राजेंद्र कुमार का जीवन परिचय : Rajendra Kumar biography in Hindi
Rajendra Kumar real name | राजेन्द्र कुमार तुली |
Rajendra Kumar Birthday | 20 जुलाई सन्न 1929 |
Rajendra Kumar birth place | सियालकोट पंजाब (अब पाकिस्तान में) |
Rajendra Kumar age | 70 साल |
Rajendra Kumar father’s name | |
Rajendra Kumar Mother’s name | |
Rajendra Kumar brother’s name | |
Rajendra Kumar father’s Occupation | textile का व्यापार |
Rajendra Kumar occupation | ऐक्टर, अभिनेता |
Rajendra Kumar wife’s name | शुक्ला देवी |
Rajendra Kumar Affairs | |
Rajendra Kumar Childrens | एक बेटा और दो बेटी |
Rajendra Kumar son’s name | कुमार गौरव |
Hobbies | |
Nationality | भारतीय |
Education | P.hd |
Rajendra Kumar daeth date | 12 जुलाई सन्न 1999 |
राजेंद्र कुमार बायोग्राफी इन हिंद, जीवनी
राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) ऐसा अभिनेता जो भूतिया घर में रहा करता था ऐसा अभिनेता जो अपने घड़ी बेचकर जुबली कुमार बना
राजेंद्र कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को सियालकोट पंजाब में हुआ जब भारत का विभाजन हुआ तो सियालकोट पाकिस्तान के अंतर्गत हो गया। उस वक्त राजेंद्र कुमार के दादाजी मिलिट्री के कांट्रेक्टर हुआ करते थे और उनके पिताजी का टेक्सटाइल का बेवफा था। लेकिन भारत के विभाजन के बाद स्थिति ऐसा आया कि पूरा परिवार सब कुछ छोड़ छाड़ कर दिल्ली आ गया।
राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar)के नाम के आगे लगता है डॉ राजेंद्र कुमार आप क्या समझते हैं राजेंद्र कुमार जी का पूरा नाम राजेंद्र कुमार तुली है। राजेंद्र कुमार जी ने पढ़ाई पीएचडी की है। राजेंद्र कुमार जी फिल्मों में काम करने के बड़े शौकीन थे। राजेंद्र कुमार जी सुबह शाम सिर्फ फिल्मों के बारे में सोचते थे और राजेंद्र कुमार जी हमेशा सोचते थे कि कैसे भी करके किसी तरह मुंबई पहुंचा जाए। और किसी भी तरह फिल्म इंडस्ट्री में घुसा जाए, नहीं सपना लेकर राजेंद्र कुमार जी मुंबई के लिए रवाना हो गए।
इसके पीछे भी एक कमाल का किसका है, जब राजेंद्र कुमार जी मुंबई के लिए रवाना हुए तो उनके पास मात्र ₹63 थे अब यह ₹63 राजेंद्र कुमार जी के पास कहां से आए थे तो जी हां यह ₹63 राजेंद्र कुमार जी को घड़ी देखकर मिले थे यह घड़ी उनके पिताजी ने दिए थे। यह घड़ी इनके पिताजी ने दी थी जो बहुत ही महंगी थी यह घड़ी गिफ्ट के तौर पर राजेंद्र कुमार जी को दी थी।
राजेंद्र कुमार जी ने उस ₹63 में से ₹13 उन्होंने मुंबई के टिकट पर खर्च किए। दिल्ली से मुंबई का टिकट इन्होंने खरीदा, राजेंद्र कुमार जी मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने किराए पर एक मकान लिया और वहां पर रहने लगे।
राजेंद्र कुमार जी मुंबई तो पहुंच गए लेकिन ऐसे किसी भी तरह का अभिनय करने का मौका नहीं मिला लेकिन हां डायरेक्टर साहब ने अपने अंदर असिस्टेंट डायरेक्टर बनने का मौका जरूर दिया और राजेंद्र कुमार जी बने भी। यह मौका उस समय के बड़े डायरेक्टर एच एस raviel ने दिया था। राजेंद्र कुमार जी ने 5 साल तक संघर्ष किया एक असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया लेकिन अभी तक उन्हें किसी फिल्म में अभिनय करने का मौका नहीं मिला था।
इस संघर्ष के दौर में राजेंद्र कुमार जी ने असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में कई फिल्मों में काम किया है जैसे कि पतंगा, पॉकेट मार, सगाई जैसी फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया। उसके बाद एक फिल्म आई जोगन इस फिल्म को डायरेक्ट किया था केदार शर्मा ने साल 1950 में इस फिल्म में थे दिलीप कुमार और नरगिस इस फिल्म में राजेंद्र कुमार जी का रोल बहुत ही छोटा था। फिर भी इस रोल को नोटिस किया गया प्रोड्यूसर देवेंद्र गोयल की तरफ से,
इसीलिए जब 1955 में देवेंद्र गोयल जी ने फिल्म बनाई वचन तो इस फिल्म में राजेंद्र कुमार जी को एक अच्छा रोल दिया गया। इस फिल्म को करने के लिए राजेंद्र कुमार जी फिश के तौर पर 1500 रुपए दिए गए थे। यह उनकी पहली जुबली फिल्म थी। यानी कि 25 हफ्ते तक चलने फिल्म। लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि अब 1 स्टार का जन्म हो गया जिसका नाम है राजेंद्र कुमार जी। उसके बाद से राजेंद्र कुमार के फिल्म हिट होती चली गई। उसके बाद राजेंद्र कुमार जी को मौका मिला महबूब खान के फिल्म में फिल्म का नाम था मदर इंडिया जो साल 1957 में प्रदर्शित हुई थी।
फिर मैं राजेंद्र कुमार जी ने नरगिस बेटे का रोल क्या था, और साथ में थे सुनील दत्त जिनके भाई के रूप में नजर आए। लेकिन अभी तक भी राजेंद्र कुमार जी को कोई मैन लीड हीरो का रोल नहीं मिला था लेकिन यह वक्त भी नजदीक आ चुका था इनको एक फिल्म में मैन लीड हीरो रोल मिल गया था। इस फिल्म का नाम था गूंज उठा शहनाई, 1959 मे आई ये फ़िल्म सुपर डुपर हिट रही।
इस फिल्म को लेकर एक जबरदस्त किस्सा भी है जब इस फिल्म का प्रीमियर था तो इस फिल्म को देखने के लिए मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान आए थे। बिस्मिल्लाह खान जी ने जब इस फिल्म को देखा और जब फिल्म देख कर बाहर निकले तो राजेंद्र कुमार जी ने बिस्मिल्लाह खान जी से पूछा कि साहब आपको ये फिल्म कैसी लगी। बिस्मिल्लाह खान जी ने कहा फिल्म बहुत अच्छी थी उसके बाद राजेंद्र कुमार जी ने पूछा कि मेरी एक्टिंग कैसी लगी मैं कैसा लगा उसके बाद बिस्मिल्लाह खान जी ने का कहा आप तो इस फिल्म में थे ही नहीं इस फिल्म में तो मैं अपने आप को ही पूरी फिल्म में देखता रहा।
कमाल के अपने एक्टिंग की है आपने मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं ही थिएटर में हूं और अभिनय कर रहा हूं अपने आप को देख रहा हूं।
राजेंद्र कुमार जी के लिए यह बहुत बड़ा complyment था, जब राजेंद्र कुमार जी ने फिल्म मेरे महबूब में अनवर का किरदार निभाया तो तो बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोगों को लगा था कि राजेंद्र कुमार जी मुस्लिम है राजेंद्र कुमार तो बस फिल्म में नाम है। इस फिल्म के गाने के बाद राजेंद्र कुमार जी के घर बहुत से पत्र आने लगे, और पूछने लगे की जनाब राजेंद्र कुमार तो आपका फिल्मी नाम हैं जनाब अपना असली नाम तो बताइए। जैसे यूसुफ खान साहब है दिलीप कुमार वैसे आपका असली नाम क्या है।
राजेंद्र कुमार जी बड़े सादगी से शेष का जवाब देते थे और कहते थे कि मेरा नाम राजेंद्र कुमार तुली है। और इस से ज्यादा कुछ भी नहीं, हर किसी को जानकर आश्चर्य आश्चर्य होगा कि इसके सफलता के पीछे इनके भूतिया घर का हाथ है।
ये उन दिनों की बात है जब राजेंद्र कुमार जी पांव जमाने मे लगे हुए थे, अभी किस्मत रंग नही लाई थी और घर वालो के लिए एक मकान भी ढूंढना था। तभी किसी ने बताया था कि कार्टर Rd पर एक बंगला है जो बिकाऊ है आकार देख सकते है बहुत ही बढ़िया बंगला है। राजेंद्र जी वह बंगला देखने चले गए वह बंगला राजेंद्र कुमार जी को बहुत पसंद आया, लेकिन उस वक्त राजेंद्र कुमार जी के पास इस बंगले को खरीदने के लिए इतने पैसे नहीं थे, राजेंद्र कुमार सोचने लगे अब करे तो करे क्या? यहां पर उनकी किस्मत ने साथ दिया और बड़े फिल्म निर्देशक बी आर चोपड़ा एक उम्मीद की किरण बनकर आए।
फिल्म निर्देशक बी आर चोपड़ा ने राजेंद्र कुमार जी को एक फिल्म के एडवांस पैसे दिए और साथ में दो फिल्में राजेंद्र कुमार के सामने और ऑफर कर दी। बी आर चोपड़ा ने वक 0 एडवांस में पैसे दिए और कहा मकान खरीद लो। और आखिर कार कार्टर रोड वाला बंगला खरीद ही लिया, बहुत से लोगों ने वो बंगला खरीदने से मना भी किया था चेतावनी भी दी थी और कहा भी था कि कार्टर रोड वाला बंगला न खरीदे उस बंगले से तरह तरह की आवाजें आती हैं और कई लोग तो पहले भी यहां रहने आए थे लेकिन डर की वजह से भाग खड़े हुए।
राजेंद्र कुमार जी किसी की एक नही सुनी और लोगों की बातो को ध्यान ना देते हुए बड़े इत्मीनान से वो बंगला खरीद लिया। उसके बाद जो हुआ इतिहास बन गया उस बंगले में जाने के बाद एक के बाद एक उनकी फिल्म जुबली होती गई। राजेंद्र कुमार की शुरुआत ऐसी हुई की उनकी फिल्म सिनेमाघरों में लगातार 25 – 25 हफ्ते तक लगी रहती थी। एक साथ अलग अलग सिनेमाघरों में 7 – 7 फिल्मे लगी है जिसमे सिर्फ राजेंद्र कुमार जी और फिल्मे सिल्वर जुबली इसलिए इन्हे जुबली कुमार का टाइटल दिया। एक के बाद एक इनकी फिल्म राजेंद्र कुमार उस समय सबसे अमीर स्टार बन गए,
1964 में बनी फ़िल्म संगम यह फिल्म राज कपूर के निर्माण और निर्देशन में बनी थी, फिल्म राजेंद्र कुमार की जगह दिलीप कुमार होते। दिलीप कुमार ने ये फिल्म करने से मना कर दिया, तो राज कपूर ने अपने खास दोस्त राजेंद्र कुमार को याद किया। राजेंद्र कुमार और राज कपूर के बीच लंबी दोस्ती रही, राजेंद्र कुमार हमेशा कहते रहे 30 साल की जिंदगी में एक ही दोस्त रहा जो राज कपूर थे। यह दोनों एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे, रोज मुलाकातें होती थी मुलाकातें ना होती थी तो टेलीफोन पर बाते होती थी।
पारिवारिक बातें करते थे व्यवसायिक बातें करते थे बच्चों की बातें करते थे, खाना पीना हंसना रोना सब एक साथ होता था। राजेंद्र कुमार अपने बच्चों के शादी के बारे में भी सोचने वाले थे, लेकिन यह हो ना सका राज कपूर की दुनिया छोड़ जाने के बाद राजेंद्र कुमार जी ने कहा कि अब मैं कोई भी पार्टी मैं नहीं जाऊंगा। क्योंकि जो मेरा दोस्त हमेशा साथ हुआ करता था अब मेरा वो दोस्त साथ नही, अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा।
दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार ना रहा जब यह गीत शूट हो रहा था तब राजेंद्र कुमार जी ने अपने दोस्त राज कपूर से कहा कि भाई b फिल्म में यह गाना होना ही नहीं चाहिए था। तो इस पर राज कपूर जी ने कहा क्यों? तो देखिए दोस्त मैं हूं और दोस्त अपनी दोस्ती निभा रहा है। और तुम्हारा प्यार दे रहा है और दूसरी तरफ तुम्हारा प्यार है वैजन्ती माला जो तुम्हे मिल ही रही है, तो फिर ऐसा क्यों गाया जा रहा है कि दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार न रहा। राज कपूर जी नहीं माने और कहा ऐसा नहीं चलेगा,
मैं जो कह रहा हूं वही होगा क्योंकि क्योंकि डायरेक्टर और प्रोड्यूसर मैं ही हूं मैं जैसा कहूंगा वैसा ही होगा।
और हुआ भी वही फ़िल्म में गाना शूट हुआ लेकिन राजेन्द्र कुमार और वैजन्ती माला जी पर कैमरा ज्यादा फोकस किया गया और राज कपूर जी बार बार कैमरे के फ्रेम से बाहर निकल जाते। गाना भी बहुत हिट हुआ, गाने के अंत मे राजेन्द्र कुमार जी एक डायलॉग बोलते हैं जो उनका खुद का था ये डायलॉग फ़िल्म के स्क्रिप्ट में थी ही नहीं । जब ये गाना का शूट खत्म हुआ तो राजेन्द्र कुमार जी ने कहा कि आप एक शॉर्ट लगाओ मैं एक डायलॉग बोलना चाहता हूं।
तो इस पर राज कपूर साहब जी ने काकी पर इस फिल्म में तो इस तरह का कोई स्क्रिप्ट डायलॉग है ही नहीं तो इस पर राजेंद्र कुमार जी ने कहा कि मैं अपने मन से कुछ कहना चाहता हूं।
उसके बाद सेट लगा और राजेन्द्र कुमार जी ने अपने मन से जो डायलॉग कहा वो ये था। राजेन्द्र कुमार जी ने कहा सुंदर (राज कपूर) जब गीतकार पर गुजरी तो उसने अपने गीत में कह दिया पर continue