भारत के डॉन छोटा राजन का जीवनी | india’s most wanted Don Chhota Rajan Biography in Hindi

डॉन छोटा राजन का जीवन परिचय

आज मैं आपको भारत के नामचीन और पूरे दुनिया में प्रख्यात डॉन छोटा राजन जो सबसे बड़े डॉन दाउद इब्राहीम का राइट hand हुआ करता था उनके जीवन के बारे में बताऊँगा। आखिर कैसे आम आदमी से डॉन बना और डॉन दाउद इब्राहीम का साथी बना पूरे सफर के बारे में अच्छे से आज जानेंगे। एक वक्त था जब डॉन बनने कि होड़ लगी हुई थी, खास करके हमारे देश भारत में ऐसे बहुत से छोटे छोटे डॉन हुआ करते थे जिसकी छोटी छोटी गैंग हुआ करती थी। और एक डॉन कि अपनी एक सीमित क्षेत्र होता था जहाँ उसका वर्चस्व होता था और वहाँ वसूली, डकैती, छिनतई, आदि काम किया करते थे।

डॉन छोटा राजन और डॉन दाउद इब्राहीम  का फोटो

और कभी कभी दुसरे के इलाके में घुसने के कारण अन्य गैंगों के साथ मारपीट होती रहती थी। जिससे पुलिस बहुत परेशान रहते थे और पुलिस भी पकड़ने में नाकाम रहती थी उस समय। आज मैं आपको डॉन Chhota Rajan के बारे में बताऊंगा कि आखिर वो कैसे डॉन दाउद इब्राहीम से मिला और और दाउद इब्राहीम के D कम्पनी में शामिल हुआ उसका राईट हैण्ड बना और दाउद इब्राहीम के ही गैंग के कुछ गंगस्टर इससे नाखुश होकर छोटा राजन और दाउद इब्राहीम के बीच दुश्मनी करा दी। जिससे छोटा राजन कई सालो तक दाउद इब्राहीम के आदमियों से बचता रहा और कैसे छोटा राजन को मुम्बई पुलिस पकड़ती है INTERPOL और इंडोनेशिया अथॉरिटी की मदद से।

आखिर डॉन छोटा राजन छोटा राजन कैसे बना, बड़ा राजन कौन था दाउद इब्राहीम से इनकी दोस्ती कैसे हुई? और आज के वक्त में डॉन छोटा राजन कहाँ है और दाउद इब्राहीम कहाँ हैं, आज जानेंगे शुरू से लेकर अंत तक की स्टोरी कि आखिर कैसे बड़ा राजन के गैंग में शामिल हुआ फिर दाउद इब्राहीम के गैंग में शामिल हुआ और बाद में दाउद इब्राहीम से अलग होने बाद अपनी गैंग बनाई।

डॉन छोटा राजन का जन्म और परिवार बच्चे

छोटा राजन का जन्म 13 जनवरी सन्न 1960 में मुंबई के चेम्बूर इलाके के तिलक नगर बस्ती में हुआ, छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे है। छोटा राजन नाम तो बड़ा राजन के गैंग में शामिल होने के बाद मिल। इससे पहले इनको इनके इलाके और बस्ती के लोग नाना या सेठ कहकर ही बुलाते थे, छोटा राजन मुम्बई के सिनेमाघरों के बाहर ब्लैक में टिकटे बेचा करते थे, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 10 साल रही होगी, आप अंदाजा लगा सकते है कि इतनी छोटी सी उम्र में टिकटे ब्लैक करना कितनी बड़ी बात है। और जब उसे पुलिस पकड़ती थी तो पुलिस पर ही उलटे हमला कर देती थी, उससे लड़ाई हो जाती थी।

राजेंद्र सदाशिव निखलजे कैसे डॉन (छोटा राजन) बना पूरी स्टोरी, कहानी

छोटा राजन के बारे में जानने से पहले आपको बड़ा राजन की छोटी सी स्टोरी जानने कि आवश्यकता है तभी आपको बढ़िया से don Chhota Rajan के बारे में अच्छे से जान पायेंगे। क्योंकि छोटा राजन बनने के पीछे बड़ा राजन का बहुत बड़ा हाथ है ये नहीं होता तो शायद कभी ये दाउद इब्राहीम से मिल ही नहीं पाते। तो बड़ा राजन को डॉन की दुनिया में बड़ा राजन के नाम से जाना जाता था लेकिन ऐसे इन्हें राजा नायर के नाम से जानते थे। ये मुंबई के चेम्बूर के इलाका का रहने वाला था, बड़ा राजन को एक लड़की से बेहद मोहब्बत हो गई थी।

और आप जानते ही है की प्यार में लोग कुछ भी कर जाते है, तो इसकी गर्लफ्रेंड भी बहुत खर्चीली हुआ करती थी, तो बड़ा राजन पेशे से एक दर्जी था उससे तो उसके शौक को पूरा नहीं किया जा सकता था। तो उस वक्त अपनी गर्लफ्रेंड की डिमांड को पूरा करने के चक्कर में वह गलत रास्ते पर चला गया, और अपनी गर्लफ्रेंड का शौक पूरा करने के लिए एक दिन वह चोरी करता है वह एक टाइप राइटर चोरी करता है। और बेच करके अपनी गर्लफ्रेंड का डिमांड को पूरा भी करता है, लेकिन इस चोरी में बड़ा राजन पकड़ा जाता है। और जेल भी जाना पड़ जाता है

और कई दिनों तक जेल में ही रहता है और उसी दौरान जेल में बड़ा राजन का छोटे मोटे और बड़े आपराधियों से मुलाकत होती है और वहीं से उसके दिमाग में क्राइम की दुनिया में कदम रखने का ख्याल आता है और जेल से बाहर आते ही उसने चेम्बूर में वहां के लोकल लड़को को इकठ्ठा कर अपनी एक गैंग बनाई और उस गैंग का नाम गोल्डन गैंग रख दिया। उस समय जब भी अन्य गैंग के साथ मुठभेड़ होती थी तब हाकी डंडा, बोतल, रोड, पत्थर, Tubelight, चाकू आदि का ज्यादा इस्तेमाल होता था, बन्दुक वैगरह का कम।

बड़ा राजन (राजा नायर) का गैंग? दाउद इब्राहीम का गैंग? पठान brother’s का गैंग?

जब बड़ा राजन अपनी गोल्डन गैंग बनाया तो उस वक्त मुम्बई में अन्य बहुत से गैंग हुआ करती थी, और उस समय सबका एक अलग अलग इलाका बटा हुआ करता था यानि की उस इलाके में कोई दूसरा गैंग घुस कर काम नहीं कर सकता था। यानि उसके एरिया में घुसकर कोई दूसरा गैंग वसूली, धमकाना लूटपाट आदि नहीं कर सकता था, उस वक्त जो गैंग सबसे उपर था वो था पठान, brother’s गैंग्स (Pathan brother’s Gaings) इसका कब्ज़ा कई इलाकों पर था उसके बाद और भी कई गैंग थे, एक अरुण गब्ली था उसका अलग इलाके पर कब्ज़ा था और एक था करीम लाला और एक था हाजिम मस्तान गैंग सब का अलग अलग इलाके बटा हुआ था।

एक दाउद इब्राहीम काश्कर का गैंग था जो भी धीरे धीरे उस समय उभर ही रहा था जो आगे चलकर एक बड़ा गैंग बना जिसका ब्रांच दुबई में बनाया गया। दाउद इब्राहीम काश्कर के बारे में भी विस्तार से बाद में बताऊँगा, बड़ा राजन अपना इलाका जो बनाया था वो था चेम्बूर और उसी इलाके में अब्दुल कुंजू नाम का एक शख्स रहता था। लोग उसे कालिया नाम से भी पुकारते थे, एक तरह का वो चेम्बूर का दादा भी था बड़ा राजन ने उसके भी बड़े कारनामे सुने थे। तो उसको भी अपनी गैंग में शामिल लिया और उसके बाद वसूली का काम शुरू किया और बड़े बड़े लोगों और बिल्डर्स आदि को डरा धमका कर पैसे वसूलने लगे।

शराब की तस्करी शुरू कि बड़ा राजन धीरे धीरे बड़ा बनता गया, इसी दरमियान इनके जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आता है, जिस गर्लफ्रेंड(लड़की/प्रेमिका) के खातिर बड़ा राजन क्राइम की दुनिया में प्रवेश किया। जिसकी ख्वाइशों को पूरा करने के लिए बड़ा राजन ने पहली बार चोरी की थी वही लड़की उसी के गैंग के मेम्बर अब्दुल कुंजू उर्फ़ कालिया बड़ा राजन कि प्रेमिका को अपने प्यार में फंसा लेता है और उससे शादी भी कर लेता है। उसके बाद अब्दुल कुंजू बड़ा राजन की नजरो से ओझल होकर कहीं दूर इलाके में बस जाता है।जब अब्दुल कुंजू बड़ा राजन की प्रेमिका से शादी करके उसकी नजरों से गायब हुआ तो स्वाभाविक है की दोनों के बीच दुश्मनी होगी।

बड़ा राजन का मर्डर कैसे हुआ? उसके बाद छोटा राजन का उदय कैसे हुआ?

बड़ा राजन अब अब्दुल कुंजू उर्फ़ कालिया को ढूँढने में लग गया और जहाँ भी देखता उस पर गोलियां चलानी शुरू कर देती थी। अब्दुल कुंजू हर बार बड़ा राजन कि गोलियों से बच जाता था। अब्दुल कुंजू को लगा कि गर वो ऐसे बार बार भागता रहा तो कब तक भाग पायेगा तो ये सब से बचने और बड़ा राजन को ही रास्ता से हटाने के लिए अब्दुल कुंजू दूसरी गैंग में शामिल हो गया। और उसे डर भी था की किसी भी वक्त बड़ा राजन उसे मार सकता है तो उसने उसी का ठिकाना लगाने के लिए पठान brother’s गैंग्स से हाथ मिला लिया, और उस वक्त पठान brother’s गैंग शक्तिशाली था।

तो पठान brother’s को भो बड़ा राजन से थोड़ी बहुत दुश्मनी पहले से ही थी, क्योंकि वो उसके इलाके में आकर वसूली किया करते थे, तो इससे वो थोड़ा परेशान रहते थे। सन् 1982 में मुंबई के एक कोर्ट में जब बड़ा राजन का किसी केस को लेकर पेशिगी था, तो उसी पेशी में बड़ा राजन को मारने का प्लान बनाया गया, पठान brother’s के द्वारा। तो उसके लिए एक शूटर तैयार किया जाता है उसे मारने के लिए जो चंद्रशेखर नाम का एक शूटर था जो अब्दुल कुंजू का जान पहचान वाला ही था। और उसके ऊपर पठान brother’s का भी हाथ था। तो उस दिन शूटर (1982) नौसैनिक के ड्रेस में कोर्ट में जाता हैं।

शूटर के हाथ में एक मोटी सी किताब होती सिर्फ दिखावे के लिए दरअसल वो किताब अंदर से खोखला होता रहता है बंदूक कि शेप में और उसके अंदर बन्दुक रखी थी, जिससे कि लोगो को शक नहीं हो। और शूटर कोर्ट में बड़ा राजन का इन्तेजार कर रहा होता है, जब बड़ा राजन केस की पेशगी के लिए कोर्ट पहुँचता है वैसे ही उस पर शूटर चंद्रशेखर अपने किताब से बन्दुक निकालकर बगैर गलती किये बड़ा राजन पर गोली चला देता है। और बड़ा राजन की बड़ी दर्दनाक वहीं मौत हो जाती है, और उस समय छोटा राजन चेम्बूर में छोटे मोटे काम कर रहा था। टिकट ब्लैक करना लोगो को धमकाना उस समय बड़ा राजन गैंग शामिल था।

छोटा राजन के ऐसे कामो से उसके परिवार वाले हमेशा नाराज रहते थे, खास करके उनके पिताजी क्योंकि वो एक शरीफ इंसान थे और एक सीधे साधे नौकरीपेशा वाले आदमी थे। लेकिन छोटा राजन को जरा सा भी फर्क नही पड़ता था। तो उस वक्त बड़ा राजन का गैंग धीरे धीरे क्राइम कि दुनिया में तरक्की कर था और उस समय तक छोटा राजन बड़ा राजन के करीब पहुँच चुके थे। और उसका राईट हैण्ड था, सन्न 1982 में बड़ा राजन का मर्डर हो जाने के बाद राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ़ छोटा राजन उसका बदला लेने का ठानता है।

यहाँ से जन्म होता है छोटा राजन का, पता तो चल ही गया कि इसके पीछे अब्दुल कुंजू का हाथ है।

और साथ में पठान brother’s का भी हाथ है, उसके बाद छोटा राजन उसको मारने का प्लान बनाता है कई बार हमला भी करते हैं लेकिन वो बच जाता। जब एक बार अब्दुल कुंजू अस्पताल में भर्ती था तब छोटा राजन ने उसे अस्पताल में मारने का प्लान बनाया, और छोटा राजन ने अपने आदमी को उस अस्पताल में पेशेंट बना के हाथ में नकली प्लास्टर लगा के फ़िल्मी स्टाइल में अस्पताल में भेजा और वहां अब्दुल कुंजू को देखते ही गोली चला देता है लेकिन वो बच जाता है। छोटा राजन ऐसे ही अब्दुल कुंजू पर कई हमले करता लेकिन वो हर दफा बच जाता, और इस बदले की आग में अब्दुल कुंजू पर बार बार हमला करता रहता।

और ऐसे ही धीरे धीरे राजेंद्र सदाशिव निखलजे (छोटा राजन) गैंग की कमान संभाल लेता है और इस तरह बड़ा राजन की जगह छोटा राजन का जन्म होता है। और पहला मकसद था अपने बॉस का बदला लेना चूँकि अब्दुल कुंजू के ऊपर पठान brother’s का हाथ था, और पठान brothers की दुश्मनी उस वक्त दाउद इब्राहीम की गैंग से हो चुकी थी। क्योंकि दाउद इब्राहीम की गैंग बड़ी तेजी से ऊपर जा रही थी, जिसको देखकर पठान brother’s जलन हो रही थी, और बाद में इनके बीच कई गैंगवार भी हुआ। लेकिन बीच में हाजी मस्तान आकर दोनों के बीच सुलह करा देते थे, और कसमे भी खिलाई जाती थी की वो आपस में कभी नहीं लड़ेंगे।

लेकिन इन दोनों कि दुश्मनी ऐसे ही आगे भी चलती रहती है,

छोटा राजन की मुलकात दाउद इब्राहीम से कैसे हुई?

जब दाउद दाउद इब्राहीम को पता चला कि कोई छोटा राजन नाम का लड़का जो कोई छोटे गैंग से है, और जो अपने बॉस की मौत का बदला लेने के लिए अब्दुल कुंजू उर्फ़ कालिया को मारने की फ़िराक में है। और दाउद इब्राहीम को ये भी पता चला कि छोटा राजन किस तरह अस्पताल में हाथ में नकली प्लास्टर लगाकर मारने गया था ये हिम्मत और शातिर दिमाग देखकर इस घटना से प्रभावित/प्रेरित होकर दाउद इब्राहीम छोटा राजन से मिलना चाहता था। तो छोटा राजन के नीचे काम करने वाले लोग दाउद इब्राहीम और छोटा राजन की मुलाकात कराती है। और दाउद इब्राहीम छोटा राजन को अपने गैंग में शामिल कर लेता है।

अब दोनों का मकसद एक हो जाता है क्योंकि छोटा राजन जिसको मारना चाहता है अब्दुल कुंजू को उसके ऊपर पठान brother’s का ही हाथ था और उससे दाउद इब्राहीम की दुश्मनी थी। और दाउद इब्राहीम ने छोटा राजन से वायदा भी किया की अब्दुल कुंजू को मारने में उसकी मदद करेगी। और मदद भी किया, जब एक दिन पता चला की अब्दुल कुंजू चेम्बूर के मैदान में कुछ लड़को के साथ क्रिकेट खेला रह है, ये खबर मिलते ही दाउद इब्राहीम अपने आदमी और छोटा राजन को वहां भेजता है। ये लोग भी क्रिकेटर के ड्रेस में सादा सादा ड्रेस पहनकर पहुंचता है। और अब्दुल कुंजू को देखते ही उस पर गोलियां चलानी शुरू कर देती है।

और वहीं पर अब्दुल कुंजू कि मौत हो जाती है और इस तरह करीब 5 साल के बाद अपने बॉस बड़े राजन का बदला छोटा राजन ले लेता है। और इससे छोटा राजन और डॉन दाउद इब्राहीम और भी करीब आ जाते हैं। और धीरे धीरे दाउद इब्राहीम सारा काम छोटा राजन को सौफनें लगता है, और कुछ समय बाद उसका राईट हैण्ड बन जाता है।

दाउद इब्राहीम अपना ब्रांच दुबई में क्यों शिफ्ट किया और कैसे छोटा राजन को अपना राईट हैण्ड बनाया?

जब छोटा राजन का शादी हुआ तो दाउद इब्राहीम उसकी शादी में भी जाता है और उसकी बीबी को अपनी बहन तक बनाता है। और इसी बीच पठान brother’s दाउद इब्राहीम के भाई का मर्डर करवा देता है। और अरुण गब्ली के परिवार के सदस्य का भी मर्डर होता है, जिसमे छोटा राजन और दाउद इब्राहीम का भी नाम आता है। और उसके बाद इन सब गैंगो के बीच गैंगवार मुंबई के सड़को पर उस समय आम सी हो गई थी। और पुलिस इस गैंगवार से परेशान होकर पुलिस एनकाउंटर करना शुरू कर देती है, आपसी गैंगवार और पुलिस का एनकाउंटर ये सब से बचने और अपने काम को अच्छे ढंग से करने के लिए दाउद इब्राहीम दुबई पहुँच गए।

और वहीं अपना ब्रांच खोलकर पुरे मुम्बई पर अपने लोगो के जरिये हुक्म चलाता है, जिनमे से एक छोटा राजन भी था जो मुंबई में ही था। और दाउद इब्राहीम के लिए ही काम कर रहा था, और सन् 1987 में छोटा राजन को भी दुबई बुला लेता है। और अब दुबई से ही सारा काम होता है, जब छोटा राजन दुबई पहुँचता है तो दाउद इब्राहीम के पास पहले से एक खास आदमी था जो दाउद का राईट हैण्ड था। जिसका नाम छोटा शकील था, जब छोटा राजन दुबई पहुँचता है तो दाउद इब्राहीम धीरे धीरे सारा काम छोटा राजन को दे देता है। छोटा शकील का सारा काम छिनने लगता है, जिससे छोटा शकील उससे जलने लगता है।

दुबई में छोटा राजन से पहले दाउद इब्राहीम का सारा कामकाज छोटा शकील देख रेख कर रहा था। अब इसके बाद से छोटा शकील छोटा राजन को दाउद इब्राहीम से अलग करने की साजिश रचने लगता है। जब भी छोटा शकील को मौका मिलता छोटा राजन के बारे में कान भरना शुरू कर देता। और कहता कि भाई आप जिस तरह छोटा राजन को सारा काम दे रहे अगर ये कभी गैंग से अलग हुआ तो इससे हमारा नुकसान होगा। लेकिन दाउद इब्राहीम कहता की ये सिर्फ एक मेनेजर है तुम लोग बेवजह परेशान हो रहे हो। दाउद इब्राहीम छोटा राजन के काम से बहुत खुश रहते था, और छोटा राजन को बीच बीच में दाउद इनाम भी दिया करता था।

और करीब 1990 से 92 तक छोटा राजन के नाम सिर्फ मुंबई में 100 से ज्यादा पब डान्स बार होटल खोले जा चुके थे, और दूसरी तरफ दाउद इब्राहीम की D कंपनी गैंग में साजिश भी चल रही थी। D कंपनी के कुछ और मेम्बर शरद सेट्टी, सुनील रावत जो छोटा शकील के साजिश में मिल जाते हैं, अंदर ही अंदर छोटा राजन को हटाने के लिए, यहाँ से दाउद इब्राहीम का कान भरना और तेज हो जाती है। और बार और छोटा शकील दाउद इब्राहीम से कहता है की भाई आप एक बार और देख लो कहीं छोटा राजन हमारी गैंग का तख्तापलट न कर दे वो कुछ भी कर सकता है। तुमलोग फिर बेवजह शक कर रहे हो।

लेकिन बाकि लोग इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे और साजिश ऐसे ही आगे भी चलती रहती है, इसी दौरान पठान brother’s ने दाउद इब्राहीम के भाई इब्राहीम काश्कर की हत्या कर दी। और उस क़त्ल का बदला लेने के लिए दाउद इब्राहीम छोटा राजन को चुनता है, छोटा राजन के लड़के मुंबई में थे। अमीरजादा और करीमलाला इन दोनों को मारने का काम छोटा राजन को मिला। दाउद की एक बार मीटिंग चल रही थी जिसमे छोटा राजन नहीं था तो उस समय छोटा शकील दाउद का कान भरना शुरू कर दिया।

छोटा शकील दाउद के कान भरते हुए कहता है भाई आपने जो इब्राहीम काश्कर का बदला लेने के लिए छोटा राजन को दिया है उसे अभी तक पूरा नहीं किया बहुत वक्त गुजर गया अभी तक उसने वो काम नहीं किया और आप कहते है की वो ठीक है। इसकी बातो को सुनकर तुरंत दाउद छोटा राजन को फोन लगाता है, और पूछता है कि भाई का बदला लेने के लिए जो काम दिया वो काम कहाँ तक पहुंचा? छोटा राजन कहता है की भाई हमारे लड़के लगे हुए है उसको मारने के लिए और बहुत जल्द हो जायेगा। जिसको मारना था वो जेजे हॉस्पिटल में भर्ती था, छोटा शकील और सौत्या ये भी उसके गैंग का गंगस्टर ही था।

और जैसे ही फोन भाई रखता है वैसे ही छोटा शकील कहता है की भाई मुझे एक बार मौका देकर देखिए मैं ये काम करके दिखाता हूँ। और फिर दाउद इब्राहीम ने उसे कहा ठीक है जाओ करो, और ठीक कुछ घंटो के बाद planning होती है। और जे जे हॉस्पिटल में घुसकर (1992) में  AK-47 से भून देता है और उसे मार करके वहां से बड़े आसनी से निकल जाता है। और इस घटना से दाउद इब्राहीम का मन में थोड़ा बदलाव आता है, छोटा राजन को लेकर। क्योंकि छोटा राजन उतना दिन से जो काम नहीं कर पा रहा था और इसने तुरंत बोला और कर दिया।

और तब से Chhota Rajan दाउद इब्राहीम के नजर से उतरता गया। उसे अब ज्यादा काम नहीं दिया जा रहा था, और, अब छोटा शकील की टीम को अहमियत देने शुरू किया और ये चीज छोटा राजन को समझ आने लगी थी की उसके पीछे छोटा शकील और उसके आदमी का हाथ है लेकिन बावजूद इसके भी दाउद को अब भी उस पर भरोषा था और उसकी तारीफ अब भी किया करते थे। लेकिन फिर भी छोटा शकील और और उसके आदमी उसके खिलाफ हमेशा मौका की तलाश में रहता था।

दाउद इब्राहीम का कान भरने के लिए और भरता भी था, और इस तरह साल गुजरने के बाद साल 1993 आता है। और एक सबसे बड़ा ट्विस्ट आता मार्च 1993 में जब मुंबई में सीरियल ब्लास्ट होता है, इसमें करीब 12 से 14 एक एक करके अलग अलग जगहों पर ब्लास्ट होते हैं। सैकड़ो लोग मारे जाते हैं और हजारो लोग घायल होते हैं और इसके पीछे टाइगर मेमन का साजिश बताता है। और दाउद इब्राहीम का हाथ, ब्लास्ट के बाद दाउद इब्राहीम और छोटे राजन के बीच दूरियां और बढ़ जाती है। और फिर यहाँ से हिन्दू और मुस्लिम, राष्ट्रहित और देश विरोधी जैसे हालात शुरू होते हैं,

ब्लाष्ट के बाद छोटा राजन का नाम दाउद इब्राहीम के साथ जोड़ा जाता है। और लगातार छोटा राजन उस वक्त दुबई से मीडिया को फैक्स कर बताता है कि ब्लास्ट में उसका कोई हाथ नहीं है और न ही दाउद भाई का। कुछ समय पश्चात् दुबई में दाउद इब्राहीम एक पार्टी रखती है। जिसमे छोटा राजन को भी न्योता मिला था और वो जाने के लिए तैयार ही हो रहा था की

एक फोन आता उससे कहता है की भाई तुम पार्टी में एकदम मत जाना आपको टपकाने का फुल प्लान बनाया गया है। ये सिर्फ एक फोन आया था रियलिटी में क्या था वो उसे अच्छे से पता नहीं। इसके बाद छोटा राजन दुबई के इंडियन एंबैसी के एक रॉ ऑफिसर को फोन लगाया और उसको सार्कुरी चीजे बता दी, चूँकि 1993 का ब्लास्ट के बाद रॉ की टीम D कंपनी के पीछे लगी थी पकड़ने के लिए। 1993 के ब्लास्ट के कुछ 2 – 3 महीने बाद Chhota Rajan दुबई से निकलना चाहता था, लेकिन छोटा राजन का

पासपोर्ट किसी शेख के पास रखा था। जिस वजह से वो दुबई छोड़कर नहीं जा सकता था, उसके बाद रॉ के एजेंट को फोन करता है और फिर वही रॉ के ऑफिसर उसका जुगाड़ करता है। और उसी वक्त छोटा राजन चुप चाप दुबई से काठमांडू चला जाता है। उसके बाद वहां से वो मलेशिया निकल जाता है क्योंकि दाउद इब्राहीम  का वहां पर भी अच्छा खासा नेटवर्क था, और कुछ वक्त बाद दाउद इब्राहीम को पता चल जाती है की छोटा राजन गायब हो चुका है। और अब छोटा शकील को अब पूरा मौका मिल जाता है उसके खिलाफ बोलने का और उसके बाद दाउद इब्राहीम को सारी चीजे बताई जाती है।

अब दाउद इब्राहीम और छोटा राजन एकदम अलग हो चुके थे और छोटा राजन छुपा रहता है की कहीं दाउद इब्राहीम के आदमी उसे मार न दे। और इधर दाउद इब्राहीम इसको ढूँढ रही थी क्योंकि छोटा राजन को दाउद इब्राहीम के D कंपनी के बारे में सब राज पता था। इस ग़लतफ़हमी की वजह से दोनों के बीच दुश्मनी पैदा हो जाती है, छोटा राजन अब अपना अलग गैंग बना लेता है। छोटा राजन छुपता फिरता रहता है कभी ये देश कभी वो देश छोटा राजन और D कंपनी के बीच

कई बार लड़ाई होती हैं और दोनों गैंगो के लोग मारे जाते है और साल 2000 में छोटा शकील को पता चलता है की छोटा राजन बैंकोक में है तो उसे मारने के लिए बैंकोक शूटर भेजता है। छोटा राजन को गोली लगने के बाद भी बच जाता है और उसके बाद छोटा राजन हॉस्पिटल जाता है। और हॉस्पिटल में भी उसे मारने की साजिश होती है लेकिन अचानक वो हॉस्पिटल से भाग जाता है।

छोटा राजन को मुंबई पुलिस और CBI कैसे पकड़ती है?

और उसके बाद छोटा राजन का ठिकाना किसी को पता नहीं चल पाता है, 2001 के बाद Chhota Rajan पलट के बदला लेता है दाउद इब्राहीम के लोग से और ये लड़ाई का सिलसिला चलती रहती है। और छोटा राजन देश बदलता रहता है, इस बीच मीडिया से संपर्क करता है और मीडिया से दाउद इब्राहीम के खिलाफ सब खुलकर बताना शुरू कर देता है। छोटा राजन ने रॉ को दाउद इब्राहीम के ठिकाने और अड्डे के बारे में बताया। ये दुश्मनी  बड़ा रूप ले चुकी थी और उधर छोटा शकील तलाश करता रहा और एक लास्ट जानकारी आती है 2015 को कि छोटा राजन ऑस्ट्रेलिया में हैं।

और उसको मारने के लिए दाउद इब्राहीम शूटर भेजते हैं लेकिन छोटा राजन को इसकी खबर मिल जाती है। और वो वहां से भी वो भाग जाता है और इसके बाद वो पहुँच जाता है इंडोनेशिया के बाली में, अक्टूबर 2015 में जब ऑस्ट्रेलिया से छोटा राजन निकला तो भारत ने Interpol को छोटा राजन के बारे में सारी जानकारी पहले से ही दे रखी थी। उसकी गिरफ़्तारी के लिए और जब वो ऑस्ट्रेलिया से निकला और जब इंडोनेशिया पहुंचा तो ऑस्ट्रलिया के एजेंसी इंडोनेशिया अथॉरिटी को इन्फॉर्म कर देती है।

जैसे है छोटा राजन इंडोनेशिया के बाली में लैंड करता है तो इंडोनेशिया अथॉरिटी ऑस्ट्रेलिया के सूचना के आधार पर उसे रोक लेती है, और उससे पूछताछ करने लगती है और इसका पासपोर्ट मोहन कुमार के नाम से था। लेकिन जो जानकारी Interpol को दी गई थी वो छोटा राजन और राजेंद्र सदाशिव निखलजे नाम से दी गई थी। कई घंटो के पूछ ताछ पर भी वो अपने आप को मोहन कुमार बताता है, और किसी तरह हमारे एंबैसी के द्वारा सीबीआई को खबर दी जाती है। उसके बाद सीबीआई की एक टीम इंडोनेशिया रवाना होती है, कन्फर्म करने के लिए।

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