फूलन देवी का जीवनी | great Phoolan Devi Biography in hindi

डाकू फूलन देवी का जीवन परिचय : डाकू फूलन देवी की कहानी

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Phoolan Devi ji ka photo

डाकू फूलन देवी जी इस नाम से शायद ही ऐसा कोई होगा जो आज की तारीख में वाकिफ नहीं होगा। हमारे देश भारत में जब भी डाकू का जिक्र होता है तो उसमे डाकू फूलन देवी का नाम न आये ऐसा हो ही नहीं सकता है। इनके बिना हर डाकू की कहानी अधूरी रह जाती है। और डाकू फूलन देवी के बगैर चम्बल भी अधुरा लगता है वीरान लगती है। इनके चर्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर तक आज भी होती है। जिनका नाम सुनकर ही लोगो में दहशत फैल जाती थी। ऐसा नहीं कि इनसे सभी लोग डरते थे इनसे वही लोग डरते थे जिनको डरना चाहिए। जिन्होंने इनके साथ दुर्व्यवहार किया गलत काम किया। इतनी दहशत शायद आज तक किसी डाकू को लेकर हुआ होगा।

ऐसा नहीं कि उन्होंने बचपन से ही डाकू बनने का सपना था। इनकी मजबूरी थी और जरूरी भी थी। अगर आज फूलन देवी जी ने यह कदम नहीं उठाई होती तो आज पूरे विश्व के लिए एक मिसाल नहीं बन पाती। और आज बहुत सी महिलाएं घुट घुट की जिंदगी जी रही होती। शायद आज की नई पीढ़ी की महिलाओं को महान क्रांतिकारी फूलन देवी जी के बारे में पता नही है। नही तो शायद आज दुनियां में न जानें कितनी फूलन देवी जी की अवतार में होती। और आज ये हमारा देश दरिंदों की दरिंदगी से मुक्त होती। फूलन देवी डाकू कैसे बनी? आखिर वो कौन सी मजबूरी थी? वजह जानकर आपको भी हैरानी होगी।

हो सकता है कुछ लोगों को इस चीज के बारे में जानकारी हो, लेकिन जिसको नहीं पता है। उसके लिए ये हैरानी की ही बात होगी। फूलन देवी की दहशत इंदिरा गाँधी की सरकार में भी थी। क्योंकि ना उत्तर प्रदेश की सरकार फूलन देवी को पकड़ पा रही थी।। और ना ही इंदिरा गांधी की सरकार कुछ कर पा रही थी। उत्तर प्रदेश की सरकार जब फूलन देवी को पकड़ नहीं पायी तो वहाँ के मुख्यमंत्री तक को इस्तीफा देना पड़ गया था। फूलन देवी की कहानी बहुत लम्बी है बचपन से लेकर डाकू बनने तक का सफ़र। फिर उसके बाद सरेंडर, सजा काटने के बाद जेल से निकालने के बाद आम जिंदगी से शुरू करना।

और फिर राजनीति में आना फिर उसके बाद 2001 में फूलन देवी जी को कैसे और क्यों किस कारण से हत्या कर दी जाती है? कैसे हत्यारा खुद आ आकर सरेंडर करता है फिर जेल से भाग जाता है फिर पुलिस पकड़ती है।

फूलन देवी का जन्म परिवार व शिक्षा

फूलन देवी जी का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में एक मल्लाह जाति के घर में होती है। फूलन देवी जी बचपन से ही निडर थी। बहुत ही कम उम्र में दुनिया की सच्चाई से रूबरू हो चुकी थी। जिसकी बगावत उन्होंने मात्र 10 साल में ही कर दी थी। फूलन देवी की दहशत पूरे गांव में तो थी ही उनके घर वाले भी खास करके उनके पिताजी भी बहुत परेशान रहते थे। क्योंकि गांव में वो किसी से नहीं डरती थी। यहां तक कि पुलिस से भी लड़ जाती थी। और बहुत से लोगों से लड़ तक जाती थी और ऐसी ऐसी गालियां देती थी जिसको सुनकर लोग दंग रह जाते थे।

कैसे फूलन देवी की शादी नाबालिक में ही मात्र 10 – 11 साल की उम्र में उनके पिता एक अधेड़ उम्र के आदमी से बगैर फूलन देवी जी की इजाजत के शादी कर दी। फिर उसके बाद फूलन देवी पर उनके पति द्वारा अत्याचार किया जाता है। उसके साथ बलात्कार किया जाता है। क्योंकि शादी तो हो गई थी लेकिन गंवना नहीं हुआ था। कैसे फूलन देवी अपने पति से परेशान होकर बगावत कर बैठती है। पिता के घर जाने के बाद पिता भी ठुकरा देते हैं, अपनी ही बेटी फूलन देवी पर ही झूठी केस में फंसा कर उससे छुटकारा पाने के लिए जेल तक भेजवा देती है।

उसके बाद जेल में भी फूलन देवी के साथ पुलिस अधिकारी तक उसके साथ बलात्कार करती है। जेल से निकलने के बाद कैसे सब से बगावत करके चंबल के बीहड़ में पहुंच जाती है। और कैसे चंबल के डाकू से मिलकर एक एक करके सब से अपने ऊपर हुए अत्याचार का बदला लेती है। और क्यों एक साथ 22 लोगों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से फूलन देवी भुन देती है। फिर उसके बाद इंदिरा गांधी के समक्ष अपने 6 शर्तों के साथ अपना हथियार गांधी जी और दुर्गा जी की तस्वीर के सामने डाल देती है। फिर जेल से निकलने के बाद कैसे राजनीति में आती है और चुनाव जीतती है।

फिर कुछ सालो बाद क्यों फूलन देवी जी की हत्या की साजिश की जाती है। और एक दिन उसकी हत्या कर दी जाती है। हत्यारा खुद क्यों आकर पुलिस के सामने आकर सरेंडर करती है?

Phoolan Devi जी का जन्म और परिवार ( Fulan Devi family)

फूलन देवी का जन्म10 अगस्त 1963
उम्र38 साल
जन्मस्थानजालौन, जिला- गोरह, गाँव पूर्वा (उत्तर प्रदेश)
फूलन देवी के भाई2
बहन2
फूलन देवी के पति का नामपुत्ति लाल मल्लाह
फूलन देवी के पिता का नामदेवदीन मल्लाह
फूलन देवी के माता का नाममुला देवी
फूलन देवी का निधन25 जुलाई 2001

फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के एक छोटे से गोरहा गांव पूर्वा में निषाद (मल्लाह) जाति में बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। पिता का नाम देवीदीन मल्लाह और माता का नाम मूला देवी है। ये गाँव धीरे धीरे फूलन देवी की वजह से सुर्ख़ियों में आई और आगे चलकर प्रसिद्ध भी हुआ। फूलन देवी के पिता के पास छोटा सा जमीन का हिस्सा था। जिससे थोड़ी बहुत आय होती थी। और थोड़ा बहुत नाव वैगरह चला कर परिवार का भरण पोषण करता था। परिवार में कुल 6 लोग थे देवीदीन मल्लाह, उनकी पत्नी मुला देवी और 4 बच्चे जिसमे फूलन देवी सबसे छोटी थी। सबसे बड़ी फूलन की एक बहन थी उसके बाद 2 भाई थे उसके बाद चौथे नंबर पर फूलन जी थी।

फूलन देवी का घर की स्थिति बहुत ही ख़राब थी जैसे तैसे जीवन व्यतीत हो रही थी। बेहद ही गरीबी अवस्था में सब बच्चो की परवरिश हो रही थी। एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा जिससे थोड़ी बहुत आमदनी होती थी। जो इनके पास जमीन थी उसके कुछ हिस्सों पर फूलन देवी जी के चाचा ने कब्ज़ा कर कर रखा था। और उनके चाचा के कुछ बेटे भी थे जो बड़े थे, फूलन देवी जब 10 साल की थी। वहां की परवरिश जैसी थी की बाकि लड़कियों से थोड़ी अलग थी। बाकि लड़कियों की तरह शर्मीली, डरपोक या फिर किसी के दवाब में आकर डर जाये वैसी लड़की नहीं थी वो बचपन से ही निडर, बहादुर और सहनशील थी।

तुरंत पलटकर किसी के बातों का जवाब दे देती थी डरती नहीं थी किसी से, और वहां का जो रहन सहन था वहां की आम भाषा गालियाँ होती थी वो सब फूलन देवी हर उस इन्सान को देती थी जो उसके साथ लड़ाई झगड़े करती थी। जब फूलन देवी 10 साल की थी, किसी बात को लेकर घर में झगड़ा हुआ था फूलन देवी को पता नहीं था। तो मां बाप रो रहे थे कि चचा ने जमीन हड़प लिया जिंदगी कैसे कटेगी। और चाचा के लड़के बहुत तंग कर रहे हैं। जब फूलन देवी जी को ये सब बात पता चली तो फूलन देवी अपने ही चाचा से लड़ गई उसके बेटे से भी लड़ गई। और अपनी बहन के साथ वहां के स्थानीय पुलिस थाने के बाहर धरने पर बैठ गई।

उस वक्त फूलन देवी की उम्र मात्र 10 साल थी, अपने चाचा और उसके बेटे के साथ हुई लड़ाई, झगडे में फूलन देवी के चाचा के लड़के ने पत्थर से फूलन देवी जी का सर फोड़ दिया था। तो फूलन देवी ने भी इसके जवाब में अपने चाचा के बेटे पर पत्थर चला दिया। तो कुछ इस तरह की थी फूलन देवी मात्र 10 साल की उम्र में, फिर उसके बाद फूलन देवी अपने ही बस्ती के लोगो और लड़को के साथ किसी न किसी बात को लेकर अकसर लड़ाई होती रहती थी। और ये सब लड़ाई झगड़े की खबरे अब फूलन देवी के घर तक पहुँचने लगी थी।

जिसको लेकर अकसर फूलन देवी जी के घर वाले भी बहुत परेशान रहते थे। फूलन देवी को परिवार वाले बहुत समझाते थे लेकिन फूलन देवी नहीं समझते थे। जिस कारण अपने ही परिवार वालो से भी लड़ जाती थी। जिस कारण अपने ही परिवार से बन रही थी, अच्छे संबंध नहीं थे। फूलन देवी के जो भाई थे बहुत ही कम उम्र में उनकी मौत हो गई थी। सिर्फ घर में दो बहने एक फूलन देवी और उसकी एक बड़ी बहन बची थी। जमीन को लेकर फूलन देवी चाचा के साथ अकसर लड़ाई होती रहती थी।

फूलन देवी की शादी कब और किनसे हुई थी?

फूलन देवी उस वक्त सिर्फ 11 या 12 साल की रही होगी। जब उनके पिता देवीदीन मल्लाह ने गुस्से में आकर, और हर दिन किसी न किसी के साथ के झगड़े से परेशान होकर, उनकी शादी के नाम पर एक अधेड़ उम्र के आदमी से शादी कर दी। शादी भी ऐसे शख्स से कर दी थी जिसकी उम्र फूलन देवी जी की उम्र से करीब 3 गुणा अधिक थी। करीब उसकी उम्र 32 से 38 रही होगी। फूलन देवी की शादी उसी की विरादरी मल्लाह जाति में ही हुई थी। फूलन देवी के पति का नाम पुत्तीलाल मल्लाह था जो बगल के ही गाँव का रहने वाला था।

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फूलन देवी जी कि माता मुला देवी जी

बाप ने फूलन देवी की शादी गुस्से में आकर उससे शादी कर दी थी। यहीं से फूलन देवी जी की जिंदगी धीरे धीरे बदलनी शुरू होती है। शादी तो हो गई थी लेकिन बिदाई/ गंवना बालिक होने के बाद ही की जाती थी। इस तरह का रीति रिवाज पहले के ज़माने में बहुत चलता था। यह एक तरह का बाल विवाह था, शादी तो फूलन देवी जी की नाबालिक में ही हो गई थी। गंवना अभी नहीं हुई थी उसी दरमियान फूलन देवी जी के पति पुत्तिलाला मल्लाह बगैर उसके मर्जी के उसके साथ जोर जबरदस्ती करता है। और एक दिन उसके साथ बालात्कार भी करता है।

फूलन देवी का पुत्तीलाल मल्लाह पति तो था, लेकिन फूलन देवी उस समय नाबालिक थी और बगैर पत्नी के मर्जी से रजामंदी के उसके साथ संबंध बनाना अपराध है। तो ये एक तरह का रेप ही था, उसके बाद से फूलन देवी थोड़ी सहमी सहमी सी रहने लगी। और अपने पति से डरने लगी थी। उसके दिमाग में अपने पति को लेकर एक डर बैठ गया था। गंवना न होने के बावजूद भी फूलन देवी पिता देवीदीन मल्लाह गुस्से में आकर अपनी बेटी फूलन देवी को अपने पति के घर अकसर जबरदस्ती भेज देती थी। उसके बाद पति द्वारा पहले की तरह जोर जबरदस्ती और परेशान किया जाता था। और फूलन देवी घर से भाग जाती थी।

इस तरह की घटना कई बार फूलन देवी के साथ होती रहती थी। इधर इनके पिता भी इनके बार बार घर आने से परेशान हो रहे थे। जिस कारण फूलन देवी से लड़ाई होती रहती थी। पिता भी फूलन देवी से पिछा छुड़ाना चाहते थे। और जब एक दिन पहले की ही तरह भाग कर अपने पिता के घर चल आती है। तो उससे परेशान होकर उनके पिताजी ने वहां के स्थानीय थाना में FIR कर देते है। अपनी ही बेटी के खिलाफ घर में मारपीट और एक सोने की अंगूठी चुराने का इल्जाम लगाती है। पुलिस उन सब के बारे में अच्छे से जानती थी और पुलिस ने भी इसका फायदा उठाया।

पुलिस आती है और फूलन देवी को पकड़ कर ले जाती है। उसे जेल में बंद कर देती है फूलन देवी 3 दिन तक जेल में बंद रहती है। उस 3 दिन में जेल में बंद के दौरान पुलिस वाले भी फूलन देवी के साथ जबरदस्ती करता है उसके साथ योन शोषण तक करता है तब भी वो छोटी थी।

फूलन देवी जी डाकू कैसे बनी?

तो इधर फूलन का पति पुत्तिलाला मल्लाह से झगड़ा, पिता से भी रिश्ते ख़राब और फूलन के ऊपर बाप ने चोरी का इल्जाम लगाया। फिर उसके बाप ने ही जेल भेजा उसके बाद थाने में पुलिस अधिकारी ने रेप किया। इन सारी चीजो ने फूलन की जिंदगी पर गहरा प्रभाव डाला। और धीरे धीरे फूलन को बाघी बना दिया। सब से बगावत करने पर मजबूर कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद वो अपने घर आई फिर उसके बाद उसके पिता ने फूलन को अपने पति के घर भेज देती है। फूलन के न चाहते हुए भी जब फूलन ससुराल पहुँचती है। अपने पति पुत्तिलाला मल्लाह के घर तब तक उनका पति पुत्तिलाला मल्लाह दूसरी शादी कर चुका होता है।

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जब फूलन देवी जी बहुत से लोगों के बीच अपने साथियों के साथ पुलिस के हवाले किया

अपने पति के साथ कुछ दिन तक फूलन देवी रहती है। उसके बाद उनके साथ मारपीट होती है इस बार ससुराल वाले शादी में जितने भी सामान दिए थे। सारा सामान के साथ फूलन को अपने गाँव पिता जी के पास भेज देती है। अब अपने पति से भी अलग हो चुकी थी। अपने पिता से भी झगड़े के कारण आपस में बनती नहीं थी। तो जब फूल गाँव लौटी थी तब फूलन देवी से कुछ अनजान लोगो से जान पहचान हो चुकी थी। जो उसी गाँव के रहने वाले थे और मल्लाह जाति के ही लोग थे। और चम्बल में अलग अलग डाकुओ के गैंग में काम करते थे। और तब तक मल्लाह जातियों के बीच फूलन के बारे में बहुत से चर्चे हो रहे थे।

उनके बारे में सब को पता था कि किस तरह सब से वो लड़ जाती है। हर किसी से बगावत कर बैठती है, एकदम मुंहफट थी किसी को भी जवाब दे देती थी और गाली भी दे देती थी। किसी को भी पत्थर मार देती थी, कई दिनों तक जेल में भी रह चुकी थी। उसी दरमियान 1979 में एक दिन फूलन देवी अचानक चम्बल के बीहड़ में डाकुओं के नजदीक पहुँच जाती है।

फूलन देवी चम्बल के बीहड़ में कैसे पहुंची? इसका मुख्य कारण क्या है?

फूलन देवी का चम्बल के डाकुओं के नजदीक पहुँचने का मुख्य 2 वजह बताई जाती है या फिर मानी जाती है।

  1. पहली जो कहानी है वो ये है कि चम्बल के बीहड़ में अधिकांश डाकू मल्लाह जाति के ही लोग हुआ करते थे। तो उनमें से मल्लाह के कुछ डाकुओं को फूलन देवी के बारे में सब पता थी, की कैसे फूलन देवी जी बाघी बनी सब से झगड़ा करती है। तो ये हमारे पेशे में बहुत काम आयेगी तो इस कारण से वो लोग फूलन को समझा बुझा कर अपने साथ चम्बल के बीहड़ में ले गया होगा।
  2. फूलन देवी का चम्बल पहुँचने की दूसरी कहानी ये थी की चम्बल के ही गैंग के डाकू ने फूलन देवी जी को किडनैप करके चम्बल के बीहड़ में ले लेकर गया। उनकी दबंगई देखकर डाकू बनाने के इरादे से।
Phoolan devi husband photo

और जब फूलन देवी जी का interview किया गया था और उनसे ये सवाल पूछा गया था। कि चम्बल जाने के पीछे की कहानी क्या है? तो फूलन देवी जी ने भी अलग ही जवाब दिया था फूलन देवी ने भी सच्चाई नहीं बताई थी। उसने साफ जवाब नहीं दिया था। उसने कहा था शायद किस्मत को मंजूर था, और शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था चम्बल जाना। इसलिए मैं चम्बल पहुँच गई। ये अपनी मर्जी से गई या फिर उन्हें डाकू किडनैप करके ले गई फूलन देवी ने साफ नहीं किया।

फूलन देवी जी डाकू के किस गैंग में शामिल हुई थी?

फूलन देवी 1979 में चम्बल पहुंचती है फूलन का चम्बल पहुँचने के बाद जिस डाकू के गैंग में शामिल होती है। उस गैंग के सरदार का नाम बाबु गुर्जर था। और उसी गैंग का जो दूसरा लीडर था वो था विक्रम मल्लाह जो उसी विरादरी से आते थे। जिस विरादरी से फूलन देवी जी आती थी मल्लाह जाति से। तो फूलन को लेकर विक्रम मल्लाह के दिल में आदर का भाव था। यानि उसके साथ बड़े ही सलीके से पेश आते थे। और विक्रम मल्लाह को फूलन की सारी कहानी पता थी। फूलन बाबु गुर्जर के गैंग में शामिल तो हो जाती है। लेकिन बाबू गुर्जर की बुरी नजर फूलन पर थी और एक रात बाबू गुर्जर ने फूलन के साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश करता है।

फूलन के शोर मचाने पर उसी गैंग के दुसरे नंबर मेम्बर जो कि लीडर था विक्रम मल्लाह वहां आता है, और सारा माजरा पता चलने के बाद विक्रम मल्लाह और बाबु गुर्जर के बीच लड़ाई छिड़ जाती है। और दोनों के बीच जबरदस्त लड़ाई होती है, और लड़ाई के दौरान ही विक्रम मल्लाह बाबू गुर्जर को गोली मर देता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। इस बात को लेकर गैंग में अलग ही बात होती कि कैसे फूलन के खातिर विक्रम मल्लाह अपने ही गैंग के सरदार को मार दिया। चूँकि विक्रम मल्लाह पहले से ही शादी शुदा थे बाबू गुज्जर को मारने के बाद खुद विक्रम मल्लाह गैंग का सरदार बन जाता है।

उसके बाद विक्रम मल्लाह और फूलन के प्यार के चर्चे पुरे गैंग में होने लगती है। विक्रम मल्लाह गैंग की पूरी कमान संभालने के बाद विक्रम मल्लाह फूलन को बाकायदा बंदूक/राइफ़ल चलाना भी सिखाते हैं। कैसे एक डाकू का जीवन होता है डाकू में क्या क्या खूबियां होनी चाहिए। वो सारी चीजे फूलन देवी को विक्रम मल्लाह सिखाते हैं और बताते हैं। उसके बाद चंबल के डाकू विक्रम मल्लाह के गैंग उस समय छोटी मोटी किडनैपिंग का काम, सुनसान सड़कों पर जा रही गाड़ियों को रोककर छिनतई करना, थोड़ी बहुत डकैती करते थे, तो कुछ तरह डाकुओं की ज़िन्दगी कट रही थी। 

तो फूलन के गैंग में पूरी तरह घुल मिल गई थी, एक दिन विक्रम मल्लाह से कहकर पूरी गैंग के साथ अपने पति पुत्ती लाल मल्लाह के गांव जाती है। गांव पहुंचने के बाद अपने पति पुत्ती लाल मल्लाह को उसके घर से घसीट कर बाहर चौराहे पर लाती है। और उसे पूरी तरह फूलन देवी पिटती है। और लगभग अधमरा करने के बाद फूलन जी पुत्ती लाल मल्लाह को छोड़ देती है। एक संदेश के साथ, कहती है की अगर कोई अधेड़, बुजुर्ग, बुढ़ा आदमी किसी नाबालिक छोटी लड़की से शादी करने की कोशिश करेगा उसको फूलन देवी बीच चौराहे पर गोली मार देंगी।

क्योंकिफूलन खुद इन परिस्थितियों से गुजर चुकी थी। ऐसे हालातों को वह झेल चुकी थी, उनको एहसास था। उसके गांव में दोबारा ऐसा किसी के साथ ना हो इसलिए यह संदेश देती है। इसके बाद फूलन लौट जाती है। और ऐसे ही छोटी मोटी लूटपाट चलती रहती है लेकिन अभी तक फूलन सुर्खियों में नहीं आई थी। 

विक्रम मल्लाह के गैंग में फुट क्यों पड़ती है? विक्रम मल्लाह की हत्या किसने की?

जो बाबू गुर्जर का जो गैंग था जिसका सरदार विक्रम वाला था उसी गैंग के दो खास डाकू श्रीराम और लालाराम किसी क्राइम सीन से पुलिस पकड़ लेती हैं। दोनो को जेल भेज देती हैं कुछ समय के पश्चात् दोनों डाकू छूट जाते हैं और वापस चंबल पहुंच जाते हैं। चंबल पहुंचने के बाद इन दोनों को सारी खबर मिल चुकी थी कि बाबू गुर्जर की मौत हो गई है। जिसको विक्रम मल्लाह ने फूलन के खातिर मार दिया। तो इस घटना से श्रीराम और लालाराम का विक्रम मल्लाह और फूलन से दुश्मनी हो जाती है। तो श्रीराम और लालाराम ऊंची जाति से आते थे जो राजपूत जाति से थे, तो श्रीराम और लालाराम के जेल से बाहर आने के बाद गैंग में फूट पड़ती है।

उस गैंग में मल्लाह भी थे लेकिन बाबू गुर्जर के मौत के बाद इस गैंग में फूट पड़ती है। और उन दोनों को भी यही कहना था कि बाबू गुर्जर को विक्रम मल्लाह ने फूलन के ख़ातिर मारा है। फुट पड़ने के बाद श्रीराम और लालाराम चाहते थे कि गैंग में राजपूतों का वर्चस्व हो लेकिन विक्रम मल्लाह चाहते थे कि मल्लाहों के वर्चस्व हो। तो जाति को लेकर इस गैंग में फूट पड़ चुकी थी। तो राजपूतों की संख्या ज्यादा थी तो बाकी के भी राजपूत श्रीराम और लालाराम के गैंग में हो लिए। और बाद में श्रीराम लालाराम और विक्रम मल्लाह के बीच लड़ाई होती है। इस लड़ाई में विक्रम मल्लाह मारे जाते हैं, श्रीराम लालाराम ने विक्रम मल्लाह को गोली मार दी।

उसके बाद श्रीराम लालाराम और उसके गैंग के लोग फूलन को किडनैप करके अपने गांव ले जाते हैं। उत्तर प्रदेश का एक गाँव है जिसका नाम बेहमई है। वहां ले के गए और उस गांव में करीब 3 हफ्ते तक फूलन को एक घर में बंद करके रखा और 3 हफ्ते तक फूलन देवी के साथ एक-एक करके कई सारे लोग उनके साथ बलात्कार किया।

बेहमई गांव का रहने वाला एक शख्स जो मल्लाह जाति का ही था, और विक्रम मल्लाह के दो और साथी को जब पता चलता है की फूलन को बेहमई गांव के एक घर में बंदी बना रखा है। तब किसी तरह उस गांव तक पहुंचते हैं, और किसी तरह उस कमरे से फूलन को आजाद करके फिर से बीहड़ के जंगलों में ले आते हैं। विक्रम मल्लाह के 2 साथी में से एक का नाम था मानसिंह मल्लाह जो विक्रम मल्लाह के गैंग का ही था। पुनः चंबल के बीहड़ में पहुँचने के बाद यह लोग मल्लाहो को एकजुट करना शुरू करते हैं और एक पूरी मल्लाहओ का गैंग बनाते हैं।

और फूलन खुद उस गैंग की लीडर बनती है उसके बाद से फूलन और मानसिंह मल्लाह के बीच प्रेम प्रसंग चलता है। उसके बाद फूलन लूटपाट करना शुरू करती है। लूटपाट भी अधिकांश बड़े विरादरी के लोगों के साथ ही करती है। फूलन चोरी डकैती करने के बाद अपने ही जाति के लोगों की मदद करते थे। गाँव के शादी – विवाह समारोह में फूलन दान अनुदान ज्यादा करती थी। जिससे कि उनका एक अलग ही इमेज बने। जिससे कि लोगों का भरोसा भी जीत सके जिससे कि कोई भी गांव के लोग पुलिस को उनके बारे में मुखबिरी ना का करे, जिससे उन लोगों को खतरा हो सकता था। 

और ये डाकुओं के लिए बेहद ही जरूरी भी होता है, लोगो का भरोसा जितना। क्योंकि कोई उनके बारे मे गाँव के लोग पुलिस से मुखबिरी न कर दे। और गांव से ही डाकुओं की अनाज की पूरी होती थी, गांव के लोग ही डाकुओं तक अनाज पहुंचाते थे।

फूलन देवी श्रीराम और लालाराम गैंग से बदला कैसे लेती है?

फूलन के साथ हुए उस गैंग रेप के ठीक 7 महीने बाद 14 फरवरी 1981 को अपनी पूरी गैंग के साथ बेहमई गांव पहुंचती है। उसी बेहमई गांव में जहां फूलन के साथ करीब 3 हफ्ते तक बलात्कार हुआ था। किसी तरह फूलन को पता चला बेहमई गांव में एक राजपूत परिवार में किन्ही की शादी है। तो फूलन देवी जी पक्का थी कि श्रीराम लालाराम के गैंग के लोग ज़रूर उस शादी में आयेंगे। तो शादी के दिन फूलन अपने गैंग के साथ जो कि पुलिस की वर्दी में गई थी ताकि किसी को शक़ ना हो। उसके बाद शादी समारोह में डाकू श्रीराम लालाराम के गैंग के लोगों को ढूंढना शुरू करते हैं।

और किसी तरह शादी में दो लोग ही मिल पाते हैं जो श्रीराम लालाराम के गैंग के थे। उसे पकड़ने के बाद उन्हें खूब पीटते हैं और बाकी के लोगों का पता पूछते हैं। बाकी लोग गांव से भाग चुके थे, फूलन देवी उस समय बेहद ही गुस्से में थी। बाकी लोगों के ना मिलने पर अपने गैंग से कहती है कि इस शादी में जितने भी लोग है। खासकर करके राजपूत समुदाय के लोग सिर्फ मर्दों को पकड़ कर एक लाइन में खड़ा करो। उसके बाद 22 राजपूत समुदाय के मर्द हाथ लगते हैं और उसके बाद 22 लोगो को एक साथ एक लाइन में खड़ा करते हैं।

उसके बाद फूलन मुयाना करती है उसके बाद फूलन के आग्रह पर गैंग के लोग उन 22 लोगों को राइफ़ल की गोलियों से भून देते हैं। जिनमे से सभी की मौत हो जाती है। सब को मारने के बाद पूरी गैंग वहाँ से निकल जाती है। और अगले ही दिन ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल चुकी थी। और तब फूलन देवी जी का नाम घर घर पहुंचता है। पूरे देश को पता चल जाता है कि कैसे फूलन देवी जी 22 लोगों एक साथ गोलियों से भुन दिया। 

फूलन देवी एक साथ 22 लोगो को क्यों मारी? Bandit Queen नाम कैसे पड़ा?

फूलन देवी 22 लोगों को एक साथ मारने के पीछे की कहानी एक ये थी। कि इसे मार कर बदले की शुरुआत तो कर दी ही थी। साथ ही जब विक्रम मल्लाह जब जिन्दा थे तब विक्रम मल्लाह ने फूलन से कहा था कि तुम बदला लोगी तो तुम एक को मारोगी दो को मारोगी उससे उन लोगों कुछ ज्यादा फर्क़ नहीं पड़ने वाला है। तुम एक को भी मारोगी तो फांसी होगी और जब 20 लोगों को भी मारोगी तो फांसी ही होगी। और जब तुम 20 लोगों को एक साथ मारोगी तो तुम्हारा नाम होगा, प्रसिद्धी मिलेगी। नाम होने पर बहुत से काम होंगे तो ये बात फूलन के दिमाग में घर कर गई थी।

जिस वजह से फूलन एक साथ 22 लोगों को मारने का निर्णय लेती है और एक साथ 22 लोगो को मारती है। 14 फरवरी 1981 की बेहमई की घटना सब को याद रहा, ये खबर न्यूज़ और मीडिया में आने के बाद मीडिया के माध्यम से फूलन का दूसरा नाम Bandit Queen पड़ा।

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फूलन देवी जी की वजह से UP के CM को इस्तीफा क्यों देना पड़ा?

फूलन ने जब 22 लोगो को एक साथ मारा था, तो ये मामला राजनिति जोड़ पकड़ ली। इस घटना को लेकर उस क्षेत्र में खूब हंगामा हुआ। और इस घटना का जिक्र अब राजनीति में होने लगी थी, और इस पर सवाल भी खड़े किये जा रहे थे। और राजनीति भी होने लगी थी। नीची और ऊंची जातियों के लेकर ये मामला और भी गहराने लगी थी। जगह जगह धरना प्रदर्शन किये जा रहे थे। और उस समय UP के मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह थे और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। फूलन की गिरफ्तारी को लेकर UP सरकार पर बहुत ज्यादा दबाव था, लेकिन फूलन पुलिस के चंगुल में नहीं आती है।

फूलन की गिरफ़्तारी न होने की वजह से और मजबूर होकर UP के मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा। उसके बाद भी फूलन गिरफ्त में नहीं आ रही थी, कई जगहे छापे पड़े लेकिन फूलन देवी पकड़ में नहीं आई। भले फूलन के गैंग के कुछ लोग पकड़े जाते हैं। और कुछ भागने के दरमियान उनका एनकॉउण्टर भी किया गया। इस घटना के दो साल गुजरने के बाद भी फूलन पुलिस की गिरफ्त में नहीं आई। उसके बाद से फूलन का नाम और बड़ा हुआ और बाकी दुश्मनों को भी धीरे धीरे खत्म किया। तो उस समय भिंड के एसपी थे राजेंद्र चतुर्वेदी भिंड और चंबल लगभग सटे हुए है।

तो राजेंद्र चतुर्वेदी इस घटना से पूर्व भी फूलन को सरेंडर को लेकर मुखबिरी के माध्यम से सोर्स से बात कर रहे थे। और घटना के बाद भी कोशिश कर रहे थे। फूलन देवी और राजेंद्र चतुर्वेदी के बीच थोड़ी बहुत खबरी के जरिए बात हो रही थी। लेकिन कुछ बात नहीं बन रही थी, और फिर उसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी एक पहल शुरू करते हैं। और कहते हैं घटना के आज करीब दो साल हो चुके हैं, लेकिन डाकू फूलन देवी अभी तक हमारे हाथ नहीं आई। तो इसमें इंदिरा गाँधी ने कहा कि ऐसा करते है उनसे किसी तरह बातचीत करने का सबसे पहले रास्ता निकाला जाये।

उनसे किसी तरह बात किया जाए और अगर फूलन सरेंडर करने को राजी होती है तो हम भी शांतिपूर्वक तरीके से उसके साथ पेश आयेंगे। उन्हें किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएंगे ये मेरा वादा है। उसके बाद भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी और जोर शोर से फूलन से, सोर्स के जरिए सम्पर्क करना साधना शुरू करते हैं। और बहुत कोशिश के बाद फरवरी 1982 में सरेंडर करने को राजी हो जाती हैं, लेकिन फूलन की कुछ शर्ते थी। उधर फूलन के गैंग के लोग धीरे धीरे मारे जा रहे थे, और फूलन के गैंग कमजोर पड़ती जा रही थी। और फूलन देवी बीमार भी रहने लगी थी। सेहत धीरे धीरे कमजोर हो रही थी, फूलन देवी जो अब इलाज की भी जरूरत थी तो सरेंडर करने के पीछे एक ये भी वजह हो सकती है। 

फूलन देवी जी के सरेंडर करने की 6 शर्ते कौन कौन सी थी?

जब इंदिरा गाँधी जी की सरकार ने फूलन देवी जी से सरेंडर को लेकर बात हुईं तो फूलन देवी ने अपनी 6 शर्ते रखी थी।

  1. फूलन देवी की पहली जो शर्त थी वो ये थी कि वो UP में सरेंडर नहीं करेगी, उन्हें UP पुलिस पर एक जरा सा भी भरोसा नहीं है।
  2. फूलन देवी की दूसरी शर्त ये थी कि वो MP में सरेंडर करेगी, और उस वक़्त MP के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे, और उन्हीं के उपस्थिति में ही सरेंडर करेगी। 
  3. फूलन देवी की तीसरी शर्त ये थी कि वो पुलिस वालों के सामने अपना हथियार नहीं डालेगी। वो अपना हथियार वहाँ डालेगी जहाँ महात्मा गांधी जी और दुर्गा मां की तस्वीर होगी। फूलन देवी जी दुर्गा मां की बहुत बड़ी भक्त थी, और अक्सर दुर्गा मां की मंदिर जाया करती है। 
  4. चौथी शर्त ये थी कि वो सरेंडर के बाद खुद फूलन देवी और उनके गैंग के किसी भी सदस्य को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। 
  5. फूलन देवी की पाँचवी शर्त ये थी कि उसके गैंग के किसी भी मेम्बर को 8 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगी। और सजा पूरा होने के उन्हें सरकार जमीन allot करेगी ताकि वो शराफत की ज़िन्दगी बसर कर सके अपना परिवार बना सके। 
  6. छठी शर्त ये थी कि जब वो सरेंडर करेगी तो उसके जितने भी परिवार में मेम्बर हैं वो वहाँ सब मौजूद होने चाहिए। और सरेंडर करते समय उन्हें सामने से देखें ये सब फूलन देवी जी के शर्ते थी। फूलन देवी की ये सारी शर्तों को सरकार मान लेती है। और शांतिपूर्वक मामले को सुलझाने का वायदा भी करती है।

और आख़िरकार फरवरी 1982 में फूलन देवी भिंड के एक ग्राउंड में सरेंडर करती है जो पहले से जगह तय थी। पुलिस के करीब 300 से 400 जवान ग्राउंड के चारो तरफ मौजूद थे। और करीब 16000 – 18000 लोग वहाँ मौजूद थे। सिर्फ फूलन देवी जी सरेंडर करते हुए देखने के लिए। जिस भीड़ को काबु करना पुलिस के लिए मुश्किल हो रही थी। उसके बाद फूलन देवी जी और उनका गैंग उस भिंड के ग्राउंड में प्रवेश करना शुरू करती है। और अपनी शर्त के अनुसार एक एक करके सब दुर्गा मां और महात्मा गांधी जी के तस्वीर के सामने अपना हथियार डाल कर सरेंडर करते हैं।

उसके बाद फूलन देवी और उसके गैंग को पुलिस जेल ले जाती है। और जेल में बंद कर देती है, उनके खिलाफ कानूनी दस्तावेज/काग़ज़ों पर करीब 48 अपराध के मामले दर्ज थे। लेकिन हैरत की बात ये थी कि फूलन देवी जी को 1982 में जेल में डालने के बाद अगले 11 साल तक फूलन देवी जी के ऊपर दर्ज मामले में किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई और कोर्ट की सुनवाई होती ही नहीं है। 11 साल तक बिना चार्जशीट के फूलन देवी जी जेल में पड़ी रही चूंकि फूलन देवी जी का तबीयत भी खराब थी। तो उस दौरान बाकायदा फूलन देवी जी का इलाज भी करवाया जाता है।

फूलन देवी जी का Uterus यानि गर्भाशय क्यों निकाल दिया गया?

फूलन देवी जी का दो – दो ऑपरेशन भी किया जाता है, एक ऑपरेशन तो फूलन देवी जी को बगैर बताये, बगैर इजाजत लिए बगैर जानकारी दिए जिसकी जानकारी उनके घर वालो की भी नहीं दी जाती है। क्योंकि गर किसी बता देता तो कभी ये आपरेशन हो ही नहीं पाता। क्योंकि ये आपरेशन था ही कुछ ऐसा की किसी को बता नहीं सकता था। बड़े ही ख़ुफ़िया तरीके से चोरी चुपके फूलन देवी जी के अन्दर से ऑपरेशन के जरिए Uterus यानि गर्भाशय निकाल दिया जाता है। ऐसा एक रिपोर्ट सामने आया है बहुत से लोगों को इसके बारे में पता है, लेकिन ऐसा कुछ ऑपरेशन हुआ, कुछ लोग नहीं मानते है।

फूलन देवी का Uterus (गर्भाशय) निकालने की पीछे की वजह क्या थी?

जहाँ तक कुछ लोगों को जो लग रहा है देश में ऐसा पहली बार हुआ जब सरकार को भी कहीं ना कहीं डर था। कि जेल से रिहा होने के बाद गर फूलन देवी जी अपना घर बसाती है। और गर उनके कोख से फूलन देवी जी जैसी ही कोई दूसरी पैदा हो जाये। और बड़ा होने पर इससे भी बड़ा तहलका न मचा दे जिस कारण से बगैर फूलन देवी जी को बताए और ना ही उसके घर वालों को बताए बगैर उनके इजाजत के ऑपरेशन करके उनके अन्दर से Uterus (गर्भाशय) निकाल दिया जाता है। ताकि देश में फिर से कोई दूसरी फूलन देवी (Bandit Queen) पैदा ना हो सके।

Phoolan Devi death date : फूलन देवी की मृत्यु कैसे हुई?

साल 2001 में केवल 38 साल की उम्र में फूलन देवी जी की हत्या कर दी गई थी। दिल्ली में सरकारी आवास के बाहर ही 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी जी की एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई। फूलन देवी के हत्यारे ने इस हत्या को ठाकुरों की सामूहिक हत्या का बदला का नाम दिया है। To be continue

    Where is Phoolan devi born?

    Jalaun District Gorah village Purva (UP)

    When did Phoolan devi born?

    10 August 1963

    Is Phoolan devi still alive?

    No

    What is the age of Phoolan devi?

    38 years

    Who made the film Bandit Queen?

    Shekhar Kapoor film made without Phoolan devi permission.

    Who was known as the Bandit queen?

    Phoolan Devi.

    How Phoolan devi was killed?

    दिल्ली में सरकारी आवास के बाहर ही 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी जी की एक साजिश के तहत हत्या कर दी गई।

    What is the meaning of Phoolan devi?

    Bandit queen.

    Who killed Phoolan devi?

    Sher Singh Rana.

    Who is husband of Phoolan devi?

    Congress Leader Umed Singh

    फूलन देवी किस जाति की थी?

    फूलन देवी मल्लाह जाति यानि मछुआरा समुदाय की थी

    फूलन देवी की मृत्यु कब हुई थी?

    25 जुलाई 2001

    फूलन देवी के कितने बच्चे है?

    एक भी नहीं

    फूलन देवी किस जिले की थी?

    जालौन जिला, गोरहा गाँव (उत्तर प्रदेश)

    फूलन देवी शहादत दिवस

    25 जुलाई

    फूलन देवी पति

    उमेद सिंह

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    Dipu Sahani
    Dipu Sahani

    I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............

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    Pinki yadav
    Pinki yadav
    2 years ago

    Phoolon Devi ji ne jo bhi kiya bahut achha kiya tha…. kyoki wo bhi thak gyi thi ..Darindo se jo hmesha unhe pareshan krte rahte the..

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