बिनोद बिहारी महतो जी एक बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, समाज में फैली बहुत सी कुरीतियों और अन्धविश्वासों के खिलाफ लड़ाई कि शुरुआत करने का श्रेय सबसे पहले इन्हे जाता है

बिनोद बिहारी महतो जी एक बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, समाज में फैली बहुत सी कुरीतियों और अन्धविश्वासों के खिलाफ लड़ाई कि शुरुआत करने का श्रेय सबसे पहले इन्हे जाता है

भले आज हमारे बीच बिनोद बिहारी महतो जी नहीं है लेकिन आज उनके द्वारा बनाए गए बहुत सी चीजे मौजूद है जिसे किसी भी हालात में नहीं भुलाया जा सकता है।

भले आज हमारे बीच बिनोद बिहारी महतो जी नहीं है लेकिन आज उनके द्वारा बनाए गए बहुत सी चीजे मौजूद है जिसे किसी भी हालात में नहीं भुलाया जा सकता है।

बिनोद बिहारी महतो जी कितने नीचे तबके से उठकर लोगों का मसीहा बन गए किसी को पता ही नहीं चला। इनके पिता बहुत ही छोटे मोटे किसान थे कुछ खास अनाज उगा नहीं पाते थे।

बिनोद बिहारी महतो जी कितने नीचे तबके से उठकर लोगों का मसीहा बन गए किसी को पता ही नहीं चला। इनके पिता बहुत ही छोटे मोटे किसान थे कुछ खास अनाज उगा नहीं पाते थे।

बिनोद बिहारी महतो जी के पिताजी ज्यादा अनाज न उगाने कारण कुछ समय मजदूरी करने का कार्य भी करते थे। साथ में गाय, बकरी को चराना, हल चलाना, मुर्गी पालन करना, साथ में मछली मारना आदि कई सारे काम किया करते थे

बिनोद बिहारी महतो जी के पिताजी ज्यादा अनाज न उगाने कारण कुछ समय मजदूरी करने का कार्य भी करते थे। साथ में गाय, बकरी को चराना, हल चलाना, मुर्गी पालन करना, साथ में मछली मारना आदि कई सारे काम किया करते थे

ज्यादा income न होने कि वजह से अपने बच्चों को पढ़ा तक नहीं पाते थे, उस जमाने में गाँव में किसी तरह पढ़ाई कि व्यवस्था तक नहीं थी। बिनोद बिहारी महतो जी के पिताजी पढे लिखे नहीं थे लेकिन पढ़ाई का महत्व इन्हे जरूर पता थी

ज्यादा income न होने कि वजह से अपने बच्चों को पढ़ा तक नहीं पाते थे, उस जमाने में गाँव में किसी तरह पढ़ाई कि व्यवस्था तक नहीं थी। बिनोद बिहारी महतो जी के पिताजी पढे लिखे नहीं थे लेकिन पढ़ाई का महत्व इन्हे जरूर पता थी

घर कि आर्थिक स्थिति खराब रहने के बावजूद किसी तरह बिनोद बिहारी महतो ने प्राइमेरी स्कूल कि पढ़ाई बलियापुर से की।

घर कि आर्थिक स्थिति खराब रहने के बावजूद किसी तरह बिनोद बिहारी महतो ने प्राइमेरी स्कूल कि पढ़ाई बलियापुर से की।

बिनोद बिहारी महतो जी हर दिन कई किलोमीटर पैदल पढ़ने के लिए जाते थे, बीच में कई दफा बिनोद बिहारी महतो जी को पढ़ाई तक छोड़नी पड़ जाती थी।

बिनोद बिहारी महतो जी हर दिन कई किलोमीटर पैदल पढ़ने के लिए जाते थे, बीच में कई दफा बिनोद बिहारी महतो जी को पढ़ाई तक छोड़नी पड़ जाती थी।

गाँव से स्कूल की दूरी करीब 15 किलोमीटर थी जो जंगल के रास्ते से होकर गुजरती थी, विनोद बिहारी महतो जी इन रास्तो से कभी साइकिल से तो कभी पैदल ही चलते थे।

गाँव से स्कूल की दूरी करीब 15 किलोमीटर थी जो जंगल के रास्ते से होकर गुजरती थी, विनोद बिहारी महतो जी इन रास्तो से कभी साइकिल से तो कभी पैदल ही चलते थे।

बिनोद बिहारी महतो जी का 18 दिसंबर 1991 को सांसद कार्यकाल के दौरान ही दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल में हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया।

बिनोद बिहारी महतो जी का 18 दिसंबर 1991 को सांसद कार्यकाल के दौरान ही दिल्ली राममनोहर लोहिया अस्पताल में हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया।

बिनोद बिहारी महतो जी के पुण्यतिथि के अवसर पर उनके समाधि स्थल बलियापुर कॉलेज के पास बहुत बड़े मेले का आयोजन हर साल होता है इस साल भी हुआ है

बिनोद बिहारी महतो जी के पुण्यतिथि के अवसर पर उनके समाधि स्थल बलियापुर कॉलेज के पास बहुत बड़े मेले का आयोजन हर साल होता है इस साल भी हुआ है