जैकी श्रॉफ का जीवन परिचय : Jackie Shroff biography in hindi
दादा के नाम प्रसिद्ध जैकी श्रॉफ भारतीय सिनेमा के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। जिन्होंने बॉलीवुड में चार दशकों से अधिक समय तक अपना दबदबा बनाए रखा है। वे अपनी दमदार आवाज, बेहतरीन अभिनय और स्टाइलिश पर्सनैलिटी के लिए जाने जाते हैं। जैकी श्रॉफ को फिल्मों में कुछ खास मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन शुरुआती जीवन में उन्होंने बहुत ही संघर्ष किया जब फिल्मों में नहीं आए थे। हालत कितनी भी बुरी क्यों न हो लेकिन ज़िंदगी में एक ऐसा पड़ाव जरूर आता है जो रातों रात आपको एक सफल इंसान बना देता है। लेकिन वो समय अचानक नहीं आती उसके पीछे होता है सालों का मेहनत।
बॉलीवुड एक ऐसी दुनिया है जहां अधिकतर लोग दौलत शोहरत कमाने के लिए जाना चाहते हैं। किसी अभिनेता को देखकर हर किसी को लगता है की काश मैं मैं भी उसकी जगह होता। तो आज बात करेंगे ऐसे इंसान की जिसने अपनी शुरुआती जीवन में बहुत ही कठिनाइयों का सामना किया। मुंबई के सड़कों पर अधिकांश समय बिताया। तो हम बात कर रहे हैं जय किशन उर्फ जग्गू दादा, जैकी श्रॉफ की।
जैकी श्रॉफ का जन्म परिवार व शिक्षा
जैकी श्रॉफ का पूरा नाम: जयकिशन काकूभाई श्रॉफ जन्म: 1 फरवरी 1957 जन्म स्थान: मुंबई, महाराष्ट्र, भारत पेशा: अभिनेता, निर्माता राष्ट्रीयता: भारतीय वैवाहिक स्थिति: विवाहित (पत्नी – आयशा श्रॉफ) बच्चे: टाइगर श्रॉफ (अभिनेता), कृष्णा श्रॉफ
जैकी श्रॉफ ने 1987 में आयशा श्रॉफ से शादी की।
जैकी श्रॉफ का जन्म 1 फरवरी 1957 को महाराष्ट्र के लातूर जिले के उदगीर में हुआ था। बाद में इनके पिता पूरे परिवार के साथ मुंबई के मालाबार हिल एरिया में तीन बत्ती इलाके में आकर रहने लगे। जैकी श्रॉफ के परिवार के शुरुआती जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरा है। घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी। इनका बचपन बहुत मुफलिसी में गुजरा गरीबी ऐसी की जब ये 11वीं में थे तब इन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ गई थी। जैकी श्रॉफ इतने समझदार हो गए थे कि ये नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से स्कूल में फीस देना पड़े और घर की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाए। जिसकी वजह से माता-पिता को ज्यादा परेशानी उठानी ना पड़े।
पिता काकु भाई माता रीता श्रॉफ इनकी माता कजाकिस्तान से थी। जहां से इन्होंने पहले दिल्ली, उसके बाद मुंबई आई। मुंबई में इनकी मुलाकात जैकी श्रॉफ के पिता काकु भाई से हुई। और कुछ समय बाद इन दोनों ने शादी कर ली। इनके पिता व्यवसायिक घराने से ताल्लुक रखते थे। लेकिन व्यापार में नुकसान होने की वजह से उनके पिताजी ने उन्हे घर से निकाल दिया था। जैकी श्रॉफ के पिता काकु भाई एक ज्योतिष भी था और जैकी श्रॉफ के लिए एक भाविष्यवाणी भी की थी। जैकी श्रॉफ बड़ा होकर एक बहुत ही बड़ा आदमी बनेगा। लेकिन जैकी श्रॉफ का बचपन का सपना एक कूक बनना था। जैकी श्रॉफ का असली नाम जयकिशन काकूभाई श्रॉफ है।
जैकी श्रॉफ की माताजी उनकी फीस भरने के लिए घर के बर्तन और अपनी कुछ रखी साड़ियों को बेच तक देती थी। यह सब जैकी श्रॉफ से देखा नहीं जाता था जिसकी वजह से बीच में पढ़ाई छोड़ दी थी। जैकी श्रॉफ जब सिर्फ 10 साल के थे तब इन्होंने अपने बड़े भाई की मौत देखी, और इस घटना ने जैकी श्रॉफ को अंदर से पूरी तरह झकझोर कर रख दिया। उसके बाद रोजी रोटी कामकाज की तलाश में मुंबई के सड़कों पर आवारा की तरह भटकने लगे। मूंगफली बेची, ट्रक चलाया और भी छोटी छोटी बहुत से काम किए। लेकिन अपने पिताजी की वो बात भूल नहीं पाए थे, की जैकी बड़ा होकर एक बड़ा आदमी बनेगा।
मुंबई के ताज होटल में कूक के लिए, एयर इंडिया में भी काम के लिए आवेदन किया लेकिन ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से इनको काम नहीं मिला। कुछ दिनों बाद ही इन्हे एक लोकल कंपनी में ट्रैवल एजेंट का काम मिला। और खराब परिस्थति के बावजूद भी जैकी श्रॉफ गरीब लोगों की कभी कभी मदद कर दिया करते थे। किसी को कोई भी दिक्कत होती थी तो लोग जैकी श्रॉफ के पास आया करते थे। और जैकी श्रॉफ भी जितना हो सकता था उतना उन लोगों की मदद किया करते थे। और उस झुग्गी झोपड़ी वाले ही जैकी श्रॉफ को प्यार से जग्गू दादा कह कर पुकारने लगे जिनकी वो मदद किया करते थे।
फिल्मी करिअर का सफर?
इसी बीच उन्हे पेपर के विज्ञापन में मॉडलिंग के लिए एक विज्ञापन दिखा, और पहुँच गए। तो इन्हे मॉडलिंग के लिए चुन लिया गया और उसके बाद मॉडलिंग में इन्हे पैसे भी मिले। और यहाँ से इनको मॉडलिंग में दिलचस्पी बढ़ी और समय 80 की दशक थी। इन्होंने चार मीनार सिगरेट के लिए भी मॉडलिंग या विज्ञापन किया जो उस समय बहुत प्रसिद्ध हुआ। तब वो विज्ञापन पेपर में छपते थे, बहुत से लोगों ने इनको फिल्मों में जाने की सलाह दी। इसके बाद इन्होंने ऐक्टिंग कोचिंग में दाखिला लिया, जहां पर इनकी मुलाकात देवानंद के बेटे सुनील आनंद से हुई। सुनील आनंद से अच्छे से जान पहचान होने के बाद एक दिन इन्होंने कहा की मुझे देवा नन्द से मिला दे।
जैकी श्रॉफ को जब पहली फिल्म मिली?
देवा नन्द से मिलने के बाद देवा नन्द जी ने उन्हे अपनी एक फिल्म स्वामी दादा में उनको एक रोल दिया। स्वामी दादा साल 1982 में आई थी, इस फिल्म देवा नन्द खुद मुख्य लीड अभिनेता थे, इसके अलावा इस फिल्म मिथुन दा, नसीरद्दीन शाह, पद्मिनी, कोल्हापूरी, शक्ति कपूर और साथ में और कई अभिनेता थे। ये फिल्म सिनेमाघरों में कुछ खास कमाल नहीं कर पाई, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में जैकी श्रॉफ के लिए दरवाजे खुल चुके थे। उसके बाद जैकी श्रॉफ पर नजर गई सुभाष घई की, जैकी श्रॉफ को लेकर सुभास घई ने साल 1983 में फिल्म हीरो बनाई। और इस फिल्म जैकी श्रॉफ का नाम जैकी ही रखा था। और तब से ये जय किशन काकु से जैकी श्रॉफ बन गए, फिल्म हीरो सुपर हिट रही।
हीरो की सफलता ने जैकी श्रॉफ को रातों रात एक सुपर स्टार अभिनेता बना दिया। उसके बाद जैकी श्रॉफ की कई फिल्मे आई जो हिट रही, 1986 में आई फिल्म करमा उस साल की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई। उसके बाद जैकी श्रॉफ की किंग अंकल और अल्लाह रखा आई लेकिन इस फिल्म में जैकी श्रॉफ को लेने से पहले अमिताभ बच्चन को लेने वाले थे लेकिन किसी कारणवश बच्चन साहब इस में काम नहीं कर पाए उसके बाद इस फिल्म में जैकी श्रॉफ को लिया गया।
उसके बाद 1990 में फिल्म आई परिंदा इस फिल्म मे जबरदस्त अभिनय के लिए जैकी श्रॉफ बेस्ट ऐक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला। जैकी श्रॉफ ने अपनी प्रेमिका आईशा दत्त से साल 1987 में शादी की, आईशा से इनके दो बच्चे हुए टाइगर श्रॉफ और कृष्णा, टाइगर श्रॉफ तो अपने पिता के नक्शे कदम पार चल रहे है और एक सफल अभिनेता है, और वहीं पर उनकी बेटी कृष्णा फिल्म इंडस्ट्री से बहुत दूर रहती है वो फिल्मों में नहीं आना चाहती है।
इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया, जिनमें शामिल हैं:
राम लखन (1989)
परिंदा (1989) (इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला)
कर्मा (1986)
किंग अंकल (1993)
1942: ए लव स्टोरी (1994)
अग्निसाक्षी (1996)
रंगीला (1995)
देवदास (2002)
उन्होंने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाए हैं, चाहे वह हीरो हो, विलेन हो या सहायक भूमिका।
टेलीविजन करियर
जैकी श्रॉफ ने फिल्मों के अलावा टेलीविजन पर भी काम किया। उन्होंने ‘सबसे फेवरेट कौन’ जैसे शो को होस्ट किया और कई वेब सीरीज में भी नजर आए।
पुरस्कार और सम्मान
फिल्मफेयर अवॉर्ड – सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (परिंदा, 1990)
जैकी श्रॉफ अपनी दरियादिली और सामाजिक कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं। वे पर्यावरण संरक्षण और गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए कई अभियान चलाते हैं।
जैकी श्रॉफ की लव स्टोरी
जब जैकी श्रॉफ ने स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर सड़क किनारे खड़ी 13 साल की आयशा को देखा तो उन्हें पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया। जैकी श्रॉफ और आयशा की प्रेम कहानी वाकई फिल्मी है। दोनों अचानक मिले, फिर धीरे-धीरे करीब आए। जैसे ही वे रिकॉर्डिंग स्टोर की ओर बढ़े, जैकी श्रॉफ ने आयशा को देखा और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। इसके बाद जैकी ने लड़की को एक म्यूजिक एल्बम खरीदने में मदद की। जिस समय आयशा ने जैकी के दिलो-दिमाग पर कब्जा कर लिया था, उस समय जैकी किसी और को डेट कर रहे थे। उनकी गर्लफ्रेंड अमेरिका गई हुई थी और वहां से लौटने के बाद वे शादी करने वाले थे।
जैकी को आयशा पसंद थी और आयशा भी जैकी को पसंद करने लगी थी। दोनों एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए। लेकिन जब आयशा को पता चला कि जैकी की एक गर्लफ्रेंड है तो उसे समझ नहीं आया कि क्या करे। इसके बाद आयशा के पास दो ही विकल्प थे. पहला, उन्हें जैकी को हमेशा के लिए भूल जाना होगा और दूसरा, उन्हें जैकी की प्रेमिका को बताना होगा कि वे दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करने जा रहे हैं। इसके बाद आयशा ने अपनी गर्लफ्रेंड को खत लिखकर सारी बात बता दी। उस वक्त जैकी एक चॉल में रहते थे और आयशा बेहद शाही परिवार से आती थीं। शाही परिवार से होने के बावजूद आयशा एक आम आदमी की तरह जैकी के साथ घूमती-फिरती थीं।
जब उनका रिश्ता शादी तक पहुंचा तो आयशा की मां को यह पसंद नहीं आया। उन्हें यह पसंद नहीं था कि उनकी बेटी एक ऐसे आदमी से शादी करे जो चोल में रहता था। हालाँकि, प्यार परवान चढ़ा और 5 जून 1987 को दोनों एक हो गए। शादी के तीन साल बाद टाइगर श्रॉफ का जन्म हुआ। आयशा के आने के बाद जैकी श्रॉफ में काफी बदलाव आये। आयशा ने अपने पहनावे से लेकर बात करने के तरीके तक सब कुछ बदल दिया।
फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
05 फरवरी 1993 को रिलीज़ हुई थी जैकी श्रॉफ, शाहरुख खान, नगमा, अनु अग्रवाल, परेश रावल, देवेन वर्मा, दलीप ताहिल स्टारर किंग अंकल। राकेश रोशन की एक शानदार फिल्म। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी। खुद ऋतिक रोशन कहते हैं कि उनके पापा की ये फिल्म हमेशा कम आंकी गई। जबकी फिल्म बहुत अच्छी है। वैसे इस फिल्म का एक गीत,”इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आंखें” बहुत लोकप्रिय हुआ था जो शाहरुख और नगमा पर फिल्माया गया था। चलिए, इस फिल्म से जुड़ी वो कुछ कहानियां जानते हैं जो बहुत कम कही गई हैं।
किंग अंकल में मुख्य भूमिका जैकी श्रॉफ ने निभाई है। उनके कैरेक्टर का नाम अशोक बंसल है। राकेश रोशन इस रोल के लिए पहले अमिताभ बच्चन साहब को कास्ट करना चाहते थे। लेकिन बच्चन साहब तब फिल्मों से ब्रेक लेने का प्लान बना रहे थे। इसलिए उन्होंने इस फिल्म में काम करने से विनम्रतापूर्वक इन्कार कर दिया। और ये बच्चन साहब ही थे जिन्होंने राकेश रोशन को इस रोल के लिए जैकी श्रॉफ का नाम सुझाया था। राकेश रोशन को भी ये सुझाव अच्छा लगा और वो जैकी के पास गए। जैकी ने कहानी सुनी और उन्हें कहानी पसंद आई। इस तरह जैकी श्रॉफ इस फिल्म का हिस्सा बने।
किंग अंकल में शाहरुख खान सपोर्टिंग एक्टर के रूप में दिखे थे। शाहरुख खान ने ये फिल्म सिर्फ इसलिए साइन की थी कि इसमें अमिताभ बच्चन काम करेंगे। मगर जब शाहरुख को पता चला कि बच्चन साहब फिल्म में नहीं हैं। उनकी जगह जैकी श्रॉफ को लिया गया है, तो शाहरुख असमंजस में पड़ गए। शाहरुख ने अपनी वो कशमकश राकेश रोशन से बताई और कहा कि बेहतर रहेगा आप किसी दूसरे एक्टर को मेरी जगह ले लें। राकेश रोशन ने कहा कि मैं किसी दूसरे एक्टर को ले तो सकता हूं। लेकिन अगर तुम ये रोल निभाओगे तो सही रहेगा। राकेश रोशन का अपने आप पर वो भरोसा देखकर शाहरुख ने फैसला किया कि वो इस फिल्म में काम करेंगे।
शाहरुख और इस फिल्म से जुड़ी एक और दिलचस्प कहानी भी है। दरअसल, एक दिन बच्चन साहब ने अपने सक्सेसफुल वर्ल्ड टूर की पार्टी रखी थी। उस पार्टी में विवेक वासवानी शाहरुख को भी अपने साथ ले गए। वहीं पर राकेश रोशन ने शाहरुख को पहली दफा देखा था। राकेश रोशन पहचान गए कि ये वही लड़का है जिसने फौजी सीरियल में काम किया था। राकेश रोशन ने शाहरुख को किंग अंकल फिल्म के बारे में बताया और फिल्म में काम करने का ऑफर दिया। और चूंकि उस वक्त शाहरुख को राकेश रोशन ने ये भी बताया था कि किंग अंकल का रोल अमिताभ बच्चन करने वाले हैं तो शाहरुख ने फौरन राकेश रोशन का ऑफर स्वीकार कर लिया।
वैसे विवेक वासवानी का नाम आया है तो बता दूं कि विवेक वासवानी ने भी किंग अंकल में एक्टिंग की थी। जैकी श्रॉफ के सेक्रेटरी कमल का कैरेक्टर विवेक वासवानी ने ही प्ले किया था। और इस तस्वीर में बाएं से जो सबसे पहला शख्स काले कोट में दिख रहा है, वही विवेक वासवानी ही हैं।
जैसा कि मैंने शुरुआत में बताया था कि इस फिल्म का गीत,”इस जहां की नहीं हैं तुम्हारी आंखें” काफी पसंद किया गया था। ये गीत गायक नितिन मुकेश जी व महान लता मंगेशकर जी ने गाया है। इस गीत की भी अपनी एक कहानी है। संगीतकार राजेश रोशन ने ये गीत अपने भाई राकेश रोशन की किसी और फिल्म के लिए कंपोज़ किया था। लेकिन उस फिल्म में ये गीत नहीं लिया जा सका था। तब राकेश रोशन ने किंग अंकल में इस गीत को ले लिया। राकेश रोशन ने शाहरुख और नगमा पर ये गीत केन्या में फिल्माया था। और वो भी तब जब वो खेल फिल्म के कुछ सीन्स की शूटिंग करने केन्या गए थे। यानि राकेश रोशन नगमा और शाहरुख को भी साथ ले गए थे।
किंग अंकल के बाद राकेश रोशन ने कायनात नाम की एक फिल्म का अनाउंसमेंट किया था जिसमें वो शाहरुख और अजय देवगन को साथ लाने वाले थे। लेकिन वो फिल्म कभी बनी ही नहीं। उसकी जगह राकेश रोशन ने करन अर्जुन बनाई और शाहरुख-सलमान को एक साथ लाए।
I live in Jharia area of Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............