महान मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन परिचय : Major Sandeep Unnikrishnan Family, wife, childrens, Age, Photo, Last word,संदीप उन्नीकृष्णन का लव स्टोरी,
Sandeep Unnikrishnan birthday
15 मार्च 1977
Sandeep Unnikrishnan birth place
कोड़िकोड गाँव (केरल)
Sandeep Unnikrishnan age
मात्र 31 साल के थे
Sandeep Unnikrishnan father name
के. उन्नीकृष्णन
Sandeep Unnikrishnan name
धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन
Sandeep Unnikrishnan brother sister
कोई भाई बहन नहीं है अकेले थे
Sandeep Unnikrishnan father occupation
इसरो के अफसर
Sandeep Unnikrishnan school name
Frank Anthony public school Bangluru
Sandeep Unnikrishnan collage name
Sandeep Unnikrishnan education
आर्ट्स में ग्रैजवैशन
Sandeep Unnikrishnan Occupation
NSG में कमांडर (टीम लीडर)
Sandeep Unnikrishnan wife name
नेहा उन्नीकृष्णन
Sandeep Unnikrishnan childrens
संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) जी को बहुत ही कम लोग जानते होंगे। लेकिन जो एक सच्चा देशभक्त होगा वो इन्हें अच्छे से जानता होगा इनके रग रग से वाकिफ होंगे। एक ऐसा शूरवीर जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। इन्होंने अपने टीम के साथियों तक को अंत की लड़ाई में जानें नही दिया कहा मैं अकेले ही आतंकवादियों को संभाल लूंगा आप लोगों को आने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी ऐसे महान और देशभक्त तो करोड़ों में एक जन्म लेते हैं जो देश की सेवा में अपनी जान की फिक्र किए अपनी जान देने के लिए तैयार रहते हैं।
आज हमारे देश में ऐसे बहुत से परिवार है जिन्होंने अपने इकलौते बेटे को खोया है। वह मां-बाप पर आखिर क्या गुजर रही होगी कैसे वो मां बाप अपने बेटे को भारत देश की रक्षा के लिए देश को समर्पित कर देते हैं। बगैर कुछ सोचे समझे आखिर क्या वजह रहती है, तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह देशभक्त है। देश प्रेमी होना भी एक अलग नशा है, एक वही इंसान होता है जो अपने देश से प्यार करता है जो अपने देश की अहमियत को समझता है।अपना कर्तव्य को समझता है और देश की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह ना करते हुए हर वक्त हर पल कहीं भी जान देने के लिए निछावर हो जाते हैं।
और आज भी ऐसे बहुत से युवा हैं जो देश की सेवा करना चाहते हैं और उसके लिए दिन रात मेहनत भी करते हैं, और उसका फल भी उन्हे मिलता है उन्हें एक पहचान मिलती है। एक परिवार चाहे तो अपने बेटे बेटियों को पढ़ा लिखा कर फौज में ना भेज कर किसी और क्षेत्र में भेज सकते हैं जैसे उसे डॉक्टर बना सकते हैं, इंजीनियर बना सकते हैं। अपना खुद का बिजनेस चला सकते हैं विदेश में सेटल कर सकते हैं और वैसे बहुत से जगह है जहां जान जाने का डर नही होता है सुरक्षित रहता है। लेकिन आज बहुत से युवा ये सब में न जाकर फौज में जानें के लिए उत्सुक रहते हैं।
संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म, परिवार वा शिक्षा (Sandeep Unnikrishnan birth, family & Education)
संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च सन् 1977 को केरल के एक गांव कोंजीकोड़ में हुआ था। संदीप उन्नीकृष्णन अपने परिवार के इकलौते संतान थे, संदीप उन्नीकृष्णन हमेशा से ही देश की सेवा करना चाहते थे। स्कूल में भी जब कोई नाटक का कार्यक्रम होता था तो वो हमेशा फौजी ही बनते थे। संदीप उन्नीकृष्णन कभी भी देश सेवा से पीछे नहीं हटे और उनके परिवार वालों ने भी उनका बहुत सपोर्ट किया। उनके माता पिता ने कभी भी संदीप उन्नीकृष्णन को फौज में जाने से मना नहीं किया। संदीप उन्नीकृष्णन मलयालम परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
संदीप उन्नीकृष्णन के पिता का नाम के. उन्नीकृष्णन है जो इसरो (इसरो) के अधिकारी भी रह चुके हैं। उनकी माता जी का नाम धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन है, जो एक गृहणी है।
संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे, Frank Anthony public school Bangluru से पढ़ाई की। स्कूल के टाइम से ही संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) ने सोच लिया था कि वह एक आर्मी ऑफिसर बनेंगे आर्मी में जाएंगे। स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी ( NDA) की एग्जाम दी और उसे एक बार में पास भी कर ली।
संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) का आखरी शब्द था अपने साथियों के लिए कि तुम लोग ऊपर मत आना मैं आतंकवादियों के लिए अकेला काफी हूं। 26 नवंबर 2008 को जब मुंबई पर आतंकवादियों का हमला हुआ साल 2008 में संदीप उन्नीकृष्णन के उम्र मात्र 31 साल थी। कुछ वक्त तक संदीप उन्नीकृष्णन सेना का हिस्सा होने के बाद साल 2007 में एनएसजी (NSG) यानी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड को बतौर कमांडो के रूप में ज्वाइन किया था।
Sandeep Unnikrishnan Taj hotel Opration, Black tarnado Opration
मुंबई के ताज होटल में आतंकवादियों के छुप जाने के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने उसे पकड़ने की बहुत कोशिश की उनके बीच बहुत मुठभेड़ भी हुआ और बहुत हद तक सफल भी हुए लेकिन जब आतंकवादियों ने होटल में ठहरे हुए गेस्ट लोगों को अपने कब्जे में ले लिया और मारने लगे तो महाराष्ट्र पुलिस उस पर काबू पाने में असफल नजर आ रहे थे तो उसके बाद आतंकवादियों से निपटने के लिए एनएसजी (NSG) कमांडो को बुलाया गया।
28 नवंबर 2008 को रात के करीब 1:00 बजे का समय था, जब मेजर संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) की टीम Y शेप में सीढ़ियों के द्वारा बड़ी सावधानी पूर्वक बढ रही थी। जैसे जैसे ऊपर जा रहे थे और जब ऊपर पहुंचे तो वह पर घना अंधेरा छाया हुआ था क्योंकि आतंकियों ने वहां पर कोहराम मचा दिया सारे लाइट तोड़फोड़ कर दी गई थी। जिसकी वजह से वहां अंधेरा हो गया था, मुंबई के ताज होटल के बाहर फायर ब्रिगेड वाले भी मौजूद थे और आतंकियों ने जो ताज होटल में आग लगाई उनके हमले से जो आग लगी थी,
उसको बुझाने का प्रयास भी फायर ब्रिगेड वाले कर रहे थे। पूरी सीढ़ियों पर और हर जगह पानी फैला हुआ था।
जब एनएसजी (NSG) के कमांडो ऊपर पहुंचे तो आतंकवादियों ने अंधाधुन गोलियां चलानी शुरू कर दी, एनएसजी (NSG) की टीम संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) के साथियों ने दरवाजे पर पोजीशन लिए खड़ी थी। उसके बाद सीढ़ियों पर एक ग्रेनेड गिरा जो आतंकवादियों ने फेंका उसके बाद जोर का धमाका हुआ। और ऊपर से आतंकवादी एके-47 से फायरिंग कर रहे थे, आतंकवादी अपने काम में सफल इसलिए हो पा रहे थे क्योंकि वे ऊपर थे और वह पर से सब कुछ बड़े आसानी से देख सुन सकते थे।
बावजूद उसके संदीप उन्नीकृष्णन अपने टीम के साथ आगे बढ़ रहे थे फिर अचानक से ग्रेनेड आतंकवादियों के द्वारा फेका जाता है और फिर से ब्लास्ट होती है।
26/11 (26 अक्टूबर 2008) के मुंबई हमले के दौरान लश्कर ए तोइबा के आतंकवादी मुंबई के होटल ताज पैलेस में छुप गए थे। ताज होटल में जो लोग ठहरे हुए थे उनको आतंकवादियों ने बंधक बना लिया था तो बहुत से लोग घायल भी हुए और मारे गए। ताज होटल को भी काफी नुकसान भी पहुंचाया। मुंबई में उस वक्त हर तरफ खौफ, दहशत, डर, मौत का मंजर नजर आ रहा था। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26/11 हमला के दौरान आतंकियों से निपटने के लिए महाराष्ट्र पुलिस के जवानों से लेकर देश के NSG के कमांडो तक अपनी जान की परवाह ना करते हुए आतंकवादियों का सामना किया।
जिसमें संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) का एक साथी कमांडर सुनील बुरी तरह घायल हो गाय था। दो गोलियां उनको छाती में लगी और पांच गोलियां अन्य जगह पर लगी उनको 7 गोलियां लगी थी। साथी के घायल होने के बाद उसके इलाज के लिए तुरंत उसे भेज दिया गया उसके बाद संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) अकेले बगैर बैकअप के अकेले आतंकवादी की तरफ आगे बढ़ गए। उन्हें कवर करने के लिए कोई नहीं था, संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) को बार-बार उनके कर्नल के द्वारा वापस आने का निर्देश दिया जा रहा था लेकिन संदीप उन्नीकृष्णन आने से इंकार कर रहे थे।
उनके साथियों को लग रहा था कि संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) आतंकवादियों के बहुत करीब पहुंच चुका है जिसके कारण वह जवाब नहीं दे पा रहा। धीरे-धीरे संदीप उन्नीकृष्णन आतंकवादियों के करीब पहुंच चुके थे, आतंकवादियों की गोली से संदीप उन्नीकृष्णन थोड़े से घायल जरूर हुए थे आतंकवादियों का एक गोली संदीप उन्नीकृष्णन के हाथों से आर पार हो चुकी थी। गोली लगने के बावजूद भी संदीप उन्नीकृष्णन हारने वाले और आतंकियों का पीछा करते हुए और उसके ठिकाने पर पहुंच गए। NSG की 51 की टीम थी जिसका कमांडर संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) ही थे।
जब संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) घायल लोगों को बाहर निकाल रहे थे तो उस दरमियान एक आतंकवादी ने पीठ पीछे वार कर दिया जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया। बावजूद उसके संदीप उन्नीकृष्णन 15 लोगों को बाहर निकाल चुके थे जो अतंगवादियों के कब्जे में थे। और उधर 26 नवंबर 2008 की सुबह 3:00 बजे तक जितने भी लोग आतंकवादियों के कब्जे में था उसे अन्यगवादियों के कब्जे से छुड़ा लिया गया था। और उस समय तक संदीप उन्नीकृष्णन का कोई अता पता नहीं था वह कहां पर है किस हालत में है
उसके कर्नल ने उसे खोजने की बहुत कोशिश की। सुबह होने के बाद करीब सुबह 10:00 बजे संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) का मृत शरीर होटल से निकाला गया।
उनके शरीर में बहुत सी गोलियां लगी थी उनके सिर में भी कई गोलियां आर पार हो चुकी थी, संदीप उन्नीकृष्णन NSG के पहले कमांडो थे जो मुंबई हमले में शहीद हो चुके थे। मरणोपरांत संदीप उन्नीकृष्णन को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया, दाहिने हाथ में गोली लगने के बावजूद भी वह आतंकवादियों के साथ लड़ते रहे और अपने घायल साथी को जाने को कहा। संदीप उन्नीकृष्णन (Sandeep Unnikrishnan) के स्मरण के तौर पे उनके नाम से एक सड़क के नाम रखा गया जो उनकी याद दिलाता है।
कई जगह उनकी मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं यादगार के तौर पर वीरता की निशानी के तौर पर। संदीप उन्नीकृष्णन पर तीन भाषाओं मलयालम तमिल और हिंदी में फिल्म भी बनाई गई है।
मुंबई हमले के कुछ महीने पहले संदीप उन्नीकृष्णन 41 दिन की छुट्टी पर बेंगलुरू स्थित अपने घर आए थे और वह अपने मनपसंद की जगहों पर घूमा फिरा मौज मस्ती की अपनी पसंदीदा शौक को पूरा किया। बेंगलुरु के ही राममूर्ति नगर में उनकी मूर्ति भी स्थापित की गई है। और बेंगलुरु में उनके नाम से एक सड़क भी नाम रखा गया है।