है जिसका जिम्मा DFCCIL को दिया गया है। इसे 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमे सिर्फ eastern और western दिशा में जीतने भी औधयोधिक कारखाने है उसको ज्यादा से ज्यादा जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
DFCCIL क्या है? What is DFCCIL?
तो सीधा भाषा में बताये तो बहुत आसान है DFC प्रोजेक्ट को पुरा करने का जिम्मा CIL कंपनी ने लिया है सारा काम अब CIL ही कर रही है तो दोनों को एक साथ जिड़ दिया जाए तो हो जाता है DFCCIL ( Dedicated freight Corridor Corporation of India )
DFCCIL का full form क्या हैं? इसका हिन्दी मतलब क्या है?
DFCCIL का full form क्या है – Dedicated freight Corridor Corporation of India.
DFCCIL के द्वारा बनाई जा रही जितनी भी section और स्टेशन होगी सब स्टेशन नाम के आगे New लिखी रहेगी उसके बाद स्टेशन का नाम रहेगी क्योंकि इससे लोगों को पता तो चलेगा कि ये रेल लाइन नई है और ये मालगाड़ी की रेल लाइन है। DFC की जो प्लेटफॉर्म होगी वो करीब 2 किलोमीटर लंबी होगी क्योंकि ये मालगाड़ी भी करीब 2 किलोमीटेर होगी।
जो रेलवे कि पुरानी रेल लाइन है उस पर मालगाड़ियां औसतन 30 किलोमीटर की स्पीड से ही चलती है, जिसमे दिन में कई बार उसे सिगनल न मिलने कि वजह से रुका रह जाता है, लेकिन जो अभी DFCCIL कंपनियों ने जो रेल बिछाई है उस पर मालगाड़ी कि अधिकतम 80 से 100 किलोमीटर की स्पीड कि रफ्तार चलेगी इस रेल पटरी पर ट्रायल भी हो चुका है और कुछ लाइनों पर आवगमन चालू भी हो गई है, DFC कि ये जो पटरी है बहुत ही मजबूत है रेलवे द्वारा बनाई गई पटरियों के मुकाबले।
प्रयागराज में स्टेट आफ दी आर्ट बनाया गया है जहां पर आपरेशन कंट्रोल सेंटर बनकर लगभग तैयार हो गया जहां से DFC रेल लाइन का सारा कंट्रोल किया जा रहा है। ये जो DFC कि रेल पटरियाँ बनी है इस रेलवे लाइन पर दोनों तरफ से 120 + 120, 240 ट्रेनें हर दिन चलाने का प्रोग्राम बनाई है।मालगाड़ी लघभग 13000 टन सामानों को एक बार में ढो सकती है और वहीं ट्रक 10,000 टन ही माल ढो सकती है। श्री अरावली पर्वत में एक सुरंग बनाई है जिसकी लंबाई लघभग 1 किलोमीटर है इस सुरंग से डुअल ( एक के ऊपर एक कंटेनर ) कंटेनर को बड़े आसानी से लाया और ले जाया सकता है वह भी इलेक्ट्रिक इंजन के माध्यम से।
फिलहाल जो दो लाइनों और दो जोनो के बीच DFCCIL के द्वारा रेल लाइन का काम चल रही है उस दोनों प्रोजेक्टों का नाम इस प्रकार है –
- Western Dedicated Freight Corridor (WDFC) – वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पश्चिमी को समर्पित माल ढुलाई का रास्ता (गलियारा)
- Eastern Dedicated Freight Corridor (EDFC) – इस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पूर्वी को समर्पित माल ढुलाई का रास्ता (गलियारा)
WDFC – यह रेल लाइन दिल्ली के नोएडा के दादरी से शुरू होकर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट मुंबई में खत्म होती है जो भारत का सबसे बड़ा आधुनिक पोर्ट (बंदरगाह) है। जिसकी लंबाई करीब 1856 किलोमीटेर है ये रेल लाइन लगभग लगभग 2022 तक पूरी हो जाएगी जिसमे कुछ सेक्शन को चालू भी कर दी गई जिसमें Eastern और Western कि दोनों रेल लाईने सम्मिलित है।
EDFC – यह रेल लाइन कोलकाता के दानपुनी से शुरू होकर पंजाब के लुधियाना में खत्म होती है, इसकी लंबाई करीब 1504 किलोमीटर है, इन दोनो रेल लाइन कॉरिडोर को ज्यादा से ज्यादा इंडस्ट्रियल कारखानों के पास से ले जाने और जोड़ने का प्रयास है जिससे की ज्यादा से ज्यादा अधौगिक सामानों का ढुलाई कि जा सके। ईस्टर्न कॉरिडोर बनने में थोड़ा वक्त लगेगा वेस्टर्न कॉरिडोर के मुकाबले। दोनो कॉरिडोरो के कुछ सेक्शन को फिलहाल चालू कर दी गई है इस लाइन पर मालगाड़ी को चला कर ट्रायल की जा चुकी है इसके बाद ही खोले गए हैं।
DFCCIL एक नई रेल कंपनी है जो कि भारत में है, DFCCIL का प्रमुख काम रेल लाईन बिछाना है, भूमि अधिग्रहण, वैसे तो रेल लाईन बिछाने का काम रेलवे बोर्ड भी करती हैं लेकिन ये सिर्फ अपनी सवारी रेल गाड़ी की रेललाईन लाइन बिछाने का काम करती हैं। और उसको मैन्टेन करने से फुरसत नहीं है तो भला DFC का इतना बड़ा प्रोजेक्ट कैसे संभाल पाता इसलिए इन्होंने खुद इस काम को करने इनकार कर दिया।
रेलवे को सबसे अधिक इनकम मालगाड़ी ढुलाई से ही होती हैं। इससे लगभग रेलवे को 63 % का शुद्ध income होता है, मालगाड़ियों में अधिकतर कोयला, सिमेन्ट, उर्वरक, खाद्यनो को ढोती है। मालगाड़ी को 3 से 4 दिन कभी कभी तो 5 से 7 दिन मालगाड़ी को स्टेशन पर ही रोक दिए जाते हैं जिस वजह मालगाड़ी से माल पहुंचने मे बहुत वक़्त लग जाता है और इस मालगाड़ी कि स्पीड भी बहुत कम होती है लगभग 25 किलोमीटर प्रति घंटे कि रफ्तार से चलती है, ये स्पीड बहुत ही कम है जिस वजह से कभी कभी सामानों कि कीमत महंगी होती है।
महंगी तो वैसी भी है क्योंकि इसमे दलालो का भी बहुत बड़ा हाथ है, देखा जाए तो मालगाड़ी के द्वारा लाई माल ट्रक के से लाया गया माल के मुकाबले सस्ता ही होता है। बात करे सबसे सस्ता माल ढुलाई कि तो सबसे सस्ता पानी वाला जहाज़ होता है उसके बाद रेलवे ये सब ट्रक से 10 गुना सस्ता होता है।
रेलवे को पैसेंजर रेलगाड़ी से कितनी कमाई होती है?
रेलवे को पैसेंजर रेलगाड़ी से सिर्फ 27% प्रतिशत ही मुनाफा होती है, जिसमे से तो 37 प्रतिशत तो रेलवे अपनी maintenance में खर्च कर देती है मतलब ये है कि अगर रेलवे 100 रुपये कमा रही है तो 110 रुपये रेलवे कि maintenance में खर्चा करना पड़ता है जिसमे बहुत सी छोटी छोटी चीजे शामिल होती है। जैसे की ट्रेन कि नियमित धुलाई, TT को सैलरी, RPF है ( रेलवे पुलिस फ़ोर्स ), गार्ड की सैलरी है, Toilet धुलाई, इलेक्ट्रिक खर्च, और भी कई खर्चे इसमें शामिल है।
रेलवे को 5% प्रतिशत Rail Catering से होती है जिसमे पैसेंजर का खाना शामिल होता है, रेलवे को 3 % प्रतिशत पार्सल से होती है। 2 % रेलवे को आउट साइड Advertisements से होती है यानि की कभी कभी आप देखते होंगे रेल के डिब्बो पर बड़ी बड़ी बैनर चिपकाई रहती है जिसमे किसी भी प्रोडक्ट या किसी चीज का पोस्टर लगा होता है जिसमे उस चीज के बारे में लिखा होता है।