Prashant Kishor biography in Hindi | प्रशांत किशोर का जीवनी

प्रशांत किशोर का जीवन परिचय : Prashant Kishor biography

तारीख थी 2 मई 2021 टीवी स्क्रीन पर पश्चिम बंगाल चुनाव के रुझान आने शुरू हुए थे। पूरी देश की निगाहे टीवी पर टिकी थी। सवाल बस एक था? क्या इस बार बीजेपी तृणमूल कांग्रेस को हरा पाएगी। लेकिन उस दिन सबसे ज्यादा चर्चा में कोई नेता नहीं था। बल्कि एक अलग नाम था प्रशांत किशोर जो कोई नेता नहीं था। उसी दिन एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने एलान किया, ये मेरा आखिरी चुनाव है बतौर इलेक्शन स्ट्रेटजिस्ट। मैं इस फील्ड को छोड़ रहा हूं, उनके इस बयान ने राजनीति की गलियों में हलचल सी मचा दी थी।

क्या वाकई वो इंसान जिसने 7 सालों में आधा से ज्यादा सरकारें बनवाई। क्या अब वो पूरी तरह से राजनीति से अलग हो रहा था। तो आज हम बात करेंगे उस शख्स की जिसने पर्दे के पीछे रहकर भारतीय राजनीति की रणनीति को एक नया आकार दिया। जिनका नाम है प्रशांत किशोर चुनावी आंदोलन से लेकर जन आंदोलन तक में इनका बहुत बड़ा योगदान है। जिस प्रकार एक के पीछे फिल्म के राइटर का हाथ होता है, उसी प्रकार राजनीति के रणनीति बनाने मे इनका बहुत बड़ा योगदान है। और बहुत सी ऐसा चीजें जो आपको नहीं पता!

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) जिन्हें प्यार से “पीके” कहा जाता है, एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ, राजनीतिक रणनीतिकार और चुनाव विशेषज्ञ हैं। वे विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए अभियान चला चुके हैं और उनकी रणनीतियों ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी है। वे डेटा-आधारित अभियान, सामाजिक मीडिया और जमीनी स्तर की पहुंच के लिए प्रसिद्ध हैं। प्रशांत किशोर ने विभिन्न दलों के लिए काम किया है, जो उनकी राजनीतिक निष्पक्षता को दर्शाता है:

जन्म परिवार और शिक्षा

प्रशांत किशोर का जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ। प्रशांत किशोर के पिता श्रीकांत पांडे बिहार सरकार में एक सरकारी चिकित्सक थे। जबकि मां सुशीला पांडे गृहिणी, परिवार में उनके इक बड़े भाई और दो बहने है। बाद में उनका परिवार बक्सर चला गया, जहां उन्होंने माध्यमिक शिक्षा पूरी की। 1996 में उन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में स्टेटिस्टिक्स की पढ़ाई शुरू की लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने लखनऊ से ग्रेजुएशन और हैदराबाद से पब्लिक हेल्थ में मास्टर्स की डिग्री पूरी की।

Prashant Kishor biography in Hindi

प्रशांत किशोर ने इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए हैदराबाद चले गए। शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आठ वर्ष कार्य किया, जहां उन्होंने विकासशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य पहलों पर ध्यान केंद्रित किया। 2007 में प्रशांत किशोर ने डॉक्टर जानवी दास से विवाह किया। जो गुवाहाटी की रहने वाली है और पेशे से डॉक्टर हैं। दोनों की मुलाकात यूनाइटेड नेशन के एक हेल्थ प्रोजेक्ट के दौरान हुई थी। और इनका बेटा भी है।

2003 से 2011 के बीच प्रशांत किशोर ने संयुक्त राष्ट्र के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और योजना पर काम किया। इस दौरान उन्होंने भारत अफ्रीका और न्यूयॉर्क स्थित यूएन हेड क्वार्टर में विभिन्न प्रोजेक्ट में योगदान दिया। करीब एक दशक तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के बाद 2011 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा दिया। और भारत लौटा आए, और यहीं से शुरू होती है उनकी राजनीतिक की रणनीति में प्रवेश।

प्रशांत किशोर का राजनीतिक में बतौर स्ट्रेटजिस्ट के रूप में प्रवेश

2012 में नरेंद्र मोदी जी ने प्रशांत किशोर को गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अपनी राजनीतिक टीम में शामिल किया। उन्होंने 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के लिए प्रो-बोनो (मुफ्त) अभियान रणनीति तैयार की। जिससे भाजपा को शानदार जीत मिली। डाटा आधारित सर्वे, वोटर प्रोफाइलिंग और ‘चाय पर चर्चा’ 3डी रैलियां, “रन फॉर यूनिटी” और “मंथन” जैसे कार्यक्रम शामिल थे। इनोवेशन कैंपेन मॉडल की मदद से बीजेपी ने 182 में से 115 सीटों पर जीत दर्ज की। इन रणनीतियों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चुनाव के बाद, मोदी ने उन्हें पीएमओ में राज्य मंत्री का पद ऑफर किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। इस सफलता के बाद 2014 की जीत के बाद पीके ने बीजेपी से दूरी बना ली। उसके बाद बिहार मे महागठबंधन के लिए रणनीति तैयार की। और इस गठबन्धन ने 178 सीटें जीती और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने।

2013 में उन्होंने रॉबिन शर्मा के साथ मिलकर “सिटिजंस फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस” (सीएजी) नामक एक मीडिया और प्रचार कंपनी की स्थापना की। 2014 साल प्रशांत किशोर ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी यानि आई पैक (i–apc) की स्थापना की। यह एक प्रोफेशनल टीम मॉडल था जो डाटा रणनीति और ग्राउंड लेवल प्लानिंग को एक सिस्टम में जोड़ता था। इसका उद्देश्य था राजनीतिक अभियानों को ज्यादा संगठित और विश्लेषण आधारित बनाना।

2017 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाई। कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला और कैप्टन अमरेंदर सिंह मुख्यमंत्री बने हालांकि उसी साल उत्तर प्रदेश में उन्होंने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के लिए भी रणनीति तैयार की थी। लेकिन यह गठबंधन चुनाव में सफल नहीं हो सका। केवल 54 सीटों पर जीत मिली, इसके बाद प्रशांत किशोर ने ये वाई एस आर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी डीएमके के लिए भी चुनावी अभियानों की राजनीति तैयार की। 

और इन दलों को सत्ता में लौटाया, इन अभियानों की सफलता के साथ प्रशांत किशोर एक प्रभावशाली राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में सामने आए।

प्रशांत किशोर का राजनीतिक में बतौर नेता के रूप प्रवेश

2018 में प्रशांत किशोर ने पहली बार सीधे राजनीति में कदम रखा और जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया। जो संगठन में दूसरा सबसे बड़ा पद था। हालांकि जल्द ही उनके और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच विचारात्मक मदभेद सामने आने लगे। खासकर CAA और एनआरसीसी जैसे मुद्दों पर। प्रशांत किशोर ने उनकी नीतियों का खुलकर विरोध किया। जबकि पार्टी ने इसका समर्थन किया। 

विवाद बढ़ता गया और जनवरी 2020 में उन्हें अनुशासन हीनता के आधार पर पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। इस पर जवाब उनका सिर्फ एक पंक्ति में था। वो कहते हैं थैंक्यू यू को नीतीश कुमार जी फॉर फ्री इंडिया 2021 में प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। पार्टी ने 294 में से 213 पर जीत दर्ज करी। इसके बाद उन्होंने राजनीतिक रणनीतिकार की भूमिका हमेशा के लिए छोड़ने की घोषणा की। 2021 के आखिरी तक प्रशांत किशोर के मन में जन स्वराज आंदोलन की योजना तैयार हो चुकी थी।

बंगाल चुनाव के बाद ही उन्होंने साफ कर दिया था कि वे रणनीतिकार नहीं रहेंगे बल्कि सीधे राजनीति में उतरेंगे। 2021 के आखिरी महीनों में उन्होंने बिहार में जमीन पर उतरकर काम करना शुरू किया। लोगो से सीधे मिले, गांव में जाकर हालचाल जाना और यह समझने की कोशिश की कि बिहार की असली समस्याएं क्या हैं? 5 मई 2022 को पटना से उन्होंने जन स्वराज अभियान की औपचारिक शुरुआत की। घोषणा करते ही उन्होंने कहा ये कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है बल्कि जनता से जुड़ा एक आंदोलन है। जिसका मकसद है साफ, ईमानदार और जिम्मेदार राजनीति की शुरुआत करना।

2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर ने अपनी पद यात्रा की शुरुआत चम्पारण के गांधी आश्रम से की। अगले दो वर्षों में उन्होंने और उनकी टीम ने बिहार के 5000 से अधिक गांव का दौरा किया। जहां शिक्षा स्वास्थ्य, रोजगार और सुशासन जैसे मुद्दों पर लोगों से सीधा संवाद किया। फरवरी 2024 में वैशाली जिला परिषद् उपचुनाव में एक सीट जीतकर जन स्वराज का पहला जमीनी राजनीतिक समर्थन उन्हें मिला। और ठीक एक साल बाद 2 अक्टूबर 2024 को इस आंदोलन को राजनीतिक दल का रूप ले लिया। नाम रखा गया “जन स्वराज पार्टी“।

पार्टी के गठन के साथ ही मनोज भारती को बिहार इकाई का पहला अध्यक्ष बनाया गया। चुनाव आयोग ने जन स्वराज पार्टी को 25 जून 2025 को स्कूल बैग चुनाव चिन्ह आवंटित किया। जिसे एक बेहतर भविष्य और शिक्षा के रूप में प्रतीक माना गया। अक्टूबर 2024 में जन स्वराज पार्टी ने 4 विधानसभा सीटों तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज पर उपचुनाव लड़ा। हालांकि पार्टी कोई सीट नहीं जीत सकी, लेकिन बेलागंज और इमामगंज में लगभग 10 % वोट शेयर बना। यह शुरुआत के लिए एक सकारात्मक संकेत था। खासकर जब पार्टी को मजबूत संगठन नहीं था।

मई 2025 में जीएसपी को पहला राजनीतिक विस्तार मिला। आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी आप सबकी आवाज का विलय जीएसपी में कर दिया। अगले ही दिन 19 मई को उदय सिंह को पार्टी का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जिससे जीएसपी को स्पष्ट और औपचारिक नेतृत्व का ढांचा मिला। उसके बाद पार्टी ने घोषणा की कि वे 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 242 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। इसी घोषणा के साथ शुरू हुई बिहार बदलाव यात्रा, जिसके जरिए पद यात्रा जनसभाओं और रेलियों के माध्यम से हर विधानसभा क्षेत्र में जनता के साथ सीधा संबंध स्थापित किया।

उन्होंने शिक्षा को बेहतर करने के लिए 15 साल से कम उम्र के बच्चे को पढ़ाई के लिए नई व्यवस्था की योजना बनाई। इसके लिए 5 –10 लगेंगे, और 5 लाख करोड़ की योजना है। 

प्रमुख अभियान और उपलब्धियां

  • 2015 बिहार विधानसभा चुनाव : नीतीश कुमार (जदयू) के लिए आई-पीएसी (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी) के माध्यम से रणनीति बनाई, जिससे महागठबंधन की जीत हुई।
  • 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव : कांग्रेस के अमरिंदर सिंह के लिए अभियान चलाया, जिससे पार्टी की जीत हुई।
  • 2019 आंध्र प्रदेश चुनाव : वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी के लिए “समरा संखरावम” और “प्रजा संकल्प यात्रा” जैसे अभियान सफल रहे।
  • 2021 पश्चिम बंगाल चुनाव : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ममता बनर्जी के लिए रणनीति बनाई, जिससे भाजपा को हराने में सफलता मिली।
  • 2021 दिल्ली विधानसभा चुनाव : आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल के लिए काम किया।
  • 2017 उत्तर प्रदेश चुनाव : कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई, लेकिन पार्टी हार गई।

वर्तमान राजनीतिक भूमिका

  • 2022 में, कांग्रेस ने उन्हें 2024 चुनावों के लिए सलाहकार बनाने का ऑफर दिया, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया। 2 अक्टूबर 2024 को, उन्होंने अपनी पार्टी “जन सुराज पार्टी” की स्थापना की और बिहार चुनावों के लिए पांच-सूत्री एजेंडा जारी किया, जिसमें “राइट टू रिकॉल” का प्रावधान शामिल है। वे बिहार में बदलाव और अवसर सृजन पर जोर दे रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने तमिलनाडु के अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके के लिए सलाहकार की भूमिका निभाई है।
  • प्रशांत किशोर को भारतीय राजनीति का “किंगमेकर” कहा जाता है, जिनकी रणनीतियां चुनावी परिणामों को बदल देती हैं। उनकी यात्रा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता से राजनीतिक रणनीतिकार तक प्रेरणादायक है।

प्रशांत किशोर जी का एक छोटा स भाषण

प्रशांत किशोर जी के भाषण सुनेंगे तो कुछ बाते तो आपकी बहुत आसानी से समझ में आ जाएंगे। और कुछ बाते तो पत्रकार तक को समझ में नहीं आता है तो फिर भला हमलोग को कैसे समझ में आ जाएगा।

प्रशांत किशोर जी खुद कहते हैं कि अगर 10 प्रशांत किशोर भी आ जाएंगे तब भी बिहार नहीं सुधर सकता है। जब तक कि आप नहीं सुधरिएगा। तब तक कोई बिहार को नहीं सुधार सकता है। बोईएगा बबूल तो आम कहां से खाइएगा। अपने जीवन में अपना बच्चों के पढ़ाई, रोजगार खातिर वोट नहीं दिये।

वोट दोगे 5 किलो अनाज के लिए तो रोजगार कहां से मिलेगा। अपने 5 किलो अनाज के लिए वोट दिया अनाज आपको मिल रहा है। आपने बिजली के लिए वोट दिया घर घर बिजली आई। आपने मंदिर के लिए वोट दिया अयोध्या में मंदिर बन गया, आपने सिलिंडर के लिए वोट दिया। वो भी मिल गया, आपने जात के लिए वोट दिया जात का गिनती चर्चा घर घर हो रहा है। आपने गुजरात के विकास के लिए वोट दिया, गुजरात के गांव गांव में फैक्ट्री लग गई। आपने अपने बच्चों के पढ़ाई रोजगार के लिए वोट नहीं दिया। इसलिए पूरा बिहार का बच्चा अनपढ़ और मजदूर बन गया। 

प्रशांत किशोर कहते हैं आपको अपने बच्चों की चिंता है या नहीं है। लोग हां बोलते हैं! लेकिन प्रशांत किशोर जी कहते हैं पूरा का पूरा समाज झूठ बोल रहा है। अगर ऐसा होता तो आपके बच्चे अच्छे कपड़े पहने होते हैं, कम से कम 50 रुपए वाला एक हवाई चप्पल पैरों में जरूर होता वो भी नहीं है। क्योंकि महंगाई इतनी है कि ये सब संभव नहीं है। जिन नेताओं ने आपको और आपके बच्चों का ये हाल किया है। खाने के लिए बढ़िया भरपेट खाना नहीं, बीमार होने पर अच्छा इलाज नहीं, दवा नहीं, और अगर वही नेता वोट मांगने आएगा जितना लोग अभी यहां है मेरी बात को सही कह रहे हैं।

वहीं लोग जाति के नाम पर, हिन्दू मुस्लिम के नाम पर, 500 रुपए के लालच में, मुर्गा भात खा के दुगो पाउच पीके उन्हीं नेताओं को वोट दोगे। जिन्होंने आपके बच्चों का ये हाल किया है। और अभी यही लोग कहता है कि बच्चों के लिए चिंता है। अपने बच्चों के नाम पर झूठ बोल रहे हो तो आप नहीं भोगिएगा तो कौन भोगेगा। अरे अगर बच्चों की चिंता क्या होती है ये समझना है तो एक बार लालू यादव को देखिए। लालू प्रसाद यादव को अपने बच्चे की चिंता है, लालू जी का लड़का नौवां पास भी नहीं किया। लेकिन लालू जी को चिंता है कि हमारा लड़का बिहार का राजा बने।

आप अपना दशा देखिए आपका लड़का 10वीं पास कर लिया IA, BA कर लिया उसको चपरासी तक का नौकरी भी नहीं मिलता। लेकिन आपको उसका कोई चिंता नहीं है। आप तो जात का झंडा लेकर घूमे जा रहे हैं, लोगों से पूछा तो लोग कहते हैं वोट मोदी जी को दिए हैं। मोदी जी को वोट क्यों दिए हो? तो लोग कहते हैं मोदी जी का सीना है है 56 इंच का है, पूछा उससे क्या होगा? बोला मोदी जी सब घुसपैठियों मार कर भगा दिया। पाकिस्तान पर बम गिरा देंगे। खत्म कर देगा। आपको ये समझ है कि मोदी का सीना 50 इंच का है कि 56 इंच का है।

लेकिन पूरे बिहार का आपके बच्चों का खाए बगैर सीना सिकुड़ा के 15 इंच का हो गया है। यह आपको नहीं दिख रहा है, तो कैसे बिहार में सुधार होगा? आप बताइए। एक प्रशांत किशोर छोड़िए अगर 10 प्रशांत किशोर भी आ जाए तब भी बिहार नहीं सुधर सकता है। जब तक आप नहीं सुधरिएगा, तब तक बिहार को कोई सुधार नहीं सकता है। लेकिन चुनाव आते ही वोट के समय सब लोग ये सब भूल जाते हैं। वोट के दिन भाई अपना जात के कौन खड़ा ब? चलो ओकरे के वोट दिलाई। वो नेता चोर है बदमाश हैं! आपके बच्चों का हक लुट के ले गया। लेकिन अपने जाति का है तो उसे को जाकर वोट दो। 

वोट के लिए 2000 रुपया देगा तो लेगा की नहीं लेगा? तो पैसा लेना है, देगा तो। तो समझिए पैसा काहे लेना है? समझिए! राशन कार्ड बनाने में घुस लिया है कि नहीं लिया है! लिया है! जाति प्रमाणपत्र बनाने में पैसा लगता है कि नहीं लगता है। 100 रुइया का शराब 300 में बिक रहा है कि नहीं बिक रहा है? थाना में पुलिस वाला लुट रहा है कि नहीं लुट रहा है। तो हमीलोग का पैसवा लुट के पांच बरस जमा किया है। उसी में से 1000–2000 वोटवा के समय देगा तो अपना ही पैसा है। रख लेना है, पैसा लेने के बाद गरीबी से निकलने का एक मंत्र याद रखना है। 

जिसका मन है उसको वोट दीजिए लेकिन एक संकल्प लीजिए जीवन में एक बार वोट किसी नेता के लिए नहीं। किसी दल के लिए नहीं, हिंदू मुसलमान के लिए नहीं, 5 किलो अनाज के लिए नहीं, नाली गली के लिए नहीं, मंदिर मस्जिद के लिए नहीं, लालू नीतीश मोदी प्रसाद किशोर के लिए नहीं, जीवन में एक बार बहुत सबको अपने-अपने बच्चों के लिए देना है बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए देना है। एक बार वोट अपने बच्चों का चेहरा देखकर दीजिए आपका वोट में इतना ताकत है कि आपका बच्चा भी बेरोजगार नहीं रहेगा। बिहार में जनता का राज होना चाहिए। तो ये सिर्फ एक छोटा सा भाषण था प्रशांत किशोर जी का, ऐसे ऐसे भाषण इनका यूट्यूब पर भरा पड़ा है।

Anshuman Choudhary

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............