जौन एलिया की कुछ बेहतरीन शायरी, नज़्म और मतले
हमारे ज़ख़्म ए तमन्ना पुराने हो गए हैं
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं
जब किसी लिबास की खुशबु उड़ के आती है
तेरे बदन की खुशबु बहुत सताती है
तेरे गुलाब तरसते हैं तेरी खुशबु की
तेरी सफेद चमेली तुझे बुलाती है
तेरे बगैर मुझे चैन कैसा पड़ता है
मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है
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उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहां के थे ही नही
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
यूं जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
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बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
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हो कभी तो शराब ए वस्ल नसीब
पिए जाऊँ मैं ख़ून ही कब तक
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हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो
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हम कहां और तुम कहां जानाँ
हैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ
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शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
पर यकीन सबको दिलाता रहा हूं मैं
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बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे
सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे
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मुझे अब तुमसे डर लगने लगा है
तुम्हें मुझसे मोहब्बत हो गई क्या
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दिल को जला चुके है, सो अब घर जलाइए
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बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
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क्या है जो बदल गई है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ
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क्या सितम है कि अब तेरी सूरत
ग़ौर करने पर याद आती है
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और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
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जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
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अपने अंदर हँसता हूँ मैं और बहुत शरमाता हूं
ख़ून भी थूका सच मुच थूका और ये सब चालाकी थी
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काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
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और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
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ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
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बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या