अजित डोभाल का जीवन परिचय : Ajit Doval biography
आज हम बात करेंगे भारतीय रॉ के एजेंट अजित डोभाल (Ajit Doval ) के बारे में जिन्होंने देश के लिए हमेशा अपनी जान की बाजी लगाई। तो आज इन्हीं के बारे जानेंगे कि इन्होंने किस तरह अपना वेश बदलकर पाकिस्तान घुसा और वहां से ख़ुफ़िया जानकारी भारत सरकार को भेजी। इन्होने कई बार अपनी जान की बाजी लगाकरश के लोगो की जान बचाई। अपना फ़िक्र किये बिना देश की सुरक्षा के खातिर हमेशा तैयार रहते हैं। आज अजित डोभाल जेम्स बांड और चाणक्य से कम नहीं है, उससे ऊपर ही हैं। प्रधानमंत्री के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते है। इन्हे कबिनेट मिनिस्टर का दर्जा मिला हगुआ और सीधा PMO को रिपोर्टिंग करते है। ये हमारे देश के राष्ट्रीय सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं।
अजित डोभाल का जन्म परिवार, बच्चे और शिक्षा
अजित डोभाल का पूरा नाम | अजित कुमार डोभाल |
अजीत डोभाल का जन्म | 20 जनवरी सन् 1945 |
जन्मस्थान ( Birth Place) | उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के पौड़ी गाँव में |
अजित डोभाल के पिता का नाम | गुणनाद डोभाल (मिलेटरी के ऑफिसर रह चुके हैं) |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति (Caste) | ब्राम्हण |
Hometown | अजमेर, राजस्थान |
पेशा | सिविल सर्वेन्ट, राष्टीय सुरक्षा सलाहकार |
अजित डोभाल की पत्नी का नाम | अनु डोभाल |
अजीत डोभाल के बच्चे | एक बेटी शौर्य डोभाल |
अजित डोभाल कि पढ़ाई | अजमेर के मिलट्री स्कूल से |
विश्वविधालय | आगरा के विश्व विधालय से अर्थशास्त्र में M.A करके Postgraduate (स्नाकोत्तर) की उपाधि ली |

अजित डोभाल जी का जन्म भारत आजादी से पहले 20 जनवरी सन् 1945 को उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के पौड़ी गाँव में एक गढ़वाल परिवार में हुआ। परन्तु Hometown राजस्थान अजमेर में पड़ता है, इनका पूरा नाम अजित कुमार डोभाल है। अजित डोभाल जी धर्म से एक ब्राह्मण हिन्दू है। इनके पिता जी का नाम गुणनाद डोभाल है, जो मिलेटरी के ऑफिसर रह चुके हैं। जिसने अजीत में देशभक्ति और अनुशासन की भावना पैदा की। उत्तराखंड की देवभूमि में जन्म और सैन्य परिवार की पृष्ठभूमि ने डोभाल को देश सेवा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने युवावस्था में ही आईपीएस की तैयारी शुरू कर दी थी। अजित डोभाल अपनी पढाई लिखाई अजमेर के मिलट्री स्कूल से की। फिर उसके बाद अजित डोभाल आगरा के विश्व विधालय से अर्थशास्त्र में M.A करके Postgraduate (स्नाकोत्तर) की उपाधि ली।
पत्नी का नाम अनु डोभाल है, इनकी बेटी का नाम शौर्य डोभाल (Shaurya Doval) है। और उनके दो बेटे हैं: शौर्य डोभाल (उद्यमी और थिंक टैंक संचालक) और विवेक डोभाल।
आईपीएस और प्रारंभिक करियर (1968-1972)
Postgraduate (स्नाकोत्तर) की उपाधि के बाद IPS की तैयारी में लग गए, बहुत कड़ी मेहनत करके केरल के 1968 batch के IPS Officer बने, और केरल में IPS के पद को बड़े बेहतर ढंग से संभाला। 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं।
- 1968 में आईपीएस: अजित डोभाल केरल कैडर से 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी बने।
- प्रारंभिक नियुक्तियाँ: उन्होंने पंजाब और मिजोरम में उग्रवाद-विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई।
- मिजोरम में मizo नेशनल फ्रंट (MNF) के विद्रोह को शांत करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी।
- 1972 में रॉ (RAW) से जुड़े: अजित डोभाल ने भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में शामिल होकर जासूसी और खुफिया संचालन शुरू किया।

खुफिया मिशन और जासूसी
अजित डोभाल पाकिस्तान कैसे गए थे? : Ajit Doval in Pakistan history
डोभाल ने लाहौर, पाकिस्तान में सात साल तक मुस्लिम पहचान में जासूस के रूप में काम किया। उन्होंने उर्दू में महारत हासिल की और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की गतिविधियों की जानकारी हासिल की। अजित डोभाल पाकिस्तान और आतंकियों के गढ़ में कई बार घुस कर सारी जानकारियां लेकर और उन सब को चकमा देकर। हर बार उन सब के बीच से निकल जाते थे। जब भारत 1972 में इंदिरा गाँधी की सरकार मे जब पोखरण में परमाणु का परिक्षण किया गया। तो पाकिस्तानियों की हवा टाईट हो गई और मिर्ची लग गई। और पाकिस्तान के एक साइंटिस्ट थे जिसका नाम डॉ. अक्यूँ खान था। उन्होंने चाइना और फ़्रांस से मदद मांगी और उनसे कहा की हम भी Nuclear टेस्ट करना चाहते हैं। जिसमे आप हमारी मदद करें।
लेकिन फ़्रांस को सब समझ आ गया था, कि ये अपना खुद का Weapon बनाना चाहता है। और फ़्रांस मदद देने से इंकार कर दिया। अब इसमें कुछ चाइना वाले मदद कर रहे थे। लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा और उसके बाद वो नार्थ कोरिया चले गए।
किम जोंग इल से मिलने और उस समय किम जोंग उनका बाप किम जोंग इल भी Nuclear Weapon पर काम कर रहे थे। और भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी को खबर लग गई की ये पाकिस्तानी साइंटिस्ट आखिर ये नार्थ कोरिया क्या झाल बजाने गया है। आखिर चक्कर क्या है? इंदिरा गाँधी ने तुरंत IB (Intelligence Bureau) और RAW (Research and Analysis Wing) का गठन बुलाया। और एक Intelligence टीम बनाई और जिसमे से कुछ को चाइना और कुछ को पाकिस्तान जाकर सही सही जानकारी भेजने को कहा। जिसमे से अजित डोभाल को सेलेक्ट किया और कहा की तुम IB को को लीड करोगे। और सीधा पाकिस्तान में अपना नेटवर्क बनाओ और डायरेक्ट मुझे सारी जानकारी जानकारी वहां से भेजोगे।
अजित डोभाल पाकिस्तान में कैसे दाखिल हुआ?
वो जगह जहाँ पाकिस्तान में Nuclear Weapon का काम चल रहा था, वो था पाकिस्तान के रावलपिंडी के पास था। जिसका नाम कहुटा थी, जहाँ Khan Research Centre चल रही थी। जहाँ Nuclear Weapon का सारा काम चल रहा था। अजित डोभाल पाकिस्तान तो पहुँच तो गए थे। लेकिन Research Centre मिल नहीं रहा था, और अजित डोभाल पूरा पाकिस्तान घूम रहा था। वो भी भिखारी के वेशभूषा में भला भिखारी को किसी से क्या मतलब। किसी तरह इन्होने उस Research Centre का पता लगाया जिसका नाम Khan Research Centre था। जहाँ पाकिस्तानी गवर्नमेंट अपना Nuclear Weapon तैयार कर रही थी। अब अजित डोभाल उस Centre के बाहर भिखारी के वेषभूषा में सब पर नजर रख रहे थे।
लेकिन उसे बाहर से कुछ समझ नहीं आ रहा था, आखिर क्या करे? तो उसने अपने बुद्धि का इस्तेमाल किया और उसने उस नाई की दुकान ढूँढ निकाली। जहाँ Research Centre के कुछ साइंटिस्ट उस नाई की दुकान पर बाल कटवाने के लिए जाते थे। जब एक साइंटिस्ट उस नाई की दुकान पर बाल कटवाने गया तो अजित डोभाल भी उसके पीछे गया। और उस नाई की दुकान के बाहर भिखारी के वेशभूषा में बाहर बैठ गया। वहां से इन्होंने साइंटिस्ट के बाल का सैंपल इकट्ठा करना शुरू किया। उसे पता था अगर वो Nuclear Weapon पर काम कर रहा है तो उसके बालो पर जरुर Nuclear का रेडिएशन होगा। तो उसने उस बाल का सैंपल लेकर किसी तरह अपने IB नेटवर्क के जरिये भारत भेजा। और कहा की वो इस बालों को अच्छे से जांच करे और पता लगाये की इसमें Nuclear रेडिएशन है की नहीं।
अजित डोभाल पाकिस्तान पहुंचकर क्या क्या किया
जब जांच किया गया तो भारी मात्रा में उस बाल पर रेडिएशन पाया गया। तो इससे पता चल गया की पाकिस्तान यहीं Khan Research Centre में Nuclear Weapon पर काम कर रहा है। अब पता तो चल गया और सोचने लगा की अब इस जगह को कैसे तबाह किया जाये कैसे खत्म किया जाये। अगर दोबारा लड़ाई की तो अमेरिका पाकिस्तान की मदद करेगा। और गर प्रधानमंत्री को समझाऊंगा तो वो हमला के लिए मानेंगे नहीं। और इसने फिर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और इजराइल के intelligence एजेंसी Mossad से संपर्क किया। और उनसे बातचीत की और कहा कि जैसे तुमने इराक को तबाह किया। और अगर इस मुस्लिम देश पाकिस्तान ने गर Nuclear Weapon बना लिया। तो सबसे पहले तुम ही खत्म होगे। इसलिए तुम एक काम करो, मैं जैसा जैसा बताता हूँ तुम वैसा ही करना।
और Research Centre को उड़ा देना, अजित डोभाल जी ने सोचा इजराइल और पाकिस्तान को आपस में लड़ा देंगे। जिससे हमें लड़ने की नौबत नहीं आएगी, और हमारा काम भी हो जायेगा। इसके लिए Mossad को कनवेंस भी कर लिया और वो मान भी गए थे Mossad ने कहाँ ठीक है। उसके लिए हम इराक के ऊपर से जहाज तो उड़ा कर नहीं जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें थोड़ा घुम कर जाना पड़ेगा। इसके लिए तुम हमें गुजरात से Refueling के लिए जगह दे दो फिर वहां से हम उड़ान भरकर पाकिस्तान के खान रिसर्च सेण्टर को उड़ा देंगे। इन्होंने कहाँ ठीक है अजित डोभाल जी मान गए PMO से संपर्क किया। जब अजित डोभाल पाकिस्तान गए थे तब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी थी। लेकिन 1977 मे भारत में इमरजेंसी के कारण भारत की राजनीति उथल पुथल हो गई।
अजित डोभाल जब मिशन पर थे तो बीच में जब प्रधानमंत्री ही बदल गए
जब 1977 में दोबारा चुनाव हुआ उसमे इंदिरा गाँधी हार गई और उसके जगह अब मोरारजी देसाई आ गए। और जब अजित डोभाल जी ने इन सब चीजो के बारे में बताया तो मोरारजी ने कहा? देसाई जी ने सीधा इन सब चीजो से इंकार कर दिया। और कहा उसे जो करना है करने दो वो अपना देश में कुछ भी करे हमें उससे क्या मतलब। मोरारजी देसाई गाँधी विचार के निकले और ये प्लान इंदिरा गाँधी जी की थी। उसने सीधा मना करते हुए कहा कि उसे जो करना है करने दो उसे परमाणु परिक्षण करना है। करने दो उससे हमको क्या लेना देना हम किसी से लड़ना नहीं चाहते हैं। वो अपने देश में कुछ भी करे। अब तो लगा सब मेहनत बेकार हो जायेगा लेकिन ये हर कहाँ मानने वाले थे। ये फिर लगे रहे और इन्होने एक दिन एक साइंटिस्ट एक लड़की के साथ पकड़ लिया।
और साइंटिस्ट को बुलाया और कहा की तेरी ये हरकत को पूरा लीक कर दूंगा और तुझको बर्बाद कर दूंगा। मेरी बात सुन और मुझे ब्लू प्रिंट दे दे अंदर का बस इतना करदे। तो साइंटिस्ट ने कहा ठीक है लेकिन मुझे 10 हजार डॉलर दे दे ताकि मैं यहाँ से कहीं दुसरे जगह चला जाऊं। अजित डोभाल जी मान गए और PMO मोरारजी देसाई से संपर्क किया। और कहा सिर्फ 10 हजार डॉलर देना है। और हमारा काम हो जायेगा लेकिन मोरारजी देसाई फिर मना कर दिया ऐसा थोड़े ही होता है। मेरे पास बजट भी नही है, उसे जैसा करना है करने दे वो अपना कर रहा है। फिर अजित डोभाल जी परेशान हो गए और कहा कि हमलोगों ने अपनी SPY टीम की जान की बाजी लगा कर इतनी महत्वपूर्ण जानकारी निकाली। उसके इतने करीब गए और आप माना कर रहे है।
मोरारजी देसाई ने कुछ भी करने से डोभाल को मना कर दिया
हम उसके प्लान के बारे में अच्छे से जान जायेंगे और उसे बर्बाद कर सकते हैं। लेकिन फिर भी देसाई जी नहीं माने, और उसके बाद इन्होंने रिजाइन कर दिया। लेकिन अपने मकसद में लगे रहे और सोचने लगे इसे कैसे खत्म करुँ। लेकिन इतने में वहां के पाकिस्तानी आर्मी के नए राष्ट्रपति आ गए। जिसका नाम जियाउल हक़ था इन्होंने कमान्ड संभाली। और पाकिस्तान को अपने कंट्रोल में ले लिया। और ये चाहते थे की अगल बगल के जितने भी देश हैं सब से अच्छे रिश्ते रहे सबसे मिलकर रहे।
मोरारजी देसाई की गलती से कई Spy एजेंट मारे गए
तो पाकिस्तानी राष्ट्रपति जियाउल हक़ कभी श्रीलंका के प्रधानमंत्री से बात करे तो कभी बांग्लादेश तो कभी नेपाल फोन करे। तो कभी इंडिया में और जब इंडिया में पाकिस्तानी राष्ट्रपति जियाउल हक़ ने फोन किया। तो मोरारजी देसाई जी हवा बनाते हुए बड़े बेवकूफी वाले अंदाज में जियाउल हक़ से कहा कि तुम जो कहुटा में Nuclear Weapon हथियार पे काम कर रहे हो। हमें सब पता है हमने कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली है। तुम्हारे कितने साइंटिस्ट है सब मुझे खबर है तुम्हारे Khan Research Centre में क्या हो रहा है मुझे सब पता है। हमारा भी नेटवर्क है वहां पर, यहाँ पर इसने सबसे बड़ी गलती कर दी ये सब बता कर। और वहां जियाउल हक़ परेशान हैरान हक्का बक्का रह गया। और होगा भी क्यों नहीं क्योंकि इसके बारे में तो किसी देश को पता ही नहीं थी।
तो फिर भारत को कैसे पता चल गया। वहां थोड़ा कंट्रोल बनाओ अपना जियाउल हक़। अब तक की किसी इतने बड़े प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी गलती थी। और इसका सजा उन Spy एजेंट को देनी पड़ी। जियाउल हक़ परेशान हो गए तो जियाउल हक़ ने भारत के IB और RAW के कई एजेंट को ढूँढ ढूँढ के मारा। प्रधानमंत्री मोरारजी की एक गलती से वहां पूरा नेटवर्क खत्म हो गया। लेकिन अजित डोभाल जी किसी तरह वहां से भाग निकले। नहीं तो वो भी मारे जाते अगर सही वक्त पर वहां से नहीं निकलते। इस वजह से पाकिस्तान का Nuclear Weapon टेस्ट 15 साल delay करना पड़ा।
ऑपरेशन ब्लू स्टार और ब्लैक थंडर (1984-1988)
- 1984: ऑपरेशन ब्लू स्टार (अमृतसर, स्वर्ण मंदिर) में डोभाल ने खालिस्तानी आतंकवादियों की गतिविधियों की खुफिया जानकारी जुटाई।1988: ऑपरेशन ब्लैक थंडर में वे रिक्शा चालक बनकर स्वर्ण मंदिर में घुसे और आतंकवादियों की स्थिति की जानकारी दी, जिससे ऑपरेशन बिना बड़े नुकसान के सफल हुआ।
कंधार विमान अपहरण (1999)
अजित डोभाल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिन्होंने कंधार में तालिबान के साथ बातचीत कर इंडियन एयरलाइंस IC-814 के यात्रियों को सुरक्षित निकाला। हालाँकि, इस दौरान आतंकी मसूद अजहर की रिहाई विवादास्पद रही।
मिजोरम और सिक्किम
- मिजोरम (1960-70 दशक): अजित डोभाल ने MNF विद्रोहियों को भारत के साथ शांति वार्ता के लिए मनाया, जिससे हिंसा समाप्त हुई।
- सिक्किम (1975): सिक्किम के भारत में विलय में अजित डोभाल ने खुफिया और कूटनीतिक भूमिका निभाई।
कश्मीर (1990-96)
डोभाल ने कूका पारे जैसे आतंकवादियों को भारत समर्थक बनाया और 1996 के जम्मू-कश्मीर चुनाव में शांति स्थापना में योगदान दिया।
म्यांमार ऑपरेशन (2015)
अजित डोभाल ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) के खिलाफ म्यांमार सीमा पर सैन्य अभियान की योजना बनाई, जिसमें 50 आतंकवादी मारे गए।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिटायरमेंट
- IB ऑपरेशंस विंग प्रमुख: अजित डोभाल ने एक दशक तक IB के ऑपरेशंस विंग का नेतृत्व किया।
- IB डायरेक्टर (2004-2005): वे इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक बने और भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया।
- रिटायरमेंट (2005): 2005 में IB डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा पर सक्रिय रहे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA, 2014 और वर्तमान)
30 मई 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजित डोभाल को भारत का पाँचवाँ NSA नियुक्त किया। वे 2025 तक अपने तीसरे कार्यकाल में हैं, जो उन्हें भारत का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला NSA बनाता है।
- NSA के रूप में भूमिका – अजित डोभाल 2024 में मोदी के तीसरे कार्यकाल में फिर से NSA नियुक्त हुए। वे भारत की सभी प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों (RAW, IB, NSG) का समन्वय करते हैं और कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखते हैं।
- अजित डोभाल ने एक साक्षात्कार में कहा, “अगर पाकिस्तान एक और मुंबई हमला करता है, तो हम बलूचिस्तान छीन लेंगे।” यह उनकी आक्रामक रणनीति को दर्शाता है।
प्रमुख उपलब्धियाँ
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई।
- बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019): पुलवामा हमले के बाद अजित डोभाल ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई की रणनीति तैयार की।
- अनुच्छेद 370 हटाना (2019): जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की रणनीति में अजित डोभाल का मास्टरमाइंड माना जाता है।
- इराक मिशन (2014): अजित डोभाल ने इराक में ISIS द्वारा बंधक बनाई गईं 46 भारतीय नर्सों को सुरक्षित निकाला।
- डोकलाम गतिरोध (2017): भारत-चीन सीमा पर डोकलाम विवाद को सुलझाने में उनकी कूटनीति महत्वपूर्ण थी।
- PFI पर प्रतिबंध (2022): आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध की योजना अजित डोभाल के नेतृत्व में बनी।
प्रमुख पुरस्कार और सम्मान
- कीर्ति चक्र (1988): अजित डोभाल भारत के पहले पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें शांतिकाल का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र मिला। यह सम्मान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में उनकी भूमिका के लिए दिया गया।
- पुलिस पदक: मात्र छह साल की सेवा में उनकी उत्कृष्टता के लिए यह पदक मिला, जो सामान्यतः 15 साल की सेवा के बाद दिया जाता है।
- गैलेंट्री अवॉर्ड: शांतिकाल में वीरता के लिए अन्य पुरस्कार।
- डॉक्टरेट की मानद उपाधि: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित।
- अजित डोभाल को उनकी जासूसी और रणनीतिक कौशल के लिए वैश्विक स्तर पर सम्मान मिला है। उनकी जीवनी पर “Hill Warriors” नामक पुस्तक भी लिखी गई है।
पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) में अजित डोभाल का आगे का क्या प्लान रहेगा
पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा के TRF आतंगवादी संगठन ने 26 लोगों की हत्या की, जिसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) निलंबित की और अटारी-वाघा बॉर्डर बंद कर दिया गया। अजित डोभाल, NSA के रूप में, इस हमले के जवाब में भारत की रणनीति तैयार करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी आक्रामक नीतियाँ (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक) इस संदर्भ में चर्चा में हैं। अजित डोभाल की जासूसी पृष्ठभूमि (पाकिस्तान में 7 साल) और ISI की गतिविधियों की समझ उन्हें इस तनाव में महत्वपूर्ण बनाती है।
अजीत डोभाल का करियर खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अत्यंत प्रभावशाली रहा है। उन्होंने अपने 37 साल के करियर में कई ऐतिहासिक मिशनों में योगदान दिया। अजीत डोभाल भारत के सबसे सम्मानित और प्रभावशाली राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में जासूसी, सर्जिकल स्ट्राइक, अनुच्छेद 370 हटाना, और इराक मिशन जैसे कार्यों से देश की सुरक्षा को मजबूत किया। कीर्ति चक्र और अन्य सम्मानों से नवाजे गए डोभाल की रणनीतिक दृष्टि और साहस ने उन्हें “भारत का जेम्स बॉन्ड” की उपाधि दी।