12th fail IPS मनोज कुमार शर्मा का जीवन परिचय : 12th fail Manoj Sharma real full story

ऊपर जो फोटो है उसमे सबसे पहले IPS Manoj Kumar Sharma है उनके बगल में IPS Manoj Kumar Sharma जी की पत्नी है श्रद्धा जोशी शर्मा है, जो एक आईएएस ऑफिसर है। और उसके बगल में Manoj Sharma के कोचिंग के प्रिय मित्र अनुराग पाठक जी हैं। जो एक GST के डिप्टी कमिश्नर है और साथ में 12th Fail के उपन्यास के लेखक भी है। IPS Manoj Kumar Sharma प्रिय मित्र अनुराग पाठक जी और भी कई किताबे लिख चुके हैं। जिसका नाम मैं बाद में Mention कर दूंगा। आज मैं आपको ऐसे शख्स की शख्सियत के बारे बताऊंगा जिनका नाम है मनोज कुमार शर्मा। जो 12वीं में असफल जरुर हुए हैं, जीवन में भी कई बार असफलता जरुर मिली है, लेकिन कभी जिंदगी में हार नहीं मानी।
इनका जीवन इतना संघर्षपूर्ण रहा है की जिसने भी इनकी कहानी सुनी है उसकी आँखों में आंसू आ जाते हैं। इनके ऊपर तो एक फिल्म भी बन चुकी जिसको देखकर आपके आँखों में आँसू आ जाएंगे। 12वीं में फेल होने के बाद भी मनोज शर्मा हार नहीं मानते हैं खुद से पढाई का वायदा करने के बाद पैसा न होने के कारण पढाई के लिए आटा चक्की में काम किया। पढाई के दौरान मंदिरों में सोया भिखारियों के साथ सोया पार्क में सोया, न जाने कहाँ कहाँ बेगैर खाए पिये कई दिन बिताए। ये कहानी है 12th fail ऐसे लड़के की जिनके पास कुछ नहीं नहीं था। खाने तक के पैसे नही थे भिखारियों के साथ सोया, बावजूद इसके मनोज कुमार शर्मा जिंदगी में कभी हार नहीं माना। और हौसला बुलंद कर दुनिया का सबसे मुश्किल Exam UPSC की तैयारी करता है।
आखिरी Attempt में UPSC निकाल लेता है, और IPS बन जाता है। इससे पहले भी मनोज शर्मा UPSC Attempt कर चुका था, लेकिन सफलता नहीं मिली। और जो आज की तारीख़ में Manoj Kumar Sharma IPS Officer है और आज कहीं DIG बनते है तो कहीं SP कहीं कमिश्नर।आईपीएस मनोज कुमार शर्मा जी के जीवन में इतना संघर्ष रहा है की शायद ही किसी ने अपने जीवन में ऐसी ऐसी परिस्थितियों का सामना किया होगा। इनके हर कदम पर कांटे बिछे हुए थे और इनको इस चीज के बारे में पता भी थी लेकिन मनोज शर्मा ने उसी रहा पर चलने का फैसला किया।
मनोज कुमार शर्मा का जन्म परिवार व शिक्षा
मनोज शर्मा का पूरा नाम | मनोज कुमार शर्मा |
जन्मदिन | 1977 |
जन्मस्थान | बिलग्राम गाँव मुरैना जिला मध्यप्रदेश |
उम्र | 47 year’s (2021) |
कॉलेज | Maharani Laxmi Bai Government College of Excellence Gwalior (MP) |
मनोज शर्मा की माताजी का नाम | |
पिताजी का नाम | रामवीर शर्मा |
मनोज कुमार शर्मा का भाई-बहन | एक भाई, एक बहन |
मनोज शर्मा की पत्नी का नाम | श्रद्धा जोशी शर्मा (आईएएस) |
मनोज शर्मा के बच्चे | बेटा – मानस शर्मा |

इनके ज़िन्दगी में ऐसी ऐसी घटनाएं घटती है जो शायद किसी फिल्म में भी नहीं देखी होगी, इनके जीवन में गरीबी, ड्रामा, Love Story, Struggle, दोस्ती, परिवार है और अलग अलग बहुत से किरदार है, जिनमे से कुछ साथ देते हैं तो कुछ Demotivate करने का काम करते है। जब मैंने ये आर्टिकल लिखा था उस वक्त तक इनके ऊपर फिल्म नहीं बनी थी। लेकिन आज की तारीख में इनके जीवन पर एक फिल्म 12th fail बन चुकी है। जिसमे बहुत से कलाकारों ने अभिनय किया। स्टार कास्ट – मेधा शंकर ( As a श्रद्धा जोशी) , विक्रांत मस्से ( As a IPS Manoj Kumar Sharma), प्रियांशु चटर्जी (As a डीएसपी दुशयंत सिंह ) और भी बहुत से कलाकार है जिन्होंने 12th fail में अभिनय किया। जब 12th fail फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई तो कुछ खास नहीं चली इसके पीछे वजह साफ थी अक्सर सच्ची कहानियों पर आधारित फिल्मे नहीं चलती। क्योंकि आज के समय में लोगों को असलीलता देखना ज्यादा पसंद करते हैं।
मनोज कुमार शर्मा का जन्म व परिवार (Birth, Family & Education)
तो आईपीएस मनोज कुमार शर्मा जी का जन्म विलग्राम गाँव में 1977 में हुआ जो की मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पड़ता है। मनोज कुमार शर्मा जी के पिता जी रामवीर शर्मा जी कृषि विभाग में में काम करते हैं जिनका मनोज शर्मा के जीवन में एक अलग ही किरदार है। मनोज शर्मा जी की माता जी का मनोज शर्मा के जीवन में एक अहम् रोल है, जो हर मुश्किल घड़ी में मनोज शर्मा की मदद करती है। मनोज कुमार शर्मा जी के एक बड़े भाई भी है, जब मनोज शर्मा 12वीं में फेल हुए तब दोनों भाई साथ टेम्पू भी चलाते है। क्योंकि उस वक्त उनकी घर आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। मनोज शर्मा की एक बहन भी है। इनके जीवन में कुछ दोस्त भी है जिनमे से कुछ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है तो कुछ Demotivate करते हैं, जिसकी वजह से मनोज शर्मा कुछ समय के लिए जरुर टूट जाते हैं।
लेकिन कुछ दोस्त के प्रोत्साहित करने के बाद मनोज शर्मा के अंदर कुछ करने की जोश भर आता हैं। लेकिन गरीबी भी इनके जीवन में इतना था की जिसकी कोई सीमा ही नहीं है जिसके बारे हम आगे जानेंगे।
मनोज कुमार शर्मा जी की पढाई लिखाई
लेकिन 8वीं करने के बाद मनोज शर्मा अपने गांव आ चुके थे। उसके बाद मनोज कुमार शर्मा किसी तरह चीटिंग करके 11वीं तक तो पढाई पूरा कर लेता है। लेकिन 12वीं की परीक्षा के बाद मनोज शर्मा के जीवन में एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट आता है। धीरे धीरे बदलाव आना शुरू होता है। चीटिंग करके पास इसलिए होता है क्योंकि जहाँ पर मनोज शर्मा रहते थे वहां के स्कूलो में अकसर परीक्षा के दौरान चीटिंग होती थी। जो वहां के टीचर खुद करवाते थे ताकि वो आसानी से पास हो सके।
Manoj Kumar Sharma struggle life, संघर्षपूर्ण जीवन,
मनोज शर्मा जी की कहानी मैं 12 वीं की कक्षा से शुरू करता हूँ क्योंकि इनके जीवन में जो सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट आता है वो 12वीं की परीक्षा के बाद ही आता है। इसके बाद ही मनोज शर्मा को धीरे धीरे अपने जिम्मेवारियों का एहसास होता है। जिसके लिए वो क्या नहीं करता है। तो मनोज शर्मा का अगले दिन 12वीं की गणित की परीक्षा थी। इनका गांव चंबल घाटी के पास ही पड़ता है। और वहाँ के हालात सभी को लगभग पता ही है और जो वहां स्कूल थे तो उस समय उसमे हर परीक्षा में बहुत चीटिंग होती थी। मनोज शर्मा जितने भी बोर्ड/सेकेंडरी और Intermediate की परीक्षा देते थे। लगभग छात्र चीटिंग करके ही पास हुआ करते थे। तो उस समय इनके स्कूल में खूब चीटिंग होती थी।
तो मनोज का अगले दिन 12वीं की मैथ की परीक्षा था और ये जहाँ रहते हैं जिस स्कूल में इन्होंने पढाई की थी। नीचे की जितने भी क्लास थे मान लो की 8वीं से 11वीं तक की पढाई मनोज ने चीटिंग करके पास किया था जो इनकी आदत भी बन गई थी।
मनोज कुमार शर्मा का 12वीं के परीक्षा में क्या होता है?
जब मनोज शर्मा 12वीं की परीक्षा दे रहा था तो वहां के शिक्षक खुद छात्रों से चीटिंग करवाते है। यहाँ तक की खुद परीक्षा में बोर्ड पर प्रश्नों का ऊतर लिख देते थे। तो अगले दिन मनोज 12वीं की परीक्षा देने के लिए निकलता है उसके साथ एक दोस्त भी था जिसका नाम विष्णु था। जो पढने में बहुत तेज था, और कक्षा में हमेशा 1st आता था। 1st आने पर विष्णु के पिता पूरे मोहल्ले में लड्डू भी बांटता था। और विष्णु मनोज शर्मा को चिढाते भी थे, कि तुम मेरे सामने कुछ भी नहीं हो। और विष्णु के पिता पूछते भी थे की बेटा मनोज इस बार की परीक्षा में कितने अंक आए हैं। तो विष्णु का मनोज शर्मा जी के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। तो दोनों परीक्षा देने के लिए साथ में बस पर चढ़ता है क्योंकि इनके गाँव से स्कूल की दुरी करीब 30 किलोमीटर थी।
गणित की परीक्षा में भी चीटिंग होती है, स्कूल में सब छात्र का पहुंचने के बाद परीक्षा शुरू होती है। उस स्कूल के टीचर ही चीटिंग करवाते थे खुद से बोर्ड पर लिखते थे तो उस दिन भी मैथ की परीक्षा में Answer बोर्ड पर लिखा रहा था। और जैसे ही बोर्ड पर answer लिखना शुरू किए थे कि वैसे ही वहां पहुंच जाते हैं जिले के SDM साहब और उन्हें पता चल जाता है कि यहां चीटिंग चल रही है। तो स्कूल के टीचर और छात्र को लगा कि बस चेकिंग में आए हैं तुरंत चले जाएंगे, उसके बाद तो चीटिंग कराएँगे ही। तो वहाँ परीक्षा में अकसर ऐसा ही होता था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। SDM साहब कुर्सी लगा के पूरे परीक्षा के दौरान बैठा रहा। और जितने भी बाकी के परीक्षा हुए सभी विषय के परीक्षा में SDM सहाब स्कूल में आकर कुर्सी लगा के बैठा जाता, और चीटिंग नहीं होने देते।
मनोज के क्रिकेट commentatory से जिले के SDM क्यों खुश होते हैं?
परीक्षा खत्म होने के बाद रिजल्ट आने में अभी समय था, इसी दरमियान उनके गाँव में क्रिकेट मैच होता है। दुसरे गाँव की टीम से जिसमे मनोज भी भाग लेना चाहता था और खेलना चाहता था। जिसके लिए सब खिलाड़ियों को 10 -10 रुपये देने थे। जब मनोज अपनी मां से 10 रुपये मांगते हैं तो माँ ने कहा कि मेरे पास 10 रुपये नही है। लेकिन मनोज का मन नहीं मान रहा था। उसे भी क्रिकेट खेलने का मन कर रहा था। लेकिन खेल नहीं पाता है फिर मैच देखने मनोज जाता है। और उस मैच में भी chief guest के रूप में वही SDM साहब थे जिसे देख मनोज चौंक जाता है।उसके बाद मैच शुरू होती है उसमें एक commentator होता है, जो मैच में commentatory कर कर लोगो को पका देता है। कभी कुछ बोलता कभी कुछ बोलता बीच बीच में मजाकियाँ तरीके से commentatory कर रहा था।
अजीबो गरीब बाते करता ये सब सुनकर SDM साहब को अच्छा नहीं लग रहा था। और SDM साहब से रहा नही गया और उस commentator को टोक दिया। भाई ये कैसी commentatory कर रहे हो यहाँ सीरियस मैच चल रहा है वहां तुम वहां मजाकियाँ तरीके से commentatory कर रहे हो। बीच बीच में कई बार SDM टोकता है कि ये तुम क्या कर रहे हों ये मज़ाक चल रहा है क्या? उसके कुछ समय बाद commentator बोलता है मैं जरा हल्का हो के आता हूँ, वहीं पर मनोज शर्मा बैठा हुआ था। तो commentatory के लिए माइक मनोज को थमा दिया और कहा मैं आया थोड़ी देर में हल्का हो के तब तक तुम यहाँ संभालो commentatory तुम करो। उसके बाद मनोज commentatory शुरू करता है कुछ समय के बाद मनोज शर्मा का commentary SDM सहाब को बहुत पसंद आया। उसके बाद जब मैच खत्म होता है तो मनोज शर्मा को SDM साहब बुलाते हैं और कहते हैं तुम बोलते बहुत अच्छे हो।
SDM साहब द्वारा की गई तारीफ के बाद मनोज शर्मा का ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उससे फूले समाया नहीं जा रहा था की मेरी तारीफ SDM साहब ने की है। मनोज शर्मा बहुत ही खुश नजर आ रहे थे SDM साहब के तारीफ करने के बाद।
मनोज शर्मा का 12वीं का परीक्षा का रिजल्ट कैसा रहा?
क्रिकेट मैच खत्म होने के कुछ समय बाद रिजल्ट आने वाला था और जिस दिन रिजल्ट आने वाला था सुबह से बड़ा भाई गायब था। तो तब तक उस दरमियान मनोज शर्मा जी के पिता जी भी अपने गांव आ चुके थे। लेकिन वो एक महीने से घर में ही था अब उसके बाद मनोज शर्मा जी की माता जी मनोज के पिता जी को खरी खोटी सुनाने लगते हैं झाड़ने लगते हैं। और कहते है कि घर पर रहने का ही विचार है क्या काम वाम पर जाना नहीं है क्या? लेकिन इसके बावजूद मनोज शर्मा के पिताजी मनोज की मां की बातो पर ध्यान नहीं देते है। और मनोज के पिताजी कहते हैं कि मेरे काम में ज्यादा दखलंदाजी करने की आवश्यकता नहीं है, तुम अपना काम से मतलब रखो। तो रिजल्ट आने वाला था बड़ा भाई सुबह से गायब था । उसके बाद मनोज शर्मा के छोटे चाचा श्याम सुन्दर शर्मा जी वहां लपकते झपकते हुए पहुंचते हैं।
और मनोज शर्मा के पिताजी यानी अपने बड़े भाई से कहा कि 12वीं का रिजल्ट आ गया है। और मनोज 12वीं में फैल हो गया है। लेकिन ये सुनने के बाद भी बावजूद भी मनोज के पिता को जरा सा भी फर्क़ नहीं पड़ा। मानो जैसे कुछ हुआ ही नही हो। घर में किसी से अच्छे से बात तक नहीं करते थे। और किसी का ध्यान भी नहीं रखते थे। मनोज के चाचा मनोज के पिता को मनोज के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे थे फिर थोड़ा बढ़ा चढा कर कहते हैं। कि मनोज fail हो गया है सिर्फ हिन्दी में ही पास हुआ बाकी सब विषय में फेल हो गया है। मनोज के पिता फिर कुछ प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। फिर उनके चचा कहते हैं आपने मनोज के नंबर देखें हैं हिंदी छोड़ के बाकि के सभी विषय में 11,12, 14 इस तरह के नंबर आए हैं। कोई चिंता है आपको फिर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
उसके बाद मनोज के चाचा जी आखिरी पाशा फेंकते है और कहते हैं कि मैंने पहले ही कहा था कि मनोज पास नहीं होगा। मैंने पहले ही कहा था कि मनोज को अपने साथ रखो जब तक आपके साथ था ठीक था, लेकिन आपने मेरी एक नहीं सुनी और देख लो उसका नतीजा, उधर मनोज की मां भी कहती है की हमारा बेटा फेल हो हो गया है। और आपको कोई चिंता ही नहीं है। उसके बाद मनोज शर्मा के पिता कहते है की एक महिना से बहुत काम दफ्तर में पड़ा हुआ है। मैं चला दफ्तर लेकिन कोई बात नहीं अगले साल मनोज अच्छे से पढाई करेगा और पास हो जायेगा। इधर इनके भैया जी आते है और कहते है कि मैंने एक जबरदस्त आईडिया सोचा है मुझे एक टेम्पू ले दो अब मैं टेम्पू चलाऊंगा टेम्पू का business बहुत ही बढ़िया है।
लेकिन इधर मनोज बहुत परेशान था और सोच रहा है कि अब तो मैं फेल हो गया, ये कैसे हो गया? अब मैं क्या करूँगा? तो मनोज शर्मा को शुरू से ही लोगो की मदद करने की भी आदत थी गाँव में जो कुंए पर उम्रदराज महिलाये पानी भरने के लिए आती थी तो मनोज कुंए से पानी निकाल कर उनको भर कर दिया करते थे। और उसके बदले में मनोज को आशीर्वाद भी मिल जाता था। तो मनोज शर्मा को ये सब करके बहुत अच्छा लगता था। तो जिस दिन मनोज 12वीं फेल हुआ उस दिन मनोज उस कुएं के पास जाकर अकेला बैठ गया। बहुत ही उदास चेहरा लिए मुंह एकदम सा लटका हुआ था। शायद मनोज के आँखों में आंसू भी थे लेकिन उसे छुपा लेता है उधर उनका दोस्त विष्णु मिलता है। जो हमेशा चिढाता रहता था।
तो फिर पहले की तरह चिढाना शुरू कर देते हैं और बड़े ही तेज आवाज में विष्णु कहता है क्या भाई क्या हुआ 12वीं रिजल्ट का मैं तो 1st डिवीज़न आया हूँ। मनोज ज्यादा ध्यान नहीं देता है उसके बाद कुंए पर एक महिला आती है और मनोज उनकी मदद करता है। उसके बाद वो महिला मनोज को आशीर्वाद देती है। और कहती है इस बार तुम बेटा अच्छे नंबर से पास होगे। लेकिन विष्णु उधर ही था ,और कहते हैं क्या पास होगा मनोज तो फेल हो गया। उधर से उनके चाचा श्याम सुंदर भी गुजर रहे थे और वो भी कहते है। इसका तो passing मार्क्स भी नहीं आया है। सभी विषय में 10,12, 15 नंबर ही आये हैं किसी में भी 20 नंबर से ज्यादा नहीं आये हैं। सिवाय हिंदी विषय छोड़कर, मनोज को बहुत ही ख़राब लगता है। अपने आप पर बहुत अफ़सोस होता और दुःखी होता है।
12वीं फेल के बाद जब मनोज अपने बड़े भाई के साथ टेम्पू चलाता है
12 वीं में फेल होने के बाद मनोज को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करे? मनोज घर जाता है और कहता है, कि टेम्पू ले ही लेते है भैया ठीक ही कह रहे हैं, टेम्पू चलाएंगे तो घर के हालत तो कम से कम सुधरेंगे। उधर बड़े भाई पिताजी से कहते है की सेकेण्ड हैण्ड टेम्पू खरीदने के लिए मुझे 10 हजार रूपये चाहिए तो पिताजी कहते है कोई पैसा नहीं मिलेगा। मेरे पास अभी इतना पैसा है ही नहीं, लेकिन मां अपने बेटो की परेशानियों को और घर की परिस्थितियों को अच्छे से समझती थी। और कहती है की ये लो बेटा कुछ जेवर है इसे गिरवी रख कर कुछ पैसे मिल जायेंगे। और मेरे पास कुछ पैसे है और कुछ इधर उधर से जुगाड़ करती हूँ और किसी तरह 10 हजार रुपये इकट्ठा करके एक सेकेंड हैण्ड टेम्पू खरीदता हैं।
उसके बाद उस टेम्पू के ड्राईवर होते है मनोज के बड़े भाई और उसके खलासी होते हैं मनोज, पढाई छोड़ चुका था। और अब दोबारा पढाई नहीं करूँगा, अब मैं टेम्पू ही चलाऊंगा।
जब बेवजह मनोज के टेम्पू को पुलिस पकड़ लिया
एक दिन मनोज के टेम्पू को पुलिस बेवजह पकड़ लेती है। जबकि मनोज के पास टेम्पू के सारे कागजत थे। लेकिन फिर भी पुलिस नहीं मानती है। उसके टेम्पू को पुलिस थाने ले आती है और साथ में दोनों भाई भी थाने ले जाता है और वहां दोनों भाई डरते डरते पूछते है आपने हमारा टेम्पू क्यों पकड़ा है? हमारे पास सभी कागज है, लेकिन पुलिस वाले कुछ बोलते नहीं है। तभी पुलिस वाला एक आदमी को बुलाता है जो पुलिस वाला से मिला हुआ था मनोज से कुछ पैसे ऐंठने के लिए। वो आदमी बोलता है की सर मैं तो सड़क किनारे जा रहा था पीछे से एक टेम्पू ने टक्कर मार दी और बाइक सहित मैं सड़क पर गिर गया। और मैं घायल हो गया और ये वही टेम्पू है जिन्होंने मुझे टक्कर मारी थी।
उसके बाद पुलिस वाले कहते है टक्कर भी मारते हो और ऊपर से हमसे ही बहस करते हो। बंद करो इन दोनों को, जेल में दोनों भाई को कुछ समय के लिए बंद कर दिया है। दोनों खूब रोते हैं इधर इनके माता जी खूब परेशान हो रही थी कि अभी तक हमारा दोनों बेटा नहीं आया है। इतनी रात हो गई अभी तक कहाँ है किस हालात में है उनकी मां बहुत डरी हुई थी। उधर दोनों भाई थानेदार के सामने विनम्र निवेदन करते हैं गिड़गिड़ाते है। फिर उसके बाद किसी तरह दोनों भाई को छोड़। लेकिन पुलिस वाला कहता है की टेम्पू कोर्ट से छुड़ा लेना, कोर्ट से छुड़ाने के मतलब कि मामला बहुत लंबा खींचने वाला था। दोनों भाई छूटने के बाद अब चूँकि रात भी काफी हो चुकी थी कोई गाड़ी भी नही मिलती है।
थाने से उसके गांव की दूरी करीब 10 किलोमीटर थी अब उसे पैदल घर तक कि दूरी तय करनी थी जैसे तैसे पैदल ही घर पहुंचते है। और जैसे ही घर पहुंचते है माँ वहां इन्तेजार कर रही होती है। मां को देखकर गले लगकर मनोज बहुत जोर जोर से रोने लगता है। उसके बाद मनोज अकेले में भी खूब रोता है।
मनोज SDM साहब से क्यों मिलने गया था?
मनोज शर्मा को एक ही उपाय सूझ रहा था की अब उनको SDM साहब के पास जाना चाहिए। अब हमारी वही मदद कर सकता है। अब दोनों भाई जाते हैं SDM के पास और जैसे ही SDM के ऑफिस में पहुँचते है वहाँ और भी बहुत से लोगों का हुजूम जमा था। जो अपनी अपनी समस्यायें लेकर आया था। और SDM साहब जी सब की समस्याएं सुन रहे थे और उसका समाधान कर रहे थे। मनोज शर्मा सोचते है अगर मैं SDM सहाब से कहूँगा की मैं टेम्पू चलाता हूँ तो वो क्या सोचेंगे और क्या कहेंगे मैं उनसे पहले मिल चुका हूं उन्हें लगता है मैं पढ़ने में अच्छा हूँ। तो मनोज शर्मा एक पर्ची में Education से संबंधित के बारे में लिखता है और बाहर खड़े दरबान को दे देता है। उसके बाद जैसे ही मनोज शर्मा SDM साहब के ऑफिस में प्रवेश करते है, SDM साहब मनोज को पहचान लेते हैं।
और कहते ये देखो गांव का सबसे अच्छा Commentator आ गया है। और अभी यहाँ जो वकीलों और विभागों के बीच जो मैच होने वाला है इसमे यहाँ Commentatory करेगा, मनोज बहुत खुश होता है। उसके बाद एक – एक करके सारे केस सुलझाए जाते हैं। तब वहां एक केस ऐसा आता है। वही आदमी होता और उसके साथ वहीं पुलिस वाला, जिसकी वजह से मनोज के टेम्पू को पुलिस ने पकड़ ली थी। मनोज के ऊपर उस आदमी को टेम्पू से ठोकने का इल्जाम लगाया था। और अब वो दोनों कुछ दूसरा ही केस ले के आया था। वो एक गरीब आदमी का केस लेकर आया था ये देखकर मनोज चौंक जाता है। उसके साथ एक और आदमी था जो मुजरिम था जिसे फंसाया गया था।
तो वही आदमी बोलता है इसने मेरे ऊपर गोली चलाई है और वहाँ मनोज शर्मा और उसका बड़ा भाई भी खड़ा था। और ये उसकी नौटंकी मनोज देख रहा था। मनोज को बहुत ही गुस्सा आ रहा था कि पहले मुझे फंसाया अब इस गरीब आदमी को लूटने के चक्कर मे है। ये पुलिस और वो आदमी की मिली भगत है ये मनोज समझ गया था। एक समय मनोज को लगा कि SDM साहब को सब सच सच बता दूं लेकिन SDM सर की नजरे बहुत तेज थी। पुलिस और उसके साथ आए आदमी का झूट पकड़ लेता है और कहता है कि ये सब तो ठीक है। दिन भर में ऐसे करके कितना कमा लेते हो। उसके बाद उन दोनों की सच्चाई सामने आने के बाद थानेदार और उस आदमी को सजा दी जाती है।
उसके बाद ये सब देखकर कि कैसे SDM सर ने इन दोनों का झूट पकड़ लिया और सजा भी दी। और यहीं से मनोज का सोचने का तरीका बदल गया। और सोचता है कि SDM सर कितने अच्छे हैं अब SDM सरमनोज का ideal बन जाता है। और वहां पर मनोज अपने टेम्पू के बारे में शिकायत करता ही नहीं है। जबकि वो टेम्पू का शिकायत कर सकता था क्योंकि उसके साथ उसका बड़ा भाई भी था। लेकिन मनोज वहां कहता है कि सर आप जैसा Deputy Collector कैसे बना जा सकता हैं? तो इसमे SDM साहब कहते हैं बस पढ़ाई करनी पड़ती है। उसके बाद MPPCS का EXAM देना पड़ता और इसमे टॉप करना पड़ता है। ये सब सुनने के बाद मनोज ठान लेता है कि किसी तरह इन्हें SDM (Deputy Collector) ही बनना है।
उसके बाद अपने प्रिय दोस्त राकेश को बताता है, उधर विष्णु भी था, तो विष्णु कहता है कि 12th fail है क्लर्क निकालने की औकात नहीं है। और चले है कलेक्टर बनने तुमसे न हो पायेगा चलो निकलो तुम्हारे जैसे हज़ारों आये और गए। विष्णु के ऐसा कहने पर मनोज को बहुत गुस्सा आता है। और सारा जोश मनोज का पल भर में ठंडा हो जाता है। लेकिन वहाँ पर उसका दोस्त राकेश था। जो मनोज शर्मा को बहुत ज्यादा प्रेरित करता है और कहता है कि SDM बनते तो इंसान ही है तुम भी इंसान हो तुम भी बन सकते हो इसमे कौन सी बड़ी बात है।
जब मनोज कुमार शर्मा ग्रेजुएशन के लिए ग्वालियर गया,
मनोज शर्मा घर जाता है माता जी और चचा से बात विचार होती है और उसके बाद मनोज Deputy Collector का सपना लिए ग्वालियर पहुंच जाता है। माता जी ने 2000 रुपये दिए थे और हर महीना घर से 2000 रुपये आया करता था। मनोज ग्वालियर Graduation करने के लिए गया। जब पढ़ाई के लिए ग्वालियर गया तो रहने के लिए बहुत दिक्कत हो रही थी। तो कॉलेज के हॉस्टल थे तो वहीं रहते थे। जहाँ पर उनके अपने चचेरे भाई त्रिलोकी रहता था। तो मनोज के चचा ने ही कहा था कि जहाँ मेरा लड़का पढ़ रहा है वहीं पर मनोज को भी दाखिला दिलवा दो। दोनों साथ मे पढ़ाई करेगा दिक्कत भी नहीं होगी। जिस कॉलेज के रूम में त्रिलोकी रहता था साथ में उसके एक और छात्र रहता था। अब उसी में मनोज को भी रहना था, दूसरा जो लड़का था उसका नाम केशव था जो मनोज को रूम में नहीं रखना चाहता था।
लेकिन मनोज से केशव ये बात नहीं कह पा रहा था। लेकिन मनोज शर्मा की सारी जिम्मेवारी मनोज के चचेरा भाई त्रिलोकी के ऊपर ही थी। और उसका चचेरा भाई भी था तो मनोज को त्रिलोकी अपने साथ ही रखना चाहता था। मनोज शर्मा का ग्वालियर के कॉलेज में जब पहला दिन क्लास हुआ तो तब सब का परिचय चल रहा था। अब मनोज शर्मा को शर्म आ रहा था क्योंकि वो कैसे बताये कि वो 12th fail है। लेकिन वो वहाँ झूट बोल देता है। और जब क्लास लेनी शुरू होती है तो सबसे पहले एक सवाल पूछी जाती है कि किसको किसको मार्क्सवादी के बारे में पता है? तो मनोज ने इसके बारे में पढ़ा हुआ था। तो मनोज ने अपना हाथ खड़ा किया। मनोज ने सवाल का जवाब दिया जिससे टीचर बहुत खुश हुए और साथ में क्लास के सभी छात्र भी खुश होते हैं।
एक दिन रूम पार्टनर केशव मनोज से कह ही देता है कि मनोज तुम कहीं और रूम देख लो यहां 3 लोगों में बहुत दिक्कत होती है। जब ये बात त्रिलोकी को पता चला तो उसने कहा कि ऐसा है कि ये मेरा भाई है तुम चुपचाप बैठो एक साल तक मेरे साथ ही रहेगा। त्रिलोकी एक दिन अपने गाँव चला जाता है। जिसका फायदा केशव उठाता है और एक दिन केशव किसी को बगैर कुछ बताये जान बुझ कर अपने गांव चला जाता है। और साथ में रूम में ताला लगाकर चाबी भी अपने साथ लेकर चला जाता है।
जब मनोज रूम पर पहुंचता है तो देखता है रूम में ताला लगा हुआ है। अब वो कहाँ जाए रात का वक़्त था वहाँ पर मनोज का कोई ज़्यादा जान पहचान थी नहीं। तो मनोज शर्मा चला जाता है नजदीक के एक मंदिर में। और जब वहाँ मंदिरों में भिखारियों को देखता है तो मनोज को बहुत दुख होता है। और मनोज शर्मा कहता है कि देखो ये लोग कितना मुश्किल से अपना जीवन बसर गुजर कर रहा है। कितनी समस्या है, और मैं अपनी किस्मत पर रो रहा हूँ किसी तरह पूरी रात मनोज शर्मा मंदिर में गुजार देता है। जब दूसरे दिन मनोज रूम पर गया तो देखा कि अभी भी ताला लगा हुआ है। केशव का कुछ अता पता नहीं, मनोज के पास मात्र 20 रुपये ही बचे। अब वो क्या करे भूख भी लगी हुई, तो मनोज छोले भटोरे खाकर किसी तरह अपना पेट आज भर तो लेता है।
अगले दिन भी भी रूम में ताला लगा हुआ था, कॉलेज की भी छुट्टी हो गई अब वो क्या करे? उसके बाद कॉलेज के नजदीक ही एक पार्क था उसमे बेंच था जाकर उसपे लेट गया। और इस तरह मनोज शर्मा 3 तीन इधर उधर रूम के बाहर ही गुजार देता है।
मनोज शर्मा जब होटल में बर्तन मांजता है।
मनोज शर्मा के पास अब पैसे भी नहीं बचे कि कुछ खा सके सारे पैसे खत्म हो चुके थे। जैसे जैसे करके मनोज 3 दिन गुजार चुका था। अब क्या करे? ना जाने कब त्रिलोकी आएगा? कब केशव आयेगा? मनोज शर्मा को अब बहुत जोर की भूख लग रही थी। चूंकि पैसा अब था नहीं तो कॉलेज के सामने एक भोजनालय था। तो वहां गया और वहाँ के जो मालिक थे उनसे हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया और कहा कि मैंने 3 दिन से कुछ नहीं खाया है। मुझे कुछ खाने को दे दीजिए उसके बदले मैं यहाँ कुछ भी काम कर दूंगा मैं बर्तन भी मांझ दूंगा। तो उस भोजनालय के मालिक को ये बात सुनकर बहुत दया आ गई। उसके बाद मनोज भोजनालय में खाना खाता है भोजनालय का मालिक बहुत ही दयालू था। और उसके बाद मनोज का एक दोस्त वहां पहुँच जाता है।
जब उसके दोस्त ने मनोज शर्मा की हालत देखी तो बहुत गुस्सा आया और मनोज से कहा कि तुम मुझे बता भी नहीं सकते थे। कि तुम तकलीफ में हो। तो इसमे मनोज ने कहा कि मैं तुमको ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। होटल मालिक ने मनोज से कहा कि तुम्हें यहां कोई काम करने की आवश्यकता नहीं है तुम जा सकते हो। लेकिन मनोज शर्मा नहीं मानते है और कहता है कि मैंने जो कहा है, जब खाना के बदले कोई काम करूंगा तो मैं करूंगा पूरी जिद्द करने लगता है। आखिर कर मनोज शर्मा करीब आधे घंटे तक बर्तन माँजता है और उसके बाद ही जाता है।होटल में बर्तन मांजने के बाद उसके दोस्त के आने के बाद मनोज अपना कमरा बदल लेता है। कुछ दिन बाद मनोज शर्मा को वहाँ भी किसी कारणवश रूम छोड़ना पड़ जाता है।
ऐसे ऐसे करके मनोज शर्मा का 2 साल गुजर चुका था। फिर भी उनके जीवन में परिस्थितियां नही बदली। बल्कि मुश्किलें और भी कई गुणा बढ़ गई थी। दोनों सालो की परीक्षा में मनोज शर्मा 2nd division आया था, 55 – 55 % आए थे। उसके बाद मनोज का तीसरा साल भी गुजर जाता है जिसमें मनोज शर्मा BA में 2nd division आया था।
जब मनोज शर्मा पिली कोठी के कोचिंग में जाता है
अब मनोज कुमार शर्मा फैसला करता है कि अब वो समय आ गया अब वो SDM बनके ही रहेगा। अब मनोज एक लंबा सफर की शुरुआत करने जा रहा था। तो वहाँ एक पीली कोठी थी जहां पर लोग PCS (Provincial Civil Service) और बड़ी बड़ी परीक्षाओ की तैयारी करते थे। एक बड़ा सा घर था जिसमें बहुत से कमरे थे। जब मनोज शर्मा BA Last year में था तब वो पीली कोठी गया था। और उसका सपना था कि वो यहाँ रहकर PCS की तैयारी करे। वहाँ एक दीपसोनी नाम का छात्र था जो PCS की तैयारी कर रहा था। और मनोज उससे पूछता है सर मुझे भी बताये कि PCS की तैयारी कैसे करते हैं? मुझे उसके लिए क्या करना होगा? तो इसमे दीपसोनी कहता है कि मैंने chemistry में PhD की है और मैं अभी 15 -15 घंटे पढ़ता हूं।
उसका कमरा भी ऐसा था कि चारो तरफ किताबे ही किताबी बिखरी हुई थी। बहुत लंबी चौड़ी लिस्ट बता दी ये सब देख-सुन कर मनोज शर्मा थोड़ा उदास हो गया कि SDM बनने के लिए इतना सब कुछ पढ़ना पड़ता है। मैं ये सब चीजे कैसे कर पाऊँगा। और दीपसोनी तो पक्का PCS निकाल लेगा। जब मनोज शर्मा काउंटर के बाहर बैठा था तभी प्रवेश होता है विक्रमादित्य पांडे उर्फ पांडे जी का, मनोज शर्मा के आगे आते हैं और उसकेके कंधे पर हाथ रखता। और कहता है Hi आई एम पांडे, मनोज शर्मा भी पांडे से हाथ मिलाता है। और यहां से मनोज का पांडे के साथ दोस्ती की शुरुआत होती है। पांडे एकदम मुँहफट था जो भी कहना होता है किसी के भी सामने खरी खोटी सुना देता था। ये भी नहीं सोचता कि उसकी बातो से किसी का दिल को ठेस भी पहुँच सकता है। और ऐसा कई बार होता भी है लेकिन पांडे ये सब चीजो की परवाह नहीं थी और डरता भी नहीं था।
पांडे को मनोज की सारी कहानी पता चलने के बाद पांडे मनोज के लिए पहले रहने के लिए रूम की व्यवस्था करता है। पांडे मनोज के रहने के लिए वहां के एक library में जुगाड़ बैठा देता है। जब मनोज ने अपने घर की स्थिति बताई और अपने पिता के बारे में बताया तो पांडे ने कहा कि तुम्हारे पिता अहंकारी है। उसे किसी चीज को लेकर परवाह ही नहीं है। वो कुछ नहीं करने वाला तुम्हारे लिए तुम उनसे कुछ भी उम्मीद मत करो पैसा नहीं भेजने वाला है। तो यहां मनोज शर्मा कहता है ऐसा कुछ भी नहीं है।
मनोज शर्मा जब अपने गांव जाता है तो उनकी मां हमेशा कुछ न कुछ रुपये जरूर देती थी। माँ के साथ मनोज का बहुत गहरा लगाव था। पिता काफी दिनों से घर में ही बैठे हुए थे, उन्हें ससपेंड कर दिया था जिस वजह से उन्हें आधी salary मिल रही थी, बाद में वो भी बंद हो जाती है। घर में फ़िलहाल और भी बहुत ज्यादा स्थिति खराब थी। इसके बाद से इनके माता पिता कहते है कि बेटा अब हमसे नहीं हो पाएगा अब तुम्हें पैसे नहीं दे सकते। अब खुद ही देख लो कि कैसे क्या करना है? उसके बाद मनोज वापस पढाई करने लिए लौट जाता है। तो मनोज शर्मा को रहने के लिए library मे जगह मिल गई थी। और वहां काम भी मिल गया था करीब 300- 350 रुपये महीने मिलते थे। वहां मनोज के पास पढने के लिए बहुत से किताबे भी थी। औ तो किसी तरह मनोज का खर्चा निकल रहा था मनोज ज्यादा वक्त अकेला ही रहता था।
मनोज से मिलने जब उनके माता पिता ग्वालियर आते हैं
एक दिन मनोज के माता पिता उनसे मिलने ग्वालियर आता है, जब माता जी मनोज को देखा तो माता जी की आँखों में आंसू आ गए की उनका बेटा किन हालातों में रह रहा है। और जब मनोज को उनके पिता ने देखा तो उन्हें कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। और पहले library के स्टेज को देखता है। मनोज के पिता कहता है की बहुत बढ़िया स्टेज है और स्टेज पर गए और मनोज को सामने बुलाया और आदर्श वादी भाषण देने शुरू कर देते हैं। और कहता है दुनिया ऐसी है मैं दुनिया बदला दूंगा बेटा सब यहाँ बेईमान है चोर है। लेकिन वहीं मनोज की मां कहती है पहले परिवार को तो देखो उसके बाद देश को देखना। तो मनोज अपने पिता को आदर्श (ideal) मानते थे तो मनोज ने कहा नहीं मां पिताजी सही बोल रहे हैं।
दुनिया बहुत बेईमान है, तो माता जी कहती हैं क्या बेईमानी यहां घर की स्थिति खराब है। पहले उसे सुधारने की जिम्मेदारी होनी चाहिए उसके बाद देश के लिए कुछ करने के लिए बहुत समय पड़ा हुआ है। यहां पर मनोज की माता जी की बात मनोज के पिताजी को पसंद नही आई। उसके बाद जब मनोज के माता पिता जाते हैं तो मनोज छोड़ने के लिए बाहर तक जाते हैं। तो उस समय मनोज की माता मनोज के पिता से कहते हैं कि बेटे की हालत तो देखो मनोज को कुछ पैसे तो दे दो। मनोज के पिता कहते हैं मेरे पास पैसे नहीं है, लेकिन मां तो मां होती है। मनोज की माता 100 रुपये निकाल के मनोज को देती है। और कहती है कि बेटा तुम जरूर सफल होगे अपना ख्याल रखना
मनोज कुमार शर्मा लाइब्रेरी क्यों छोड़ना पड़ता है?
कुछ दिन बाद मनोज शर्मा लाइब्रेरी छोड़ देता है क्योंकि उसके ऊपर चोरी का इल्जाम लगाया जाता है। चोरी ये थी कि उसे लाइब्रेरी की कुछ रद्दी सामान बेचने को कहा गया था। उस रद्दी को बेचने के बाद 5000 रुपये मिलते है वो 5000 रुपये लाइब्रेरी के मालिक को दे देता है। लेकिन वहां लाइब्रेरी के मालिक का कहना था की 7000 की रद्दी थी। और 2000 रुपये कहाँ गई तो मनोज ने कहा की 5000 रूपए में रद्दी बिकी लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं था। अब ये मनोज की इज्जत की सवाल था, और आखिरकार मनोज लाइब्रेरी छोड़ देता है। उसके बाद मनोज क्या करे? तो मनोज को एक आटा चक्की में काम मिलता है। जहाँ मनोज आटा पीसने का काम करता है। और जब एक दिन पांडे लाइब्रेरी मे मनोज से मिलने के लिए गया।
तो मनोज वहां था नहीं, वहां से पांडे को पता चला कि मनोज वहां से जा चुका है। मनोज अब यहां नहीं रहता तो अब कहाँ रहता है भाई, तो उसका पता मिल जाता है। उसके बाद पांडे वहां पहुंच जाता है वहाँ और पूछता है कि मनोज नाम का कोई लड़का है क्या यहाँ। तो पांडे ने देखा कि मनोज वहीं था और आटा से पूरा शरीर सफेद हो चुका था पहचान में भी नहीं आ रहा था। शरीर से आटा झाड़ने के बाद मनोज कहता है चलो यहीं पर बगल में मेरा रूम है। पांडे से ये सब देखा नहीं जा रहा था, और कहा कि मैं पीली कोठी में रहता हूं। चलो मनोज अब तुम भी वहीं रहना, पहले तो उनकी बातों का यकीन नहीं हुआ कि मैं जहां जाना चाहता था। आज पांडे जी मुझे वहीं ले जा रहा है। उसके बाद पांडे के साथ मनोज शिफ्ट हो जाता है।
वहां एक दीदी रहती है जो PCS qualify कर चुकी थी, और मनोज को अपना छोटा भाई मानती थी। तो वो दीदी 10000 रुपये देती है पांडे और मनोज को कहती है कि तुमलोग IAS की तैयारी करो। क्योंकी उस वक़्त PCS की परीक्षा रद्द हो चुकी थी। तो तुम लोग दिल्ली जाकर IAS की तैयारी करो। तो दोनों दिल्ली पहुंच जाते हैं, वहां एक कोचिंग मे एडमिशन लेते हैं। और कुछ समय के बाद कोचिंग में टेस्ट होता है। जिसमे टीचर कहते हैं कि कल एक टेस्ट होगा और देखते हैं कि टेस्ट में कौन अच्छा प्रदर्शन करता है। तो अगले दिन टेस्ट होता है जिसमें मनोज टॉप करता है कोचिंग में और भी बहुत से लड़के थे। जो पीएचडी किया हुआ था, और मनोज का हिन्दी साहित्य था, उसके बाद सभी मनोज का कोचिंग में बहुत से प्रशंसक बन जाते हैं।
मनोज शर्मा और श्रद्धा की मुलाकात? : Manoj Sharma Love Story
जहाँ ये कोचिंग थी शायद मुखर्जी नगर दिल्ली में जहां से कई बड़े बड़े अफसर बनकर निकले हैं। तो वहीं उसी कोचिंग में एक नई लड़की तैयारी के लिए दाखिला के लिए आयी हुई थी। तो मनोज वहीं से गुजर रहा होता है और जो एडमिशन काउंटर पर इंसान बैठा हुआ था वो श्रद्धा से कहती है वो देखो मनोज है और उनका हिंदी साहित्य बहुत ही अच्छा है। और वहां पर मनोज श्रद्धा को देखते ही एक तरफा इश्क हो जाता है। उसके बाद धीरे धीरे दोनों मे बातचीत शुरू होती है। और दोनों एक अच्छे दोस्त्त बन जाते हैं लेकिन मनोज उस दौरान श्रद्धा को अपनी दिल की बात नहीं कह पाता है। मनोज और श्रद्धा आपस में अच्छे से घुल मिल जाते है, दोनों साथ में घूमते फिरते । तो यहाँ मनोज श्रद्धा के इश्क में पड़ जाने के कारण अपने मंजिल का रास्ता धीरे धीरे भटकता जा रहा था।
तो यहाँ पांडे को सब पता था तो पांडे मनोज से कहता है मनोज तुम अपने रास्ते से भटक रहे हो। तो पांडे हर दिन यही कहता भाई क्या कर रहे हो तुम? यहाँ पढ़ाई करने आए हो या प्यार करने, पूरा फोकस फ़िलहाल तुम्हारी पढ़ाई पर होनी चाहिए। लेकिन तुम तो यहा अपनी लव स्टोरी शरू कर दिए हो। अभी भी वक्त है तुम सुधर जाओ और चुपचाप पढ़ाई पर ध्यान दो। लेकिन मनोज यहाँ अनदेखा कर देता है। एक दिन श्रद्धा मनोज से कहती है कि तुम्हारा तो UPSC Pre clear हो गया है तुम पढ़ने मे भी अच्छे रहे होगे। लेकिन श्रद्धा को क्या पता की मनोज 12वीं में फेल है। लेकिन पीछे से पांडे की तेज आवाज आती है, तो पांडे कहता है मनोज तुमने श्रद्धा को बताया नही कि तुम 12वीं फेल हो। मनोज को बहुत गुस्सा आया और थोड़ा खराब भी लगा और सोचा कि अब उसे श्रद्धा छोड़ देगी लेकिन श्रद्धा साथ नहीं छोड़ी।
श्रद्धा अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) की रहने वाली थी और एक डॉ. थी उसने B.ms किया था और एक प्रोफेसर की बेटी थी। तो एक दिन श्रद्ध कहती हैं कि मैं अल्मोड़ा जा रही हूँ, वहां जाकर देखेंगे कि मुझे क्या करना है। मुझे internship और UPSC की भी तैयारी करनी है, देखते है क्या होता है। तो यहां मनोज को श्रद्धा से बहुत ज्यादा प्यार हो चुका था लेकिन कह नहीं पाता है। तो श्रद्धा अल्मोड़ा चली जाती है और इधर मनोज श्रद्धा के वियोग में उदास रहने लगा। इधर पांडे कहता है कि बेटा जो तुम ये काम कर रहे हो वो बहुत ही गलत है। अपनी पढ़ाई से तुम भटक गए हो अभी भी मौका है सुधार जाओ। UPSC की परीक्षा में एक पेपर English का होता है जो Compulsory होती है। मनोज और पांडे की इंग्लिश बहुत ही कमजोर थी।
तो उसके लिए मनोज और पांडे बाकायदा इंग्लिश कोचिंग भी जॉइन करता है। तो पांडे कहते थे कि पढ़ाई करो नहीं तो कुछ नहीं हो पाएगा लेकिन यहां पांडे खुद एक लड़की से एक तरफा प्यार कर बैठता है। और इसके बाद पांडे का प्यार को लेकर विचार ही बदल जाता, तो मनोज को अल्मोड़ा जाने का बहुत मन होता है। और श्रद्धा को अपनी दिल की सारी बात भी बताना चाहता था। तो यहां पांडे कहते हैं कि तुम अगर सच्चा प्यार करते हो, तो जाओ लोग प्यार में आज क्या क्या नहीं करते, मनोज को बहुत ही अच्छा लगा। तो मनोज दिल्ली से अल्मोड़ा के लिए निकल जाता है। और श्रद्धा के घर पहुंच जाता है लेकिन घर पर श्रद्धा नहीं थी उसकी मम्मी थी। तो मनोज ने कहा कि आप बतायेंगे की श्रद्धा कहाँ है? तो मम्मी ने कहा कि वो internship करने हरिद्वार गई है।
तो हिम्मत करके मनोज श्रद्धा की माता जी से पूछ ही लेता है आप श्रद्धा का नंबर दे दीजिए मैं बात कर लूँगा। चूँकि मनोज इतनी दूर से आया था तो खाली हाथ चला जाता तो फिर सब मेहनत बेकार हो जाता। श्रद्धा की मम्मी श्रद्धा का नंबर मनोज को दे देती है। नंबर श्रद्धा के हॉस्टल का था और जैसे ही घर से बाहर मनोज निकला उन्हें एक PCO दिखा। तो मनोज श्रद्धा के हॉस्टल फोन करता है थोड़ी देर बात श्रद्धा फोन पर आती है तो इधर मनोज शर्मा कहता है मैं मनोज बोल रहा हूँ। उसके बाद श्रद्धा उधर से बोलती है हाँ मनोज बोलो कैसे हो? तो उसके बाद मनोज के दिल में जितनी भी फीलिंग थी श्रद्धा को फोन पर ही बता देते हैं। की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता, उधर से श्रद्धा कहती है तुम पगला गए हो क्या? दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है।
चुपचाप तुम पढ़ाई पर ध्यान दो मुझे लगता था कि तुम समझदार और होनहार लड़का हो, उसके बाद फोन काट देती है। मनोज ने कुछ ऐसा नहीं सोचा था की श्रद्धा इंकार कर देगी। अब मनोज का दिल टूट चुका था चेहरा में उदासी साफ झलक रही थी। लेकिन मनोज जैसे ही कुछ दुरी तक पहुंचा था। की उसी PCO वाले ने मनोज को पुकारा और कहा की आप ही मनोज हो मनोज ने कहा हाँ मैं ही मनोज हूँ क्या हुआ? तो उस PCO वाले ने कहा की आपके लिए फोन है श्रद्धा ने ही उधर से फोन किया था। उसके बाद श्रद्धा पूछती है कि UPSC का Mains कैसा गया? तो मनोज सारी चीजे बताता है और कहता है कि बहुत ही खराब गया है। उसके बाद श्रद्धा ने कहा फ़िलहाल तुम अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मैं बहुत जल्द ही आ रही हूँ। चूंकि मनोज का दिल टूट चुका था लेकिन कहीं न कहीं अभी भी प्यार में विश्वास था। और हार नही मानते हैं, और कोशिश करता रहता है।
जब मनोज के दोस्त पांडे का दिल टूटता है।
तो पांडे जिस लड़की से प्यार करता था उसकी बड़ी बहन की शादी थी। तो पांडे और उसके बाकि के दोस्तों को भी निमंत्रण मिला था। और कहती है कि शादी मे आप सब को जरूर आना होगा। तो पांडे और मनोज के ग्रुप के सभी साथी शादी में गए। इसी ग्रुप मे एक लड़का था अविनाश वो पढ़ाई पर बहुत ही ध्यान देता था जिसका पढाई और प्यार को लेकर अलग ही विचार था। वो कहता है कि पहले पढ़ाई लिखाई करो कुछ हासिल करो कुछ बनकर दिखाओ। उसके बाद तो लड़कियां अपने आप तुम्हारे पीछे भागेगी और उसके बाद प्यार करने के लिए पूरी ज़िन्दगी पड़ी है। यहां अविनाश ने पांडे को ये बताया कि बेटा तुम जिस लड़की से प्यार करते हो न, उस लड़की को देखो वो काले कोर्ट वाले से कितना चिपक रही है।
पांडे ने कहा कि बकवास बंद करो ऐसा कुछ भी नहीं है अविनाश कहता है। सामने देखो सब साफ दिख रहा है। पांडे को अब शक होने लगा, तो पांडे जिस लड़की से प्यार करता था उस लड़की से पूछा की ये भाई साहब कौन है? तब उस लड़की ने बताया कि यही तो है मेरा सपनों का राजकुमार है। तो यहां पांडे का दिल टूट जाता है और कहता है कि ये कैसे हो सकता है, उस रात पांडे बहुत रोता है। जो काला कोर्ट वाला था वो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। जो इंग्लैण्ड में में जॉब करता था, तब मनोज पांडे की प्रेमिका से पूछती है कि इंग्लैंड जाकर हमे भूल नहीं जाना। तो उस लड़की ने कहा बिल्कुल भी नहीं भूलूंगी ऐसा हो ही नही सकता है। अब तो पक्का हो गया था कि अब पांडे की प्रेमिका को वो इंग्लैण्ड वाला सॉफ्टवेयर इंजिनियर ही ले जायेगा।
अब तो पांडे मनोज से भी ज्यादा जलने लगा था, और मन ही मन सोचा कि मेरा प्यार कैसे असफल हो गया। और इसका प्यार कैसे सफल हो गया है। तो एक दिन पांडे मनोज से कह ही देता है कि या तो तुम श्रद्ध के साथ रहो या फिर मेरे साथ, ये दोनों चीज एक साथ नहीं चलेगी। तो मनोज कह देता है कि मैं श्रद्ध को तो नहीं छोड़ सकता। तो पांडे को उसका जवाब मिल गया, पांडे उसी वक़्त रूम छोड़ कर चला जाता हैं। तो पांडे मनोज शर्मा के लिए एक सहारा था। क्योंकि पांडे मनोज एक साथ जब रहते थे तब दोनों रूम किराया आधा आधा देता था। लेकिन पांडे के चले जाने से रूम का पूरा किराया 2000 रूपया अब मनोज को ही देना पड़ रहा था। बहुत ज्यादा परेशानी हो रही थी तो पैसो को लेकर।
पैसे के लिए मनोज कुमार शर्मा ने कुत्तो तक को टहलाया।
मनोज शर्मा को छोड़कर पांडे के चल जाने से मनोज को बहुत दिक्कत हो रही थी। क्योंकि रूम का आधा किराया पांडे ही देता था। अब मनोज रूम का किराया दे नहीं पा रहा था तो उसके लिए मनोज ने अमीर लोगो के कुत्तो को टहलाना शुरू किया। जिससे मनोज को हर एक कुत्ते पर 400 के करीब महिना मिल जाता था। जिसमे वो एक साथ 4 से 5 कुत्तो को टहलाया करता था। तो महीने के करीब 2000 रुपये हो जाते थे, ऐसी हालत हो गई थी मनोज शर्मा की, मनोज की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब चुकी थी।
एक दिन मनोज ने सोचा की गांव चला जाए सब से मिलकर आया जाये, फिर उसके बाद मनोज गांव चला जाता है। और जैसे ही मनोज गांव पहुंचता है मनोज को खूब खरी खोटी सुनाई जाती है। देखो आ गया है हमारे कलेक्टर साहब, बनने गए थे कलेक्टर और बन के आये हैं कुछ और, उस समय मनोज UPSC के 3 attempt कर चुके थे। उस समय UPSC के 4 attempt होते थे, और मनोज के पास बस अब सिर्फ 1 आखिरी attempt ही बचा था। 6 साल से पढ़ाई कर रहे हैं कुछ हुआ नहीं है। उधर विष्णु भी था वो कहता है बन गए deputy कलेक्टर साहब, लेकिन उसका दोस्त राकेश जो था। वो कहता है इसमें परेशान होने वाली क्या बात है? सब अच्छा हो जायेगा इसमें न होने वाली बात क्या है?
उसके बाद मनोज वापस दिल्ली आ जाता है। तो मनोज के ग्रुप का एक लड़का था जो PCS निकाल लेता है। उसका नाम था अविनाश वही अविनाश जो कहता था पहले पढ़ाई करो उसके बाद प्यार करो। तो वहाँ सबको पार्टी दी जाती है अविनाश के द्वारा जिसमें पांडे भी आता है।
सब पार्टी में जाते हैं उस दरमियान श्रद्धा को भी मनोज से बहुत प्यार हो जाता है। तो यहां पांडे को पार्टी में मौका मिल जाता है कुछ कहने का, तो पांडे यहाँ मनोज से काफी जल भून गया था। और उस पार्टी में मनोज और श्रद्धा के बारे में खूब खरी खोटी सुनाता है। और मनोज को कहा कि बार बार कहा कि पढ़ लो पढ़ लो। अब तुम्हारा 3 attempts भी बेकार चला गया तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता है। इस प्यार के चक्कर पड़कर, श्रद्धा को भी सुना देता है। जिससे श्रद्धा बुरा मान जाती है और उसकी आँखों में आंसू आ जाते हैं। और पार्टी छोड़ कर श्रद्धा चली जाती है। और उसके बाद मनोज भी पार्टी छोड़कर चला जाता है। उसके बाद अविनाश पांडे को झाड़ता है और कहता है। ये क्या बकवास कर रहे हो कोई किसी के बारे ऐसा बोलता है क्या? लेकिन यहाँ पांडे को कोई फर्क़ नहीं पड़ता।
और वो अपना चौमिन, मैन्चुरियन और बाकि के फ़ूड आइटम मजे लेकर खाता रहा क्योंकि उसका दिल तो पहले ही टूट चुका था। यहां श्रद्धा मनोज के पास जाती है और कहती है तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो तुमको मैंने कई बार कहा, एक बार मे तुमको समझ में नहीं आता है। जब तुमने मुझसे बोला था कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ तब भी मैंने तुम्हे कहा था की तुम पढ़ाई पर ध्यान दो। लेकिन तुमको तो समझ में ही नहीं आता है। तो यहाँ मनोज को बहुत गुस्सा आता है और कहता है कि मेरी कोई इज्जत ही नहीं जिसका जो मन करता है वो मेरी बेइज्जती करके चला जाता है। हर समय मेरी बेइज्जती होती रहेगी क्या? मैं बेइज्जती के लिए बना हूँ और आज तुम भी मेरी बेइज्जती कर रही हो।
क्या करूँ मैं? एक बार तुम हाँ कर दो मैं पूरी दुनिया बदल कर रख दूँगा और यहां श्रद्धा हाँ कर देती है। चूंकि तब तक श्रद्धा को भी प्यार हो चुका था। उसके बाद मनोज फिर से तैयारी शुरू करता है और उसके बाद मनोज अविनाश के पास जाता है और उससे कुछ idea लेता है। और एक एक चीज की strategy के बारे में पूछता है तो अविनाश हर चीज के बारे में विस्तार से बताता है। और कहता है कि तुम्हारा भी बड़े आराम से निकल जायेगा। बस मेरे बताये गए रुल को follow करो। और अविनाश अपनी कलाई की घड़ी मनोज को दे देता है। उसके बाद मनोज पूरी मेहनत से तैयारी करता है।
जब मनोज शर्मा का UPSC का Interview होता है?
मनोज शर्मा पहले UPSC का Pre निकाला, Mains निकाला उसके बाद फिर इंटरव्यू भी निकाला। हिन्दी में इंटरव्यू था, तो इंटरव्यू में एक सर पूछते हैं कि तुम्हे तो अच्छी से इंग्लिश आती नहीं है तो फिर तुम system कैसे चलाओगे। तो मनोज शर्मा ने यहाँ पर बहुत ही बेहतर ढंग से समझाया जिसको सुनकर सब शांत पड़ गए। तो उस इंटरव्यू में मनोज कुमार शर्मा ने पीने के लिए पानी माँगा तो मनोज शर्मा को पानी पीने लिए एक शीशे के गिलास में पानी लाकर दिया। तो मनोज को शीशे के गिलास में पानी आगे बढ़ाया तो इसमें मनोज कुमार शर्मा ने कहा मुझे पानी स्टील के ग्लास में चाहिए। इसमें इंटरव्यूर ने कहा क्यों? तो मनोज ने कहा मुझे स्टील के ग्लास में ही पानी पीना पसंद है। तो इसमें इंटरव्यूर ने कहा पानी पानी होता है चाहे किसी में भी पियो।
तो मनोज यहाँ कहता हैं कि मैं भी यही समझाना चाहता हूँ। की सिस्टम चलाने के लिए अंग्रेजी आना जरुरी नहीं है वो मुझ पर निर्भर करता है कि मैं किसी भी समस्या को कैसे सुलझाता हूँ? कैसे हैंडल कर रहा हूँ? इंग्लिश में या फिर हिंदी में ये मायने नहीं रखता। बस समस्या का समाधान होना चाहिए। मनोज शर्मा जी का ये जवाब सुनकर हर कोई वहाँ शांत पड़ गया किन्ही के पास इस जवाब का तोड़ नहीं था। उसके बाद जब रिजल्ट आया। और जब UPSC Office के बाहर जब इंटरव्यू का रिजल्ट लिस्ट टांगी जा रही थी जो कि एक गार्ड लिस्ट लगा रहा था। चूंकि भीड़ भी काफी हो चुकी थी। तब मनोज भी उस भीड़ में था तो मनोज को वो गार्ड धक्का दे देता है और मनोज गिर जाता है।
और गार्ड कहता है कि भीड़ बहुत हो चुकी है बाहर चलो उनके साथ बाहर श्रद्धा भी आई हुई थी। उसके बाद अंदर श्रद्धा जाती है और जाकर रिजल्ट देखती है। उसमे बाकायदा मनोज कुमार शर्मा नाम रहता है जिसे देखकर श्रद्धा बहुत ही खुश होती है। उसके बाद दौड़ती हुई बाहर मनोज को बताती है। तुमने UPSC निकाल लिया है। उसकी गर्लफ्रेंड ने कहा तुम IPS हो गए हो मनोज कुमार शर्मा को विश्वास ही नहीं हो रहा था। कि श्रद्धा सच बोल रही है और श्रद्धा आखिर क्या बोल रही है? और शायद दोनों के आँखों में खुशी के भी आंसू थे जिसको पोछने से कोई फायदा नहीं था ये ख़ुशी के आंसू थे। आज के वक्त में बहुत ही कम ख़ुशी के आंसू देखने को मिलते हैं जिनमे से ये एक था।
पुरे मित्र मण्डली में खुशी का माहौल था घर में मां के आँखों में खुशी के आंसू थे जिसे रोक पाना मूश्किल हो रह था। जिस गार्ड ने मनोज शर्मा जी को धक्का मारा था, वो वापस मनोज के पास आता है और पूछता है कि आपका रिजल्ट क्या रहा? तो मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि अब मैं IPS हो गया हूँ। ये शब्द सुनते ही गार्ड तुरंत मनोज को सैलूट करता है। उनके भी आँखों में आंसू होता है मनोज उसे गले लगा लेता है। दोनों के आँखों में आंसू होते हैं। पांडे को यहाँ अपनी गलती का एहसास होता है। कहीं ना कहीं पांडे का भी योगदान था मनोज के सफलता में।
मनोज शर्मा और श्रद्धा की शादी
चूँकि मनोज कुमार शर्मा और श्रद्धा जोशी जी दोनों ही आपस में बहुत प्यार करते थे। तो दोनों ही 2005 में शादी कर ली और आज श्रद्धा जोशी शर्मा भी आईएएस (IAS) ऑफिसर है, दोनों को शादी हो चुकी है और इन दोनों के एक बेटा भी है जिसका नाम मानस है।

Ips Manoj Kumar Sharma जी के जीवन मेंबहुत सो कठिनाइयाँ आई लेकिन मनोज शर्मा सर ने कभी हार नहीं मानी। और अपनी मेहनत और अपने सच्चे प्यार कि वजह से आज वह एक आईपीएस ऑफिसर बन पाए हैं।