झारखण्ड के कई कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई।
अब धनबाद में भी में ब्लैक फंगस (black fungal) के मामले सामने आये हैं, ये ब्लैक फंगस धनबाद के बलियापुर प्रखंड की एक 50 महिला में पाई गई, जो धनबाद की अशर्फी अस्पताल में भर्ती थी। अब इन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची भेज दिया गया है, इससे पहले भी झारखण्ड के अन्य जिले में ब्लैक फंगस के मरीज पाए जा चुके हैं।
ये महिला डायबिटीज, और किडनी से ग्रसित है, इससे पहले भी झारखण्ड में ब्लैक फंगस के मरीज पाए गए हैं। झारखण्ड राज्य में ब्लैक फंगस का पहला मामला 9 मई 2021 को रामगढ़ में 39 वर्ष के एक व्यक्ति में पुष्टि हुई थी।
इससे पहले ब्लैक फंगस के 2 मरीजों को RIMS के New ट्रामा सेण्टर में भर्ती है, और एक मरीज का आपरेशन भी किया चुका है, इसके बाद 10 मई 2021 को रांची में ब्लैक फंगस (black fungal) के 3 संक्रमित मरीज मिले हैं। ब्लैक फंगस की वजह से 2 मरीजों की आँख की रोशनी जा चुकी है।
एक शोध के रिपोर्ट के अनुसार ये ब्लैक फंगस कोरोना से जो ठीक हो चुके है या फिर जो मरीज की हालात धीरे धीरे सुधर रही है उसमे में भी ये ब्लैक फंगस पाया गया है। ये ब्लैक फंगस (black fungal) फेफड़े, नाक, दिमाग और मुंह को प्रभावित करती है।
ब्लैक फंगस के अधिकांश मामले कोरोना के मरीज में ही देखें गए हैं
कोरोना की जब पहली लहर आई थी उस समय इस तरह का कोई बीमारी नहीं थी यानि देखने को नहीं मिली थी। लेकिन कोरोना के दूसरी लहर में कोरोना भी थोड़ा update हो गया और साथ में गर कोई ठीक भी हो जाता है तो उसके कुछ दिन बाद ही कोरोना के कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के संक्रमण देखने को मिलता है।
जिसमे कुछ लोगो की आँखों की रोशनी चली जाती है और कुछ की तो आपरेशन करके आँखे ही निकालनी पड़ जाती है। गर इस अवस्था में संक्रमण के दौरान ऐसा नहीं किया गया तो इस संक्रमण की वजह और बाकि के अंगो को भी नुकसान हो जाता है। जान तक को खतरा हो जाता है।