तंबाकू की उत्पत्ति कहाँ से हुई एक कथानुसार | तंबाकू की खोज

आज मैं आपको तंबाकू की उत्पत्ति के बारे में बताऊंगा जो एक पौराणिक कथानुसार है कि आखिर किस प्रकार तंबाकू की उत्पत्ति हुई थी।

एक समय में एक राजा हुआ करते थे, और उस राजा का एक साढू हुआ करता था। तो एक दिन राजा की जो रानी थी उसने अपनी बहन के पास एक संदेश भेजा उसकी बहन का पति एक ऋषि था जो राजा के सम्बंध में साढू लगते थे। संदेश में राजा की पत्नी ने कहा कि आप सपरिवार हमारे घर भोजन के लिए पधारे। और बहुत दिन भी हो गया है मैं आपसे मिलना भी चाहती हूं , बहुत दिन हो गया है हम लोग को मिले हुए बहुत याद भी आ रही है। तो ऋषि की पत्नी ने अपनी बहन का यह संदेश अपने ऋषि पति को बताई।

तो इसमें ऋषि मुनि ने कहा की साढू से दोस्ती अच्छी नही मानी जाती। तुम्हारी बहन तो एश्वआराम की जिंदगी जी रही है। किसी भी राजा को धन तथा अपनी संपत्ति और शक्ति का अहंकार होता है। तुम्हारी बहन हम लोगों को अपने महल में बेइज्जत करने के इरादे से बुला रही है। वहां जाने के बाद वो लोग चाह रहे हैं कि हम लोग भी उन्हें अपनी छोटी सी झोपड़ी में खाने के लिए आमंत्रण करें। और भला हम लोग जंगल में इतनी छोटी सी झोपड़ी में कैसे इंतजाम कर पाएंगे और अगर वो पूरी फौज ले के आ जाए तो हमलोग उतने सारे लोगों के लिए खाना का कहां से प्रबंध कर पाएंगे।


वो लोग अपने आप को अमीर दिखाना चाहते हैं और अपने सामने हमलोगो को नीचा दिखाना चाहते हैं। अगर हम ना जाए तो ही बेहतर होगा इसी में हमारी भलाई है, लेकिन ऋषि की पत्नी नही मानती हैं। और कहती है कि एक बार हमलोगों जाना ही चाहिए। किसी तरह ऋषि जाने के लिए तैयार हो जाते हैं और जाने की तैयारी होती है। उसके बाद तैयार होकर ऋषि और उसकी पत्नी अपने साढू के पास पहुंच जाते हैं। तो ऋषि की पत्नी की बहन बहुत ही अच्छे कपड़े पहनी हुई थी, और बहुत सारे गहने भी पहने हुए थे।

ऋषि और उसकी पत्नी तो बहुत सामान्य कपड़े पहन के गए हुए थे वहां पहुंचने के बाद वहां के दरबार ने देखा और मुस्कुराया और कहा कि देखो यह हमारे राजा साहब के साढू भाई उनके कपड़े तो देखो कितने पुराने लग रहे हैं। राजा के दरबारी की सारी बातें राजा के साढू भाई ऋषि मुनि सब सुन रहे थे। वहां जाने के बाद ऋषि और उसकी पत्नी ने खाना खाया और खाना खाने के बाद कहा कि आप लोग भी कभी हमारे घर खाने के लिए पधारे।

और 1 दिन राजा करीब हजार सैनिकों को लेकर अपने साढू ऋषि के घर पहुंच गए। तू ऋषि मुनि सब देख कर चौक गए भला इतने सारे लोगों का खाना कहां से आएगा। तो राजा के साढू ऋषि ने स्वर्ग लोक के भगवान इंद्र जी से निवेदन करते हैं कि मुझे आप एक कामधेनु दे। (सर्व कामना यानी इच्छा पूर्ति करने वाली गाय जिससे खाने की किसी चीज को मांगने पर मिल जाती थी, यह एक पौराणिक मान्यता है)

तो भगवान इंद्र जी ने एक कामधेनु गाय तथा एक बहुत बड़ा तंबू भेज दिया और साथ में कुछ लोग भेज दिए मदद करने के लिए। तंबू के अंदर इंद्र भगवान द्वारा दी गई कामधेनु गाय को रखा गया ऋषि मुनि के पूरे परिवार ने कामधेनु गाय माता की आरती उतारी। और अपनी सारी इच्छाएं बताई, और उसी वक्त स्वर्ग से 56 प्रकार के भोजन चांदी के बर्तनों में तंबू के अंदर आने लगे। जिसमें बहुत सारे पकवान थे। और कुछ ही वक्त में पूरा तंबू पूरे खाने से भर गया। तो राजा ने कहा कि हमारे साथ हमारे सेना भी भोजन करेंगे, और घोड़ा को भी भूख लगी होगी तो भी चारा खिलाना है।

तू राजा के साधु ऋषि मुनि ने कहा के प्रभु की कृपा से सब व्यवस्था हो जाए उसके लिए आप चिंता ना करें। सबसे पहले तो आप लोग भोजन करें, ऋषि के साढू भाई राजा भोजन करने के लिए भोजन के स्थान पर गया, वहां उसने देखा कि भूत सुंदर कपड़े बिजी हुई थी यह देखकर राजा बहुत हैरान हो गए उसने देखा कि चांदी की तालियों में अलग-अलग प्रकार के कई भोजन रखे हुए हैं। उसके बाद राजा को बिठाकर उसे खाना परोसी जाती है और इसी ऋषि मुनिवर राजा को खाना खाने की प्रार्थना करते हैं।

जब यह सब राजा ने इतना सारा देखा और सोचा कि ये तो हमारे महल के खाने के सामने कुछ भी नहीं है। हम लोगों ने पिक जिसके परिवार को ही भोजन करवाया था वह भी 3 से 4 पकवान ही बनवाए थे। राजा को अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, ऋषि मुनि के साढू भाई राजा के अंदर ही अंदर ईर्ष्या की भावना जाग रही थी। राजा और उसके सैनिकों ने बड़े चाव से भोजन किया और ऋषि मुनि भर की तारीफ भी की।

खाना खाने के पश्चात राजा अपने साढू भाई को तंबू में बुलाकर पूछते हैं कि इतना सारा भोजन जंगल में कैसे आया? ना यहां किसी प्रकार का चूल्हा जल रहा है ना ही खाना यहां कोई पकाने वाला है तो फिर यह खाना कौन पका रहा है खाना आखिर आ कहां से रहा है?

तू इसमें राजा के साढू भाई ऋषि मुनि व ने कहा कि मैं अपने पुण्य तत्व भक्ति से स्वर्ग से इंद्र भगवान से कुछ वक्त के लिए एक कामधेनु गाय मांगी। और उस कामधेनु गाय की खासियत यह है कि हम उस कामधेनु गौ माता से जितना भी खाना मंगवाते हैं वह सब तुरंत हाजिर हो जाती है। राजा को यह सब विश्वास ही नहीं हो रहा था तोरा जान अपने साढू भाई से कहा कि जरा मुझे भी दिखाओ कहां है वह कामधेनु गौ माता मुझे तो विश्वास नहीं होता जब तक मैं खुद अपनी आंखों से देख नहीं लूं।

ऋषि और राजा गौमाता जिस तंबू में थी उस तंबू के बहार द्वार पर खड़ा हो गए। राजा ने अपने साढू भाई ऋषि मुनिवर से कहा कि यह कामधेनु गाय मुझे दे दो क्योंकि हमारे पास बहुत से लोग हैं मैं इस कामधेनु गाय से खाना बनवा लूंगा। यह कामधेनु गाय तेरे किस काम की है। तो इसमें राजा के साढू भाई ऋषि मुनि व ने कहा कि हे राजन मनाइए कामधेनु गौ माता इंद्र भगवान से बस कुछ वक्त के लिए मांगी थी अब उन्हें वापस भी करना है तो यह मैं भला आपको कैसे दे सकता हूं मैं इंद्र भगवान को क्या जवाब दूंगा कि कामधेनु गौ माता गाय कहां गई।

तो इसमें ऋषि मुनि के साढू भाई राजा ने अपने सैनिकों से कहा चलो इस इस गाय को पकड़ो अगले चलो अपने महल। ऋषि मुनी जी सब समझ चुके थे। ऋषि मुनि को एहसास हो चुका था कि राजा कामधेनु गाय को बगैर लिए मानेंगे नहीं। और उसी वक्त राजा के साढू भाई ऋषि मुनि व ने कामधेनु गौ माता से कहा कि गौ माता आप तुरंत अपने स्वर्ग लोक राजा इंद्र देव के पास अतिशीघ्र लौट जाएं। आना था यह हमारा साढू भाई तुम्हें पकड़ कर बंदी बनाकर अपने महल ले जा कर मनमानी करेगा।

गौ माता को ऋषि-मुनि की आज्ञा मिलते ही वह आसमान के उड़ने के लिए तैयार हो जाती है और जैसे ही उड़ती है तो उसी वक्त ऋषि मुनि के साढू भाई राजा ने गौ माता के ऊपर तीर चला देते हैं। वह तीर जाकर गौ माता के पैर में लग जाती है, और गाय माता के पैर से खून बहने लगती है। हुआ गौमाता का खून पृथ्वी पर कई जगह गिरती है। किसी तरह कामधेनु गौ माता घायल अवस्था में अपने स्वर्ग लोक इंद्रदेव भगवान जी के पास पहुंच जाती है।

गौ माता का जो खून जहां जहां भी गिरे वहीं वहीं पर तंबाकू के पौधे उग गए फिर वह पौधा बड़ा हुआ फिर उस पौधे से बीज निकले और उस बीज से फिर बहुत सारे पौधे बने और इस तरह बहुत सारे तंबाकू के पौधे उग गए।

तमाखू (तंबाकू) का मतलब क्या है
तमा + खू = तमाखू

फारसी भाषा में तमा का मतलब गाय होता है, और खू का मतलब खून रक्त (Blood) कहते हैं। तो तमाखू गाय के खून से उत्पत्ति हुई है, और इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रोम भी होते हैं। तो पौराणिक कथा के अनुसार तंबाकू की उत्पत्ति कुछ इस प्रकार बताई गई है, हिन्दू धर्म में तंबाकू को निषेध भी बताया गया है, तंबाकू को न इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई है। लेकिन आज के वक्त में तंबाकू का सेवन इतना हो रहा है कि जिसे रोकना मुश्किल है।

तंबाकू से न जाने कितने ही बीमारियाँ फैलती है, लोग तंबाकू खाकर जहाँ तहां थूक देते हैं, लोग क्या कहेंगे उससे उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता है

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Dipu Sahani
Dipu Sahani

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............

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