Jharia ke logo ke liye ghar allot ho chuka hai
झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का पुनर्वास कब होगी
(जून 2020 )
झरिया के जितने भी अग्नि प्रभावित क्षेत्र हैं, और साल 2008 में हुए सर्वेक्षण मे जितने भी लोगों का इस सर्वे में आवास आबंटन में नामांकित किया गया था इस साल उसे झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (JRDA – Jharia Rehabilitation & Development Authority) के द्वारा बलियापुर के बेलगड़िया में बने आवास में बसाने की प्रकिया शुरू की जाएगी।
जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी पुनर्वास करने के लिए अग्नि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए क्षेत्रीय महाप्रबंधक निर्देश को दिए जा चुके हैं।
बरसात का मौसम शुरू हो चुकी है जिसके कारण अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में भू-धंसान की खबरें ज्यादा आती है और गैस रिसाव भी अधिक मात्रा में होता है। जिसके मद्देनजर देखते हुए उपायुक्त (DC – Deputy Commissioner) सह प्रबंध निदेशक झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार अमित कुमार ने 18 जून गुरुवार 2020 को 2008 में हुए सर्वेक्षण में प्रभावित परिवारों को झरिया विहार और बेलगड़िया स्थित आवासों में बसाने के तत्काल निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
बरसात में गैस का तो रिसाव ज्यादा देखने को मिलता है गैस इतनी जहरीली होती है कि इससे इंसान बीमार तो होता ही है ज़्यादा देर तक संपर्क में रहने से मौत भी हो सकती है और इस तरह के गैसों से अनुवांशिक प्रभाव भी पड़ सकता है, जिसके कारण आपके बच्चे में भी पैदायशी कोई बीमारी तमाम उम्र रह सकती है, जैसे कि रेडियसन का प्रभाव से होता है।
लघभग 3 हज़ार परिवारों को ही अब तक बसाया गया है इनमे से घनुडीह झरिया, बोक्कापहाड़ी बकरहट्टा झरिया, गोपालीचक, आदि क्षेत्रो के हैं, और अभी भी ऐसे बहुत से झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्र है जिसका सर्वे तो किया है लेकिन अभी तक किसी को आवास आबंटित नही किया है।
और ऐसे बहुत से अग्नि प्रभावित क्षेत्र है जिसका अभी तक कहीं ज़िक्र ही नही किया गया है किसी भी तरह का सर्वेक्षण हुआ ही नहीं है बदहाल की ज़िन्दगी जी रहे ना खास कर के पानी की समस्या को लेकर हमने अपनी आंखों से देखा है करीब 2 – 2 किलोमीटर से पानी लाते और सड़क ऐसी की जरा सा पांव फिसला तो हाथ पैर टूटना लाज़मी है। कुछ लोगों की ज़िन्दगी बहुत बदहाल सी हो गई है
बड़ी मुश्किलों से दो वक़्त की रोटी मिल पाती है
इसी को वो ज़िन्दगी समझती है
न जाने कितनी ही जिंदगियां हर दिन
इस कोयले की भट्टी में जलती है
लोगों की जरूरते है
इसलिए इस धरती पर जिंदगियां बसती है
लोग खुद की परवाह तक नहीं करते
दो वक्त की रोटी की तलाश में
हर रोज दर बदर भटकते