राज बब्बर (Raj Babbar) का जीवन परिचय, पत्नी बच्चे व परिवार
राज बब्बर (Raj Babbar) हिन्दी फिल्म के मशहूर अभिनेता और आज की तारीख में राजनीति के मशहूर नेता है। भला इन्हें आज की तारीख में कौन नहीं जानता, जो नहीं भी जानते थे इनके राजनीति में आने के बाद लोग और भी बेहतर तरीके से जान गए हैं। आखिर राज बब्बर ने किस तरह से मेहनत किया कि आज वो मुकाम हासिल किया है। क्या आपको पता है कि इन्होंने किस किस तरह के मुश्किलों का सामना किया है? कितनी मेहनताना मिलता था कितनों सालो तक इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जाने के लिए Struggle किया और अपनी मंजिल को पाया।
बेटा- आर्य बब्बर, बेटी – जूही बब्बर, प्रतीक बब्बर (स्मिता पाटील से)
Raj Babbar hobbies
ऐक्टिंग, पढ़ना
Favorite Actress
स्मिता पाटील
Favorite Actor
दारा सिंह, दिलीप कुमार
Raj Babbar Girlfriends
स्मिता पाटील
Raj Babbar first Movie/film
शारदा (1981)
Politics career
1994 से
राज बब्बर का जन्म व परिवार, राज बब्बर फैमिली
राज बब्बर का जन्म 23 जून सन्न 1952 को उत्तर प्रदेश आगरा के टूंडला गांव में एक हिन्दू परिवार में हुआ। राज बब्बर फैमिली राज बब्बर के पिता का नाम कुशाल बब्बर है। राज बब्बर के पिताजी का नाम कुशल बब्बर है और माता जी का नाम शोभा बब्बर है, राज बब्बर कि एक बहन और दो भाई भी है, बहन का नाम अंजू बब्बर है और भाई का नाम किशन बब्बर और विनोद बब्बर है।
राज बब्बर की शिक्षा और फिल्मी और अभिनय करिअर
राज बब्बर जी की शुरुआती पढ़ाई लिखाई आगरा से हुई और आगरा से ही मन बना लिया था ठान लिया था कि ये अभिनेता ही बनेगा।
राज बब्बर जी स्कूल और कॉलेज के समय से ही ड्रामा और नाटकों में बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। ये स्कूल ड्रामा मे ना जाकर पटियाला यूनिवर्सिटी चले गए, और वहाँ ड्रामा सीखने लगे। और वहाँ इनकी मुलाकात हरपाल तिमाना से हुई, जो खुद नैशनल ऑफ ड्रामा स्कूल से अभिनय सीखे हुए थे। हरपाल तिमाना जी एक पंजाब कला मंच नाम से एक थिएटर चलाते थे, हरपाल तिमाना जी कहते थे कि तुम अच्छे अभिनय करते हो और एक अच्छे अभिनेता हो। हरपाल तिमाना ने कहा कि मैं खुद national of drama school से हूँ और मैं तुम्हें यही नसीहत देता हूं कि तुम भी national of drama school जाकर अभिनय सीखो।
और वहीं से ऐक्टिंग का कोर्स करो सन्न 1972 में राज बब्बर ने नैशनल ऑफ ड्रामा स्कूल में दाखिला लिया, और उस समय इनके सीनियर ओम पुरी और नसरुद्दीन शाह जी हुआ करते थे जो वहाँ अभिनय सीखा करते थे। महान थिएटर गुरु इब्राहिम अल्का से राज बब्बर ने ड्रामा का प्रशिक्षण लिया। शुरू में इनको दारा सिंह की फिल्म बहुत पसंद थी उसके बाद दिलीप कुमार की अभिनय ने इन्हें बहुत प्रभावित किया। जब NSD (नैशनल ऑफ ड्रामा स्कूल) का कोर्स पूरा हुआ तो इन्हें ऑफर मिला कि वे NSD के का ही हिस्सा बन जाए। लेकिन नहीं बने उस वक़्त वे दूरदर्शन के लिए काम करते थे, ये काम इनको इला अरुण जी ने दिलवाया था।
ये वो वक़्त था जब किसी को यदि 25 रुपये महीने का मिल जाता था तो बहुत बड़ी बात होती थी, और उस समय इन्हें 25 रुपये मिलते थे ड्रामा के और 5 रुपये रिहर्सल करने के, ये वो दौर भी था जब एक बहुत ही जबरदस्त अभिनेत्री नादिरा जहिर जो जाने माने कलाकार सज्जाद जहीर की बेटी थी। राज बब्बर की शादी अभिनेत्री नादिरा जहिर से हो गई, अभी भी इनको फ़िल्मों में ज्यादा मौका नहीं मिल रहा था। एक वक़्त था जब filmfare माधुरी contest हुआ करता था जिसमे बहुत सारे Producer एक नए लड़के और एक नई लड़की की तलाश कर करते थे।
और इसी प्रतियोगिता के माध्यम से राजेश खन्ना और धर्मेंद्र जी फिल्म इंडस्ट्री में घुसे बदकिस्मती से जब राज बब्बर का नंबर आया तो सरकार ने कुछ पाबंदियां लगा दी थी, बड़े बड़े Producer पर की, वे इन्हें लेकर छोटे छोटे बजट की फिल्में नहीं बना सकते थे। राज बब्बर फिर भी लंबे समय तक रंगमंच से जुड़े रहे, नाटक करते रहे तब इनके सबसे अच्छे दोस्त शंकर सोहेल ने बड़े फिल्म maker और मशहूर प्रकाश मेहरा से मुलाकात करायी।
उस वक़्त बड़े फिल्म राइटर सलीम जावेद की जोड़ी और रमेश सिप्पी एक बड़ी जबरदस्त फिल्म बना रहे थे, जिसमें राज बब्बर जी को चुना गया था। इसका नाटक देखा था सलीम जावेद ने, इससे पहले इनका स्क्रीन टेस्ट किया गया राज बब्बर का screen टेस्ट Dilip kumar को दिखाया गया। दिलीप कुमार जी बहुत खुश हुए, रमेश सिप्पी भी बहुत खुश हुए लेकिन बाद में किसी कारणवश ये किरदार अमिताभ बच्चन जी को दे दिया गया इस फिल्म का नाम था शक्ति।
ये फिल्म हाथ से निकलने के बाद प्रकाश मेहरा ने राज बब्बर को फिल्म नमक हलाल के लिए साइन करनी चाही लेकिन ये फिल्म भी इनके हाथ से निकल गई ये रोल शशि कपूर जी को दे दी गई। लेकिन प्रकाश मेहरा जी ने राज बब्बर जी से एक वायदा किया कि वो एक वर्ष के लिए रहने का इंतेजाम कर दूंगा क्योंकि प्रकाश मेहरा ने इन्हे फिल्मे देने का वायदा किया था जो बाद में इन्हे कई फिल्मों से किसी कारणवश निकाल दिया गया था। राज बब्बर ने भी कहा कि मैं आपका घर एक वर्ष के बाद ही आपका घर छोड़ पाऊँगा।
वो एक साल राज बब्बर के कठिन का दौर था लेकिन उस दरमियान कुछ ऐसा भी हुआ कि राज बब्बर जी के भाग्य ही खुल गए। राज बब्बर जी को एक छोटा सा किरदार मिला जिस फिल्म का नाम था शारदा जिसमे जितेंद्र थे, शारदा फिल्म के लिए राज बब्बर को उस वक्त मेहताना के तौर पर 500 रुपये दिए गए थे। उसके बाद इनकी एक फिल्म आई जिसने राज बब्बर जी किस्मत ही बदल कर रख दी, उस फिल्म का नाम था इंसाफ का तराजू जो सुपरहिट रही। जब इनकी माँ ने इनका वो किरदार देखी तो बहुत दुखी हुई।
राज बब्बर कि माँ ने कहा कि बेटा हम दो रोटी कम खा लेंगे लेकिन इस तरह के गंदे काम मत किया कर, लेकिन इससे पता चल गया था कि राज बब्बर जी अच्छे अभिनय कर रहे हैं और लोगों को इनकी ऐक्टिंग पसंद आ रही और। इंसाफ का तराजू में राज बब्बर जी बतौर खलनायक (विलेन) के रूप मे काम किया था। इसके बाद इनके जिंदगी में मशहूर अभिनेत्री स्मिता पाटील आई और ये दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गई। बब्बर जी पहले से ही अभिनेत्री नादिरा जहिर से शादी हो चुकी थी और उससे दो बच्चे भी थे।
लेकिन स्मिता पाटील के प्यार आगे बब्बर जी ने अपनी पूर्व पत्नी नादिरा जहिर रिश्ता तोड़ दिया और स्मिता पाटील से विवाह कर लिया। और स्मिता पाटील से एक बेटा हुआ जिसका नाम प्रतीक रखा गया, लेकिन अफसोस कि बात ये हुई कि जब उनका बेटा हुआ तब कुछ दिन बाद ही स्मिता पाटील कि किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाई। उसके बाद इनके दोनों बीबियों से हुए बच्चे आज फिल्म इंडस्ट्री में अभिनय भी कर रहे है। बब्बर जी ने तो कब के फिल्म इंडस्ट्री छोड़ राजनीति में घुस चुके है और मंत्री भी बन चुके है।
इनकी पहली बीबी से हुए बच्चे जूही बब्बर और आर्य बब्बर कई फिल्मों में अभिनय कर चुके है और इनकी दूसरी पत्नी स्मिता पाटील से हुए बेटे प्रतीक ने भी फिल्मों में घुस चुके है। राज बब्बर जी भाई किशन के साथ मिलकर खुद का Production house भी खोला जिसका नाम Babber’s Film Private Ltd. रखा।
राज बब्बर का राजनीतिक सफर और करिअर
बब्बर जी सन्न 1989 में जनता दल का सदस्य बने और उसमे शामिल हो गए, सन्न 1994 से लेकर 1999 तक लोकसभा के सदस्य के रूप में काम किया। साल 2004 में बब्बर जी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए किसी कारणवश साल 2006 में राज बब्बर जी को समाजवादी पार्टी से निलंबित कर दिया गया। निलंबित होने के बाद साल 2008 में काँग्रेस में चले गए, साल 2009 में डिम्पल यादव जी को हराकर संसद सदस्य के रूप मरण चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वी. के. सिंह लोकसभा का चुनाव हार गए,
मार्च 2018 में राज बब्बर जी ने उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफानामा दे दिया