प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जीवनी | Manmohan Singh biography in hindi

मनमोहन सिंह का जीवन परिचय

मनमोहन सिंह भारत देश के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जो सबसे ज्यादा पढे लिखे थे, इनके पास इतनी सारी डिग्रियां है कि अब तक के किसी भी नेता के पास नहीं होगा। मनमोहन सिंह जी इतने शांत स्वाभाव के थे कि कोई इनके बारे में कुछ भी बोलकर आरोप लगाकर निकल जाता था। और मनमोहन सिंह कुछ नहीं बोलते थे इसका मतलब ये नहीं की किसी का जवाब नहीं दे सकते थे बस बेवजह की बातों में मनमोहन सिंह पड़ना नहीं चाहते थे किसी तरह का विवाद नहीं करना चाहते थे। बहुत ही शांत स्वाभाव के साथ साथ इनमे करुणा और उदारता बहुत है।

मनमोहन सिंह कि फोटो

जितना आप सोच रहे उतना Manmohan Singh जी का जीवन आसान नहीं थी युवान अवस्था में ही Manmohan Singh अपनी माता जी को खो चुके थे। देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी यहाँ की पढ़ाई पूरी होने के बाद आगे की पढाई के लिए Manmohan Singh को बाहर जाना पड़ा। क्योंकि उस समय देश में अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं थी जिसके लिए उन्हें Scholarship मिली जो बहुत कम लोगो को ही मिलती है उसके बाद बहुत सी डिग्रियां हासिल की। तत्पश्चात भारत आकर कई विभागों में मनमोहन जी ने जॉब कि और उसे बहुत समृद्ध भी किया।

अगर Manmohan Singh नहीं होते तो शायद देश की आर्थिक स्थिति कुछ और ही होती देश के लोग भुखमरी से मर रहे होते, किसी तरह अद्दौगिक कारखाने नहीं होते क्योंकि देश के पास पैसा था ही नही, लेकिन वहां मनमोहन सिंह ने अपनी बुद्धि से देश को समृद्ध किया। मनमोहन सिंह देश के एकोनिमिक के हर पद पर रहकर अपना योगदान दिया जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आई। जिससे भारत सरकार भी बहुत प्रभावित थी जो आगे चलकर इनको और भी बड़े बड़े पद पर बैठाया, Manmohan Singh राजनीतिज्ञ नहीं थे न ही इनके परिवार में कोई था।

मनमोहन सिंह अर्थशास्त्र में एक बहुत बड़े विद्वान् है कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर भी रहे। जव 2004 में चुनाव हुआ था जिसमे कांग्रेस की जीत हुई थी तब सोनिया गाँधी चाहती तो प्रधानमंत्री बन सकती थी। लेकिन किसी कारणवश वो खुद प्रधानमंत्री नहीं बनी और अपनी दावेदारी मनमोहन सिंह को दे दी और उसे ही प्रधानमंत्री पद के लिए चुना।

Manmohan Singh को राजनीति में किसी भी तरह का अनुभव नहीं था और न ही कभी राजनीति में आना चाहते थे। मनमोहन सिंह जिस प्रकार अचानक देश के प्रधानमंत्री बने शायद उस प्रकार अभी तक कोई नहीं बना होगा जो हुआ सब अचानक हुआ। इस बात की जानकारी खुद मनमोहन जी की नहीं थी कि वो कभी प्रधानमंत्री बनेंगे। मनमोहन जी की जीवन कितना संघर्षपूर्ण रहा है और कैसे मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने आखिर वो कौन सी परिस्थिति थी की मनमोहन जी को प्रधानमंत्री बनाने की आवश्यकता पड़ गई थी जानेंगे आज पुरे विस्तार से।

मनमोहन सिंह कि फोटो
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932
जन्म स्थान गाँव गाह, मुल्तान-पंजाब (अब पाकिस्तान में)
पिता का नाम गुरुमुख सिंह
माता जी का नाम अमृत कौर
शिक्षा M.A., D.Phil. (ऑक्सफ़ोर्ड), D.Lit. ( होनोरिस कॉसा)
मनमोहन सिंह की पत्नी का नाम गुरशरण कौर (इतिहास की प्रोफ़ेसर)
शादी कब हुई 14 सितम्बर 1958
मनमोहन सिंह के बच्चे 3
मनमोहन सिंह की बेटी 3 – उपिन्दर, दमन व अमृत सिंह
बेटा एक भी नहीं
Manmohan Singh Party nameIndian National Congress (INC)

मनमोहन सिंह का जन्म व परिवार

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर सन् 1932 को पश्चिम पंजाब के एक गाँव गाह (मुल्तान) में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। मनमोहन जी के पिता का नाम गुरमुख सिंह है और इनकी माता जी का नाम अमृत कौर है, मनमोहन सिंह की युवान अवस्था में ही इनकी माता जी का देहांत हो गया था। जिसके बाद मनमोहन सिंह का पालन-पोषण उनकी दादी जी ने की, 1947 में देश के विभाजन होने के बाद मनमोहन जी का पूरा परिवार अमृतसर आकर बस गए।

मनमोहन सिंह जी का शादी 14 सितम्बर 1958 को गुरशरण कौर से हुई और मनमोहन सिंह जी की तीन बेटियां है जो उच्च कोटि के पद पर आसीन है। इनकी बेटियों का नाम उपिन्दर सिंह, दमन सिंह व अमृत सिंह है, मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर इतिहास की प्रोफ़ेसर रह चुकी है।

शिक्षा व करियर

मनमोहन सिंह जी ने जीवन में बहुत सी मुश्किलों का सामना किया वो चाहे कोई भी क्षेत्र हो एक तो समय से पूर्व ही अपनी माता जी खो दिया। किसी तरह गाँव में ही प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई उस समय इनके गाँव में बिजली नहीं हुआ करती थी तो लालटेन के नीचे ही पढ़ा करते थे और ऐसे बहुत से महान लोग है जिन्होंने लालटेन के नीचे ही पढ़कर देश की हर समृधि में ऐसा ऐसा योगदान दिया जिसकी कल्पना मात्र करने से देश को गर्व होता है उसके परिवार वालो को गर्व होता है, अब्दुल कलाम जी ने भी लालटेन के नीचे ही पढ़कर देश के समृधि में बहुत बड़ा योगदान दिया।

अमृतसर आने के बाद मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में दाखिला लिया उसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और फिर साल 1952 में स्नातक ( ग्रेजुएशन) पूरी की और साल 1954 में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

साल 1952 में मनमोहन सिंह ने पंजाब के यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से B.A. (ऑनर्स) पूर्ण की और तत्पश्चात साल 1954 में मनमोहन सिंह ने M.A. (इकॉनॉमिक्स) पूर्ण की। भारत में उस समय बड़े स्तर की पढाई की व्यवस्था नहीं थी जिस कारण आगे की पढाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का रुख किया। वहां मनमोहन सिंह जी ने Ph.D. पूरी की और साल 1955 और 1957 में कैंब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में बेहतर प्रदर्शन के लिए ‘राइट्स पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया गया। उसके बाद मनमोहन सिंह ने ‘नफील्ड कॉलेज’ (ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी) से D.Phil. पूर्ण की।

कैम्ब्रिज में पढाई पूर्ण के पश्चात् मनमोहन सिंह भारत लौट आए और पंजाब विश्वविद्यालय में एक शिक्षक के रूप में पढ़ाना शुरू किया था। साल 1960 में वह D.Phil. के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गए D.Phil. पूर्ण होने के बाद मनमोहन सिंह भारत आये और साल 1957 से लेकर 1959 तक पंजाब यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के सीनियर लेक्चरर बने और 1959 से लेकर 1963 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में एक पाठक के रूप में कार्य किया और 1963 से लेकर 1965 के बीच अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे। 1966 से लेकर 1969 तक संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) के लिए काम किया।

साल 1969 से लेकर 1971 तक मनमोहन सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के के प्रोफेसर रहे।

मनमोहन सिंह को समयक्रमानुसार प्राप्त पद और अन्य उपलब्धियां

मनमोहन सिंह 1966 से 1969 के बीच संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने के तत्पश्चात बाद में मनमोहन सिंह को करियर की शुरुआत हुई और साल 1972 में मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने, और साल 1976 में वे वित्त मंत्रालय में सचिव बने। ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में एक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। साल 1970 – 1980 के बीच मनमोहन सिंह कई बड़े पद पर आसीन हुए मुख्य आर्थिक सलाहकर के रूप में, 1980 से 1982 तक मनमोहन सिंह योजना आयोग में थे। साल 1982 से 1985 के बीच मनमोहन सिंह को तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया।

1985 से लेकर 1987 के बीच योजना आयोग के प्रमुख उपाध्यक्ष रहे, योजना आयोग में अपने कार्यकाल के बाद, मनमोहन सिंह 1987 से नवंबर 1990 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मुख्यालय वाले एक स्वतंत्र आर्थिक नीति थिंक टैंक (think tank) दक्षिण आयोग के महासचिव रहे।

मनमोहन सिंह नवंबर 1990 में जिनेवा से भारत लौटे और प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह के कार्यकाल में आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में कार्य किया। मार्च 1991 में मनमोहन सिंह University Grants Commission के चेयरमैन रहे।

साल 1991 में भारत बहुत बड़ी आर्थिक संकट से गुजर रही थी तब नए प्रधानमंत्री के रूप में पी. वी. नरसिम्हा राव थे जिन्होंने एक बहुत बड़ा अहम् फैसला लिया और मनमोहन सिंह को अपने मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री बना दिया जबकि मनमोहन सिंह किसी पार्टी से नहीं थे न ही वो कोई चुनाव जीतकर आये थे बस उनके बस वो हुनर था जिसके बल पर उनको इस पद के लिए खुद प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने चुना था जिसका जिसका विरोध कई दलों ने भी किया लेकिन उससे किसी भी तरह से मंत्रिमंडल पर प्रभाव नहीं पड़ा।

और मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के पद पर रहकर कई बड़े कार्य किये जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिला और जल्द ही देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आई मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाना प्रधामंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के लिए सही साबित हुआ। देश को आर्थिक संकट से निजात दिलाने के स्वरुप में मनमोहन सिंह को और भी पुरे विश्व स्तर से मान सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।

मनमोहन सिंह जी ने एक पत्रकार के इंटरव्यू में साल 2005 में ब्रिटिश पत्रकार मार्क टुली से कहा कि जिस दिन पी. वी. नरसिम्हा राव अपनी कैबिनेट मंत्रिमंडल बना रहे थे। पी. वी. नरसिम्हा राव ने अपने प्रधान सचिव को यह कहते हुए मेरे पास भेजा था कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आप वित्त मंत्री बनें। उस समय मनमोहन सिंह ने इस संदेश को उतनी गंभीरता से नहीं ली तत्पश्चात पी. वी. नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह के बारे में पता लगाईं और उसके समक्ष अपनी मांग राखी कि और कहा की शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन आये।

  • 1952 : B.A (Honours) in Economics
  • 1952 :  M.A. in Economics
  • 1954 :  Panjab University, Chandigarh 
  • 1957 : Honours degree in Economics, University of Cambridge – St John’s College
  • 1957 – 1959 : अर्थशास्त्र के सीनियर लेक्चरर (Senior Lecturer in Economics)
  • 1959 – 1963 : पंजाब यूनिवर्सिटी में एक पाठक के रूप में कार्य किया
  • 1963 – 65 (प्रोफ़ेसर) : इकोनॉमिक्स, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
  • 1966 -1969 : मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया
  • 1976 (ऑनरेरी प्रोफ़ेसर) : जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, 1996 – नई दिल्ली, दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स दिल्ली यूनिवर्सिटी
  • 1969 -71 (प्रोफ़ेसर) : इंटरनेशनल ट्रेड दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनिमिक्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी
  • 1971–1972 : Economic Adviser, Ministry of Foreign Trade, India
  • 1972 – 76 : प्रमुख आर्थिक सलाहकर (Chief Economic Adviser, Ministry of Finance, India)
  • 1976 : Honorary Professor, Jawaharlal Nehru University, New Delhi (1976)
  • 1977 – 80 : निदेशक, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (Director, Reserve Bank of India) निदेशक, भारतीय औद्दौगिक विकास बैंक (Director, Industrial Development Bank of India), एशियन डेवलपमेंट बैंक, मनिला गवर्नर मंडल में भारतीय वैकल्पिक गवर्नर, आई.बी.आई.डी. के गवर्नर मंडल में भारतीय वैकल्पिक गवर्नर।
  • नवम्बर 1976 – अप्रैल 1980 : सचिव, वित्त मंत्रालय (वित्तीय मामलो का का विभाग), परमाणु उर्जा आयोग सदस्य (वित्त), अंतरिक्ष आयोग में सदस्य (वित्त)।
  • अप्रैल 1980 – सितम्बर 1982 : योजना आयोग में सदस्य सचिव।
  • 1 सितम्बर 1982 – जनवरी 1985 : गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक (Governor, Reserve Bank of India)
  • 1982 – 85 : आई.एम.एफ.के गवर्नर मंडल में भारतीय वैकल्पिक गवर्नर।
  • 1983 – 84 : प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य।
  • जनवरी 1985 – जुलाई 1987 : योजना आयोग के उपाध्यक्ष।
  • अगस्त 1987 – नवम्बर 1990 : साउथ कमीशन, जेनेवा में सेक्रेटरी जनरल व कमिश्नर।
  • दिसम्बर 1990 मार्च 1991 : प्रधानमंत्री के आर्थिक मामलों में सलाहकर।
  • मार्च 1991 – जून 1991 : यू.जी.सी.के चेयरमैन।
  • जून 1991 – मई 1996 : केन्द्रीय वित्त मंत्री।
  • अक्टूबर 1991 : राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित।
  • 1991 – 1995 : आई.एम.एफ. और अंतर्राष्ट्रीय पुननिर्माण एवं विकास बैंक के गवर्नर मंडल में भारतीय गवर्नर।
  • जून 1995 : राज्यसभा के लिए पुननिर्वाचित
  • 1996 : वित्त मंत्रालय के सलाहकर समिति के सदस्य
  • अगस्त 1996 – दिसम्बर 1997 : वाणिज्य के बारे में संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष
  • मार्च 1998 : राज्यसभा में विपक्ष के नेता
  • जून 2001 : राज्यसभा के लोए पुननिर्वाचित
  • अगस्त 2001 : जनरल परपज कमिटी के सदस्य
  • 22 मई 2004 : प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण की
  • मनमोहन सिंह भारत के पहला सीख प्रधानमंत्री है
  • पंडित जवाहर लाला नेहरु के बाद मनमोहन सिंह दुसरे ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होंने दो बार लगातार प्रधानमंत्री पद का कार्यकाल पूर्ण की।

मनमोहन सिंह को प्राप्त सम्मान और पुरुष्कार (अवार्ड्स)

1955 और 1957 में सेंट जोंस कॉलेज, कैंब्रिज में अद्वितीय प्रदर्शन के लिएराइट्स प्राइज
1956 एडम स्मिथ प्राइज, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज, यू.के.
1987पदम विभूषण
1993वर्ष के वित्त मंत्री के रूप में युरोमनी अवार्ड
1993 और 1994 एशिया के वित्त मंत्री के रूप में एशियानी अवार्ड

Where is Manmohan Singh born?

Village – Gaah, Punjab ( Now Pakistan)

Who is the wife of Manmohan Singh?

Gursharan Kaur

Who is the son of Manmohan Singh?

not a single son

How old is Manmohan Singh?

89 year’s in 26 September 2021

What is the date of birth of Manmohan Singh?

26 September 1932
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