कनकदास का जीवन परिचय : Kanakdas Biography in hindi

कनकदास का जीवनी हिंदी में

कनकदास कर्नाटक के एक बहुत ही प्रसिद्ध कवि और कर्नाटक के तत्वज्ञानी महान संत थे, कनकदास लोगों के बीच हरिदास नाम से लोकप्रिय थे और हरिदास के नाम से जाने जाते थे जिसका अर्थ है हरि अर्थात भगवान कृष्ण के सेवक। तो आज इस आर्टिकल में हम महान प्रसिद्ध कवि और तत्वज्ञानी महान संत कनकदास जी के बारे में जानेंगे। आखिर कनक दास जी का जन्म कहां और कब हुआ संत किस प्रकार बने हैं कवि कैसे बने आज इन्हीं सब चीजों के बारे में चर्चा करेंगे।

कनकदास का जीवन परिचय : Kanakdas Biography in hindi

कनकदास का जन्म व परिवार (Kanakdas Birth & Family)

कनक दास जी का असली नाम थिम्मप्पा नायक था, कनक दास उर्फ थिम्मप्पा नायक का जन्म बाड़ा गांव में वीर गौडा और बच्चमा के गड़रिया परिवार में सन् 1509 में हुआ था। कनकदास के पिताजी का नाम बीरप्पा है और माताजी का नाम बछम्मा है। कनकदास का निधन साल 1609 में 100 साल के उम्र के आसपास कागिनेले, ब्यादगी तालुक (जिला –हावेरी) में हुई थी।

कनक दास ने कर्नाटक के संगीत में बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह उनके उगभोगा और कीर्तन के लिए जाने जाते थे। कनक दास ने अपना पूरा जीवन संगीत और तत्वज्ञान के साथ साहित्य की रचना में समर्पित दिया। जिसे कनकदास ने सरल कन्नड़ भाषा में समझाया है।

यह माना जाता है कि कनकदास अपने जीवन का अंतिम समय तिरुपति में बिताया था। हालांकि कनकदास उडुपी निकटता से जुड़े थे, क्योंकि कनकदास स्वामी जी व्यास राय के अनुयायी थे।

उनके विनती पर कनक दास ने एक बार दिव्य हस्तक्षेप में भाग लेने के लिए उडुपी में श्री वादिराज तीर्थ की यात्रा की थी। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण जी का मुख पूर्व दिशा की ओर था।

कनकदास निम्न जाति के होने के कारण उस मंदिर के ब्राह्मण पुजारियों और आचार्य ने कनक दास को मंदिर में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी रोक लगा दी। इस घटना से कनकदास बहुत दुखी हुए। कनक दास जी मंदिर के पीछे चले गए और भगवान श्री कृष्ण को उनके लिए दरवाजा खोलने की विनती की और साथ में भजन भी गाए। चमत्कारी रूप से मंदिर के भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति घूम कर पश्चिम दिशा की ओर घूम गई।

भगवान श्री कृष्ण के मंदिर के पीछे की दीवार चमत्कारिक रूप से गिर गई, जिस कारण कनकदास को भगवान श्री कृष्ण के दर्शन हो गए। बाद में इस भाग में एक खिड़की बनाई गई, और कनकदास के स्मरण में खिड़की का नाम कनकनी किंडी दिया गया।

कनक दास को श्रद्धांजलि देने के लिए इसी मंदिर में एक छोटे मंदिर का निर्माण करवाया गया। और उसका नाम कनकन किंडी या कनन मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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Dipu Sahani
Dipu Sahani

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............

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