झारखंड में अंग्रेजों की दिलचस्पी के कारणों का विश्लेषण करें।
छोटानागपुर में अंग्रेजों के दिलचस्पी के क्या क्या कारण थे?
झारखंड में अंग्रेजों के प्रवेश की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालें
1765 ईस्वी में कंपनी को मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय से बंगाल बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई। कंपनी के अनुसार छोटानागपुर बिहार का भाग था अतः या आशा की जाती थी कि इस क्षेत्र के राजा जमीदार भी कंपनी सरकार को कर देंगे। किंतु कंपनी को यह धारणा निराधार थी क्योंकि छोटा नागपुर के राजगण इस क्षेत्र ऐतिहासिक शासक थे, जिन्होंने मुगलों द्वारा बिहार बंगाल विजय से पहले ही अपने राज्य की स्थापना कर ली थी।
वे अपने राज्यों के स्वतंत्र शासक थे जो कभी-कभी मुगल बादशाहो और बाद में बंगाल के नवाब को कर दिया करते थे। उनकी स्थिति मुगल साम्राज्य के अधीनस्थ कर राजाओं की थी और जब जब उन पर मुगलों के हमले हुए उन्होंने थोड़ा बहुत कर देना स्वीकार कर लिया था। इस प्रकार छोटानागपुर की स्थिति बिहार बंगाल से (जिस पर मुगलों का नियमित प्रशासन था) सर्वथा भिन्न थी। अत: बिहार बंगाल और उड़ीसा के दीवान के रूप में कंपनी का छोटानागपुर से भी कर वसूलने का दावा का में दृष्टि से अवैध था।
वस्तुतः कर वसूली का दावा इन राजाओं की पारंपरिक स्थिति को अनदेखा किया जा रहा था, क्योंकि उनका जन्म और विकास सब तरह से अलग परिस्थितियों में हुआ था। वे अर्द्धविजित (आधा जीता हुआ) और प्राचीन उद्भव के प्राय: स्वतंत्र राजागण थे जिन पर मुगलों का प्रशासकीय नियंत्रण कभी भी पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया था। वे दावा करते थे उनकी अपनी सेना थी अपने न्यायालय थे और गद्दी पर उनका वंशानुगत अधिकार था। उनमें से कुछ कभी-कभी बिहार के मुस्लिम सुबह दारू को नाम मात्र का घर देते थे वह भी सब जो उन पर सैनिक दबाव डालते थे।
मुगल साम्राज्य के अंतर्गत अन्य राजाओं की तरह गद्दी पर अपने अधिकार की मुगल बादशाहों द्वारा अच्छी तरह से पुष्टि (संपुष्टि) करवाना भी आवश्यक नहीं समझते थे। वे पर्वतीय क्षेत्र अथवा सीमा पार के स्वतंत्र राजा थे ये तभी कर देते थे जब उन पर बहुत दबाव डाला जाता था। कंपनी को दीवानी (आर्थिक) मिलने के ठीक पहले छोटानागपुर को बिहार से प्राय स्वतंत्र मान लिया गया था।
वस्तुतः शासन के प्रारंभिक वर्षों में कंपनी के अधिकारियों को छोटानागपुर की भौगोलिक स्थिति की स्पष्ट जानकारी नही थी। 18 वीं सदी के मध्य तक शेरघाटी से पंचेत तक का क्षेत्र मांनचित्रों में नामरहित ही दर्शाया गया था। इस प्रकार छोटानागपुर में अंग्रेजों का प्रवेश स्वतंत्र राजाओं के अतिरिक्त कठिनाइयों का लाभ उठाकर उनके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने जैसा था। सामरिक एवं आर्थिक कारणों से प्रेरित या राजनीतिक अवसरवादिता ज्वलंत उदाहरण था।