आज हम जानेंगे जगन्नाथ मन्दिर के इतिहास के बारे मे, जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा जो कि पुरी शहर में स्थित है, तो आज मैं इसी रहस्यमय पौराणिक धार्मिक स्थल धाम के बारे में बताने जा रहा हूँ जो आज भी एक रहस्य बना हुआ है। तो आज जानेंगे उड़ीसा के पुरी शहर मे स्थित भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण जी) मंदिर के बारे में जो चार धामों मे से एक है। (जगन्नाथ शब्द का मतलब जगत का स्वामी होता है) पुरी शहर बिल्कुल समुद्र के किनारे बसा हुआ है, जगन्नाथ मंदिर के बारे में बहुत आप लोगों को एक एक करके पुरे विस्तार से बताऊँगा।
आज हमलोग जानेंगे जगन्नाथ मंदिर मंदिर जगन्नाथ मंदिर मंदिर उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है, तो आज मैं इसी रहस्यमय पौराणिक धार्मिक स्थल धाम के बारे में बताने जा रहा हूँ जो आज भी एक रहस्य बना हुआ है। तो आज जानेंगे उड़ीसा के पुरी शहर मे स्थित भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण जी) मंदिर के बारे में जो चार धामों मे से एक है। (जगन्नाथ शब्द का मतलब जगत का स्वामी होता है) पुरी शहर बिल्कुल समुद्र के किनारे बसा हुआ है, जगन्नाथ मंदिर के बारे में बहुत आप लोगों को एक एक करके पुरे विस्तार से बताऊँगा।
जगन्नाथ मंदिर मंदिर उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है, तो आज मैं इसी रहस्यमय पौराणिक धार्मिक स्थल धाम के बारे में बताने जा रहा हूँ जो आज भी एक रहस्य बना हुआ है। तो आज जानेंगे उड़ीसा के पुरी शहर मे स्थित भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण जी) मंदिर के बारे में जो चार धामों मे से एक है। (जगन्नाथ शब्द का मतलब जगत का स्वामी होता है) पुरी शहर बिल्कुल समुद्र के किनारे बसा हुआ है, जगन्नाथ मंदिर के बारे में बहुत आप लोगों को एक एक करके पुरे विस्तार से बताऊँगा।
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास
जगन्नाथ मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण जी को समर्पित है।
इसके निर्माता कलिंग के राजा अनंतवर्मन् चोडगंग देव जीर्णोद्धारक थे जो सन् 1174 ई. में उड़ीसा शासक अनंग भीम देव थे यह मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी मे करवाया था।
वर्तमान में जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) के निर्माण कार्य कलिंग के राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने शुरू किया था। मंदिर जगमोहन और विमान भाग के शासन काल (सन् 1077 ईस्वी – सन् 1148 ईस्वी) में बने थे। फिर सन् 1187 में जाकर उड़ीसा के शासक अनंग भीम देव ने इस मंदिर को वर्तमान रूप दिया।
बात करे भगवान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) की तो ये बिल्कुल समुंदर के किनारे स्थित है, ये चार धामों में से एक है।
जगन्नाथ मंदिर के कुछ रहस्य – Jagannath temple Mystery
कुछ पौराणिक इतिहासकार और कुछ धार्मिक इतिहासकारों का मानना है कि जब भगवान विष्णु जी चारो धामों मे बसे और जब भगवान विष्णु जी यात्रा किया करते थे। तो सबसे पहले हिमालय पर बसे बद्रीनाथ धाम जाते हैं और बद्रीनाथ मे ही स्नान करते हैं, फिर उसके बाद पश्चिम में बसे गुजरात के द्वारिका में जाते हैं। और फिर वहां जाकर विष्णु जी वस्त्र बदलते हैं और उसके बाद भगवान विष्णु जी पुरी (उड़ीसा) मे बसे जगन्नाथ धाम पुरी मे भोजन करते हैं। और अंत में दक्षिण मे स्थित रामेश्वरम (चेन्नई) मे विश्राम करने चले जाते हैं।
जगन्नाथ मंदिर मे भगवान जगन्नाथ ( कृष्ण जी) जी के बड़े भाई बलराम बलभद्र और बहन सुभद्रा इन तीनों की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां हैं यहाँ तीनों विराजमान हैं। उड़ीसा को बहुत पहले उत्कल प्रदेश भी कहा जाता था।
इसके अलावा अलग अलग और भी नाम थे जैसे शीष क्षेत्र, श्री पुरूषोत्तम क्षेत्र, विशाख क्षेत्र, निलांचल, नीलगिरी और फिर अन्त में जगन्नाथ पुरी कहा गया। एक समय में देखा जाए तो व्यापार के लिए पुरी के बन्दरगाहो की वजह से बहुत से देशों से व्यापार हुआ करता था, जगन्नाथ पुरी की यात्रा हर साल जुलाई अगस्त के महीने में निकलना शुरू होती है।
इस यात्रा में लाखो भक्त सक्रिय रहते हैं और अलग अलग राज्यों से भी सिर्फ रथ को खिंचने के लिए इतने लोग आते हैं कि जिसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है। एक वक़्त ऐसी घटना घटी जिसमें एक मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और कहा कि मुझे भी रथ खींचना है इसकी इजाजत दी जाए और एक ऐसी मान्यता भी है कि रथ खिंचने से सारे पाप धुल जाते हैं।
जगन्नाथ मंदिर की खास बात यह है कि यहां की सारी मूर्तियां काठ यानी लकड़ियों की बनी हुई है। और यह मूर्तियां श्री कृष्ण भगवान जी की है, देश की लगभग मंदिरों में पत्थर की मूर्तियां होती हैं लेकिन जगन्नाथ पुरी के मंदिर में काठ की यानी लकड़ी कि मूर्तियां है। इस मंदिर के इतने सारे रहस्य है कि आज तक किसी ने पता नहीं लगा पाया ना ही किसी को इस रहस्य की जानकारी है।
जगन्नाथ मंदिर के रहस्य के बारे में धार्मिक जानकार क्या कहते हैं?
जब कुछ विद्वानों और धार्मिक के जानकारों से जगन्नाथ मंदिर के रहस्य के बारे में पूछा गया तो धार्मिक विद्वानों का कहना था
एक मान्यता है कि जब जब श्री कृष्ण ने अपना शरीर यानि देह त्याग किया तो उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका बाकी शरीर तो जल गया और पंचतत्व में मिल गय। लेकिन हैरत की बात यह है कि कृष्ण भगवान जी का दिल ह्रदय सामान्य रूप से जिंदा था, और जिंदा इंसान कि तरह ही धड़क रहा था और आज भी सुरक्षित है ऐसी मान्यता है।
और दूसरी मान्यता यह है कि भगवान जगन्नाथ का मंदिर (Jagannath temple) में जो जगन्नाथ भगवान जी की जो काठ की मूर्ति है इसके अंदर है आज भी श्री कृष्ण जी का दिल धड़क रहा है कुछ भक्तों और धार्मिक जानकारों की ऐसी मान्यता भी है।
तीसरा ये है कि हर 12 साल में जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) मे जो तीनों की काठ की मूर्तियां हैं। भगवान जगन्नाथ जी के बड़े भाई बलराम बलभद्र और बहन सुभद्रा की हर 12 साल में काठ की मूर्तियों को बदली जाती है। उसकी जगह लकड़ी की फिर से नई मूर्तियां स्थापित की जाती है, जब ये मूर्तियां बदली जाती है तो पूरे शहर यानी पुरी को पूरी तरह से शहर ब्लॉक कर बिजली काट दी जाती है।
पुरी जगन्नाथ मंदिर के आसपास के सारे इलाके को अंधेरा कर दिया जाता है जिससे कि कोई कुछ देख नहीं सके। यहां तक की जो पंडित लकड़ी के मूर्तियां को बदलती है, उसे भी कुछ नहीं दिखाई देता है। मंदिर को पूरी तरह से अंधेरा कर दिया जाता है और तो और जो इन लकड़ी की मूर्तियों को बदलते हैं उनके आँखों पर भी काली पट्टी भी बांध दी जाती है। और तब लकड़ी की मूर्तियों को बदली जाती है, और उस वक़्त तक मंदिर के चारों तरफ सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है। ताकि कोई अंदर ना सके, किसी का आना जाना सब पर कुछ वक़्त तक पाबंदी लगा दी जाती है ,कोई भी अंदर बाहर नहीं जा सकता बस जो चल रहा है अंदर बस वही।
फिर उसके बाद मंदिर के अंदर पूरा अंधेरा होता और जो पंडित होता है उसे ऐसे ही नहीं प्रवेश करने कि इजाजत होती है। प्रवेश से पहले इसके हाथो में दस्ताने पहनाए जाते है, अंधेरा होने के बावजूद भी उसकी आंखों पर पट्टी बांधी जाती है ताकि कुछ दिखाई ना दे।
उसके बाद एक ब्रह्म पदार्थ है जो काठ की मूर्ति मे होता है उसे पुराने काठ की मूर्ति से निकाल कर नए मूर्ति में डाली जाती है। यह परम्परा तब से चल रही है जब से ये जगन्नाथ जी का मंदिर का निर्माण हुआ है, ये ब्रह्म पदार्थ के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है।
यहां तक कि पुजारी को भी नही जिसने ब्रह्म पदार्थ को बदला एक मान्यता है कि जिसने भी इस ब्रह्म पदार्थ को देख लिया उसकी फौरन मौत हो जाएगी। जब वहां के कुछ पुजारियों से इस बारे में पूछा गया तो उसका कहना है कि जब वह उस पदार्थ यानी ब्रह्म पदार्थ को अपने हाथों में लेता है तो उसे महसूस होता है कि उसके हाथों में कुछ खरगोश जैसा उछल रहा है कुछ हरकत कर रहा है पर क्या है समझ में नहीं आता है।
जब भी ब्रह्म पदार्थ को अपनी हाथो मे लेते हैं तब एक हरकत होती है जैसे कुछ उछल रहा हो कोई ज़िन्दा चीज हो और उसके बाद नई मूर्ति मे डाल दी जाती है। ये अभी तक का सबसे बड़ा रहस्य है जिसके बारे में अभी तक किसी को कुछ अच्छे से पता नहीं है। श्री कृष्ण जी की जब जगन्नाथ पुरी से रथ यात्रा निकलती है तो पुरी के राजा सोने की झाड़ू से झाड़ू लगाते है।
एक रहस्य ये है कि इस जगन्नाथ मंदिर की एक सिंग द्वार है और ये समुंदर के किनारे होने के कारण समुंदर की लहरों की आवाजे भी आसानी से सुना जा सकता है। लेकिन जैसे ही जब भी कोई इंसान इस सिंग द्वार के अंदर अपना पैर रखता है तो समुंदर की लहरों की आवाज आना या सुनाई देना बंद हो जाती है। और जैसे ही बाहर निकलते है फिर से वैसे ही सुनाई देने लगती है, ये भी अपने आप में अभी तक का एक बड़ा रहस्य बना हुआ है ऐसा क्यों होता है अभी तक किसी को जानकारी नही है।
जगन्नाथ मंदिर के कुछ दूरी पर चिताएं भी जलाई जाती है स्वाभाविक है कि दुर्गन्ध आयेगी। लेकिन मन्दिर के अंदर पांव रखते ही दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है, ये भी अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।
एक रहस्य ये भी है कि सभी मंदिरों में पक्षियों को आसानी से देखा जा सकता मंदिर में बैठे, लेकिन इस मंदिर में ना तो कोई पक्षी बैठा मिलेगा ना ही इसके अगल बगल में उड़ता हुआ दिखेगा। और ना ही इसके ऊपर से कोई गुजरता हुआ पक्षी मिलेगा ये भी अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।
जगन्नाथ मंदिर काफी बड़े क्षेत्र में बना हुआ है लघभग 4 लाख वर्ग फुट में बना हुआ है तो इसके ऊपर जो गुम्बद है जो इसका शिखर है कितना भी धूप हो इसका परछाई (Shadow) नही बनती । कोई अक्स ही नही बनता उसकी ऊंचाई लघभग 214 फुट है ।
एक रहस्य है कि जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर में एक झंडा जिसको रोज बदलने का नियम है, इस झंडे को प्रतिदिन बदला जाता है, कुछ लोगों का यह भी कहना है अगर झंडे को नहीं बदला गया तो अगले 18 साल के लिए यह मंदिर बंद हो जाएगी।
और एक रहस्य ये भी है कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर जो झंडा लगा हुआ वो हवा के विपरित उड़ता है ये भी किसी को मालूम नही है ऐसा क्यों होता है
भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर शिखर पर एक सुदर्शन चक्र बना हुआ है, आप जिधर से भी देखोगे लगेगा कि उसका मुँह आपके ही तरफ है।
दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से पुरी जगन्नाथ मंदिर के सबसे बड़े रसोई घरों में से एक है जिसमें 500 रसोइयां और उसके 300 सहयोगी साथ काम करते हैं। एक रहस्य ये भी है कि भक्त का आना धीरे धीरे जैसे जैसे कम होती जाती है वैसे वैसे ही अपने आप प्रतिदिन की तरह प्रसाद स्वतः ही ख़तम होती जाती है। और कभी भी प्रसाद व्यर्थ नहीं गया, और ये प्रसाद जब लकड़ी के चूल्हे पर बनता है और सात बर्तनों में बनाया जाता है। और सातो बर्तनों को एक साथ रखा जाता है ये बड़े बड़े बर्तन होते हैं, और हैरत की बात यह है कि जो बर्तन सबसे ऊपर होता है सबसे पहले वही बनकर तैयार होता है सबसे पहले 7वां फिर छटा पांचवा चौथा तीसरा दुसरा उसके बाद पहला, कितने भी भक्त आ जाए प्रसाद कभी कम नहीं हुआ है।
आज तक जगन्नाथ मंदिर के रहस्यों के बारे में किसी ने भी पता नहीं लगा पायें, आपलोगों मे से कितने ऐसे लोग हैं जो यहाँ जा चुके हैं अपना कमेन्ट जरूर दे। इस मंदिर में जाने के बाद आपका कैसा अनुभव रहा है आपको इस मंदिर के बारे क्या क्या पता है? बताये जरुर।