टुंडी MP राज किशोर महतो का जीवनी | Raj Kishor Mahato Biography in hindi

Tundi MP Raj Kishor Mahato Biography in hindi

Raj Kishor Mahato टुंडी के पूर्व सांसद और उससे भी बड़े झारखण्ड के विख्यात और जनता के मुश्किलों की हर घड़ी में खड़ा रहने वाले झारखण्ड के कई आंदोलनों का समर्थन करने वाले नेता और एकमात्र मसीहा कहे जाने वाले स्व. बिनोद बिहारी महतो जी के बड़े सुपुत्र थे। बीते साल 74 साल की उम्र में बुधवार 2 दिसम्बर 2020 को धनबाद के जालान अस्पताल में इलाज के दरमियान निधन हो गया। राज किशोर महतो जी गिरिडीह से सांसद भी रह चुके थे और देखा जाये तो इससे पहले टुंडी और सिंदरी विधानसभा से राजकिशोर महतो जी विधायक भी रह चुके थे। 1991 में अपने पिता के निधन के बाद खाली हुए गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से इन्होने चुनाव लड़ा और जीता भी था। राज किशोर महतो जी झारखण्ड विधि आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके थे।

उसके बाद राज किशोर महतो जी भारतीय जनता पार्टी ( B.J.P.) में चले गए। इसके बाद आजसू ( AJSU – All Jharkhand Student Union ) पार्टी में शामिल हो गए। पिछले चुनाव में मथुरा प्रसाद महतो से पराजित हुए थे। 

राज किशोर महतो जी की मृत्यु कब और कैसे हुई?- How Raj Kishor Mahato ji died?

टुंडी के पूर्व सांसद Raj Kishor Mahto जी को 1 दिसम्बर 2020 को अचानक तबियत बिगड़ जाती है। उसके बाद Raj Kishor Mahto जी को धनबाद के जालान अस्पताल ले जाया जाता है। और भर्ती कराया जाता है, भर्ती होने से पहले करीब 10 से 12 दिन पहले ही इन्हें सेंट्रल अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था, और ठीक होकर घर भी लौट चुके थे। लेकिन इस बार तबियत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी। डॉक्टरों के मुताबिक राज किशोर महतो जी के फेफड़े में पानी भर गया था जिस वजह से हालात बहुत ही नाजुक बताई जा रही थी। डॉक्टरों के बहुत कोशिश के बावजूद भी राज किशोर महतो को बचा नहीं पाए। दुसरे दिन यानि की बुधवार 2 दिसंबर 2020 को राज किशोर महतो जी का निधन हो गया। 

राज किशोर महतो प्रोफाइल

राज किशोर महतो का जन्म (DOB)23 सितंबर 1946
उम्र74 साल
जन्मस्थानधनबाद
राज किशोर महतो का निधन (Death)2दिसम्बर 2020
राज किशोर महतो के पिता का नामस्व. बिनोद बिहारी महतो
माताजी का नामफुलमनी देवी
राज किशोर महतो के भाई बहन5
राज किशोर महतो की पत्नी का नाम

राज किशोर महतो जी का जन्म, परिवार, शिक्षा व प्रारंभिक जीवन

बात करे राज किशोर महतो जी का जन्म का तो इनका जन्म 23 सितम्बर 1946 को हुआ। राज किशोर महतो के पिता का नाम स्व. बिनोद बिहारी महतो है और माताजी का नाम फुलमनी देवी है। इनकी मां फुलमनी देवी गाँव निपनिया बन्दरचुआ की ही रहने वाली थी। इनकी मां कुछ खास पढ़ी लिखी नहीं थी,  राज किशोर महतो के दादा जी का नाम माहिन्दी महतो उर्फ़ महेंद्र नाथ महतो था। और इनकी दादी जी का नाम मन्दाकिनी देवी थी। राज किशोर महतो 5 भाई थे। 

  • सबसे बड़े भाई खुद राज किशोर महतो थे जो इंजिनियर बने लेकिन कुछ समय बाद अपनी पिता के पेशे वकालत में आ गए थे। 
  • दुसरे भाई नीलकमल महतो जो डॉक्टर बने। 
  • तीसरे भाई चंद्रशेखर महतो जो वकील ही बने। 
  • चौथे भाई प्रदीप कुमार महतो जिनकी मृत्यु पढाई के दौरान हो गई थी – आत्महत्या कर ली
  • पांचवे भाई अशोक कुमार महतो जो एक व्यवसायी है। 

राज किशोर महतो इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस, धनबाद ( I.S.M. Dhanbad) से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री ली। साथ में कानून में स्नातक भी किया था। पटना हाई कोर्ट के रांची पीठ में सन् 1990 – 1991 में दो वर्षो तक सरकारी अधिवक्ता भी रह चुके थे। राज किशोर महतो कि दो बहने भी हैं, पहली चन्द्रावती देवी जो स्नातक की हुई है। इनके पति शैलेन्द्र कुमार राय महतो एक डॉक्टर है। दूसरी बहन तारावती देवी जो स्वयं एक डॉक्टर है। इनके पति अजित कुमार चौधरी भी एक डॉक्टर ही है। राज किशोर महतो के एक चचा थे जिनका नाम शैलेन्द्रनाथ महतो था। राज किशोर महतो के पिता जी की तीन बहने थी। इनके पिताजी ने अपने भाई के बच्चो तक को (राज किशोर महतो जी के चचेरे भाई) पढाया लिखाया।

बिनोद बिहारी महतो को अपने बड़े पुत्र राज किशोर महतो पर बहुत नाज करते थे। पर उनके बड़े बेटे राज किशोर महतो भी सन् 1978 से उनसे दूर रांची में रहने लगा था। इसके बावजूद भी राज किशोर महतो अपने पिता बिनोद बाबू से प्रत्येक सप्ताह मिलने धनबाद अवश्य आते थे।

राज किशोर महतो का राजनैतिक करियर

Raj Kishor Mahato Biography

राज किशोर महतो गिरिडीह से सांसद भी रह चुके थे और देखा जाये तो इससे पहले टुंडी और सिंदरी विधानसभा से भी विधायक रह चुके थे। 1991 में अपने पिता के निधन के बाद खाली हुए गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से इन्होने चुनाव लड़ा और जीता भी। राज किशोर महतो झारखण्ड विधि आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके थे। उसके बाद राज किशोर महतो भारतीय जनता पार्टी ( B.J.P.) में चले गए इसके बाद आजसू ( AJSU – ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन ) पार्टी में शामिल हो गए पिछले चुनाव में उन्हें मथुरा प्रसाद महतो ने हराया था। सन् 1993 में झारखण्ड कोलियरी श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष बने। तथा अगस्त 1992 से अक्टूबर 1998 तक झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव भी रहे

Raj Kishor Mahato Biography


और 1998 से समता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे साथ ही अखिल भारतीय रेल यात्री समिति के अध्यक्ष भी रह चुके थे। राज किशोर महतो कितने ही शिक्षण संस्थाओ (संस्थानों) स्कूलो और कालेजो से जुड़े हुए थे जिनमे से कुछ विधि विधालय भी है।

राज किशोर महतो जी के साथ घटी एक घटना

सन् 1997 की शाम के वक्त था थोड़ी थोड़ी बारिश हो रही थी।राज किशोर महतो जी अपने घर चिरागोड़ा धनबाद स्थित मकान में अपने ड्राइंगरूम में बैठकर टीवी पर फूटबाल मैच देख रहे थे। इतने में उसके घर की डोर बेल बजती है। आवाज सुनकर राज किशोर महतो ने कहा देखो बाहर कौन आया है। राज किशोर महतो का भगिना बाहर गया और बरामदे से लौटकर कहा की कोई एक बुढा सा कोई आदमी है जो देखने में लगता है की आदिवासी है, वह टुंडी के पोखरिया गाँव से आया था। और आपसे मिलना चाहते हैं, उस दिन घर पर राज किशोर महतो का बॉडीगार्ड भी नहीं था। ड्राईवर भी नहीं था इसलिए घर से बाहर नहीं निकल सकते थे। पर ऐसे अवसर पर आराम में खलल डालना राज किशोर महतो जी को अच्छा नहीं लग रहा था। 

जब राज किशोर महतो घर के बाहर दरवाजे के निकट गया तो बाहर उसने देखा की एक बुढा सा आदमी बाहर खड़ा था। उसके सर से पानी की बूंदे टपक रही थी, वह बिलकुल सुखा-पतला सा था, गाल धंसे हुए थे। बाल छोटे थे एक पतला गमछा ओढ़े था और एक धोती पहने हुए था। उसकी आँखों में उदासी एवं बेचैनी का मिला जुला भाव था उसके चेहरे से प्रतित हो रहा था। इन्होंने उसके यहाँ आने का कारण पूछा तो वह सहम सा गया। पर उसने कहा की वह बिनोद बाबू के बेटे राज किशोर महतो साहब से मिलने आए हैं। इसी बीच बिजली चली गई और अँधेरा हो गया। उसे राज किशोर महतो ने बरामदे में बैठाया और मोमबती जलाई। उसने कहा की वह पोखरिया गाँव का रहने वाला है बिनोद बाबु जब भी पोखरिया आते थे तो वह उनसे एक बार जरुर मिलते थे।

उसने बताया की यह वही पोखरिया गाँव था जहाँ श्याम लाल मुर्मू रहता था। और जिसे हाल में ही लाल खंडी उग्रवादियो ने मार डाला था। मैंने उसका नाम पूछा तो उसने गोपाल मांझी बताया और कहा की उसे राज किशोर बाबु से मिलना है। राज किशोर महतो को अजीब लग रहा था। जब राज किशोर महतो ने अपना परिचय दिया तो वह शरमाया और कहा की उसने मुझे बहुत पहले देखा था। इसलिए पहचान नहीं सका, राज किशोर महतो ने पूछा तो कहा की उसे पांच सौ रुपये उधर चाहिए। और वह इस रकम को बहुत जल्द लौटा देंगे। उसने बताया की उसकी बहन धनबाद के सराईढेला अस्पताल में मर गई है। और बाकि लोग अस्पताल में ही है उसकी लाश को ले जाना है। श्राध कर्म भी करवाना है, राज किशोर महतो पोखरिया ग्राम एवं श्यामलाल मुर्मू दोनों को अच्छी तरह से जानता था। 

राज किशोर महतो घर के भीतर चले गए, कई लोग राज किशोर महतो को अपनी मज़बूरी का वास्ता देकर कई बार ठग चुके थे। लेकिन गोपाल मांझी किसी भी तरह से चालाक प्रतीत नहीं हो रहा था। और उसी दिन राज किशोर महतो रांची से घर लौटे थे, और लघभग सारा पैसा ख़त्म हो चुका था।राज किशोर महतो की पत्नी के पास भी पैसे नहीं थे। एक वक्त था जब गोपाल मांझी भी कभी बिनोद बिहारी महतो के साथ आन्दोलन में शामिल होते थे। इसी विश्वास पर एक भरोसे पर एक उम्मीद से गोपाल मांझी मदद के लिए आया था। राज किशोर महतो मन ही मन सोचा और कहा मुर्ख कहीं का, उसे पता ही नहीं की दुनिया कितनी बदल गई है। शिबू सोरेन अब बहुत बड़ा आदमी बन गया, बिनोद बिहारी महतो का बेटा बिनोद बिहारी महतो नहीं बन सकता।

उसे पूरा विश्वास था की बिनोद बिहारी महतो जी के चौखट से आज तक कोई खाली हाथ वापस नहीं लौटा। खास कर के उसके आदिवासी समुदाय के लोग। राज किशोर महतो को पता था की वो यहाँ क्यों आया है, उसे विश्वास मेरे पिता के कर्मो पर था। वे सबकी मदद करते थे इस स्वाभाव से सब लोग अच्छे से वाकिफ थे। राज किशोर महतो ने अपनी कमीज की सारी जेबे खंगाल लिया। किसी एक जेब में उन्हें 500 रुपये मिल गए राज किशोर महतो ने बाहर निकल करके गोपाल मांझी को 500 रुपये दे दिए। उसने रुपये गिने भी नहीं, बस उसने राज किशोर महतो को सलाम किया और वहां से चले गए। आज हमारे बीच न बिनोद बिहारी महतो है न ही उनके बड़े बेटे राज किशोर महतो जी है।

दोनों ने ही बहुत बढ़िया काम किया है, खास करके राज किशोर महतो जी के पिता जी ने। जो आजतक किया है पूरे झारखंड और कुछ अलग अलग सीमावर्ती राज्यों में शायद ही अभी तक किया होगा। और ऐसा कोई इंसान पैदा नहीं हुआ होगा जो अपनी सारी संपती जनता और अपनों के बीच बाँट दिया हो। बिनोद बाबू से अपनी पहचान बनाने वाले बिनोद बिहारी महतो ने आजतक जितने दान दिए हैं इतना अभी तक कोई नही दिया होगा।झारखंड और अन्य राज्यों में भी बिनोद बाबू ने बहुत दान दिए हैं। आज भले हमारे बीच बिनोद बाबू जी नही हैं लेकिन हर युग में इन्हे याद किया जाएगा। इन्ही के द्वारा स्थापित कई विधालय और विश्वविधालय के बदौलत आज बहुत से बच्चों को शिक्षा मिल पा रहा है।  

Anshuman Choudhary

I live in Jharia area of ​​Dhanbad, I have studied till Intermediate only after that due to bad financial condition of home I started working, and today I work and write post together in free time............