झरिया में पानी की स्थिति बहुत ही खराब बहुत ही दयनीय है
झरिया में देखा जाये तो सबसे बड़ी और पहली समस्या पानी की ही है,
नीचे जो आप तस्वीर में देख रहें हैं उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है, ये तस्वीरें तो कुछ भी नहीं
झरिया के ऐसे ऐसे बहुत से इलाके हैं जहाँ आज भी वहां तक पानी नही पहुँच पाया है,
और जहाँ तक पहुंचा भी था आज वहां के लोग पानी लाने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जिनके पास साइकल है तो साइकल से लाते हैं, जिनके पास बाइक है बाइक से भी लाते है और जिनके पास कुछ भी नहीं हैं उन्हें मजबूरन हर दिन कई किलोमीटर पैदल ही चलकर पानी लाना पड़ता है। ऐसी स्थिति हो गई है झरियावासी की, आये दिन झरिया में पानी की समस्या देखने को मिलती है, ऐसा नहीं की धनबाद जिले में पानी नहीं है, पानी तो इतना है कि गर सही तरके से मैनेजमेंट किया जाये तो किसी को भी पानी की समस्या नहीं होगी।
लेकिन हालात देखने से ये नहीं लगता की कभी झरिया में पानी की समस्या ठीक होगी, क्योंकि कुछ वक्त के लिए ठीक हो तो जाती है फिर हालात बद से बदतर हो जाती है, भला बार बार एक ही चीज को लेकर कितनी दफा उसे याद दिलाओगे।
देखा जाए तो झरिया में छोटी छोटी बहुत सी समस्याएँ हैं जिनका समाधान बहुत जरुरी है, और आसान भी है लेकिन उस तरफ ध्यान ही नहीं जाता है जिन लोगो को जाना चाहिए था, उस तरफ ध्यान क्यों नहीं जाता है क्योंकि उससे उसे कोई फायदा ही नहीं है, जितना बड़ा काम होगा उतना बड़ा घोटाला होगा, भला छोटी मोटी चीजो से किसी का आजतक भला हुआ है।
ये जो सब तस्वीर देख रहें हैं ये लोग हर दिन ऐसे ही साइकल से पानी लाते हैं वो भी तीन से चार किलोमीटेर दूर से, ऐसा नहीं है की ये लोग सिर्फ दिन में ही पानी ढोते हैं, मैंने तो इनलोगों को करीब 10 – 11 बजे रात में पानी ढोते हुए देखा है, सोचो दिन में ये लोग कमाने के लिए निकल जाते हैं और जब रात को घर आते हैं तो 3 से 4 किलोमीटेर दूर से पानी लाना पड़ता है।
कभी कभी तो ऐसा होता है कि पानी मिलता ही नहीं है, और ये लोग जिस सड़क से आना जाना कर रहें हैं ये सड़क है ही नहीं सड़क के नाम पर सिर्फ गढ्डे नजर आएंगे, लाख बार शिकायत कर लो लेकिन सिस्टम को रद्दी भर फर्क नहीं पड़ता है, सड़क कि हालत इतनी खराब है कि बरसात में न पैदल चलने के लायक होता, न ही साइकल से चल सकते है और गर आप बाइक से चल रहें हैं तो उस रास्ते पर फिसल गर गिरना स्वाभाविक है और बरसात में गिरते ही हैं।
झरिया के अन्य हिस्सों कि हालत
ये जो सड़क है झरिया और बलियापुर कि आज से नहीं करीब मेरा जो देखा है करीब 10 से 15 साल हो गया है, ये जो सड़क है इसपे कोयला कारोबारियों का कब्जा है, बस मिट्टी डाल – डाल कर सड़कों कि मरम्मत करते है फिर गढ्डे होते है फिर मिट्टी डाल दिए जाते है, ऐसी स्थिति है इन सड़कों कि, बस उसका फायदा हो रहा है बाकी लोगों से उसे किसी से मतलब ही नहीं है कोई परवाह ही नहीं है।
ये क्षेत्र जो है पूरे पर ओपन कास्ट कोल माइनिंग का कब्जा है गाड़ी तो इनलोगों का ऐसा चलता है मानो जैसे हाइवे पर चला रहे हों, रात में तो ये लोग सुनता ही नहीं है, बात करे प्रदूषण कि तो इस सड़क पर इतना प्रदूषण है कि गर एक कोई बड़ा गाड़ी गुजर जाए तो सामने क्या है आपको कुछ नजर ही नहीं आएगा, और ऐसा होता भी है।
ऊपर जो आप तस्वीर देख रहे है वो तस्वीर एक BCCL क्वार्टर क्षेत्र की है जहाँ पर करीब करीब पानी की सुविधा पूरी तरह से बंद कर दी गई, क्योंकि ये क्षेत्र जिस BCCL के अंडर आता है अब इस क्षेत्र में BCCL का काम बंद हो चुकी है
।
इस क्षेत्र के आसपास करीब चार से पांच कोयला खदाने है लेकिन सब बंद हो चुकी है क्योंकि कोयला खदानों में पानी भर चुका है जिसके कारण कई बार बड़ी बड़ी दुर्घटनाये घट चुकी है जिस वजह से सब खदानों में बंद कर दी गई है।
जीतने भी bccl के अंदर काम करने वाले मजदूर थे कुछ लोगो को दुसरे जगह ट्रान्सफर कर दिया गया तो कुछ लोगो को ठेकेदार के अंदर काम करना पड़ रहा है तो कुछ ऐसे ही कुछ सालो से बेरोजगार बैठे है कितनो ने तो आत्महत्या तक कर ली है, ऐसी स्थिति हो गई इन लोगो की।
झरिया में और भी बहुत सी समस्याएं हैं
पहली समस्या तो पानी की हो गई, बात की जाए गर छोटी मोटी समस्याओं का तो ऐसे बहुत सी समस्या है जो बहुत पुरानी हो गई जिसका समाधान आज तक नहीं हो पाया है, ऐसा मैं क्यों कह रहा हूँ क्योंकि मैं करीब 14 – 15 सालो से देखता आ रहा हू, आजतक हालात वैसा का वैसा ही है कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला बस लोग बदल गए हैं स्थितियां और परिस्थितियां दोनों आज भी कुछ लोगो के लिए वैसी ही है, जैसे 20 – 25 साल या उससे पहले हुआ करती थी।
जिनमे से गर बात की जाये तो सबसे पहले मैं झरिया से जो कचरा निकलता है उसे सड़को पर आसानी से देखा जा सकता है, उठाया तो जाता है लेकिन बहुत देर से, झरिया का कुछ स्थान ऐसा है जहाँ पर आज भी कचरा रखने के लिए सड़को का ही इस्तेमाल करते हैं यानि की हर दिन खास कर के झरिया के सब्जी पट्टी में जहाँ पर जितने भी सब्जी वाले है और फल वाले हैं अपना सारा कचरा बगैर किसी शर्म के दिन दिहाड़े सब के सामने सड़कों पर फेंक देते है।
जिसके कारण हर दिन झरिया में जाम कि समस्या उत्पन्न होती है। ये मेरा आँखों देखा है। आप झरिया से 11 से 2 बजे के बीच गर गुजरते है तो आप जाम में फंस जाएंगे, यहाँ तक जो लोकल पेट्रोलिंग होती है वह भी उस भीड़ में फंस जाती है।
झरिया के आधी सड़कों पर तो लोग कब्जा कर बैठे है जहां मन करता है वहाँ सुबह से शाम ठेला लगा के बैठे रहते है उसके लिए कोई निश्चित स्थान उबलब्ध नहीं है, झरिया में अधिकतर लोग सड़कों पर ही ठेला एवं अन्य दुकाने लगा का बैठे रहते है, उसे कहने वाला कोई नहीं है, जिसके कारण हर दिन झरिया में ट्रेफिक जाम की समस्या होती है। आधे लोग तो सड़कों पर ही गाड़ी खड़ा करके गायब हो जाते है, सबसे ज्यादा तो सड़कों पर बाइक खड़ा ही मिलेगा और थोड़ा बहुत चार चक्का वाहन।
दूसरा जाम होने का कारण ये है की लघभग सभी लोग अपनी गाड़ियां सड़को पर ही खड़ा कर देते है चाहे वो बाइक हो या फिर चार चक्का वाहन हो।
बात की जाए झरिया कि सड़कों का हाल का तो झरिया कि सड़कों का हाल कुछ खास नहीं है क्योंकि कहीं सड़के अच्छी है तो थोड़ी दूर पर आपको गड्ढे नजर आएंगे।
झरिया में शायद 2018 में ही स्ट्रीट लाइटे लगाई गई थी, लेकिन आज तक नहीं जला गिना चुना जला वो भी वहाँ के लोकल लोगों ने जलाई, लाइटे लगी होने के बावजूद भी फिर से लाइटे लगाई जा रही है लेकिन समयानुसार जलाई नहीं जा रही है।
आज का जो सिस्टम है चाहे वह कहीं का भी हो यानि भारत का ही बता रहा हूँ सब एक जैसा ही काम करती है, वो बस अपना फर्ज निभा रहे हैं जो उनकी ड्यूटी है बस वही निभा रहे है उससे ज्यादा या अधिक लोग करने का कभी प्रयास ही करते है, कारण क्या है कारण एक ही है कि सब को बैठे बैठाए पैसा आना चाहिए चाहे कहीं से भी आए ,आज हर सिस्टम में Corruption भरा पड़ा हुआ है।
जीतने भी काम होते है हमारे देश मे बहुत ही धीमा होता है, खास करके सरकारी कामों में। आज बहुत दिनों के बाद थोड़ा बहुत काम झरिया में देखने को मिल रहा है, लेकिन फिर भी कुछ न कुछ अधूरा ही यह जाता है,
मैंने जो देखा है कहीं कहीं झरिया में छोटे मोठे शौचालय जो बना है खास करके Toilet वो तो अभी तक ओपन ही नहीं हुआ है कई सालों से ताला लगा के रखा गया है जैसे उसमे कोई खजाना छिपा कर रखा गया हो, ऐसी स्थिति है। देखते है कब तक ये सब चीजों पर काम तेजी से होती है।