यशस्वी जायसवाल का जीवन परिचय : Yashasvi Jaiswal biography in hindi
कैसे एक लड़का पानीपुरी बेचनेवाला भारतीय टीम के धाकड़ बल्लेबाज बन गया। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) की, यशस्वी जायसवाल अपने चाचा के साथ पानीपुरी बेचते थे। लेकिन कुछ लोग कहते हैं की ये किसी और के ठेले पर पानीपुरी बेचते थे और कुछ कहते हैं कि अपने खुद के ठेले पर पानीपुरी बेचते थे। आज यशस्वी जायसवाल के बारे में फर्श से लेकर अर्श तक पहुँचने तक कि कहानी बताएंगे। यशस्वी जैसवाल (Yashasvi Jaiswal) एक भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने अपने प्रतिभा और योगदान के लिए विश्व में पहचान बनाई है। यशस्वी की क्रिकेट की शुरुआत बहुत ही उम्दा रही है। उन्होंने अपने युवावस्था में ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
रोज़ एडेन्स प्रीमियर लीग (IPL) यशस्वी ने 2019 में आयोजित भारतीय प्रीमियर लीग (IPL) में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण ध्यान खींचा। उन्हें राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) टीम में शामिल किया गया था। यशस्वी ने युवा राष्ट्रीय क्रिकेट में भी अपना नाम बनाया है। उन्होंने अनेक मैचों में अद्वितीय प्रदर्शन किया है और उन्हें महत्वपूर्ण युवा टूर्नामेंट्स में मनोनीत किया गया है। यशस्वी की उम्र की अनुसार, उनका संघर्ष और प्रतिभा बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने अद्वितीय करियर में अपने परिश्रम और लगन से क्रिकेट की दुनिया में अपनी जगह बनाई है। यशस्वी जैसवाल का क्रिकेट में संघर्ष भरा परिचय है। उनके प्रतिभाशाली प्रदर्शन ने उन्हें क्रिकेट जगत में एक उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन वे हमेशा उनसे बड़े हो गए हैं।
यशस्वी जायसवाल का जीवन उत्कृष्टता का प्रतीक है। उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में कई बड़े संघर्षों का सामना किया है, लेकिन वे हमेशा अपने लक्ष्यों की दिशा में अग्रसर रहे हैं। यशस्वी जैसवाल का जीवन प्रेरणादायक है। उनकी प्रतिभा, उत्साह, और संघर्ष ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने में मदद की है। उनकी कहानी लोगों को आत्म-समर्पण और मेहनत की महत्वपूर्णता को समझाती है। उनका योगदान भारतीय क्रिकेट को और अधिक महत्वपूर्णता प्रदान करता है और आने वाले क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा की स्रोत बनता है।
Yashasvi Jaiswal Profile
यशस्वी जायसवाल का पूरा नाम
यशस्वी भूपेंद्र कुमार जायसवाल
जन्म
28 दिसम्बर 2001
जन्मस्थान
भदोही जिले के सुरियावां गाँव (उत्तर प्रदेश )
उम्र
23 साल (2024)
यशस्वी जायसवाल के पिता का नाम
भूपेंद्र कुमार जायसवाल
माताजी का नाम
कंचन जायसवाल
भाई बहन
6 भाई बहन- 3 भाई और 3 बहन
स्कूल/कॉलेज
शिक्षा
कोच का नाम
पप्पू सर, ज्वाला सिंह (पत्नी – वंदना सिंह),
गर्लफ्रेंड (gf)
पत्नी (Wife)
यशस्वी जायसवाल का जन्म परिवार व शिक्षा
तो यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) का जन्म 28 दिसम्बर 2001 सुरियावां गाँव में हुआ जो जो उत्तर प्रदेश के भदोही के जिले मे पड़ता है। यशस्वी जायसवाल का पूरा नाम यशस्वी भूपेंद्र कुमार जायसवाल है, ये 6 भाई बहनों में चौथे नंबर पर है। 2024 में ये 23 साल के हो जाएंगे, यशस्वी जायसवाल के पिताजी का नाम भूपेंद्र कुमार जायसवाल है। इनके परिवार मे 2 भाई और 3 तीन बहने हैं। इनकी माताजी का नाम कंचनजायसवाल है, इनके पिताजी छोटी एक हार्डवेयर की दुकान चलाते थे। यशस्वी जैसवाल घर मे कम मोहल्ले के गलियों में क्रिकेट ज्यादा खेलते नजर आते थे। जब थोड़े बड़े हुए तब समझ में आया कि यहाँ रहकर कुछ नहीं सकता। उसके बाद पिताजी से जिद्द ठान बैठे कि उन्हे मुंबई जाना है, तो पिताजी मान भी गए। और मुंबई मे रहने वाले अपने एक रिश्तेदार से बात किया।
जब यशस्वी जैसवाल मुंबई पहुंचे (Yashasvi Jaiswal cricket career)
पिता बच्चे को लेकर मुंबई गए, मात्र 11 साल कि छोटी सी उम्र में यशस्वी जैसवाल जब मुंबई पहुंचे। लेकिन वहाँ के हालत देखकर उनके पिता घबरा गए। क्योंकि मुंबई एक महंगा शहर है जिसको हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता है। क्रिकेट के फीस भरने कि तो दूर ये लोग के खाने पीने तक के पैसे जुटा पाना मुश्किल हो रहा था। मुंबई जैसे शहर मे सर छिपाने कि जगह मिल जाए वही बड़ी बात है। जब पिता ने कहा बेटा वापस अपने गाँव चलो यहाँ रहना हमलोगों के लिए मुश्किल है। तो यशस्वी जायसवाल जो उस वक्त मात्र 10-11 साल के थे। उसने कहा कि मैं नहीं जाऊंगा मुझे क्रिकेट खेलना है। तो यशस्वी जैसवाल के पिता ने अपने बेटे को 10 साल की उम्र में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ छोड़ दिया। और उसके बाद वो वापस उत्तर प्रदेश के भदोई अपने घर चले गए।
एक छत कि तलाश में दरबदर यशस्वी जायसवाल भटकते रहे, और किसी तरह सर छिपाने कि एक डेयरी दुकान में जगह मिल गई। लेकिन एक शर्त थी इसके लिए उसे काम करना पड़ेगा, ये मान गए लेकिन वहाँ ज्यादा दिन तक रहने को नहीं मिला। क्योंकि उसने देखा कि ये लड़का दिनभर क्रिकेट खेलता है, शाम मे आकर थककर सो जाता है। काम कब करेगा तो वहाँ से उस डेयरी वाले ने यशस्वी जायसवाल को निकाल दिया। उसके बाद अपना झोला लेकर अकेले सड़क पर निकल गए नई छत कि तलाश मे। वो मुंबई के सड़कों पर भटकता रहा, आखिर उसकी खोज खत्म हुई मुंबई के आजाद मैदान में। आजाद मैदान मतलब क्रिकेट की वो मैदान जहाँ एक से बढ़कर एक बड़े धुरंधर क्रिकेटर मैच खेले और सफलता की बुलंदियों के शिखर पर चढ़े।
उस वक्त 10 साल कि उम्र मे अकेले यशस्वी जायसवाल मुंबई मे रह रहा था। अपने परिवार वालों से दूर अलग, क्योंकि उसे कुछ करना था खिलाड़ी बनना था। इस बच्चे को खाने कि व्यवस्था खुद करनी थी, ये सब परेशानियों को कभी भी यशस्वी जैसवाल ने अपने घर वालों को नहीं बताया। क्योंकि अगर उन्हे पता चल जाता तो वो लोग घबरा जाते है और यशस्वी जैसवाल को वापस उत्तर प्रदेश घर बुला लेते। गर्मी हो, बरसात हो, मच्छर काटता रहा होता है लेकिन यशस्वी जायसवाल टेंट मे ही रहा।और क्रिकेट भी खेलता और साथ में चाट का ठेला पर भी काम करता। और धीरे धीरे क्रिकेट मे ये आगे बढ़ता गया। 10 साल के बच्चे से क्या उम्मीद कर सकते हैं उस उम्र मे भला क्या समझ होती है। लेकिन 10 साल का यशस्वी जैसवाल अपने माता पिता से दूर अकेले मुंबई में रह रहा था।
क्यूंकी उसे अपना सपना पूरा करना था उसे एक क्रिकेटर बनना था, यशस्वी जैसवाल ने विजय हजारे ट्राफी में डबल सेंचुरी बनाया, जो कि इतनी कम उम्र में कोई क्रिकेटर पहले नहीं कर पाया। इसके पास एक सचिन तेंदुलकर का signature वाला बल्ल भी है। सफलता के लिए कठिन रास्तों का चयन करना पड़ता है, यशस्वी जैसवाल को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। और क्रिकेटर बनने का जुनून मुंबई तक पहुंचा दिया।
Yashasvi Jaiswal
सचिन, विनोद कांबले, पृथ्वी शा जैसे खिलाड़ी यहीं से निकले है। इस मैदान में 22 क्रिकेट पिच है, बाप बेटे को बीच बीच में थोड़े बहुत पैसे भी भेजते रहते थे। लेकिन उससे यशस्वी जायसवाल का खर्चा नहीं निकल पाता था। यशस्वी जायसवाल दिनभर क्रिकेट खेलता और शाम को उसी मैदान के पास पानीपुरी के ठेले पर काम करता था। जिससे 50 से 60 रुपये मिलते थे। उस पैसे से यशस्वी जैसवाल 40 रुपये के भर पेट खाना खाता था। यशस्वी जायसवाल तब थोड़ा खराब लगता था जब उसी के टीम के कुछ लड़के लोग उसके पास पानीपुरी खाने आते थे। लेकिन किसी तरह मन को मनाया कि अगर क्रिकेट खेलना है तो ये सब चीजे मायने नहीं रखता है कि आपके सामने कौन है। और आप क्या और कौन सा काम कर रहे है इसके बाद यशस्वी जैसवाल मुंबई के आजाद मैदान में क्रिकेट खेलने लगा।
वहाँ के टूर्नामैच के दौरान उसने कई बच्चों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई। यशस्वी जैसवाल (Yashasvi Jaiswal) मैदान में गेंद ढूंढकर भी लाते थे जिसके लिए उसे कुछ पैसे मिलते थे। आजाद मैदान में अकसर गेंद गुम हो जाता था जिसको ढूँढने के लिए वहाँ पर कुछ लड़कों को रखा जाता है। यशस्वी जैसवाल का बढ़िया खेल देखकर क्लब ले एक मैनेजर उससे प्रभावित हुए। मुंबई के आजाद मैदान के ग्राउन्ड कि देखभाल करने वालों के साथ टेंट में रहने का इंतेजाम कर दिया।
कोच ज्वाला सिंह कि नजर जब यशस्वी जैसवाल पर पड़ी
अपने दोस्त के साथ अलग अलग ग्राउन्ड में मैच खेलने के लिए जाते हैं, तो एक मैच के सिलसिले में ये आजाद मैदान गया था।और जब मैच खत्म हुआ तो वहाँ पर दूसरे पिच पे इनको एक दोस्त दिखे तो उनका दोस्त उनकी तरफ चला गया। तो इन्होंने वहाँ पर देखा कि कुछ लड़के से अलग एक लड़का अच्छा खेल रहा था। जबकि वही विकेट पर बाकी के लड़के यशस्वी जैसवाल के तुलना में उतने अच्छे नहीं खेल प रहे थे। तो उसने फिर बोला ज्वाला भाई इस लड़के की थोड़ा हेल्प कर सकते हो क्या? इसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसको कोई सपोर्ट नहीं किया बेचारा यहाँ से ये निकल जाएगा। वो लड़का नेट से बाहर आया और अपना हेलमेट उतारा एक छोटा सा लड़का था। एकदम दुबला पतला सा तो ज्वाला सिंह जी ने उससे उसका नाम पूछा क्या नाम है तुम्हारा तो उसने बोला यशस्वी जैसवाल।
तो इसने पूछा कहाँ रहते हो बेटा तो ये बोला कहीं भी रहता हूँ फिलहाल आजाद मैदान के सामने जो टेंट बना है वहाँ रहता हूँ। उसने बोला कितने साल से तो यशस्वी ने बोला तकरीबन डेढ़ साल से। तो इसने बोला ठीक है एक काम करो मेरे पास 5-6 दिनों ले लिए आओ मैं देखता हूँ पहले, क्या समस्या है उसके बाद मैं कुछ करता हूँ। उसके बाद यशस्वी जैसवाल को बुलाया अभ्यास के लिए एयर इंडिया ग्राउन्ड मे। तो ज्वाला सिंह को यशस्वी जैसवाल अच्छा लगा, उसके कुछ दिन बाद उसके साथ जर्नी शुरू की, उसके बाद उसको अपने साथ ही अपने घर पर रखा। और जो भी चीजे होती है क्रीकेटर बनने की उसके कोच ने सब कुछ दिलाया। अपने बेटे कि तरह रखा, तो मुंबई में एक टूर्नामैच था, वहाँ गया और पहला मैच खेला इन्होंने 47 रन बनाए और 5 विकेट लिए।
यशस्वी जायसवाल ने जब स्कूल के एक मैच टूर्नामैच मे 319 रन बनाए
तो कोच ने बोला 47 रन से क्या होगा? कुछ बड़ा कर उसके बाद अगले मैच में गया। उसकी मेहनत रंग लाई और साल 2015 के एक स्कूल मैच टूर्नामैच में 319 रन बनाए नोट आउट साथ मे 99 रन देकर 13 विकेट भी झटके। अपने आल राउन्ड खेल के लिए यशस्वी जैसवाल का नाम लिमका बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज है। जिसके बद उसे मुंबई के Under-16 में शामिल कर लिया गया। और उसके बाद Under-19 के भी हिस्सा बन गए। और जैसे ही यशस्वी जैसवाल इनके पास आया उन्हे वसीम जाफ़र के पास लेकर गया। और साथ में डिनर किया। यशस्वी जैसवाल का फाइल दिखाया और कहा कि इस लड़के में वो जज़्बात है हिम्मत है मुझे इसमे संभावना (potential) दिख रहा है। इस पर आपका क्या कहना है, तो वहाँ पर इनको पहले ही कोच ने एक टिप्स दिया था।
एक बार आदत लग गया बड़े बड़े स्कोर बनाने कि तो इसको कभी छोड़ना मत। तो यहाँ पर इस चीज को यशस्वी जैसवाल ने फॉलो किया। इस सफलता में यशस्वी जैसवाल (Yashasvi Jaiswal) के पीछे कोच ज्वाला सिंह के अलावा और भी बहुत से लोगों का हाथ रहा है।
जब यशस्वी जैसवाल Under-19 में सिलेक्शन हुआ
जब यशस्वी जैसवाल का अन्डर-19 में जगह मिली तो ये ड्रॉप हो गया था। 3 मैच खेला था उस वक्त यशस्वी जैसवाल का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं जा रहा था। उसके बाद जो मुंबई के सिलेक्शन मैच होता है उसमे भी यशस्वी जैसवाल ड्रॉप हो गया था। जो उस समय सेलेक्टर थे शरद पवार। उससे यशस्वी जायसवाल के कोच ज्वाला सिंह ने कहा कि इनको एक और मौका दे दे। बहुत अच्छा खेलता है बहुत फोर्स किया ज्वाला सिंह ने शरद पवार को, उस वक्त तो उन्होंने कहा नहीं नहीं लेकिन शाम को शरद पवार ने कहा कि ठीक है उस लड़कों को मैंने ले लिया है। उसके बाद जब मैच हुआ तो उसने 437 रन बनाए। जहाँ तक लगता है कि वो इनिंग जो इनको अन्डर-19 और आईपीएल तक लेकर गया।
यशस्वी जायसवाल साउथ अफ्रीका मे हुए 2020 अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में चुना गया। जायसवाल ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की 10 विकेट से जीत दिलाई 105 रनों की नाबाद पारी खेलकर। उन्होंने इस टूर्नामेंट में केवल छह मैचों में 400 रन बनाकर भारत को अंडर-19 विश्व कप फाइनल में पहुंचने में मदद करके भारतीय क्रिकेट जगत में अपनी काबिलियत दिखाई। Under-19 world cup क्रिकेट मैच मे प्लेयर ऑफ द tournament रहे है। फाइनल मे बांग्लादेश ये हारा था लेकिन पूरे मैच के नायक साबित हुए। पूरे मैच के दौरान सबसे ज्यादा 400 रन बनाए है, सेमाइफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ हुए मैच में भारत कि जीत के हीरो यशस्वी जैसवाल ही रहे। उस मैच में इन्होंने छक्का मारके अपना शतक पूरा किया था।
लगातार अच्छे प्रदर्शन से यशस्वी जायसवाल ने आईपीएल टीमों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित किया। और जल्दी ही वो आईपीएल के फ्रेंचाईजीज के नजरों में आ गए। और 2020 के आईपीएल ऑक्शन में राजस्थान रॉयल ने 2 करोड़ 40 लाख रुपये में खरीद लिया। इस आईपीएल मैच में उन्हे ज्यादा इनिंग खेलने का टो मौका नहीं मिला मात्र 3 मैचों मे ही खेलने का मौका मिला। जिसमे उन्होंने मात्र 40 रन ही बना पाए, और अगले सीजन में भी इसी average से 25 के औसत से 258 रन बनाए। 30 अप्रैल 2023 मुंबई का वानखेडे स्टेडियम आईपीएल इतिहास का 1000 वां मैच राजस्थान रॉयल और मुंबई इंडियन के बीच खेला जाना था। टॉस जितने का बाद राजस्थान रॉयल पहले बैटिंग करने उतरी। जोस बटलर और साथ में यशस्वी जैसवाल ओपनिंग में उतरे।
कैमरन ग्रीन के पहले ही ओवर में यशस्वी जैसवाल ने छक्का जड़ दिए। पावर प्ले खत्म होने तक दोनों ने 65 रन बना दिए थे, जिसमे सब आउट हो रहे थे तो वहीं पर यशस्वी जायसवाल अभी खेल रहे थे। उस मैच में मात्र 53 गेंदों मे यशस्वी जैसवाल ने अपना पहला शतक पूरा कर लिया था। मुंबई के सब बॉलरों को धोया और इस तरह राजस्थान रॉयल कि तरफ से शतक लगाने वाले ये 7वें खिलाड़ी बन गए। और साथ मे शतक जड़ने वाले चौथे सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए।
यशस्वी जायसवाल के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ
17 साल 292 दिन के थे जब इन्होंने दोहरा शतक मारे थे, जो सबसे युवा बल्लेबाज बन गए, 154 गेंद में 203 रन बनाए थे।
अपने आल राउन्ड खेल के लिए यशस्वी जैसवाल का नाम लिमका बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज है।
आज के बहुत से युवा अपनी ताकत का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन में लगा रहे है, तो कुछ नारेबाजी में लगा रहे है। कोई हिंसा में लगा रहे हैं, उन्हे छिन कर आजादी लेनी है किससे लेनी है पता नहीं, भला अब कौन सी आजादी उनको चाहिए किसी को पता नहीं। और वही पर कुछ युवा अपनी शक्ति अपनी मेहनत सही जगह लगा कर अपनी सफलता कि सीढ़िया चढ़ रहे हैं। साथ में देश का नाम रौशन कर रहे हैं सम्मान बढ़ा रहे हैं। ये कहानी साबित करती है। कामयाब होने के लिए किसी खास परिवार, उच्च परिवार का होना जरूरी नहीं है। आपके नाम के साथ खास सरनेम जुड़ा होना मायने नही रखता है। बड़े खानदान से होने कि जरूरत नहीं है।
I live in Jharia area of Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............